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Thread: Hindi Kavita

  1. #81
    One more Gem of a poem, very much inspirin, very much deep touchin' n msg givin' ..

    मेरा दोस्त मेरा आसमां - आश्विन गांधी


    जब कभी परेशानी होती है
    आसमां को देख लेता हूँ
    गम हल्का हो जाता है
    मुस्कराहट छा जाती है
    दिल पुकार उठता है
    मेरा दोस्त मेरा आसमां

    चित्रकार कोई अजीब
    आसमां बना दिया
    सुबह हो या शाम
    दिन हो या रात
    सूरज चाँद
    टिमटिमाते तारे
    कभी बादल कभी बारिश
    कोहरा कभी कभी इन्द्रधनुष

    जब भी देखूं
    रूप नए रंग निराले
    अनंत अगाध असीम
    समा ले मुझे
    आसमां दोस्त मेरा
    मेरा दोस्त मेरा आसमां.


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  2. #82
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One more Gem of a poem, very much inspirin, very much deep touchin' n msg givin' ..

    मेरा दोस्त मेरा आसमां - आश्विन गांधी


    जब कभी परेशानी होती है
    आसमां को देख लेता हूँ
    गम हल्का हो जाता है
    मुस्कराहट छा जाती है
    दिल पुकार उठता है
    मेरा दोस्त मेरा आसमां

    चित्रकार कोई अजीब
    आसमां बना दिया
    सुबह हो या शाम
    दिन हो या रात
    सूरज चाँद
    टिमटिमाते तारे
    कभी बादल कभी बारिश
    कोहरा कभी कभी इन्द्रधनुष

    जब भी देखूं
    रूप नए रंग निराले
    अनंत अगाध असीम
    समा ले मुझे
    आसमां दोस्त मेरा
    मेरा दोस्त मेरा आसमां.


    Rock on
    Jit
    bhai !! sehi maie emotional kar diya re yaar teri is kavita ne to ! wonderful brother !!
    “Lead me, follow me or get out of my way”

  3. #83
    Quote Originally Posted by sandeeprathee View Post
    कमरे से बाहर पारा शून्य से नीचे लुढ़क चुका है, कमरे के अंदर हीटर की गर्मी में मैं भी अपने कम्बल में नींद के आगोश मैं लुढ़कने ही वाला था की अचानक ख्याल आया आज कुछ लिखा जाए. पैन पेपर उठाने की हिम्मत नही हुई तो google translater पर ही उँगलियाँ चलने लगी. जो लिखा है हो सकता है सच्चाई से परे हो पर मुझे सोचने को मजबूर जरूर करता है .... 'जब आगो तभी सवेरा' के फलसफे को चरित्रार्थ करता है.


    नव वर्ष -----

    नव वर्ष की फ़िर से आहट हुई है
    फ़िर कोई निश्चय लेने की चाहत हुई है
    फ़िर से ख़ुद को खंगालने की कोशिश की
    सोचा कुछ मिल जाए इस बार बदलने को

    सोचा नव वर्ष में सदा सच बोलूँगा
    फ़िर लगा की ऐसा निश्चय लिया तो
    शायद पूरे वर्ष मुहँ ही नही खोलूँगा

    सोचा छल कपट से दूर रहूँगा
    लेकिन ऐसा निश्चय करना ही शायद
    ख़ुद से छल करना है
    छल के बगैर इस ज़माने में
    अपना कहाँ काम चलना है

    फ़िर कुछ और ख्याल आए
    चलो इस बार सब ऐब छोड़ देते हैं
    सदाचार की राह चलते हैं
    समाज का कुछ ख्याल करते हैं
    अपनी कुछ इमेज बदलते हैं

    अचानक से सिर भारी होने लगा
    बार बार करवटें बदलने लगा
    शायद में किसी गहरे सपने से जगने लगा
    हाँ सपना ही तो था ..सपना ही होगा
    वरना कौन इतना सोचता है

    आत्मग्लानी होने लगी
    अपने स्वार्थ से अलग होने की इच्छा प्रबल होने लगी
    उसी इक क्षण में मैंने प्रण लिया ख़ुद को बदलने का
    नेक राह पर चलने का इक अच्छा इंसान बनने का

    और शायद वही क्षण मेरे लिए नव वर्ष की शुरुवात थी
    मैं स्वार्थ की चादर उतार चुका था
    मेरा हैप्पी न्यू येअर हो चुका था
    Very gud... really gud.
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  4. #84
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One more Gem of a poem, very much inspirin, very much deep touchin' n msg givin' ..

    मेरा दोस्त मेरा आसमां - आश्विन गांधी
    जब कभी परेशानी होती है
    आसमां को देख लेता हूँ
    गम हल्का हो जाता है
    मुस्कराहट छा जाती है
    दिल पुकार उठता है
    मेरा दोस्त मेरा आसमां
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    Jit
    simply nice.
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  5. #85

    बढे़ चलो, बढे़ चलो

    बढे़ चलो, बढे़ चलो / सोहनलाल द्विवेदी

    न हाथ एक शस्त्र हो,
    न हाथ एक अस्त्र हो,
    न अन्न वीर वस्त्र हो,
    हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

    रहे समक्ष हिम-शिखर,
    तुम्हारा प्रण उठे निखर,
    भले ही जाए जन बिखर,
    रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

    घटा घिरी अटूट हो,
    अधर में कालकूट हो,
    वही सुधा का घूंट हो,
    जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

    गगन उगलता आग हो,
    छिड़ा मरण का राग हो,
    लहू का अपने फाग हो,
    अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

    चलो नई मिसाल हो,
    जलो नई मिसाल हो,
    बढो़ नया कमाल हो,
    झुको नही, रूको नही, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

    अशेष रक्त तोल दो,
    स्वतंत्रता का मोल दो,
    कड़ी युगों की खोल दो,
    डरो नही, मरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  6. The Following 2 Users Say Thank You to neels For This Useful Post:

    kamnanadar (January 22nd, 2012), Sure (November 24th, 2011)

  7. #86
    Quote Originally Posted by neels View Post
    बढे़ चलो, बढे़ चलो / सोहनलाल द्विवेदी

    न हाथ एक शस्त्र हो,
    न हाथ एक अस्त्र हो,
    न अन्न वीर वस्त्र हो,
    हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
    Good one Neelam ji

    theres a similar poem dont remember it exactly writing 2 lines that comes to my mind rite now:

    वीर तुम बढे चलो
    धीर तुम बढे चलो

    Also wants to add some lines in this post that my Grandmother used to recite before going to bed. it again might be a long poem but i just got hold of few lines....

    खाट पे लोट राम की औट
    माधो सांकल ब्रह्मा ताला
    सो जा काया राम रुखाला |

  8. #87
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    Quote Originally Posted by mukeshkumar007 View Post
    bhai !! sehi maie emotional kar diya re yaar teri is kavita ne to ! wonderful brother !!
    kaarvan nikal gaya gubaar dekhte rahe

  9. #88

    Thumbs up

    Simply Awesome poem with full of Zeal!

    Quote Originally Posted by neels View Post
    बढे़ चलो, बढे़ चलो / सोहनलाल द्विवेदी

    न हाथ एक शस्त्र हो,
    न हाथ एक अस्त्र हो,
    न अन्न वीर वस्त्र हो,
    हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।

    रहे समक्ष हिम-शिखर,
    तुम्हारा प्रण उठे निखर,
    भले ही जाए जन बिखर,
    रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  10. #89
    Email Verification Pending
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    Quote Originally Posted by neels View Post
    बढे़ चलो, बढे़ चलो / सोहनलाल द्विवेदी

    न हाथ एक शस्त्र हो,
    न हाथ एक अस्त्र हो,
    न अन्न वीर वस्त्र हो,
    हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
    good one but I feel that its Hato Nahin, Dato Vahin ?

  11. #90
    Indeed one gem of a poem about Life's blues n bliss Inspirin' ...


    सुख और दुख - डॉ आदित्य शुक्ल



    सुख–दुख जैसे धूप और छाया, पल पल आता जाता है।
    सुख में कितना हँसता था तू दुख से क्यों घबराता है।

    घोर अमावस का मतलब है कल फिर चंदा आएगा।
    कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष हो, पखवाड़े का नाता है।

    कितनी प्यारी लगती सबको रामचंद्र की वह गाथा।
    जिसमें सुख तो नाम मात्र है, दुख संकट ही ज़्यादा है।

    जिसके सारे सच हो सपने, जग में ऐसा कोई नहीं।
    तेरा सपना टूट गया तो क्यों इतना पछताता है।

    पत्थर की यदि होती वाणी, तब तुम को बतलाता वह।
    कितनी पीड़ाएँ सह सहकर मूरत वह बन पाता है।

    सुख दुख जैसे धूप और छाया, पल पल आता जाता है।
    सुख में कितना हँसता था तू दुख से क्यों घबराता है।


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  12. #91
    सूर्य–सा मत छोड़ जाना

    लेखिका: निर्मला जोशी


    मैं तुम्हारी बाट जोहूं
    तुम दिशा मत मोड़ जाना।

    तुम अगर ना साथ दोगे
    पूर्ण कैसे छंद होंगे।
    भावना के ज्वार कैसे
    पंक्तियों में बंद होंगे।

    वर्णमाला में दुखों की
    और कुछ मत जोड़ जाना।

    देह से हूं दूर लेकिन
    हूं हृदय के पास भी मैं।
    नयन में सावन संजोए
    गीत हूं¸ मधुमास भी मैं।

    तार में झंकार भर कर
    बीन–सा मत तोड़ जाना।

    पी गई सारा अंधेरा
    दीप–सी जलती रही मैं।
    इस भरे पाषाण युग में
    मोम–सी गलती रही मैं।

    प्रात को संध्या बनाकर
    सूर्य–सा मत छोड़ जाना।
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  13. The Following User Says Thank You to neels For This Useful Post:

    ndalal (August 29th, 2012)

  14. #92

    Smile

    Quote Originally Posted by neels View Post
    सूर्य–सा मत छोड़ जाना
    लेखिका: निर्मला जोशी

    पी गई सारा अंधेरा
    दीप–सी जलती रही मैं।
    इस भरे पाषाण युग में
    मोम–सी गलती रही मैं।

    प्रात को संध्या बनाकर
    सूर्य–सा मत छोड़ जाना।
    Really nice one
    It's better to be alone than in a bad company.

  15. #93
    A really deep touching poem with a touch of solitude, classy indeed! ...


    अधूरी बात - डॉ उमा ओसापा


    ये बात है उन दिनों की
    जब नींद आंखों को छू कर
    लॊट जाती थी
    चाँद जागता था सारी रात
    बादलों से घिरा
    सितारों की महफ़िल में
    गुपचुप सी बात बहती थी

    रात ठहर जाती थी एक पहर
    जानने को ये माज़रा क्या है
    क्यों ग़मगीन है ये समां
    कॊन अकेला है यहाँ
    वो बात जो सिर्फ़
    हवाओं को समझ आती थी
    और चांदनी जैसे
    आंसुओं से नम हो जाती थी

    हर पल को रहता था
    सुबह की रौशनी का इंतज़ार
    चाँद सितारों की बात लेकिन
    रात पूरी होने तक अधूरी रह जाती थी |


    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  16. #94
    Few really deep touchin n so true lines, dont know the poet name thou!

    "क्या समेटे कोई यहाँ से,
    और क्या यहाँ छोढ़ कर जाए...

    बीत रहे हैं जो लम्हे,
    कल सभी तो बनेंगे यादों के साये!..."


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    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



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    ndalal (August 29th, 2012)

  18. #95
    One more for Day....one really deep touching thoughtprovoking poem!!


    नन्हा सपना - कीर्ति वैध


    आँखों के अंधेर गलियारे में
    इक रोता नन्हा सपना
    न सूर्य किरण छुए
    न रात चाँदनी हंसाये
    कई दिन का भूखा
    सुस्त चाल लिए
    खामोश धडकनों
    को भी रूलाये

    दस्तक सुन, आस लिए
    इक सांस में, हंस जाये
    न पा, फिर मुरझा जाये
    गुमनाम, फिर जीए जाये.....


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    Jit
    Last edited by cooljat; November 28th, 2007 at 03:37 PM.
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  19. #96
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    Few really deep touchin n so true lines, dont know the poet name thou!

    "क्या समेटे कोई यहाँ से,
    और क्या यहाँ छोढ़ कर जाए...

    बीत रहे हैं जो लम्हे,
    कल सभी तो बनेंगे यादों के साये!..."


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    Jit
    sachi maie nice one !!
    “Lead me, follow me or get out of my way”

  20. #97

    Thumbs up

    One really gem of a poem from Great Bachaan saab, that describes 'Real Love' & distinguish between Love & Infatuation in sucha simple n sweet manner!! Truly matchless poem that touches to the core of soul!!


    आदर्श प्रेम - डॉ. हरिवंश राय बच्चन


    प्यार किसी को करना लेकिन
    कहकर उसे बताना क्या,
    अपने को अर्पण करना पर
    और को अपनाना क्या |

    गुण का ग्राहक बनना लेकिन
    गाकर उसे सुनाना क्या,
    मन के कल्पित भावो से
    औरों को भ्रम में लाना क्या |

    ले लेना सुगंध सुमनों की
    तोड़ उन्हें मुरझाना क्या,
    प्रेम हार पहनना लेकिन
    प्रेम पाश फैलाना क्या |

    त्याग अंक में पले प्रेम शिशु
    उनमे स्वार्थ बताना क्या,
    देकर हृदय हृदय पाने की
    आशा व्यर्थ लगाना क्या |

    Rock on
    Jit
    .. " Until Lions have their historians, tales of the hunt shall always glorify the hunter! " ..



  21. #98
    Quote Originally Posted by cooljat View Post
    One really gem of a poem from Great Bachaan saab, that describes 'Real Love' & distinguish between Love & Infatuation in sucha simple n sweet manner!! Truly matchless poem that touches to the core of soul!!


    आदर्श प्रेम - डॉ. हरिवंश राय बच्चन


    प्यार किसी को करना लेकिन
    कहकर उसे बताना क्या,
    अपने को अर्पण करना पर
    और को अपनाना क्या |

    Rock on
    Jit
    Nice one.
    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

  22. #99

    जो तुम आ जाते एक बार / महादेवी वर्मा

    जो तुम आ जाते एक बार / महादेवी वर्मा

    जो तुम आ जाते एक बार

    कितनी करूणा कितने संदेश
    पथ में बिछ जाते बन पराग
    गाता प्राणों का तार तार
    अनुराग भरा उन्माद राग
    आँसू लेते वे पथ पखार
    जो तुम आ जाते एक बार


    हंस उठते पल में आर्द्र नयन
    धुल जाता होठों से विषाद
    छा जाता जीवन में बसंत
    लुट जाता चिर संचित विराग
    आँखें देतीं सर्वस्व वार
    जो तुम आ जाते एक बार


    Keep Believing in Yourself and Your Dreams

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    bhupendra (March 24th, 2011), kamnanadar (February 22nd, 2012)

  24. #100

    Thumbs up मौत तू एक कविता है

    Some lines from movie Anand...penned by Guljar.
    these very lines sounds very impressive and deep touching in the voice of Big B....

    मौत तू एक कविता है,

    मुझसे एक कविता का वादा है
    मिलेगी मुझको
    डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
    ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे

    दिन अभी पानी में हो,
    रात किनारे के करीब

    ना अंधेरा ना उजाला हो,
    ना अभी रात ना दिन
    जिस्म जब ख़त्म हो
    और रूह को जब साँस आऐ

    मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको ...

  25. The Following User Says Thank You to sandeeprathee For This Useful Post:

    kamnanadar (February 5th, 2012)

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