नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को दिए गए आरक्षण को रद कर दिया है। पिछली यूपीए सरकार ने अध्ािसूचना के जरिए जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे से आरक्षण दिया था।
मालूम हो कि यूपीए सरकार ने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन इसे ओबीसी आरक्षण रक्षा समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और इस फैसले के जरिये तत्कालीन सरकार पर चुनावी लाभ उठाने का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया था कि जाट सामाजिक और आर्थिक रूप से सबल होते हैं इसलिए ओबीसी कोटे के तहत इन्हें आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट कोर्ट की जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर फली नरीमन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने 11 दिसंबर 2014 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की तर्क को मानते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण के लिए आर्थिक और सामाजिक पिछड़ापन जरूरी होना चाहिए।
देश के नौ उत्तर भारतीय राज्यों में बसे जाट समुदाय के लोग लंबे समय से अन्य पिछड़े वर्ग के तहत आरक्षण की मांग कर रहे थे। कई बार इसे लेकर हिंसक आंदोलन भी हुए। हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और देश के कुछ अन्य हिंदी भाषी राज्यों में जाटों की मौजूदगी है।
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