Originally Posted by
spdeshwal
Dudi ji
To understand and enjoy every word of this great raagni, i have tried to write the lyrics:
छुटी के दीन पूरे होगे , हे रेए फिकर करण लगया मन ए में
हे रेए बाँध बिस्तरा चाल पड्या, के बाकी रहगी मन ऐ में
दखे मात मेरी ने सिर पुचकारा, जीने पालया पोस्या जाम्या था !
चालान की भाई बाट देख मेरा भाई रोया रामभ्या था !
छोटे भाईयाने घाल्या घी पीपी में जिब गूंद खाण का चालला था!
न्यों बोले ना चाहिए नोकरी , घरां भतेरा नामा था !
हरे न्यों बोले तू जाइये मतना , के दबके मरेंगे धन में !
छुटी के ..........
दखे फेर पिता ने समझाके कुछ आगे सी ने चालल्या था,
भाई कोलेए लागी बहु खड़ी थी जीने साँस सबर का घाल्या था !
आँख्यां के में नीर देख के मेरा कालजा हालया था !
न्यूं बोली तने मेरे पिया मेरा किस ते दिया हवाला था !
हेरे चक्कर खा के पड़ी जाटनी, बेहोश हुई पल भर में १
छुटी .......
हेरे फेर बहु पुचकार देई, कुछ ना चाल्या जोर मेरा !
छ मिहने में आलुन्गा , जे न आया ते चोर तेरा !
रस्ते में सुसराड़ पड़े थी , उडे पहलिम लाग्या दौर मेरा !
जीजा आगया जीजा आगया साला कर रह्या शोर मेरा
दीखे सास मेरी ने सिर पुचकारा , मेरे शिलक हुई बदन में
छुटी ......
घर ते चलके भाई टेसन तक , उडे खाना तक भी ना खाया
भाई करी चालान की तयारी ,फेर बता कद आओगे भुजें साली सारी
करमा का कुछ बेरा कोन्या , इब आश छोड़ दयो माहरी !
जितने दिन की रे खात्तर की मन्ने जोड़ी रिश्तेदारी !
अरे मेरी आखरी राम रमी , थारे कर चाल्या दर्शन में !
छुटी....
हेरे घर तें चल के टेसन तक मैंने छोडन साला आया था
मैंने बाबु तें करी नमस्ते मेरा वारंट चेंज कराया था
करके सबर चडया गाड़ी में न्यूं गम का भाला खाया था !
यारे प्यारे याद आए जिब डांगर ज्यूँ डकराया था !
उडे सिंघापुर में जा गेरे , गाहे जंगल भाई बण में !
छुटी .......
मैंने यूनिट में जा देई हाजरी , जड़े पक्का देना पहरा हो ,
घर की याद बहु की चिंता , यो दुःख सबतें गहरा हो ,
इन् फोजियाँ ते बुझ लियो जै मेहरसिंह गलती कह रया हो
फौज में भरती वो होइयो जो घर तें निरसा रह रया हो !
रे बहुआं आला सुनता हो , मत दियो पैर बिघन में !
छुटी .....
खुश रहो !