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रात यों कहने लगा / रामधारी सिंह "दिनकर"

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।
रामधारी सिंह "दिनकर"

Enjoy!
samar gud one....

bt this poem is already posted wid name "chand aur kavi"