राजपाल जी, भारत की स्वतंत्रता से पहले ना जाने कितने लोगों को ऐसा लगता था कि भारत कभी आजाद हो ही नहीं सकता, लेकिन ऐसा हुआ...इसके बाद ना जाने कितने लोगों को ऐसा लगता था कि भारत कभी सैन्य ताकत नहीं बन सकता, परमाणु संपन्न नहीं बन सकता, लेकिन ऐसा हुआ...आज लगभग हर क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों से दुनिया हैरान है, लेकिन कुछ दशक पहले ना जाने कितने लोगों को ऐसा लगता था कि ऐसा कभी हो ही नहीं सकता...तो ऐसी कोई बात नहीं है कि भारत आने वाले समय में विश्व की महाशक्ति बन ही नहीं सकता...कम से कम मुझे तो ऐसा नहीं लगता कि ऐसा हो ही नहीं सकता...
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rajpaldular
पाकिस्तान और बांग्लादेश को हिन्दू बनाना तो बहुत दूर की बात है. हमें अपने अल्प संख्यकों को देखना चाहिए, एक एक दम्पति के १०-१२ बच्चे मिलेंगे और हमारे परिवारों में १ अथवा २ बच्चे ही मिलेंगे, मुझे लगता है कि आने वाले १५-२० वर्षों में पलड़ा इनका (अल्संख्यकों) का भारी हो जायेगा. जिनके अधिक वोट होंगे सरकार वो बनाएगा.
भारत में हिंदुओं में भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो दर्जनों बच्चे रखते हैं और अल्पसंख्यकों में भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो 1-2 बच्चे रखते हैं...अभी ये लोग 12-14 % हैं और इन्हें बहुसंख्यक बनने में बहुत समय लगेगा...वो भी तब जबकि हम लगभग 84 % भारतीय हिंदू बिलकुल ही आंखें मूंदकर तमाशा देखते रहें...ऐसा नहीं हो सकता...
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rajpaldular
मैं इनके साथ एक बहुत लम्बे समय के लिए रहा हूँ, जितना मैं इनको जानता हूँ अथवा भगवान ने जितनी मुझे बुद्धि प्रदान की है, उसके आधार पर मेरा ये मानना है कि भारत का भविष्य अंधकारमय है. हमारा सनातन धर्म कुछ वर्षों का अतिथि है. और हमारे धर्म को कोई दूसरा समाप्त नहीं कर रहा है अपितु अपने ही लोग (राजनेता) इसमें अंतिम कीलें ठोक रहे हैं.
सनातन हिंदू धर्म तो सदियों से रहा है और रहेगा...मुट्ठी-भर नेताओं और देशद्रोहियों में इतना दम नहीं है कि वे महान हिंदू धर्म को नष्ट कर सकें...भारत का भविष्य क्या होगा, इस पर तो अभी हम राय ही व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान तो हकीकत है...वर्तमान की हकीकत यह है कि हमने 4-4 बार मोहम्मद गोरी और महमूद गजनवी के इन तथाकथित वंशजों को धूल-धूसरित किया हुआ है...कभी ना डूबने वाले अंग्रेजी साम्राज्य को नष्ट करने में हमारी भूमिका अहम् रही है...हमने 28 साल बाद क्रिकेट का विश्व कप जीता, वो भी इस अंदाज में जो कि पहले कभी देखने को नहीं मिला...हम इसी अंदाज में और क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहे हैं...इसके बावजूद मैं अपनी राय आपके जैसी तब करूंगा, यदि भारत के साथ कुछ बेहद अपमानजनक और विध्वंसक हो जाता है, जैसे कि भारत पर कोई बड़ा परमाणु हमला या फिर कोई बहुत ही भीषण आपदा या ऐसा ही कुछ और...सच्चाई तो यह है कि जब तक मुझ पर, मेरी जाति पर, मेरे निकटजनों पर, मेरे धर्म पर और मुझसे जुड़े हुए अन्य पहलुओं पर इसकी कोई आंच ना आ जाए, तब तक मैं तो अपनी राय नहीं बदलने वाला...कोई भी भारत को नीचा दिखाने का प्रयास करे और मैं उसकी बातों का जवाब दूंगा, यदि मैं निरुत्तर हो गया और बगलें झांकने को विवश हो गया तो फिर मैं अपनी राय बदल लूंगा...हालांकि मेरी राय कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि मैं तो एक मामूली इंसान हूं...
आज की राजनीति यह है कि इंग्लिश भले ही अंग्रेजों की भाषा है, लेकिन इसे इस तरह से अपनाओ और प्रचारित करो कि आने वाले समय में दुनिया में ये प्रचारित हो जाए कि ये भाषा तो पैदा ही भारत में हुई है...दूसरे देशों ने यही तो किया...चिकित्सा और ना जाने क्या-क्या सीखकर तो यहां से गए, जबकि आज दुनिया को लगता है कि ऐसी चीजें पैदा ही उन देशों में हुईं...उदाहरण के लिए इस वेस्टमिंस्टर सिस्टम को इतना ज्यादा और इस ढंग से अपनाओ कि आने वाले 100-200 साल में यह प्रचारित हो जाए कि यह तो देन ही भारत की है...
हालांकि आपका प्रयास भी अपनी जगह सही है...यदि किसी को समय रहते सचेत नहीं किया जाता तो वो लापरवाह हो जाता है और पतन की राह पकड़ लेता है, लेकिन खुद को बार-बार हीन प्रदर्शित करना भी घातक है, क्योंकि इससे आत्मविश्वास कम होता है...जो वास्तविकता है, उसके आधार पर संतुलन बनाकर कोई बात कहनी चाहिए...बहरहाल सबके अपने-अपने विचार हैं और उन्हें व्यक्त करने का भी सबको अधिकार है...मैंने भी बस अपने विचार व्यक्त किए...हो सकता है आप ही ठीक साबित हों...