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View Full Version : Shayri (Part 1)



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sivach
December 18th, 2012, 06:52 PM
सुना था दिल समन्दर से भी गहरा होता है ।
हैरान हूँ इस में समाया नहीं कोई तेरे सिवा ।।

SALURAM
December 19th, 2012, 09:42 AM
बलात्कारीयो के लिए एक शेर अर्ज है-
औरत है वो कोई गोश्त नहीं जो तू उसे नोच ले,
हबस की आग में जलने बाले भेड़िये...
एक बार अपनी माँ बहन की भी सोच ले..!!

sivach
December 19th, 2012, 03:12 PM
आज हिचकियों ने कमाल कर दिया
जवाब को ही मेरा सवाल कर दिया

वो यूँ आ के गुज़र गये करीब से
कि धडकनों ने दिल में बवाल कर दिया.......

SandeepSirohi
December 19th, 2012, 03:31 PM
ना मालूम कब से हे ताल्लुक तुमसे ये अपना |
तुम्हारा अक्स था दिल में तुम्हारे नाम से पहले ||

SandeepSirohi
December 19th, 2012, 03:34 PM
इस दौर के लोगों में.............वफ़ा ढूंढ रहे हो
तुम ज़हर की शीशी में..........दवा ढूंढ रहे हो

SandeepSirohi
December 19th, 2012, 03:35 PM
जिस नगर भी जाएँ किस्से हैं कमबख्त दिल के |
कोई ले के रो रहा है, कोई दे के रो रहा है ||

sivach
December 19th, 2012, 04:29 PM
सारी उम्र पूजते रहे लोग अपने हाथों से बनाये पत्थर के खुदा को
हमने खुदा के हाथों के बनाये हुए को चाहा तो गुनहेगार हो गए

balraaj
December 19th, 2012, 07:35 PM
वेदना के व्यक्त जल को कौन समझेगा
मेरे आँसू के महल को कौन समझेगा

इस शहर में झूठ ही मशहूर होता है
सत्य पर मेरी पहल को कौन समझेगा

SALURAM
December 20th, 2012, 07:11 AM
मर्दानगी को तुमने तो मजमा बना दिया।
अब दोज़ख में भी दो गज़ ज़मीन न मिलेगी।।

ravinderjeet
December 20th, 2012, 01:29 PM
मैं उम्र भर न कोई दे सका जवाब,
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।

ndalal
December 20th, 2012, 04:11 PM
आँसुओ मे रची खुशी की तरह
रिश्ते होते हैं शायरी की तरह

जब कभी बादलों से घिरता है
चाँद लगता है आदमी की तरह

ndalal
December 20th, 2012, 04:14 PM
तितलियों का मुझे टूटा हुआ पर लगता है
दिल पे वो नाम भी लिखते हुये दर लगता है

जिंदगी तूने मुझे कब्र से कम दी है जमीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार मे सर लगता है...

ndalal
December 20th, 2012, 04:19 PM
परखना मत, परखने मे कोई अपना नही रहता
किसी भी आ-ई-ने- मे देर तक चेहरा नही रहता

बड़े लोगों से मिलने मे हमेशा फासिला रखना
जहां दरिया समंदर मे मिला, दरिया नही रहता ।

sivach
December 20th, 2012, 06:21 PM
ख़ुशामद का मेरे होठों पे, अफ़साना नहीं आया।
मुझे सच को कभी भी झूठ बतलाना नहीं आया।

कहीं गिरवी नहीं रक्खा, हुनर अपना कभी मैंने,
इसी कारण मेरी झोली में नज़राना नहीं आया।

भले ही मुफ़लिसी के दौर में फ़ाक़े किये मैंने,
मगर मुझको कभी भी हाथ फैलाना नहीं आया।

किसी अवरोध के आगे, कभी घुटने नहीं टेके,
मैं दरिया हूँ मुझे राहों में रुक जाना नहीं आया।

सियासत की घटाएँ तो बरसती हैं समुन्दर में,
उन्हें प्यासी ज़मीं पे प्यार बरसाना नहीं आया।

परिन्दे चार दाने भी, ख़ुशी से बाँट लेते हैं,
मगर इंसान को मिल-बाँट के खाना नहीं आया।

अनेकों राहतें बरसीं, हज़ारों बार धरती पर,
ग़रीबी की हथेली पर कोई दाना नहीं आया।

सरे-बाज़ार उसकी आबरू लु्टती रही ‘जौहर’
मदद के वास्ते लेकिन कभी थाना नहीं आया।

ndalal
December 20th, 2012, 07:50 PM
मुहब्बत एक खुशबू है, हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तनहाई मे भी तन्हा नही रहता

तुम्हारा शहर तो बिलकुल नए अंदाज वाला है
हमारे शहर मे भी अब कोई हम सा नही रहता

ndalal
December 20th, 2012, 07:54 PM
आईना धूप का दरिया मे दिखाता है मुझे
मेरा दुश्मन मेरे लहजे मे बुलाता है मुझे

खूबसूरत है बहुत रात की तनहाई भी
सात रंगों मे तेरा दर्द सजाता है मुझे

ndalal
December 20th, 2012, 08:01 PM
ये कसक दिल की दिल मे रह गई
जिंदगी मे तुम्हारी कमी रह गई

एक मैं, एक तुम, एक दीवार थी
जिंदगी आधी आधी बनती सी रह गई

रात को भीगी भीगी छतों की तरह
मेरी पलकों पे थोड़ी नमी रह गई

मैंने रोका भी नही, वो चला भी गया
बेबसी दूर तक देखती रह गई

मेरे घर की तरफ धूप की पीठ थी
आते आते इधर चाँदनी रह गई (बशीर बद्र )

ndalal
December 20th, 2012, 08:21 PM
जिंदगी भी अजीब दरिया है
जिंदगी भर उसी की प्यास रहे

खुश रहे या बहुत उदास रहे
जिंदगी तेरे आसपास रहे

आज हम सबके साथ खूब हँसे
और फिर देर तक उदास रहे

इक सितारे के इंतजार मे गुम
शाख पर फूल बाद हवास रहे
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरी हसरत थी मुझे,

अब तू खुदा भी बन जाये तो भी तेरा सजदा ना करूँ !!

SandeepSirohi
December 21st, 2012, 10:37 AM
हंसकर जियो जिंदगी दिल उदास क्यों करते हो.
कल की छोडो कल पर आज एहसास क्यों करते हो.

गुजरे हुए कल को भूल जाना है बेहतर.
गम में अश्क बहाने से मुश्काना है बेहतर.

जब होनी को अनहोनी में हम ढाल नहीं सकते.
जब किस्मत में लिखी बात को टाल नहीं सकते.

फिर लुत्फ़ की लज़ीज़ स्वाद का सत्यानाश क्यों करते हो.
कल की छोडो कल पर आज एहसास क्यों करते हो.

गम ख़ुशी के मौसम तो, आते-जाते रहते है.
कभी हंसाते है तो, कभी रुलाते रहते है.

चिंता है चिता करोगे तो जल जावोगे.
बेसब्री से दुनिया में कुछ नहीं तुम पाओगे.

सब है मतलब के मारे, किसी से आस क्यों करते हो.
कल की छोडो कल पर आज एहसास क्यों करते हो.

sivach
December 21st, 2012, 03:01 PM
ये दिल तो तेरे नाम पे कुर्बान कर दिया
हमने तो अपनी जान को भी बेजान कर दिया

रखते नहीं हो शौक़ तुम दीदार का मेरे
आँखों को अपनी मुझसे ही अनजान कर दिया

हम तो समझे थे कि निभाओगे साथ तुम
तन्हा मुझे छोड़ के परेशान कर दिया

कुछ पल सही तुम मेरे दिल मैं तो रहते
नीलाम करके मुझको बेमकान कर दिया

होना था किसी और का चुपके से हो जाते
तुम ने तो सरेआम ऐलान कर दिया

sivach
December 21st, 2012, 04:33 PM
कुछ इस तरह से ढल गए है हम तेरे प्यार में
आईना भी देखू तो तुम्ही नज़र आते हो

SandeepSirohi
December 22nd, 2012, 12:53 PM
मोहब्बत मुझे तुमसे नहीँ, तेरे किरदार से है
वरना हँसीन लोग तो बाजार मेँ आम मिला करते हैँ।।

SALURAM
December 25th, 2012, 02:28 PM
hum dimaak se apna ghar bachate rahe...
chand kiddon ne to kursi ki aad me saara mulk kha liya...

SandeepSirohi
December 26th, 2012, 03:21 PM
उसके चले जाने के बाद हम महोब्बत नहीं करते किसी से,
छोटी सी जिन्दगी है, किस किस को अजमाते रहेंगे.

sivach
December 26th, 2012, 06:49 PM
मैंने उनसे कहा कोई झूठ बोलो आज हमसे
वो मुस्कुराये और बोले, तुम बहुत याद आते हो ...

sivach
December 26th, 2012, 07:11 PM
तेरी चाहत से मुझे इन्कार तो नहीं मगर,
क्या करूं एक शख्स मेरा एतबार तोड़ गया !!!!!

vipinrathee
December 27th, 2012, 03:07 AM
wah wah!!!
मोहब्बत मुझे तुमसे नहीँ, तेरे किरदार से है
वरना हँसीन लोग तो बाजार मेँ आम मिला करते हैँ।।

vipinrathee
December 27th, 2012, 03:08 AM
wah ji wah....kya kehna!

कुछ इस तरह से ढल गए है हम तेरे प्यार में
आईना भी देखू तो तुम्ही नज़र आते हो

SandeepSirohi
December 27th, 2012, 10:57 AM
मै किसी को क्या इल्जाम दू अपनी मौत का यारों |
सताने वाले भी अपने ही थे और दफनाने वाले भी ||

sivach
December 27th, 2012, 11:45 AM
मुझे मालूम है, तुम खुश हो मेरी जुदाई से !!
अब ख्याल रखना अपना, तुम्हे तुम जैसा ना मिल जाये कोई !!!!!!

ravinderjeet
December 27th, 2012, 05:29 PM
कितनी अजीब जुदाई थी ,
के तुझे अलविदा भी न कह सका...!!
तेरे जाने में इतना फरेब था,
के तुझे बेवफा भी न कह सका..!!

ravinderjeet
December 27th, 2012, 05:54 PM
में इस बेबस दुनिया में केसे जियूं ?
यहाँ सकूं तो मिलता हे ,
मगर सब कुछ लुट जाने के बाद ।।

ravinderjeet
December 27th, 2012, 05:57 PM
मौजूद थी उदासी अभी तक पिछली रात की ,
बहला था दिल ज़रा सा ,की फिर रात हो गई ।।

ravinderjeet
December 27th, 2012, 06:08 PM
उसकी मोहब्बत ने इतना मजबूत किया हे मुझ को ,
की उसकी जुदाई के सिवाय ,मुझे कोई तोड़ ना सका ।।

ravinderjeet
December 27th, 2012, 06:20 PM
ठोकरें खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब;
राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं!

ravinderjeet
December 27th, 2012, 06:28 PM
चली जाने के बाद ,बहार का पता चला ,
उसके जाने के बाद ,प्यार का पता चला ।।

SALURAM
December 28th, 2012, 08:32 AM
Bahaar aane se pehle fiza aa gayi,
ki bahaar aane se pehle fize aa gayi,
Aur phool khilne se pehle.....
.... bakri kha gayi

ravinderjeet
December 28th, 2012, 05:13 PM
हर पल में प्यार हैं हर लम्हें में ख़ुशी है
खो दो तो याद है ...जीत लो तो ज़िन्दगी हैं

balraaj
December 30th, 2012, 05:48 PM
बड़ा रोता था वो ...और नैनों का खारा समंदर खाली हो जाता ...
दिल की कश्ती ...आँखों के रेगिस्तान में मछलियों को किनारे लगाती ...
और ढोते ढोते ख़्वाबों के कन्धे छिल जाते ...काश ...कभी हम मिल जाते ...
इन अश्कों के मोती खिल जाते...

SandeepSirohi
December 31st, 2012, 02:44 PM
गम की परछाईयाँ
यार की रुसवाईयाँ
वाह री मुहोब्बत !
तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईयां |

sivach
December 31st, 2012, 06:16 PM
गुजरती शाम तुमसे कह रही है,
घनेरी रात आ जाने से पहले |
जहाँ भी हो चले आना प्रिये तुम,
हमारा दम निकल जाने से पहले ||

SandeepSirohi
January 1st, 2013, 12:45 PM
तू मेरी चाहत पर एक एहसान कर
अपने सारे गम तू मेरे नाम कर
जो लम्हे रुलाते हैं तुझे याद बनकर
वो आंसू मेरी नजरो के नाम कर

sivach
January 2nd, 2013, 07:34 PM
बेहद शरीफ लोगो से कुछ फासला रखो
पी लो पर कभी न कहो तुम नशे में हो

कागज का लिबास चरागों के शहर में
जाना संभल संभल के चलो तुम नशे में हो

vikasJAT
January 3rd, 2013, 05:10 AM
Tuje Duniya Se Furst Mile To Tujse Pochon,
Yaad B Aate Hain Tujhe Sath Bitaye Hue Wo Pal?
Ek Tu Hai K Tuje Bholna Nahi Chahte Hum,
Warna Andaz To Hume B Aate Hain Zamane Wale.

vikasJAT
January 3rd, 2013, 05:13 AM
Tu Hi Bata Kahan Se Dhund Kar Laon Ab Apne Aap Ko.
Tujhe Pane K Liye K Liye Maine Khud Ko Kho Diya Hai.

vikasJAT
January 3rd, 2013, 05:30 AM
Laut Jati Hai Duniya Gum Hamara Dekh Kar
Jaise Laut Jati Hai Lehrein Kinara Dekh Kar
To Kandha Na Dena Mere Janaze Ko Kahi
Phir Zinda Na Ho Jaoo Tera Sahara Dekh Kar.

vikasJAT
January 3rd, 2013, 05:35 AM
Mat Bana Rista Is Jaha Me,
Bahut Muskil Unhe Nibhana Hoga,
Har Ek Rista Ek Naya Gam Dega,
Ek Taraf Bebas Tum, Aur Ek Taraf-
Hasata Jamana Hoga !!

vikasJAT
January 3rd, 2013, 05:42 AM
Ye Arzu Thi K Aisa B Kuch Hua Hota
Meri Kami Ne Tujhe Bhi Rula Diya Hota
Mai Loat Ata Tere Pass Ek Lamhe Main
Tere Labon Ne Mera Nam To Liya Hota.

vikasJAT
January 3rd, 2013, 05:49 AM
Tum Kisi Ki Khatir
Mujhe Bhool Bhi Gaye To Koi Bat Nahi........Main Bhi To Bhool Gaya Tha Sara Zamana
Tumhari Khatir........

sivach
January 4th, 2013, 02:50 PM
बेखयाली, बेखुदी, बेबसी दे गया
कुछ नए तजुर्बे अजनबी दे गया।।

उसके आ जाने से हर कमी मिट गयी
जाते -जाते वो अपनी कमी दे गया।।

सोचने के लिए पल की भी मोहलत ना दी
जागने के लिए एक सदी दे गया।।

ले गया जान-ओ-दिल जिस्म से खींच कर
रूह को एक मगर ताजगी दे गया।।

उस की सौदागरी में भी इन्साफ था
ज़िन्दगी दे गया, ज़िन्दगी ले गया।।

sivach
January 4th, 2013, 03:00 PM
मौत है एक लफ्ज़ बेमानी
जिसको मारा हयात ने मारा

SALURAM
January 5th, 2013, 09:16 AM
Tujhe Pane Ke Liye Apne Aapko Ruswaa
Karenge
Hum Hamesha Tumhari Salamati Ki Duaa
Karenge

rskankara
January 5th, 2013, 12:36 PM
हर खुशी आएगी पहले, ग़म उठाना सीख लो |
रौशनी पानी है तो फिर, घर जलाना सीख लो ||

rskankara
January 5th, 2013, 12:36 PM
हादसे इंसान के संग, मसखरी करने लगे |
लफ़्ज़ क़ागज़ पर उतर, जादूगरी करने लगे||

SandeepSirohi
January 5th, 2013, 05:40 PM
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता धज्जी धज्जी रात मिली
जिसका जितना आँचल था उतनी ही सौगात मिली

SandeepSirohi
January 5th, 2013, 05:46 PM
देखिए गौर से रुक कर किसी चौराहे पर |
जिंदगी लोग लिए फिरते हैं लाशों के तरह ||

rskankara
January 5th, 2013, 08:17 PM
फूलों से जग आसान नहीं होता है..
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है..
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी..
है नाश जहां पर निर्मम वहीं होता है..
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

rskankara
January 6th, 2013, 08:02 PM
आंसू पौछकर हंसाया है मुझे
मेरी गलती पर भी सीने से लगाया है मुझे
कैसे प्*यार न हो ऐसे दोस्*त से
जिसकी दोस्*ती ने जीना सिखाया है मुझै ...

rskankara
January 6th, 2013, 08:03 PM
ओस की बूंदे है, आंख में नमी है,
ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है
ये कैसा मोड है जिन्*दगी का
जो लोग खास है उन्*की की कमी हैं ||

SALURAM
January 7th, 2013, 09:58 AM
गुलसन में भी बहार आते हैं !
हर किसी पे हम कहाँ यकीन कर पाते हैं !!
दिल का जिसपे होता हैं ज्यादा भरोसा !
कसम से उसी से हम धोखा खाते हैं !

sivach
January 7th, 2013, 01:58 PM
ढलने लगी थी सब, कि तू याद आ गया
फिर यूँ हुआ कि रात बड़ी देर तक रही

SandeepSirohi
January 7th, 2013, 02:54 PM
ये जो मेरे शहर में रोशनी लायें होंगे |
इन चिरागों ने ना जाने कितने घर जलाये होंगे ||

हाथ उनके भी यकीनन हुए होंगे जख्मी|
जिसने मेरी राह में कांटें बिछाये होंगे ||

sivach
January 7th, 2013, 03:38 PM
मंजिलों की बात छोड़ो किस ने पायी मंजिलें,
इक सफ़र अच्छा लगा, इक हमसफ़र अच्छा लगा।

sivach
January 7th, 2013, 03:41 PM
है शौक़-ए-सफ़र ऐसा, कि इक उम्र से हम ने
मंजिल भी नहीं पाई, रास्ता भी नहीं बदला

sivach
January 7th, 2013, 05:20 PM
तमाशा रोज़ करते हो वफाओं का, जफ़ाओं का,
ज़रा ठहरो मेरे दिल में मोहब्बत सीख जाओगे

SandeepSirohi
January 7th, 2013, 06:01 PM
इस नगर मे लोग फिरते है मुखौटे पहन कर |
असल चेहरों को यहां पह्चानना मुमकिन नही ||

SandeepSirohi
January 8th, 2013, 10:54 AM
फ़क़त बयानबाजी से कोई समाधान नहीं होता
दो हाथ, दो पैर से कोई इन्सान नहीं होता

लहू उबलना चाहिए रगों में सैलाब की तरह
बाल पकने से कोई बूढ़ा,कोई जवान नहीं होता

नुक्कड़ों पे होती है ,खूब इल्म की बातें
सियासत से मज़हब तलक,क्या बयान नहीं होता

दिलों में रहमत हो, बस इतना ही काफी है
फ़ाके रखने से ख़ुदा मेहरबान नहीं होता

समंदर समेट ले मौजों को अपने ही आगोश में
न पूछ ,किस जिगर में यहाँ तूफ़ान नहीं होता

sivach
January 8th, 2013, 04:07 PM
रात आँखों में गुजारी तो ये एहसास हुआ,
सुबह तक इक दीया किस तरह जलता होगा ...

sivach
January 10th, 2013, 02:26 PM
हर एक पाँव मुझे रौंदते हुए गुजरे,
ना जाने कौन सी मंजिल का रास्ता हूँ मैं !!

SandeepSirohi
January 10th, 2013, 02:30 PM
कोई रिश्ता ना होता तो वो खफा क्यों होते |
ये बेरुखी उनकी मुहब्बत का पता देती है ||

sivach
January 10th, 2013, 02:51 PM
मुझे मालूम नहीं खुशियों के मायने
पता बस ये है, हंसी उसकी मेरे चेहरे पे खिलती है !!

SALURAM
January 10th, 2013, 05:28 PM
हमें तो अपनी ही सरकार ने लूटा
विदेशी ताकतों में कहाँ दम था|
रेल किराया भी बढा दिया
सिलेंडर, पैट्रोल क्या कम था ||

sivach
January 12th, 2013, 02:45 PM
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं

हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं

बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं
इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं

ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खाना
कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं

हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगे
यहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं

sivach
January 15th, 2013, 02:57 PM
अभी ये ना पूछ कि मंजिल कहाँ है
अभी तो बस सफ़र का इरादा किया है।।
ना हारुँगा मैं हौसला ज़िन्दगी भर
ये किसी से नहीं, खुद से वादा किया है।।

SandeepSirohi
January 15th, 2013, 05:54 PM
कल न हम होंगे न कोई गिला होगा !
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा !!
जो लम्हे हैं चलो हँस कर बिता ले !
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा !!

SandeepSirohi
January 15th, 2013, 06:01 PM
तेरी आँखों में आंसू थे मेरी खातिर .....
वोही इक लम्हा मुझे जिंदगी से पियारा लगा ..



ना रही कोई ओर तमन्ना उसके बाद |
भटकती किश्ती को तू ही किनारा लगा ||

sivach
January 16th, 2013, 03:52 PM
तिशनगी जम गयी पत्थर की तरह होठों पर
डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला

तिशनगी = प्यास

sivach
January 18th, 2013, 02:41 PM
अरसा बीता, ज़िन्दगी बीती, सब कुछ बीता, लेकिन फिर भी
जो इश्क में बीती, इश्क ही जाने, या वो जाने जिस पर बीती।

sivach
January 18th, 2013, 02:47 PM
तुझको नहीं एहसास, कि ऐ दिल तेरी खातिर
एक शख्स बड़े काम का, बेकार हुआ है।।

SandeepSirohi
January 18th, 2013, 03:28 PM
दर्द की बिसात बिछा मुस्करा रहा है कोई |
मुस्करा कर देखो गम छुपा रहा है कोई ||

SandeepSirohi
January 18th, 2013, 04:57 PM
------------------------------

sivach
January 19th, 2013, 04:40 PM
जिनकी आँखों का मुक़द्दर नहीं बनती नींदें,
उनके सब ख्वाब अधूरे ही हुआ करते हैं।।

rskankara
January 19th, 2013, 05:11 PM
मैं इस उम्मीद पे डूबा के तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या लेगा

rskankara
January 19th, 2013, 05:19 PM
ऐ ज़ख्म दे के भूलने वाले ज़रा बता,
मरहम की तूने फ़िक्र की मेरे लिए कभी।

SandeepSirohi
January 19th, 2013, 06:05 PM
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो

फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो

SandeepSirohi
January 19th, 2013, 06:07 PM
यही है दर्द मेरा, लोग मुझको कब समझते हैं
मैं शातिर हूँ नहीं इतना कि, जितना सब समझते हैं

ज़माने को समझने में हमारी उम्र गुजरी है
मियां, हम आपकी हर बात का मतलब समझते हैं

जमूरा भूख् से जब पेट पकड़े छ्ट्पटाता है
अजब हैं लोग उसको भी महज करतब समझते हैं

तुम्हारी हर अदा जैसे कि मुझसे बात करती है
तुम्हारी आँख की बोली को मेरे लब समझते है

यकीं मानो न मानो तुमसे ही किस्मत हमारी है
खुदा भी जानता है हम तुम्हें ही रब समझते हैं

rskankara
January 19th, 2013, 07:33 PM
इस बार मिलने आओ तो
फूलों के साथ बोतल भी लेते आना
मिलकर खोलेंगे, बैठकर बतियाएंगे
पर दफ़्तर के किस्से मत सुनाना.........

rskankara
January 19th, 2013, 07:37 PM
बुरी अब हो गई दुनिया शिकायत सब को है लेकिन
कोई कोशिश नहीं करता इसे बेहतर बनाने की

rskankara
January 19th, 2013, 08:10 PM
हर घर में कोई तहख़ाना होता है, तहख़ाने में इक अफ़साना होता है |
किसी पुरानी अलमारी के ख़ाने में, यादों का अनमोल ख़ज़ाना होता है ||

rskankara
January 20th, 2013, 05:01 PM
जो दिल से करीब हो उसे रुसवा नहीं कहते,
यूं अपनी मोहब्बत का तमाशा नहीं करते,
खामोश रहेंगे तो घुटन और बढ़ेगी,
इसलिए अपनों से कोई बात छुपाया नहीं करते!

rskankara
January 20th, 2013, 05:04 PM
दुश्मनों ने तो ज़ख्म देने ही थे,
ये उनकी फितरत थी!
दोस्तों ने भी जब दगा की,
ये हमारी किस्मत थी!!

sivach
January 21st, 2013, 12:00 PM
शायद ख़ुशी का दौर भी आ जाये एक दिन
गम भी तो मिल गए थे तमन्ना किये बगैर .....!!

sivach
January 21st, 2013, 12:23 PM
देखी है बेरुखी की आज हमने इन्तेहा
हम पर नज़र पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए

sivach
January 21st, 2013, 12:29 PM
वो बेवफा नहीं था यूँ ही बदनाम हो गया,
हजारों चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करता ...!!

sivach
January 21st, 2013, 02:01 PM
जितनी शिद्दत से मुझे ज़ख़्म दिए है उसने
इतनी शिद्दत से तो मैंने उसे चाहा भी न था

sivach
January 21st, 2013, 02:02 PM
छोड़ तो दिया मुझे पर कभी ये भी सोचा तूने
अब कभी झूट बोला तो कसम किसकी खाओगे

ravinderjeet
January 21st, 2013, 06:12 PM
jindagi me kuchh lamhe aesy bhi hote hein |
jo ghnaton me badal kar ,jaar-jaar rote hein ||

SandeepSirohi
January 22nd, 2013, 05:25 PM
रोज टांके उधेड़े जाते हैं, रोज जख्मे जिगर को सीता हु |
जाने क्यों लोग पढ़ना चाहते हैं, न कुरान हु मैं, न गीता हु ||

SandeepSirohi
January 22nd, 2013, 05:44 PM
तुझे चाह के भी नहीं चाह पाता हूँ |
ये चाहत अजीब है या कैफियत मेरी |

rskankara
January 22nd, 2013, 09:58 PM
बस खयालों में ही जिंदगी न गढ़ी जाए,
बातें कुछ तजुर्बे से भी कही जाए !
औरों की खबर हुज़ूर होगी बाद में,
पहले अपने ईमाँ से तो जंग लड़ी जाए !

rskankara
January 22nd, 2013, 10:00 PM
काश! मालिक सेब का पौधा न बोता
ईव को देखकर एडम आपा न खोता..
किस्सा रिस्तों का अगर ये न होता
मस्त कहीं मैं भी चैन की नींद सोता ।।

sivach
January 23rd, 2013, 05:07 PM
तू मेरे जिक्र-ए-इश्क में क्यूँ रहता है
मैं तो खुद अपनी कहानी से अलग रहता हूँ

sivach
January 23rd, 2013, 05:11 PM
कोई नहीं है मेरे जैसा चारों तरफ
अपने गिर्द इक भीड़ सजा कर तन्हा हूँ

sivach
January 23rd, 2013, 05:21 PM
दहलीज़ पे टूटे हुए सागर की तरह
उस शख्स ने फेंका है हमें प्यास बुझा कर

sivach
January 23rd, 2013, 05:25 PM
तुम मेरे लिए कोई इल्जाम न ढूँढो
चाहा था तुमे यही इल्जाम बहुत है

ravinderjeet
January 23rd, 2013, 06:53 PM
तेरा जिक्र ही कहाँ था ,
मेरी दास्ताँ छपने से पहले ,
तुझे अमर कर जाउंगा ,
मेरे मरने से पहले ।----रवि"अतृप्त"

nainsunil007
January 24th, 2013, 04:56 PM
कदें महक नी मुकदी फूलां विचों
फूल सुखदे सुखदे सुख जांदे


कोई कदर ना जाणे प्यार दी
दिल टूटदे टूटदे टूट जांदे


कोई मूल नी जग ते रिशतां दा
ऐ छूटदे छूटदे छूट जांदे


कदे प्यार नी मूकदा दिलां विचो
साँ मुकदे मुकदे मुक जांदे

nainsunil007
January 24th, 2013, 05:03 PM
जदों नी सी वल तुरणे दा
हर कोई चुकदा फिरदा सी
जिस दिन तू तुरणा सिखया
ठां ठां ते डिगदा फिरदा हां

sivach
January 24th, 2013, 08:53 PM
एक चेहरे से ही फुरसत ना मिली हम को
हम किसी और की तरफ आँख उठाते कैसे

deependra
January 24th, 2013, 08:54 PM
एक चेहरे से ही फुरसत ना मिली हम को
हम किसी और की तरफ आँख उठाते कैसे

Awesome bro..

sivach
January 24th, 2013, 09:00 PM
याद आते कभी तुम्हें हम भी,
हम भी काश इक वाक़िया होते !!

sivach
January 24th, 2013, 09:10 PM
पलट के आने लगे शाम के परिंदे भी
हमारा सुबह का भुला अभी नहीं आया

sivach
January 24th, 2013, 09:12 PM
यूँ ना झाँको गरीब के दिल में,
हसरतें बे-लिबास होती है !!

sivach
January 24th, 2013, 09:31 PM
इश्क है अपने उसूलों पे अज़ल से कायम
इम्तिहान जिस का भी लेता है रियायत नहीं करता

अज़ल = Time immemorial (अनादि काल)

SandeepSirohi
January 25th, 2013, 11:24 AM
यूँ ना झाँको गरीब के दिल में,
हसरतें बे-लिबास होती है !!

बहुत बढ़िया सुभाष भाई | बहुत गहरी ओर सच्ची बात कह दी दो लाइन में |

sivach
January 25th, 2013, 06:19 PM
मेरी आँखों में अब भी चुबता है,
तूने जो ख्वाब तोड़ डाला था !!

sivach
January 25th, 2013, 06:22 PM
जिस नगर भी जाओ, किस्से है कम्बखत दिल के
कोई ले के रो रहा है, कोई दे के रो रहा है !!

SandeepSirohi
January 25th, 2013, 06:24 PM
मेरी आँखों में अब भी चुबता है,
तूने जो ख्वाब तोड़ डाला था !!

मेरी आँखों में अब भी चुबता है,
तूने जो ख्वाब तोड़ डाला था
लाख चाहा था की निकल फेकू
पर ख्वाब तेरा था जो मैंने पाला था

sivach
January 25th, 2013, 06:30 PM
ऐसा बदला हूँ तेरे शहर का पानी पी कर,
झूट बोलूं तो निदामत नहीं होती मुझको

निदामत = खेद, अफ़सोस

sivach
January 25th, 2013, 06:40 PM
अब आ गए हो तो बैठो वफ़ा की बात करें,
वफ़ा की बात मैं हर बेवफ़ा से करता हूँ !!

sivach
January 25th, 2013, 06:45 PM
ये संगदिलों की दुनिया है, यहाँ सुनता नहीं फ़रियाद कोई
यहाँ हँसते हैं लोग, जब भी होता है बरबाद कोई

ravinderjeet
January 26th, 2013, 06:29 PM
बे खबर दिल से वो भी नहीं ,में भी नहीं ।
मगर बात दिल की मानता वो भी नहीं ,में भी नहीं ।।

vijaykajla1
January 27th, 2013, 03:34 PM
बात हौसले की करते हो तो मेरी भी सुनो,

जंग लाजिम हो तो लश्कर{फ़ौज} नहीं देखा करते...

vijaykajla1
January 27th, 2013, 03:37 PM
रुके तो चाँद...चले तो हवाओं जैसा है

वो शख्स धूप में भी देखो तो छांव जैसा है !!

nainsunil007
January 28th, 2013, 03:18 PM
जो आता है खुशी की इंतहा पर
बहुत रोए थे उस आँसू की खातिर

ravinderjeet
January 28th, 2013, 03:48 PM
जो आता है खुशी की इंतहा पर
बहुत रोए थे उस आँसू की खातिर

तू आंशु की जात पे ना जा ,
हुआ क्या हे पहले ये तो बता ।

SandeepSirohi
January 28th, 2013, 06:19 PM
जिक्र क्या करू में अपने बारे में |
मुझे खुद नहीं पाता मेरी औकात क्या है ||

चाहू तो एक पल में झुका दू आसमा |
जिद पै आ जाऊ तो फिर बात ही क्या है ||

SandeepSirohi
January 31st, 2013, 03:37 PM
साथ रह के भी अजीब सी दूरी रहती है अब |
कभी दूर रह के तरसते थे साथ के लिए ||

बाते करने को भी कोई बात ना रही अब|
कभी वक्त कम रहता था इक बात के लिए ||

htomar
February 1st, 2013, 11:59 AM
सालों से एक रिश्ता साँसों में अटका हुआ था
दबा-२ सा रह-२ कर चुभता था रूह में
कल तुम्हारे 'अजनबी' कहते ही फूंट पड़ा आँखों से

htomar
February 1st, 2013, 12:51 PM
एक पत्ता पड़ा है ओंधे मुंह रेत में
लगता गहरे समंदर से आ गिरा है
नादान है अब दौड़ेगा नंगे पैर बर्फ में

htomar
February 1st, 2013, 01:04 PM
जिंदगी हर लम्हा अजीब है
हर पल चाहू बात करू उससे,
फिर भी बीच खडी एक दीवार है
यूँ तो साँसे चल रही है, तेरे बिन
जिंदगी, एक मुर्दा कहानी सी है

htomar
February 1st, 2013, 01:06 PM
एक सांस बन के उलझी हो तुम

खुदकुशी में कुछ नज़्म लिख आया हूँ , फिर

मरते मरते , मरेगा ये कमबख्त ' शायर '

SandeepSirohi
February 1st, 2013, 01:40 PM
चेहरे पै ओढ़ रक्खी है नकाब लोगो ने |
दिल का हाल किसी को बताया ना करो ||

अपनापन इक दिखावा रह गया है महज |
हमदर्द किसी को ऐसे ही बनाया ना करो ||

sivach
February 2nd, 2013, 02:43 PM
आज तफ्सील नहीं बस इतना सुनो
बहुत आज याद आ रहे हो तुम !!

sivach
February 2nd, 2013, 02:55 PM
लोगों की निगाहों को पढ़ लेने की आदत है
हालात की तहरीरें चेहरे से बचा रखना

sivach
February 2nd, 2013, 03:05 PM
पानी में अक्श देख कर खुश हो रहे थे हम
पत्थर किसी ने मार कर मंज़र बदल दिया

sivach
February 4th, 2013, 11:20 AM
होते है कैसे, लोग खुदा-ई से बेखबर
हमसे तो एक शख्स भुलाया ना जा सका

SandeepSirohi
February 4th, 2013, 03:34 PM
मेरे चुप रहने से नाराज ना हुया करो |
गहरा समंदर हमेशा खामोश रहता है ||

sivach
February 5th, 2013, 06:24 PM
साफ़ कह दो अगर गिला है कोई,
फैसला फांसले से बेहतर है !!

SandeepSirohi
February 5th, 2013, 06:25 PM
ये बर्फ का शहर है हम फिर भी जल रहे हैं |
अपना सा जिनको माना अब वो ही छल रहे हैं ||
सबकी नहीं है क़िस्मत फूलों से खेलने की |
बस सोच के यही हम काँटों पे चल रहे हैं ||

sivach
February 5th, 2013, 06:28 PM
लोग नाहक किसी मजबूर को कहते है बुरा
आदमी अच्छे हैं पर वक़्त बुरा होता है !!!!

htomar
February 7th, 2013, 01:27 PM
तिनका -2 जोड़ के एक शक्ल पहनी है
झांकता चलता हूँ अजनबी चेहरों में

कोई आइना नहीं बना शायद, कुछ शक्लों के लिए

htomar
February 7th, 2013, 01:28 PM
अपने चाहने वालों की बहुत भीड़ देखि तुमने
एक मै ही था जो भीड़ में न देखा गया तुमसे

sivach
February 7th, 2013, 03:37 PM
सो जाओ, कोई सूखा हुआ पत्ता होगा,
मेरे आँगन में कहां उनके क़दम आते है......

htomar
February 7th, 2013, 04:04 PM
मेरा तो हलक सूख रहा है,पानी की चंद बूंदों के लिए
जाने वो कौन लोग है जो, दरिया में नहाकर आये है

htomar
February 7th, 2013, 04:08 PM
उनका ना रहना भी कहाँ है, गम की वजह
जिंदगी यूं ही कुछ चुप, कुछ गुमसुम सी रहती है

DrRajpalSingh
February 7th, 2013, 05:28 PM
लोग नाहक किसी मजबूर को कहते है बुरा
आदमी अच्छे हैं पर वक़्त बुरा होता है !!!!

Wah Wah, bahut khub, aadmi achhe hain per waqt bura hota hai.

SandeepSirohi
February 7th, 2013, 06:26 PM
दौर वह आया है, कातिल की सज़ा कोई नहीं |
हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं ||

sivach
February 8th, 2013, 04:11 PM
तेरा इसरार सर आँखों पर तुझको भूल जाने की
मैं कोशिश कर के देखूंगा मगर वादा नहीं करता

sivach
February 8th, 2013, 04:36 PM
ईश्वर ऐसे अहसास का नाम है.
रहे सामने और दिखायी ना दे !!!

nainsunil007
February 8th, 2013, 04:43 PM
खतरनाक होते हैं सियासत के क़दम,
तू न समझेगा सियासत, तू अभी नादान है..
कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए,
मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिन्दुस्तान है..

sivach
February 8th, 2013, 05:21 PM
कट ही गयी जुदाई भी, कब ये हुआ कि मर गए
तेरे भी दिन गुज़र गए, मेरे दिन भी गुज़र गए !!

htomar
February 8th, 2013, 06:28 PM
जब मेरी मेहनत मेरे जज्बे में रहती है
नाकामी फिर क्यों मेरे हिस्से में रहती है

मेरे खुश होने पे बढा देती है गम मेरे
मैं हंस न पाऊं जिंदगी इस मौके में रहती है

मेरे गम मुझे अब ख़ुशी देने लगे है
न जाने जिंदगी किस धोखे में रहती है

बड़े होते ही न जाने खो जाती है कहाँ
मासूमियत जो एक बच्चे में रहती है

मैं अब भी उसको भीड़ में पहचान लेता हूँ
ये और बात है क़ि वो बुरखे में रहती है

ravinderjeet
February 8th, 2013, 07:06 PM
दौर वह आया है, कातिल की सज़ा कोई नहीं |
हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं ||

तेरी खता कोई नहीं ,की खता जमाने ने ।
कातिल को कौन दे सजा ?
जब हर कोई कातिल हे इस कत्लखाने में ।----रवि "अतृप्त "

sivach
February 10th, 2013, 03:08 PM
इन्ही पत्थरों पर चल के आ सको तो आओ,
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है !!!

htomar
February 11th, 2013, 06:46 PM
सोचने बैठे जब भी उसको, अपनी ही तस्वीर बना दी


ढूँढ़ के तुझ में, तुझको हमने, दुनिया तेरी शान बढ़ा दी

sivach
February 11th, 2013, 09:20 PM
सागर को उठाया था कि गम दूर करेंगे,
इसमें भी तस्वीर नज़र आ गई उसकी !!

reenu
February 11th, 2013, 10:57 PM
Kyon dosh sagar ko dete ho ..
jab uski tasveer basi hai aankhon mei


सागर को उठाया था कि गम दूर करेंगे,
इसमें भी तस्वीर नज़र आ गई उसकी !!

nainsunil007
February 12th, 2013, 10:12 AM
Kyon dosh sagar ko dete ho ..
jab uski tasveer basi hai aankhon mei

ankho ka bhi kahan kasoor hai
ankh to dare - e- dil ka hai aina
sab jagah yahi haal hai
chandnichowk to china

SandeepSirohi
February 12th, 2013, 01:05 PM
अकेले बैठोगे तो मसले जकड लेंगे |
थोडा सा ही सही वक़्त दोस्तों के नाम तो करो ||

sivach
February 12th, 2013, 01:55 PM
मेहमान बन के आये किसी रोज़ अगर वो
उस रोज़ बिन सजाये ही मेरा घर सजा लगे

rskankara
February 12th, 2013, 07:33 PM
सलीके से अब दिल दुखाए जाते हैं|
रुलाने के बाद, फिर हँसाए जाते हैं।

rskankara
February 12th, 2013, 07:34 PM
क्यों लोग जमाने से वफा माग रहे हैं|
कातिलों से मसीहा की अदा माग रहे हैं||

rskankara
February 12th, 2013, 07:42 PM
ये अहसासों की बातें हैं, पुरानी हो नही सकती |
जो बूंदें आँख से टपकें, वो पानी हो नही सकती ||

rskankara
February 12th, 2013, 07:47 PM
चिराग किससे अपना दर्द बयान करे, जिसको जलाने वाला ही बुझा गया।
अपनों ने बढ़ायी थी जहां उलझन, वहां कोई गैर आके मसला सुलझा गया।

sivach
February 13th, 2013, 10:53 AM
ना जाने कौन दुआओं में याद रखता है,
मैं डूबता हूँ और समंदर उछाल देता है !!

SandeepSirohi
February 13th, 2013, 03:54 PM
तलाश कर मेरी कमी को अपने दिल में ऐ दोस्त |
दर्द हो तो समझ लेना कि महोब्बत अभी बाकी है ||

SandeepSirohi
February 13th, 2013, 03:57 PM
बिना गम के ख़ुशी का पता कैसे चलेगा |
बिना रोंए हुए, हंसी का मज़ा कैसे मिलेगा ||
जो उसे करता हैं, उसे वही जानता है |
अगर हम जान गए तो, उसे खुदा कौन कहेगा ||

SandeepSirohi
February 13th, 2013, 04:10 PM
तेरी यादें भी हैं मेरे बचपन के खिलोने जैसी |
तनहा होता हूँ तो इन्हें ले कर बैठ जाता हूँ ||

system
February 14th, 2013, 08:51 AM
Thread is too big.
Continued here: http://www.jatland.com/forums/showthread.php?35578