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Thread: Hindi Kavita

  1. #181

    एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।

    One more form Harivansh Rai....

    रात आधी खींच कर मेरी हथेली
    एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।
    फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरों में
    और चारों ओर दुनिया सो रही थी।

    तारिकाऐं ही गगन की जानती हैं
    जो दशा दिल की तुम्हारे हो रही थी।
    मैं तुम्हारे पास होकर दूर तुमसे
    अधजगा सा और अधसोया हुआ सा।

    रात आधी खींच कर मेरी हथेली
    एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।
    एक बिजली छू गई सहसा जगा मैं
    कृष्णपक्षी चाँद निकला था गगन में।

    इस तरह करवट पड़ी थी तुम कि आँसू
    बह रहे थे इस नयन से उस नयन में।
    मैं लगा दूँ आग इस संसार में
    है प्यार जिसमें इस तरह असमर्थ कातर।

    जानती हो उस समय क्या कर गुज़रने
    के लिए था कर दिया तैयार तुमने!
    रात आधी खींच कर मेरी हथेली
    एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।

    प्रात ही की ओर को है रात चलती
    औ उजाले में अंधेरा डूब जाता।
    मंच ही पूरा बदलता कौन ऐसी
    खूबियों के साथ परदे को उठाता।

    एक चेहरा सा लगा तुमने लिया था
    और मैंने था उतारा एक चेहरा।
    वो निशा का स्वप्न मेरा था कि अपने
    पर ग़ज़ब का था किया अधिकार तुमने।

    रात आधी खींच कर मेरी हथेली
    एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।
    और उतने फ़ासले पर आज तक
    सौ यत्न करके भी न आये फिर कभी हम।

    फिर न आया वक्त वैसा
    फिर न मौका उस तरह का
    फिर न लौटा चाँद निर्मम।
    और अपनी वेदना मैं क्या बताऊँ।

    क्या नहीं ये पंक्तियाँ खुद बोलती हैं?
    बुझ नहीं पाया अभी तक उस समय जो
    रख दिया था हाथ पर अंगार तुमने।
    रात आधी खींच कर मेरी हथेली
    एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने। - हरिवंशराय बच्चन
    Last edited by sandeeprathee; March 18th, 2008 at 10:20 PM.

  2. #182
    A poem that describes Melancholic Ecstacy!! ....


    जानना चाहता हूँ - राजर्षि अरुण


    जानना चाहता हूँ मैं
    जीवन को
    उसकी अन्यतम गहराइयों में
    इसलिए उतरना चाहता हूँ मैं
    दुख की गहन गुफ़ा में
    तैरना चाहता हूँ
    नकारात्मकता की अंधकारमय नदी में
    जैसे तैरती है कोई मछली
    धारा के विरोध में
    मुझे लगता है
    मछली प्राणवंत हो उठती होगी
    उल्टी धारा से खेलते हुए
    अनायास ही चहचहा उठती होगी चिड़िया
    उठती हुई ऊपर
    धरती से ऊपर
    गुरुत्वाकर्षण के विरोध में

    इसलिए बिंधना चाहता हूँ मैं
    हज़ार-हज़ार काँटों से
    कि अनुभव कर सकूँ कि
    उस बिंधने में मैं अपने अस्तित्व के
    कितने क़रीब था
    अनुभव कर सकूँ
    उसे जो बिंधा!

    गुदगुदाने के भाव से भरकर
    परम आस्था और अहोभाव से भरकर
    मृत्युसहोदर परम पीड़ा की गोद में
    नवजात शिशु-सा निश्चिंत होकर
    उस संजीवनी का पान करना चाहता हूँ
    सुकरात का उत्तराधिकारी बनकर

    शायद परम किरण का स्पर्श
    तभी होता है
    ज़िंदगी को!



    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  3. #183
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    A poem that describes Melancholic Ecstacy!! ....


    जानना चाहता हूँ - राजर्षि अरुण


    जानना चाहता हूँ मैं
    जीवन को
    उसकी अन्यतम गहराइयों में
    इसलिए उतरना चाहता हूँ मैं
    दुख की गहन गुफ़ा में
    तैरना चाहता हूँ
    नकारात्मकता की अंधकारमय नदी में
    जैसे तैरती है कोई मछली
    धारा के विरोध में
    मुझे लगता है
    मछली प्राणवंत हो उठती होगी
    उल्टी धारा से खेलते हुए
    अनायास ही चहचहा उठती होगी चिड़िया
    उठती हुई ऊपर
    धरती से ऊपर
    गुरुत्वाकर्षण के विरोध में

    इसलिए बिंधना चाहता हूँ मैं
    हज़ार-हज़ार काँटों से
    कि अनुभव कर सकूँ कि
    उस बिंधने में मैं अपने अस्तित्व के
    कितने क़रीब था
    अनुभव कर सकूँ
    उसे जो बिंधा!

    गुदगुदाने के भाव से भरकर
    परम आस्था और अहोभाव से भरकर
    मृत्युसहोदर परम पीड़ा की गोद में
    नवजात शिशु-सा निश्चिंत होकर
    उस संजीवनी का पान करना चाहता हूँ
    सुकरात का उत्तराधिकारी बनकर

    शायद परम किरण का स्पर्श
    तभी होता है
    ज़िंदगी को!



    Rock on
    Jit
    hmmmm good one jit !!
    “Lead me, follow me or get out of my way”

  4. #184
    Quote Originally Posted by sandeeprathee View Post
    One more form Harivansh Rai....

    रात आधी खींच कर मेरी हथेली
    एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।
    फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरों में
    और चारों ओर दुनिया सो रही थी।

    - हरिवंशराय बच्चन
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    A poem that describes Melancholic Ecstacy!! ....


    जानना चाहता हूँ - राजर्षि अरुण


    जानना चाहता हूँ मैं
    जीवन को
    उसकी अन्यतम गहराइयों में
    इसलिए उतरना चाहता हूँ मैं
    दुख की गहन गुफ़ा में
    तैरना चाहता हूँ

    Rock on
    Jit
    Wow guys yu doing great job..... so guuddd... keep it up....keep searchin n posting quality stuff.
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  5. #185
    Nice one...depicts introspection of an introvert person! too gud..



    भीगे अख़बार-सा मैं - संजय पुरोहित


    भीगे अख़बार-सा मैं,
    पड़ा रहा, पड़ा ही रहा
    पढ़े जाने की ललक लिए
    लेकिन न उठाया किसी ने
    हो आशंकित न हो जाऊँ
    तार-तार
    प्रतीक्षा में नव किरणों को
    सोख लेने की
    लिए शब्दों के ज़खीरे
    पड़ा रहा, पड़ा ही रहा

    अपने में समेटे,
    कुछ गुज़रे कल, कुछ बहके पल
    कुछ रेखाएँ रंगीन, कुछ श्वेत औ' श्याम
    कुछ योजनाएँ, कुछ घोषणाएँ
    कुछ शुभ कामनाएँ, कुछ संवेदनाएँ
    समेटे हुए आँचल में अपने
    पड़ा रहा, पड़ा ही रहा
    भीगे अखब़ार-सा मैं


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  6. #186
    One really touching poem dedicated to all lonesome Jats who're living in the concrete jungle out there and very much miss the peaceful serene life of Village!!...


    मेरा गाँव - तसलीम अहमद


    मुझे नहीं चाहिए-
    एक कमरे की ज़िंदगी,
    सुबह-शाम का पानी,
    साढ़े आठ बजे का अलार्म,
    मशीन का दूध,
    पलंग के नीचे रसोई,
    पड़ोस का सन्नाटा,
    उपरी मंज़िल का शोर,
    गली की किच-किच।

    वाकई, नहीं चाहिए मुझे-
    जोश भरे पल भर के रिश्ते,
    मतलब की दोस्ती,
    जल्दी की दुआ-सलाम,
    ऑफ़िस की जल्दी,
    बसों की भीड़,
    स्टैंड की उदासी,
    रेंगती कारों का रेला,
    मुर्दा दिलों का मेला,
    और...
    धुए से लिपटी शाम की बेला।

    नहीं सहन होता मुझसे-
    देर का सोना,
    नींद में रोना,
    उम्मीदों का मरना,
    खुद से डरना,
    क्यों...
    अखबार की हेडलाइंस,
    टीवी का सुर्खियाँ,
    नहीं चाहिए...नहीं चाहिए...नहीं चाहिए
    मुझे यह शहर,
    पर, मेरा गाँव...?


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  7. #187
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One really touching poem dedicated to all lonesome Jats who're living in the concrete jungle out there and very much miss the peaceful serene life of Village!!...


    मेरा गाँव - तसलीम अहमद


    मुझे नहीं चाहिए-
    एक कमरे की ज़िंदगी,
    सुबह-शाम का पानी,
    साढ़े आठ बजे का अलार्म,
    मशीन का दूध,
    पलंग के नीचे रसोई,
    पड़ोस का सन्नाटा,
    उपरी मंज़िल का शोर,
    गली की किच-किच।

    वाकई, नहीं चाहिए मुझे-
    जोश भरे पल भर के रिश्ते,
    मतलब की दोस्ती,
    जल्दी की दुआ-सलाम,
    ऑफ़िस की जल्दी,
    बसों की भीड़,
    स्टैंड की उदासी,
    रेंगती कारों का रेला,
    मुर्दा दिलों का मेला,
    और...
    धुए से लिपटी शाम की बेला।

    नहीं सहन होता मुझसे-
    देर का सोना,
    नींद में रोना,
    उम्मीदों का मरना,
    खुद से डरना,
    क्यों...
    अखबार की हेडलाइंस,
    टीवी का सुर्खियाँ,
    नहीं चाहिए...नहीं चाहिए...नहीं चाहिए
    मुझे यह शहर,
    पर, मेरा गाँव...?


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    Jit
    bhai sachi maie good one.. yaar kati emotional kar diya re yaar...
    “Lead me, follow me or get out of my way”

  8. #188
    Too Good.... kavi ki kalpana atulniye hai. liked the comarision here .

    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    Nice one...depicts introspection of an introvert person! too gud..



    भीगे अख़बार-सा मैं - संजय पुरोहित


    भीगे अख़बार-सा मैं,
    पड़ा रहा, पड़ा ही रहा
    पढ़े जाने की ललक लिए
    लेकिन न उठाया किसी ने
    हो आशंकित न हो जाऊँ
    तार-तार
    प्रतीक्षा में नव किरणों को
    सोख लेने की
    लिए शब्दों के ज़खीरे
    पड़ा रहा, पड़ा ही रहा

    अपने में समेटे,
    कुछ गुज़रे कल, कुछ बहके पल
    कुछ रेखाएँ रंगीन, कुछ श्वेत औ' श्याम
    कुछ योजनाएँ, कुछ घोषणाएँ
    कुछ शुभ कामनाएँ, कुछ संवेदनाएँ
    समेटे हुए आँचल में अपने
    पड़ा रहा, पड़ा ही रहा
    भीगे अखब़ार-सा मैं


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    Jit

  9. #189
    Simple, Serene yet So Very True...


    मंज़िल की तलाश - निवेदिता जोशी

    जिंदगी अनुभव के धुएँ छोड़ती
    तेढे-मेढे रास्तों से गुज़रती रेलगाड़ी
    अनजाने से कितने मुसाफिर चढ़ते उतरते
    पर्वतों की घुमावदार चढाई
    और साथ बैठी तन्हाई
    कहाँ जा रही है जिंदगी ?

    किस स्टेशन की तलाश है, पता नहीं
    अनकही सी चाहत दिल में लिए
    ये सफर कहीं खत्म होगा ?

    अगर नहीं तो कभी दिल में झाँक कर देखा है
    की मंज़िल क्या है ? ...


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  10. #190
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    Simple, Serene yet So Very True...


    मंज़िल की तलाश - निवेदिता जोशी

    जिंदगी अनुभव के धुएँ छोड़ती
    तेढे-मेढे रास्तों से गुज़रती रेलगाड़ी
    अनजाने से कितने मुसाफिर चढ़ते उतरते
    पर्वतों की घुमावदार चढाई
    और साथ बैठी तन्हाई
    कहाँ जा रही है जिंदगी ?

    किस स्टेशन की तलाश है, पता नहीं
    अनकही सी चाहत दिल में लिए
    ये सफर कहीं खत्म होगा ?

    अगर नहीं तो कभी दिल में झाँक कर देखा है
    की मंज़िल क्या है ? ...


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    Jit
    this poem reminds me of one old song...

    गाडी बुला रही है सीटी बजा रही है
    चलना ही जिंदगी है ,चलती ही जा रही है !

    good poem indeed

  11. #191
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    Simple, Serene yet So Very True...


    मंज़िल की तलाश - निवेदिता जोशी

    जिंदगी अनुभव के धुएँ छोड़ती
    तेढे-मेढे रास्तों से गुज़रती रेलगाड़ी
    अनजाने से कितने मुसाफिर चढ़ते उतरते
    पर्वतों की घुमावदार चढाई
    और साथ बैठी तन्हाई
    कहाँ जा रही है जिंदगी ?

    किस स्टेशन की तलाश है, पता नहीं
    अनकही सी चाहत दिल में लिए
    ये सफर कहीं खत्म होगा ?

    अगर नहीं तो कभी दिल में झाँक कर देखा है
    की मंज़िल क्या है ? ...


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    Jit
    WOW...this is so realistic.....how true.... really in this train of life....how many ppl come n go at diff times of life....some co passengers stay wid yu throughout the life.... bt some fr short durations...from one station to another....
    Very Nice one Jit..... Gud effeort to search such a poem.
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  12. #192
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One really touching poem dedicated to all lonesome Jats who're living in the concrete jungle out there and very much miss the peaceful serene life of Village!!...


    मेरा गाँव - तसलीम अहमद


    नहीं चाहिए...नहीं चाहिए...नहीं चाहिए
    मुझे यह शहर,
    पर, मेरा गाँव...?


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    Jit
    Open ended..... now who can continue it.... frm....per, mera gaon........
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  13. #193

    कल सहसा यह सन्देश मिला / भगवतीचरण वर्मा

    कल सहसा यह सन्देश मिला / भगवतीचरण वर्मा

    कल सहसा यह सन्देश मिला
    सूने-से युग के बाद मुझे
    कुछ रोकर, कुछ क्रोधित हो कर
    तुम कर लेती हो याद मुझे ।


    गिरने की गति में मिलकर
    गतिमय होकर गतिहीन हुआ
    एकाकीपन से आया था
    अब सूनेपन में लीन हुआ ।


    यह ममता का वरदान सुमुखि
    है अब केवल अपवाद मुझे
    मैं तो अपने को भूल रहा,
    तुम कर लेती हो याद मुझे ।


    पुलकित सपनों का क्रय करने
    मैं आया अपने प्राणों से
    लेकर अपनी कोमलताओं को
    मैं टकराया पाषाणों से ।


    मिट-मिटकर मैंने देखा है
    मिट जानेवाला प्यार यहाँ
    सुकुमार भावना को अपनी
    बन जाते देखा भार यहाँ ।


    उत्तप्त मरूस्थल बना चुका
    विस्मृति का विषम विषाद मुझे
    किस आशा से छवि की प्रतिमा !
    तुम कर लेती हो याद मुझे ?


    हँस-हँसकर कब से मसल रहा
    हूँ मैं अपने विश्वासों को
    पागल बनकर मैं फेंक रहा
    हूँ कब से उलटे पाँसों को ।


    पशुता से तिल-तिल हार रहा
    हूँ मानवता का दाँव अरे
    निर्दय व्यंगों में बदल रहे
    मेरे ये पल अनुराग-भरे ।


    बन गया एक अस्तित्व अमिट
    मिट जाने का अवसाद मुझे
    फिर किस अभिलाषा से रूपसि !
    तुम कर लेती हो याद मुझे ?


    यह अपना-अपना भाग्य, मिला
    अभिशाप मुझे, वरदान तुम्हें
    जग की लघुता का ज्ञान मुझे,
    अपनी गुरुता का ज्ञान तुम्हें ।


    जिस विधि ने था संयोग रचा,
    उसने ही रचा वियोग प्रिये
    मुझको रोने का रोग मिला,
    तुमको हँसने का भोग प्रिये ।


    सुख की तन्मयता तुम्हें मिली,
    पीड़ा का मिला प्रमाद मुझे
    फिर एक कसक बनकर अब क्यों
    तुम कर लेती हो याद मुझे ?
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  14. #194

    Thumbs up

    Awesome poem Neels, Matchless Classy!
    Gud to see u back on the thread!
    Keep Pourin'...




    Quote Originally Posted by neels View Post
    कल सहसा यह सन्देश मिला / भगवतीचरण वर्मा

    कल सहसा यह सन्देश मिला
    सूने-से युग के बाद मुझे
    कुछ रोकर, कुछ क्रोधित हो कर
    तुम कर लेती हो याद मुझे ।


    गिरने की गति में मिलकर
    गतिमय होकर गतिहीन हुआ
    एकाकीपन से आया था
    अब सूनेपन में लीन हुआ ।

    .
    .
    .


    सुख की तन्मयता तुम्हें मिली,
    पीड़ा का मिला प्रमाद मुझे
    फिर एक कसक बनकर अब क्यों
    तुम कर लेती हो याद मुझे ?
    Last edited by cooljat; April 30th, 2008 at 12:33 PM.
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  15. #195
    Thanks Jit or posting all these beautiful poems!

    Last two were too good to resit and read again and again.

    Neelam ji Superb from an elite class poet!

    Evey stanza is tale of its own, "sanvedhanshilta, prem ki prakashtha, vichhoh"

    The very fist verse set the tone....Thanks for sharing!

  16. #196

    Smile

    Thx a Lot Bhaisaab!
    Btw, I wud say this is one of the best thread of JL till date.
    If you go thro' it completly u'll find some rare gems of poems, ..
    Poems with a philosphical touch, meaningful & always inspirin'..

    Rock on
    Jit


    Quote Originally Posted by spdeshwal View Post
    Thanks Jit or posting all these beautiful poems!

    Last two were too good to resit and read again and again.

    Neelam ji Superb from an elite class poet!

    Evey stanza is tale of its own, "sanvedhanshilta, prem ki prakashtha, vichhoh"

    The very fist verse set the tone....Thanks for sharing!
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  17. #197
    Quote Originally Posted by neels View Post
    कल सहसा यह सन्देश मिला / भगवतीचरण वर्मा

    [[/COLOR][/B]
    जिस विधि ने था संयोग रचा,
    उसने ही रचा वियोग प्रिये
    मुझको रोने का रोग मिला,
    तुमको हँसने का भोग प्रिये ।


    सुख की तन्मयता तुम्हें मिली,
    पीड़ा का मिला प्रमाद मुझे
    फिर एक कसक बनकर अब क्यों
    तुम कर लेती हो याद मुझे ?
    Nice one
    “Lead me, follow me or get out of my way”

  18. #198
    One more really touchin poem by Nivedita Joshi!!, Her poems speak a lot in less words!...

    नंगे पाँव - निवेदिता जोशी

    दर्द भरे रेगिस्तान में
    नंगे पाँव के निशान दिखाई दिए
    तो लगा जीवन यहीं है, यहीं कहीं है |
    सहसा जब उन निशानों पर अपने पाँव पड़े
    तो पता चला की वो मेरे ही पाँव के ठहराव थे
    जिंदगी इस मरूभूमि से तो पहले भी गुजरी थी
    तो क्या यह ठहराव था या फिर मेरा जीवन
    उन्ही वीथियों में अभी भी भटक रहा है
    जहाँ रेगिस्तान में सिर्फ तपते हुए नंगे
    पाँव के निशान हैं |...


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  19. #199
    Thank You Sir for appreciating our efforts and its gud to know that yu liked these poems.

    Quote Originally Posted by spdeshwal View Post
    Thanks Jit or posting all these beautiful poems!

    Last two were too good to resit and read again and again.

    Neelam ji Superb from an elite class poet!

    Evey stanza is tale of its own, "sanvedhanshilta, prem ki prakashtha, vichhoh"

    The very fist verse set the tone....Thanks for sharing!
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  20. #200
    A beautiful yet meaningful poem that very much describes span of LIFE!!..


    जीवन-मृत्यु - विमल शर्मा


    बचपन...

    जीवन को जानने की जिज्ञासा
    एक निरंतर प्रक्रिया ।
    एक मुट्ठी आसमाँ सुख की अनुभूति
    एक कागज़ का टुकडा भी एक खिलौना
    एवं पूर्व संतुष्टि ।

    जवानी...

    जीवन को जीने की भूख
    एक असफल प्रयास ।
    भौतिक आसमाँ की प्राप्ति सुख की अनुभूति
    कागज़ के टुकड़े के हाथों सवयं एक खिलौना
    एवं क्षणिक संतुष्टि ।

    बुढापा...

    भय मृत्यु से समीपता का
    मृत्यु को जानने की उत्कंठ अभिलाषा
    एक सतत् सत्य ।
    क्षितिज के पार झाँकने का मन
    बोध सवयं की सीमितता का
    असीम की परिकल्पना
    असंतुष्टि ।


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



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