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Thread: Dada Lakhmi Chand - Haryana's great visionary-poet

  1. #21
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    Padh ke ne jee sa aagya. err DND G ne bhee hat hat ke suayee.



    [quote=dndeswal;148236].
    नाचने-गाने का और लखमीचंद के सांगों का विरोध भी बहुत होता था, क्योंकि उन दिनों में आर्यसमाज का प्रभाव बहुत बढ़ गया था । आत्मविश्वासी पंडित जी ने विरोधों का जमकर मुकाबला किया । पुरुषों द्वारा स्त्रियों का भेष धारण करने की सफाई देते थे : इन मर्दों का के दोष भला धारण में भेष जनाना । इस बारे में उनकी यह रागनी पेश है :


  2. #22

    The famous 'Swang' of Lakhmi Chand

    .
    दादा लखमीचन्द के कुछ मशहूर सांगों के नाम ये हैं :

    श्रंगार एवं प्रेम प्रधान सांग

    (1) नौटंकी (2) धर्म कौर - रघुबीर सिंह (3) हूर मेनका
    (4) ज्यानी चोर (5) चन्द्रकिरण (6) राजा भोज - सरणदे
    (7) चापसिंह (8) शाही लकड़हारा
    (9) हीर रांझा

    धर्म और नीतिप्रधान सांग

    (1) सत्यवान सावित्री (2) भगत पूर्णमल (3) पदमावत
    (4) चीर पर्व (5) नल दमयन्ती (6) विराट पर्व
    (7) राजा हरिश्*चन्द्र (8) सेठ ताराचन्द
    (9) भूप पुरंजन, मीराबाई

    इसके अलावा जयमल फत्ता, अंजना देवी, भरथरी, पिंगला, चंद्रहास, रूप-बसंत, सरवर नीर, चीरहरण, शकुन्तला, ध्रुव भगत जैसे सांगों का भी मंचन किया ।

    लखमीचंद की एक और मशहूर रागनी प्रस्तुत है जिसमे एक ही अक्षर से शब्द और पूरी पंक्ति की छन्द रचना की गई है ।

    अलख अगोचर अजर अमर अन्तर्यामी असुरारी...
    गुण गाऊं गोपाल गरुडगामी गोविन्द गिरधारी ...
    परम परायण पुरुषोत्तम परिपूर्ण हो पुरुष पुराण
    नारायण निरलेप निरन्तर निरंकार हो निर्माण
    भागवत भक्त भजैं भयभंजन भ्रमभजा भगवान
    धर्म धुरंधर ध्यानी ध्याव धरती धीरज ध्यान
    सन्त सुजान सदा समदर्शी सुमरैं सब संसारी ...
    .
    तमसो मा ज्योतिर्गमय

  3. #23
    DND ji ye sarre saang urr ragni ki CD kit te mil sake hain manne ye sarri pehli baar paddi hain or mera jee rajji ho gaya

  4. #24
    Quote Originally Posted by vivekdh View Post
    DND ji ye sarre saang urr ragni ki CD kit te mil sake hain manne ye sarri pehli baar paddi hain or mera jee rajji ho gaya
    विवेक, मुझे तो पता नहीं कि इनके कैसेट या सी.डी. मिलते भी होंगे या नहीं, मिलेंगे भी तो उनकी आवाज में तो मिलने से रहे । उस जमाने में तो कोई रिकार्डिंग की तकनीक भी नहीं थी । जाटलैंड का एक लिंक यह है, इसमें लखमीचंद की कुछ रागनियां डाउनलोड की जा सकती हैं :

    http://www.jatland.com/forums/showthread.php?t=18914


    .
    तमसो मा ज्योतिर्गमय

  5. #25

    Post A great thinker and philosopher

    All the sayings of that time ... were in real time happenings.... They have a vision in there mind ...
    At that time people listen to them also ..

    But now a days ... only filmi songs and people put some words on those lyrics and make something something ... Nothing else ..

    Also Non-Veg jokes in between .... the new singers now a days, which are doing these type of hings are the real killers of the haryanvi Fortune the Poets like Dada Lakhmi Chand has made ...

    No one to carry forward the culture of Haryana now a days .. a few individual are working on right tracks ... but these Ragni Singers now a days are the real killers of Haryanvi Culture...

    Even no one who sell the real cassettes and CD of those poets
    Sanjeet Ahlawat
    "Be less curious about people and more curious about ideas." - Marie Curie
    +91 9873485784
    ----
    :p:D

  6. #26
    .
    दादा लखमीचंद सोनीपत जिले के जांटी गांव में पैदा हुए थे । किसी समय यह गांव यमुना किनारे था, पर आजकल यमुना यहां से कई किलोमीटर दूर, पूर्व की ओर चली गई है । गांव के खेतों में ऊपर की एक फुट मिट्टी हटा दो तो नीचे यमुना की रेत मिलती है - काफी खेत खराब हो चुके हैं - लोगों ने अपने खेतों से यमुना रेत बेचकर काफी पैसा कमाया है । पर अब हालात काफी खराब हैं, कोई बारह-पन्द्रह फुट तक गहरे गढ़े गांव के चारों ओर हो चुके हैं, जाने का रास्ता मुश्किल से मिलता है ।

    कुछ ही दिन पहले मुझे उस गांव में जाने का मौका मिला । एक गांव वाला बोला - दादा लखमीचंद ने भविष्यवाणी की थी कि जगत-प्रलय से सौ साल पहले ही जांटी गांव में प्रलय आ जायेगी । मैने उससे पूछा - क्या यह भविष्यवाणी सच हो जायेगी ?

    वह जांटी-वासी बोला - जी, बिल्कुल होगी, यह तो दिखाई ही दे रहा है - जिस साल अच्छी बारिश हो गई, हमारा गांव तो उसी साल डूब जायेगा, जगत-प्रलय तो बहुत दूर की बात है ।
    .
    तमसो मा ज्योतिर्गमय

  7. #27
    दयानंद जी एक रागणी सुनी थी काफी पहले , इब तो ठीक ठाक याद बी नही है, अगर आपको याद हो तो कृपया इसे भी पूरा करे| मुझे ठीक से याद नही है, परन्तु यह रागणी शायद लख्मीचंद की नही है

    बेशर्मी छा गी सारे के बिगड़े सबके दीन
    ......हो किसपे करे रे यकीन

    झुट्ठे तेरे बाट तराज्जू झुट्ठी खोल्ली तने दूकान
    झूठा सोद्दा बेचन लाग्ग्या नही अकल का नाम निशान
    झूठा बोलले कमती तोल्ले आये गया के काट्टे कान
    झूठा लेख्खा जोख्खा देख्या झुठ्ठी देख्खी तेरी बही
    झूठ्ठे ते पकवान बनाये झूठे बेचचे दूध दही
    झूठी लेवा झूठ मेवा और बता के कसर रही
    भाई खान पान पहरान बदल गया बुद्धि हुयी मलीन होओ किसपे करे रे यकीन
    बेशर्मी छा गी सारे के बिगड़े सबके दीन हो किसपे करे रे यकीन

    झुठ्ठी यारी यार बी झुट्ठे झुट्ठे करते कर व्यव्हार
    झुट्ठे रिश्ते नात्ते रहगे लोग दिखावा रहग्या प्यार
    बीर मरद का ना मरद बीर ने कोए से मे ना ऐतबार
    उल्टा हो जमाना हुया धरम कर्म का बिल्कुल अंत
    वेद पाठी पंडत कोन्या टोहे त ना मिलते संत
    बहई कायर छत्री निर्धन बणिया बाम्महण बिद्या हीन होओ किसे पे करे र यकीन
    बेशर्मी छा गी सारे के बिगड़े सबके दीन हो किसपे करे रे यकीन


    इसको गाया राजकिशन अगवान्पुरिया ने था.

  8. #28
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
    .
    दादा लखमीचंद सोनीपत जिले के जांटी गांव में पैदा हुए थे । किसी समय यह गांव यमुना किनारे था, पर आजकल यमुना यहां से कई किलोमीटर दूर, पूर्व की ओर चली गई है । गांव के खेतों में ऊपर की एक फुट मिट्टी हटा दो तो नीचे यमुना की रेत मिलती है - काफी खेत खराब हो चुके हैं - लोगों ने अपने खेतों से यमुना रेत बेचकर काफी पैसा कमाया है । पर अब हालात काफी खराब हैं, कोई बारह-पन्द्रह फुट तक गहरे गढ़े गांव के चारों ओर हो चुके हैं, जाने का रास्ता मुश्किल से मिलता है ।

    कुछ ही दिन पहले मुझे उस गांव में जाने का मौका मिला । एक गांव वाला बोला - दादा लखमीचंद ने भविष्यवाणी की थी कि जगत-प्रलय से सौ साल पहले ही जांटी गांव में प्रलय आ जायेगी । मैने उससे पूछा - क्या यह भविष्यवाणी सच हो जायेगी ?

    वह जांटी-वासी बोला - जी, बिल्कुल होगी, यह तो दिखाई ही दे रहा है - जिस साल अच्छी बारिश हो गई, हमारा गांव तो उसी साल डूब जायेगा, जगत-प्रलय तो बहुत दूर की बात है ।
    .
    very true mr deswal.. keep pouring such real stuff

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