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Thread: Hindi Kavita

  1. #261
    Quote Originally Posted by Samarkadian View Post
    रात यों कहने लगा / रामधारी सिंह "दिनकर"

    रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव है!
    उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
    और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।
    रामधारी सिंह "दिनकर"

    Enjoy!
    samar gud one....

    bt this poem is already posted wid name "chand aur kavi"
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  2. #262
    एक दिन बैठा समुंदर तीर पेर,
    सुन रहा था बुलबुले की मैं कथा.
    एक कागज की दिखी किश्ती तभी ,
    थी छुपी जिसमे पहाडों की व्यथा.
    बोझ इतना धर, मुझे अचरज हुआ,
    चल रही है किस तरह यह धर में.
    वह हँसी, बोली चलती चाह हेई,
    आदमी चलता नही संसार में.

    अज्ञात

    (agar anuvaad sahi nahi hua ho to )

    ek din baitha samunder teer per,
    sun raha tha bulbule ki main katha.
    ek kagaj ki dikhee kishtee tabhee,
    thi chhupi jisme pahado ki vyatha.
    bojh itna dhar, mujhe achraj hua,
    chal rahi hai kis tarah yeh dhar mein.
    wah hansi, boli chalati chaah hei,
    aadmi chalta nahi sansar mein.


    Agyat..
    योगेन्द्रसिंह

    Treat Life As Sea, Heart as Seashore and Friends like waves.
    It never matters how many waves are there?
    What matters is which one touches the Seashore.

  3. #263
    Quote Originally Posted by ysjabp View Post
    एक दिन बैठा समुंदर तीर पेर,
    सुन रहा था बुलबुले की मैं कथा.
    एक कागज की दिखी किश्ती तभी ,
    थी छुपी जिसमे पहाडों की व्यथा.
    बोझ इतना धर, मुझे अचरज हुआ,
    चल रही है किस तरह यह धर में.
    वह हँसी, बोली चलती चाह हेई,
    आदमी चलता नही संसार में.

    अज्ञात
    bahut achchi hai...
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  4. #264

    Baalika Se Vadhu - Dinker

    बालिका से वधु - another sensitive poem from Ramdhari Singh Dinker
    माथे में सेंदूर पर छोटी दो बिंदी चमचम-सी,
    पपनी पर आँसू की बूँदें मोती-सी, शबनम-सी।
    लदी हुई कलियों में मादक टहनी एक नरम-सी,
    यौवन की विनती-सी भोली, गुमसुम खड़ी शरम-सी।

    पीला चीर, कोर में जिसकी चकमक गोटा-जाली,
    चली पिया के गांव उमर के सोलह फूलोंवाली।
    पी चुपके आनंद, उदासी भरे सजल चितवन में,
    आँसू में भींगी माया चुपचाप खड़ी आंगन में।

    आँखों में दे आँख हेरती हैं उसको जब सखियाँ,
    मुस्की आ जाती मुख पर, हँस देती रोती अँखियाँ।
    पर, समेट लेती शरमाकर बिखरी-सी मुस्कान,
    मिट्टी उकसाने लगती है अपराधिनी-समान।

    भींग रहा मीठी उमंग से दिल का कोना-कोना,
    भीतर-भीतर हँसी देख लो, बाहर-बाहर रोना।
    तू वह, जो झुरमुट पर आयी हँसती कनक-कली-सी,
    तू वह, जो फूटी शराब की निर्झरिणी पतली-सी।

    तू वह, रचकर जिसे प्रकृति ने अपना किया सिंगार,
    तू वह जो धूसर में आयी सुबज रंग की धार।
    मां की ढीठ दुलार! पिता की ओ लजवंती भोली,
    ले जायेगी हिय की मणि को अभी पिया की डोली।

    कहो, कौन होगी इस घर तब शीतल उजियारी?
    किसे देख हँस-हँस कर फूलेगी सरसों की क्यारी?
    वृक्ष रीझ कर किसे करेंगे पहला फल अर्पण-सा?
    झुकते किसको देख पोखरा चमकेगा दर्पण-सा?

    किसके बाल ओज भर देंगे खुलकर मंद पवन में?
    पड़ जायेगी जान देखकर किसको चंद्र-किरन में?
    महँ-महँ कर मंजरी गले से मिल किसको चूमेगी?
    कौन खेत में खड़ी फ़सल की देवी-सी झूमेगी?

    बनी फिरेगी कौन बोलती प्रतिमा हरियाली की?
    कौन रूह होगी इस धरती फल-फूलों वाली की?
    हँसकर हृदय पहन लेता जब कठिन प्रेम-ज़ंजीर,
    खुलकर तब बजते न सुहागिन, पाँवों के मंजीर।

    घड़ी गिनी जाती तब निशिदिन उँगली की पोरों पर,
    प्रिय की याद झूलती है साँसों के हिंडोरों पर।
    पलती है दिल का रस पीकर सबसे प्यारी पीर,
    बनती है बिगड़ती रहती पुतली में तस्वीर।

    पड़ जाता चस्का जब मोहक प्रेम-सुधा पीने का,
    सारा स्वाद बदल जाता है दुनिया में जीने का।
    मंगलमय हो पंथ सुहागिन, यह मेरा वरदान;
    हरसिंगार की टहनी-से फूलें तेरे अरमान।

    जगे हृदय को शीतल करनेवाली मीठी पीर,
    निज को डुबो सके निज में, मन हो इतना गंभीर।
    छाया करती रहे सदा तुझको सुहाग की छाँह,
    सुख-दुख में ग्रीवा के नीचे हो प्रियतम की बाँह।

    पल-पल मंगल-लग्न, ज़िंदगी के दिन-दिन त्यौहार,
    उर का प्रेम फूटकर हो आँचल में उजली धार।

    - दिनकर
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  5. #265
    Quote Originally Posted by ysjabp View Post
    Beautiful lines...

  6. #266

    Thumbs up

    Bhai Yogi, indeed quality deep pondering lines indeed!

    Quote Originally Posted by ysjabp View Post
    एक दिन बैठा समुंदर तीर पेर,
    सुन रहा था बुलबुले की मैं कथा.
    एक कागज की दिखी किश्ती तभी ,
    थी छुपी जिसमे पहाडों की व्यथा.
    बोझ इतना धर, मुझे अचरज हुआ,
    चल रही है किस तरह यह धर में.
    वह हँसी, बोली चलती चाह हेई,
    आदमी चलता नही संसार में.

    अज्ञात
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  7. #267

    Thumbs up

    Bhai Yogi, Indeed matchless inspiring poem, awesome !
    keep posting ... really liked this one bro!


    Quote Originally Posted by ysjabp View Post



    by Manoj Kumar "Maithil"
    Last edited by cooljat; May 27th, 2008 at 07:04 PM.
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  8. #268
    The Balance between Blues & Bliss, day & night, Sukh & Dukh that makes life a beautiful experince!!, This wonderful inspirin' poem very much describes the same!!


    सुख दुख - सुमित्रानंदन पंत

    मैं नहीं चाहता चिर सुख,
    मैं नहीं चाहता चिर दुख,
    सुख दुख की खेल मिचौनी
    खोले जीवन अपना मुख!

    सुख-दुख के मधुर मिलन से
    यह जीवन हो परिपूरण
    फिर घन में ओझल हो शशि,
    फिर शशि से ओझल हो घन!

    जग पीड़ित है अति दुख से
    जग पीड़ित रे अति सुख से,
    मानव जग में बट जाएँ
    दुख सुख से औ’ सुख दुख से!

    अविरत दुख है उत्पीड़न,
    अविरत सुख भी उत्पीड़न,
    दुख-सुख की निशा-दिवा में,
    सोता-जगता जग-जीवन।

    यह साँझ-उषा का आँगन,
    आलिंगन विरह-मिलन का;
    चिर हास-अश्रुमय आनन
    रे इस मानव-जीवन का!


    Rock on
    Jit
    Last edited by cooljat; May 27th, 2008 at 07:06 PM.
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  9. #269
    One more for the day from same classy poet, let ur heart brekfree!


    तप रे मधुर-मधुर मन! - सुमित्रानंदन पंत

    विश्व वेदना में तप प्रतिपल,
    जग-जीवन की ज्वाला में गल,
    बन अकलुष, उज्जवल औ' कोमल
    तप रे विधुर-विधुर मन!

    अपने सजल-स्वर्ण से पावन
    रच जीवन की मूर्ति पूर्णतम,
    स्थापित कर जग में अपनापन,
    ढल रे ढल आतुर मन!

    तेरी मधुर मुक्ति ही बंधन
    गंध-हीन तू गंध-युक्त बन
    निज अरूप में भर-स्वरूप, मन,
    मूर्तिमान बन, निर्धन!
    गल रे गल निष्ठुर मन!

    आते कैसे सूने पल
    जीवन में ये सूने पल?
    जब लगता सब विशृंखल,
    तृण, तरु, पृथ्वी, नभमंडल!

    खो देती उर की वीणा
    झंकार मधुर जीवन की,
    बस साँसों के तारों में
    सोती स्मृति सूनेपन की!

    बह जाता बहने का सुख,
    लहरों का कलरव, नर्तन,
    बढ़ने की अति-इच्छा में
    जाता जीवन से जीवन!

    आत्मा है सरिता के भी
    जिससे सरिता है सरिता;
    जल-जल है, लहर-लहर रे,
    गति-गति सृति-सृति चिर भरिता!

    क्या यह जीवन? सागर में
    जल भार मुखर भर देना!
    कुसुमित पुलिनों की कीड़ा-
    ब्रीड़ा से तनिक ने लेना!

    सागर संगम में है सुख,
    जीवन की गति में भी लय,
    मेरे क्षण-क्षण के लघु कण
    जीवन लय से हों मधुमय ..


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  10. #270
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One more for the day from same classy poet, let ur heart brekfree!


    तप रे मधुर-मधुर मन! - सुमित्रानंदन पंत

    विश्व वेदना में तप प्रतिपल,
    जग-जीवन की ज्वाला में गल,
    बन अकलुष, उज्जवल औ' कोमल
    तप रे विधुर-विधुर मन!

    अपने सजल-स्वर्ण से पावन
    रच जीवन की मूर्ति पूर्णतम,
    स्थापित कर जग में अपनापन,
    ढल रे ढल आतुर मन!

    तेरी मधुर मुक्ति ही बंधन
    गंध-हीन तू गंध-युक्त बन
    निज अरूप में भर-स्वरूप, मन,
    मूर्तिमान बन, निर्धन!
    गल रे गल निष्ठुर मन!

    आते कैसे सूने पल
    जीवन में ये सूने पल?
    जब लगता सब विशृंखल,
    तृण, तरु, पृथ्वी, नभमंडल!

    खो देती उर की वीणा
    झंकार मधुर जीवन की,
    बस साँसों के तारों में
    सोती स्मृति सूनेपन की!

    बह जाता बहने का सुख,
    लहरों का कलरव, नर्तन,
    बढ़ने की अति-इच्छा में
    जाता जीवन से जीवन!

    आत्मा है सरिता के भी
    जिससे सरिता है सरिता;
    जल-जल है, लहर-लहर रे,
    गति-गति सृति-सृति चिर भरिता!

    क्या यह जीवन? सागर में
    जल भार मुखर भर देना!
    कुसुमित पुलिनों की कीड़ा-
    ब्रीड़ा से तनिक ने लेना!

    सागर संगम में है सुख,
    जीवन की गति में भी लय,
    मेरे क्षण-क्षण के लघु कण
    जीवन लय से हों मधुमय ..


    Rock on
    Jit
    Excellent poem ,Jit

  11. #271
    One sucha Classy Inspirin poem full of Zeal, Fills u with enthu quickly!
    Never Say Die is the moral, Matchless composition by Great Suman!

    I literally got goosebumps when I read it, too inspirin' !!



    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार - शिवमंगल सिंह सुमन

    आज सिन्धु ने विष उगला है
    लहरों का यौवन मचला है
    आज ह्रदय में और सिन्धु में
    साथ उठा है ज्वार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

    लहरों के स्वर में कुछ बोलो
    इस अंधड में साहस तोलो
    कभी-कभी मिलता जीवन में
    तूफानों का प्यार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

    यह असीम, निज सीमा जाने
    सागर भी तो यह पहचाने
    मिट्टी के पुतले मानव ने
    कभी ना मानी हार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

    सागर की अपनी क्षमता है
    पर माँझी भी कब थकता है
    जब तक साँसों में स्पन्दन है
    उसका हाथ नहीं रुकता है
    इसके ही बल पर कर डाले
    सातों सागर पार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ।।


    Rock on
    Jit
    Last edited by cooljat; May 28th, 2008 at 02:32 PM.
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  12. #272
    One more for the day, Again an inspiring poem, givin msg to those who shed tears just for lil defeats & few shattered dreams! Truly matchless, Great moral as well!


    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों - गोपालदास "नीरज"


    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
    कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है |
    सपना क्या है, नयन सेज पर
    सोया हुआ आँख का पानी
    और टूटना है उसका ज्यों
    जागे कच्ची नींद जवानी
    गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
    कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है |

    माला बिखर गयी तो क्या है
    खुद ही हल हो गयी समस्या
    आँसू गर नीलाम हुए तो
    समझो पूरी हुई तपस्या
    रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
    कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है |

    खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
    केवल जिल्द बदलती पोथी
    जैसे रात उतार चाँदनी
    पहने सुबह धूप की धोती
    वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों
    चँद खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है |

    लाखों बार गगरियाँ फ़ूटी,
    शिकन न आयी पर पनघट पर
    लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
    चहल पहल वो ही है तट पर
    तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों,
    लाख करे पतझड़ कोशिश पर, उपवन नहीं मरा करता है।

    लूट लिया माली ने उपवन,
    लुटी ना लेकिन गंध फ़ूल की
    तूफ़ानों ने तक छेड़ा पर,
    खिड़की बंद ना हुई धूल की
    नफ़रत गले लगाने वालों, सब पर धूल उड़ाने वालों
    कुछ मुखड़ों के की नाराज़ी से, दर्पण नहीं मरा करता है।

    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  13. #273
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One sucha Classy Inspirin poem full of Zeal, Fills u with enthu quickly!
    Never Say Die is the moral, Matchless composition by Great Suman!

    I literally got goosebumps when I read it, too inspirin' !!



    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार - शिवमंगल सिंह सुमन

    आज सिन्धु ने विष उगला है
    लहरों का यौवन मचला है
    आज ह्रदय में और सिन्धु में
    साथ उठा है ज्वार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

    लहरों के स्वर में कुछ बोलो
    इस अंधड में साहस तोलो
    कभी-कभी मिलता जीवन में
    तूफानों का प्यार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

    यह असीम, निज सीमा जाने
    सागर भी तो यह पहचाने
    मिट्टी के पुतले मानव ने
    कभी ना मानी हार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

    सागर की अपनी क्षमता है
    पर माँझी भी कब थकता है
    जब तक साँसों में स्पन्दन है
    उसका हाथ नहीं रुकता है
    इसके ही बल पर कर डाले
    सातों सागर पार

    तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ।।


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    Jit
    too good :-)
    “Lead me, follow me or get out of my way”

  14. #274
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    Quote Originally Posted by ysjabp View Post
    एक दिन बैठा समुंदर तीर पेर,

    वह हँसी, बोली चलती चाह हे,
    आदमी चलता नही संसार में.
    True... and very beautiful way to express the truth.

  15. #275
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    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One more for the day, Again an inspiring poem, givin msg to those who shed tears just for lil defeats & few shattered dreams! Truly matchless, Great moral as well!


    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों - गोपालदास "नीरज"



    सपना क्या है, नयन सेज पर
    सोया हुआ आँख का पानी
    और टूटना है उसका ज्यों
    जागे कच्ची नींद जवानी
    गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
    कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है |



    खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
    केवल जिल्द बदलती पोथी
    जैसे रात उतार चाँदनी
    पहने सुबह धूप की धोती
    वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों
    चँद खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है |

    लाखों बार गगरियाँ फ़ूटी,
    शिकन न आयी पर पनघट पर
    लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
    चहल पहल वो ही है तट पर
    तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों,
    लाख करे पतझड़ कोशिश पर, उपवन नहीं मरा करता है।
    bahut sundar aur meaningful kavita he. I recall, perhaps it was in VIIth standard. Jit bhaiya agar koi badalon aur barish se related lines milen to wo bhi post kar do plz.

  16. #276
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One more for the day, Again an inspiring poem, givin msg to those who shed tears just for lil defeats & few shattered dreams! Truly matchless, Great moral as well!


    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों - गोपालदास "नीरज"


    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
    कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है |
    सपना क्या है, नयन सेज पर
    सोया हुआ आँख का पानी
    और टूटना है उसका ज्यों
    जागे कच्ची नींद जवानी
    गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
    कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है |

    माला बिखर गयी तो क्या है
    खुद ही हल हो गयी समस्या
    आँसू गर नीलाम हुए तो
    समझो पूरी हुई तपस्या
    रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
    कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है |

    खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
    केवल जिल्द बदलती पोथी
    जैसे रात उतार चाँदनी
    पहने सुबह धूप की धोती
    वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों
    चँद खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है |

    लाखों बार गगरियाँ फ़ूटी,
    शिकन न आयी पर पनघट पर
    लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
    चहल पहल वो ही है तट पर
    तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों,
    लाख करे पतझड़ कोशिश पर, उपवन नहीं मरा करता है।

    लूट लिया माली ने उपवन,
    लुटी ना लेकिन गंध फ़ूल की
    तूफ़ानों ने तक छेड़ा पर,
    खिड़की बंद ना हुई धूल की
    नफ़रत गले लगाने वालों, सब पर धूल उड़ाने वालों
    कुछ मुखड़ों के की नाराज़ी से, दर्पण नहीं मरा करता है।

    Rock on
    Jit
    Bahut badhia kavita,Jit. Is kavita ne mujhe bhi ek kavita yaad dila di.....


    जीवन में एक सितारा था
    माना वह बेहद प्यारा था
    वह डूब गया तो डूब गया
    अंबर के आंगन को देखो
    कितने इसके तारे टूटे
    कितने इसके प्यारे छूटे
    जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले
    पर बोलो टूटे तारों पर
    कब अंबर शोक मनाता है
    जो बीत गई सो बात गई
    जीवन में वह था एक कुसुम
    थे उस पर नित्य निछावर तुम
    वह सूख गया तो सूख गया
    मधुबन की छाती को देखो
    सूखी कितनी इसकी कलियाँ
    मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
    जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं
    पर बोलो सूखे फूलों पर
    कब मधुबन शोर मचाता है
    जो बीत गई सो बात गई
    जीवन में मधु का प्याला था
    तुमने तन मन दे डाला था
    वह टूट गया तो टूट गया
    मदिरालय का आंगन देखो
    कितने प्याले हिल जाते हैं
    गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
    जो गिरते हैं कब उठते हैं
    पर बोलो टूटे प्यालों पर
    कब मदिरालय पछताता है
    जो बीत गई सो बात गई
    मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
    मधु घट फूटा ही करते हैं
    लघु जीवन ले कर आए हैं
    प्याले टूटा ही करते हैं
    फ़िर भी मदिरालय के अन्दर
    मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं
    जो मादकता के मारे हैं
    वे मधु लूटा ही करते हैं
    वह कच्चा पीने वाला है
    जिसकी ममता घट प्यालों पर
    जो सच्चे मधु से जला हुआ
    कब रोता है चिल्लाता है
    जो बीत गई सो बात गई
    हरिवंशराय बच्चन

  17. #277
    योगेन्द्रसिंह

    Treat Life As Sea, Heart as Seashore and Friends like waves.
    It never matters how many waves are there?
    What matters is which one touches the Seashore.

  18. #278
    Email Verification Pending
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    Quote Originally Posted by ysjabp View Post
    Aaj Jatland par bhi barish ho hi gai. Very nice yoginder bhaiya.

  19. #279
    this one is too good Jit....really inspiring and motivating.

    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One more for the day, Again an inspiring poem, givin msg to those who shed tears just for lil defeats & few shattered dreams! Truly matchless, Great moral as well!


    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों - गोपालदास "नीरज"


    छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
    कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है |
    सपना क्या है, नयन सेज पर
    सोया हुआ आँख का पानी
    और टूटना है उसका ज्यों
    जागे कच्ची नींद जवानी
    गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
    कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है |

    माला बिखर गयी तो क्या है
    खुद ही हल हो गयी समस्या
    आँसू गर नीलाम हुए तो
    समझो पूरी हुई तपस्या
    रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
    कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है |

    खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
    केवल जिल्द बदलती पोथी
    जैसे रात उतार चाँदनी
    पहने सुबह धूप की धोती
    वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों
    चँद खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है |

    लाखों बार गगरियाँ फ़ूटी,
    शिकन न आयी पर पनघट पर
    लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
    चहल पहल वो ही है तट पर
    तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों,
    लाख करे पतझड़ कोशिश पर, उपवन नहीं मरा करता है।

    लूट लिया माली ने उपवन,
    लुटी ना लेकिन गंध फ़ूल की
    तूफ़ानों ने तक छेड़ा पर,
    खिड़की बंद ना हुई धूल की
    नफ़रत गले लगाने वालों, सब पर धूल उड़ाने वालों
    कुछ मुखड़ों के की नाराज़ी से, दर्पण नहीं मरा करता है।

    Rock on
    Jit

  20. #280

    kabhi haar nahi hoti

    लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
    नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
    चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
    मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
    चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
    आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
    डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
    जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
    मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
    बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
    मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
    असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
    क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
    जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
    संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
    कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

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