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Thread: Triya Charitra

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  1. #1

    Triya Charitra

    बहुत समय पहले की बात है. हमारे उधर एक डॉक्टर था (जो ये कई वैसे ही क्लिनिक खोल लेते हैं, वैसा डॉक्टर). उसका नाम था डॉ. बी.एस. घुम्मन, पंजाबी था. छोटी-मोटी बीमारियों के लिए लोग उसके क्लिनिक पर ही जाया करते थे और कई बार उसे घर पर भी बुला लिया करते थे. दरअसल वो एक बहुत ही दिलफेंक किस्म का डॉक्टर था. जगतार नाम के एक सरदार ने तो उसे अपना पंजाबी भाई समझकर फैमिली डॉक्टर सा ही बना लिया था. घुम्मन का दिलफेंक अंदाज देखो कि उसने जगतार की बीवी को ही पटा लिया. एक दिन जगतार ने उन्हें अपने ही घर में प्यार की बातें करते हुए भी देख लिया, पर घुम्मन अर जगतार की घर वाली उलटे जगतार के ही चिपट गए...'तैन्नू शर्म नी औंदी हैगी. ए आया सी इलाज वास्ते और तू एवे इ इन्नी माड़ियां गल करी जाना है.'
    इस वजह से जगतार बड़ी टेंशन में रहने लगा था. उसकी मोबिल ऑयल वगैरह की दुकान थी. मेरे एक दोस्त की भी वहीं दुकान थी तो मैं वहां कई बार ताश खेलने चला जाता था. जगतार कई बार अपनी दुकान में गुरु नानक की तस्वीर के सामने खड़ा होकर बड़बड़ाता रहता था-'हुण ते तू खुश है ना मैन्नू बर्बाद करके. और रज के बर्बाद करीं मैन्नू.'
    ऐसे ही समय बीतता रहा. इस बीच जगतार की घरवाली ने डॉ. घुम्मन से हजारों रुपए ऐंठ लिए या यूं समझो कि उधार ले लिए. फिर पता नहीं उसका क्या मन पलटा. वो घुम्मन को नापसंद करने लगी और फिर अपने पति की मानने लगी.
    तो एक दिन की बात है. डॉक्टर घुम्मन के अपने क्लिनिक पर आने का रास्ता जगतार की दुकान के सामने से ही था. जगतार पूरी तैयारी करे बैठा था. एक तो होता है लठ, लेकिन एक होती है बल्ली (लठ से भी ठाडी). जगतार बल्ली लिए बैठा था. जैसे ही घुम्मन अपने स्कूटर पर उसकी दुकान के सामने से गुजरने लगा जगतार ने ना कही उसे रुकने की भी. उसने तो सीधा बल्ली का ऐसा वार किया घुम्मन पै अक उसका स्कूटर एक कानी पड्या जा का ना अर वो परली कानी...हा...हा...हा...

    लोगों ने बीच-बचाव किया. मजमा लग गया. घुम्मन का जो दुकान मालिक था उसे बुलाया गया, इस बीच जगतार की घरवाली भी आ गई. वो घुम्मन पर इल्जाम लगाने लगी. 'इन्ने वड्डा परेशान करके रख्या सी मैन्नू...कहंदा सी तू ओदे नाल ते प्यार कर लेन्नी ए...मेरे नाल नि करदी...' एकदम खुल्लम-खुल्ला बोल रही थी.

    तो जी वहां पूरा खेल हो गया. आखिर में डॉक्टर घुम्मन जगतार और उसकी घरवाली के आगे हाथ जोड़कर बोला-'ओए त्वानु मेरे पए नि देने सी ते कोई गल नि सी...मेरा ए जुलूस कढ़न दी की लोड सी?':rock


    हाल ही में मुझे त्रिया चरित्र संबंधी एक किस्सा पढ़ने को मिला. एक चरित्रहीन विवाहिता स्त्री थी. एक दिन वो अपने प्रेमी के साथ प्यार की बातें कर रही थी तो उसका पति वहां आ गया. वो सीधा उस प्रेमी से उलझ गया. प्रेमी उस पर भारी पड़ने लगा तो वो स्त्री बोली-"मार इसे (पति को) खूब...ना खुद प्यार करता है, ना ही किसी और को करने देता है..."
    फिर हुआ यूं कि प्रेमी का दम उखड़ गया और पति उस पर हावी हो गया. ऐसे में वो स्त्री चिल्लाई-"मार इसे (प्रेमी को) और...दूसरों की बहू-बेटियों पर बुरी निगाह डालता है."
    हा...हा...हा...मुझे यह किस्सा पढ़कर उस डॉक्टर घुम्मन का किस्सा याद आ गया.

  2. The Following 8 Users Say Thank You to upendersingh For This Useful Post:

    anilsangwan (October 2nd, 2011), bhupindersingh (October 3rd, 2011), malikdeepak1 (October 3rd, 2011), MKadwa (October 2nd, 2011), rana1 (October 1st, 2011), ravinderjeet (October 1st, 2011), virendra204 (October 4th, 2011), VPannu (October 1st, 2011)

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