Just an inquisitive survey for 2014 General Elections
BJP
CONGRESS
IAC (Kejriwal)
Others (Third Front)
Just an inquisitive survey for 2014 General Elections
although its anonymous----
I wanna say---that I voted for Congress---coz they gonna win
Jab emergency ke bad inki majority aa sakti hai toh-----toh abhi toh phir bhi things are better
SALURAM (November 12th, 2012)
Can people, who vote here also honestly write here if they actually vote?
for me, YES
सच्चे शब्दों में सच के अहसास लिखेंगे ...
वक्त पढे जिसको कुछ इतना खास लिखेंगे...
गीत गजल हम पर लिखेंगे लिखने वाले...
हमने कलम उठाइ, तो इतिहास लिखेंगे...!!
anuragsunda (December 1st, 2012)
Merko to agle election mei ek unstable government aane ke assar laag rahe hain!! Jo ki counterproductive ho sakti hai.
Last edited by vicky84; November 13th, 2012 at 05:08 AM.
jaisingh318 (November 13th, 2012), rohittewatia (November 19th, 2012), sanjeev1984 (November 13th, 2012), satyenderdeswal (November 16th, 2012), swaich (November 13th, 2012), vijaykajla1 (December 31st, 2012)
सच्चे शब्दों में सच के अहसास लिखेंगे ...
वक्त पढे जिसको कुछ इतना खास लिखेंगे...
गीत गजल हम पर लिखेंगे लिखने वाले...
हमने कलम उठाइ, तो इतिहास लिखेंगे...!!
rekhasmriti (November 14th, 2012)
Congress if comes to power this could be all time fatal for the Nation, Running govt(2009 till date) is more corrupt than the UPA - I. This time if it happens to be UPA - III they will go beyond limits.
Whomsoever win should get a clear majority, third frond and people like kejriwal are going to hurt BJP more than any political party.
-- Freedom is not worth having if it does not include the freedom to make mistakes.
-- When you talk, you are only repeating what you already know. But if you listen, you may learn something new.
adarsh (December 31st, 2012), anuragsunda (December 1st, 2012)
Haan ye to hai hi...apne desh mei ek majority waali government aani bahut muskil hai..Ghoom phir ke congress aati hai...usne jo karname kiye hai wo aaj sabke samne hain...Abb ye third front, mulayam, CPM ikathe ho gaye hain..jo ki saaf jaahir hai, inka motto.. jab tak 2 main parties nahi hongi desh mei, tab takk desh aise hi jhoojta rahega.
Last edited by vicky84; November 14th, 2012 at 02:35 PM.
Sab ke sab chor hain koi bhi aayega desh ko lutega. Vaise Vadlaav jaroori hain .........
desijat (November 14th, 2012)
rohittewatia (November 19th, 2012), skarmveer (November 30th, 2012), sunillathwal (November 16th, 2012), vijaykajla1 (December 31st, 2012)
jaisingh318 (November 19th, 2012), spdeshwal (November 22nd, 2012)
Deshwal Ji ,
In agreement , Congress ki strength hai Weak Opposition .
Post emergency, 1977 election Congress had lost including Smt. Indira Gandhi to Rajnarayan !
Naya naya josh tha , jo humara thanda ho gaya tha . If i m not wrong post that elections IG full majority se PM banhi thi and she showed us - Congress is meant to rule over you people baki sab toh for time being tamasha tha -so enjoy .
N after that na toh JN ji n na hi unke koi bhi so called followers kabhi majority mei nahi aaye .
My vote will go to IAC.
Kejriwal has shown that he can deliver. He is the last hope of India in recent times. All those people who genuinely care for the country should vote for him. Let us rise above caste, selfishness, corruption and petty politics to support him.
I think he has a chance as he is doing well in the poll here, without having even formally declaring his party.
Honest people must vote for him.
amankadian (November 24th, 2012)
2014 ke election me congress+ ko bahumat nahi milega ye to 100 % pakka hai.
sabse jyada seat BJP ko milegi lekin sarkar BJP ki shyad hi Bane
Mera vote to IAC ko jayega.
amankadian (November 24th, 2012)
Congress led govt at centre in 2014 would be a disaster for this country on many counts; nevertheless it is/will be a better choice than the third front coalition!
desijat (November 16th, 2012)
भारत में आम चुनाव ब्रिटिश राज में शुरू हुए थे पहला चुनाव 1920 में हुआ , कांग्रेस ने इसका बहिस्कार किया था । कांग्रेस पार्टी ने 1934 के आम चुनाव में हिस्सा लिया और जीत हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आई उससे पहले तक स्वराज पार्टी ही एक बड़ी पार्टी के रूप में थी । कांग्रेस ने इस चुनाव में 105 में से 44 सीट हासिल की। 1947 में देश आजाद होने के बाद आजाद भारत का पहली लोकसभा के लिए 25 ओक्टुबर 1951 व 21 फरवरी 1952 को आम चुनाव संपन्न हुआ । इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एक तरफ़ा जीत हासिल की । कांग्रेस ने 489 सीट्स में से 364 सीट हासिल की , इसमें कांग्रेस को 44.99% मत हासिल हुआ । पंडित नेहरु को प्रधान मंत्री चुना गया । इस चुनाव में विपक्षी पार्टी के रूप सीपीआई को 16 सीट हासिल हुई । सीपीआई को इस चुनाव में 3.29% मत हासिल हुए । दूसरी लोकसभा के लिए 1957 में आम चुनाव हुए। इसमें कांग्रस को 47.78% मतों के साथ 371 सीट हासिल हुई व विपक्षी पार्टी सीपीआई ने 8.92% मत लेकर 27 सीट हासिल की । इस चुनाव में सीपीआई को पहले के मुकाबले 11 सीटो का इजाफा हुआ । पंडित नेहरु को दूसरी बार देश का प्रधान मंत्री चुना गया ।
तीसरी लोकसभा के लिए 1962 में आम चुनाव हुए । इस चुनाव में कांग्रेस ने 44.72% मतों के साथ 361 सीट हासिल की व सीपीआई ने 9.94% मत लेकर 29 सीट हासिल की । तीसरी लोकसभा के लिए भी पंडित नेहरु को देश का प्रधान मंत्री चुना गया । इस सभा काल में कांग्रेस सरकार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा पहला तो चीन से युद्ध जिसमे भारत की हालत काफी खराब हो गई थी जिसके कारण पंडित नेहरु को रक्षा मंत्री मेनन को पद से हटाना पड़ा व us फौज की मदद लेनी पड़ी , दूसरा 1964 में दिल का दौरा पड़ने से पंडित नेहरु का निधन । पंडित नेहरु के निधन के बाद गुलजारी लाल नंदा को दो हफ्ते के लिए कार्यकारी प्रधान मंत्री बनाया गया । कांग्रेस ने लाल बहादुर शास्त्री को सर्वसम्मति से देश का प्रधान मंत्री चुना परन्तु 1966 में शास्त्री जी के आकस्मिक देहांत के कारण एक बार फिर गुलजारी लाल नन्दा को देश का कार्यकारी प्रधान मंत्री बनाया गया । 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गाँधी को देश का प्रधान मंत्री चुना गया हालांकि मोरारजी देसाई इंदिरा को प्रधान मंत्री बनाने के खिलाफ थे । इंदिरा को प्रधान मंत्री के पद तक पहुचाने में सबसे अहम् भूमिका निभाई तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के कामराज ने ।
चोथी लोकसभा के लिए 1967 में आम चुनाव करवाए गए । इस चुनाव में कांग्रेस ने 283 सीट हासिल की व विपक्षी सी राजगोपालचारी की स्वतंत्रा पार्टी को 44 सीट हासिल हुई । इस चुनाव में इंदिरा गाँधी को प्रधान मंत्री पद के लिए चुना गया । इंदिरा गाँधी ने असंतुष्ट मोरारजी देसी को शांत करने के लिए उप-प्रधानमंत्री व वित् मंत्री का पद दिया । परन्तु इससे भी इन दोनों की खटास कम नहीं हुई । 12 नवम्बर 1969 को अनुशासनहीनता का इल्जाम लगा कर इंदिरा गाँधी को कांग्रेस पार्टी से निष्काषित कर दिया गया । जिसका नतीजा यह हुआ की कांग्रेस दो फाड़ हो गई एक धड़ा मोरारजी देसी के नेतृत्व में कांग्रेस (आर्गेनाइजेशन ) बना व दूसरा इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस (इंदिरा) बना । इंदिरा गाँधी सीपीआई की मदद से सरकार बनाई परन्तु इंदिरा गाँधी एक अल्पमत सरकार को लम्बा नहीं चलाना चाहती थी इसलिए उन्होंने एक साल पहले ही मध्यवादी चुनाव करवा दिए ।
पांचवी लोकसभा के लिए 1971 में चुनाव हुए । इसमें कांग्रेस (इंदिरा) ने 43.68% मतों के साथ 352 सीट हासिल की व मोरारजी देसाई की nco 24.34% मतों के साथ 51 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही । 12 जून 1975 को एल्लाहाबाद हाई कोर्ट ने 1971 के इंदिरा गाँधी के चुनाव को अवैध करार दिया । पद्त्यागने की बजाय इंडिया गाँधी ने देश में आपात काल घोषित कर दिया और विपक्ष के सभी नेताओ को जेल में डाल दिया । देश में लोकनारायण जयप्रकाश के नेतृत्व में जन आन्दोलन छिड़ गया जिसने इंदिरा राज की नीवं हिला दी । आपात काल व नसबंदी ने कांग्रेस की हालत नाजुक कर दी जिस कारण 23 जनवरी 1977 को इंदिरा गाँधी को मार्च में आम चुनाव करने की घोषणा करनी पड़ी व जेल में बंद सभी विपक्षी नेताओ को रिहा करना पड़ा । लोकनारायण जय प्रकाश के नेतृत्व वाला यह जन आन्दोलन शायद देश का अब तक का सबसे बड़ा जन आन्दोलन रहा होगा ।
छठी लोकसभा के लिए 1977 में आम चुनाव करवाए गए । इसमें कांग्रेस को हार का मुह देखना पड़ा , मोरारजी देसाई अध्यक्षता वाली जनता पार्टी को 51.89% मतों के साथ 345 सीट हासिल हुई व कांग्रेस 40.98% मतों के साथ 189 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही । मोरारजी देसाई देश के प्रधान मंत्री चुने गए । इस चुनाव में इंदिरा गाँधी व उनके बेटे संजय गाँधी दोनों को हार का मुंह देखना पडा । जनता पार्टी में फूट के कारण मोरारजी देसाई को 1979 में संसद में विश्वास मत हासिल नहीं हुआ और उन्हें पद त्यागना पड़ा । मोरारजी के बाद जतना पार्टी के कुछ सहयोगी दलों व कांग्रेस के विश्वास पर चौधरी चरण सिंह ने प्रधान मंत्री पद कि शपथ ग्रहण की परन्तु बाद में कांग्रेस अपने संसद में साथ देने के वादे से मुक्कर गई जिस कारण चौधरी चरण सिंह ने 1980 में आम चुनाव की घोषणा कर दी ।
सातवी लोकसभा के 1980 में आम चुनाव करवाए गए । इसमें जनता पार्टी की फूट का कांग्रेस को पूरा फायदा हुआ , कांग्रेस ने 42.69% मतों के साथ 374 सीट हासिल की , चौधरी चरण सिंह की लोक दल 9.39% मतों के साथ 41 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही । इंदिरा गाँधी देश की प्रधान मंत्री चुनी गई । पंजाब में हालत नाजुक बन गए थे जिसके चलते 1984 में स्वर्ण मंदिर में ओप्रेसन ब्लू स्टार करना । इस ओप्रेसन से सिखों की आस्था पर गहरी चोट पहुची । सिक्खों ने इसका बदला लेने के लिए इंदिरा गाँधी का क़त्ल कर दिया । इसके बाद देश में हिन्दू -सिक्ख के दंगे भड़के कत्ले आम हुए । इंदिरा गाँधी के बाद कांग्रेस ने राजीव गाँधी को देश का प्रधान मंत्री बनाया ।
आठवी लोकसभा के लिए 1984 में आम चुनाव करवाए गए । इस चुनाव में कांग्रेस ने 50.70% मत लेकर 416 सीट हासिल की व एन . टी रामाराव की tdp 4.31% मतों के साथ 30 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही । राजीव गाँधी को देश का प्रधान मंत्री चुना गया । ख़राब हालत के चलते पंजाब व असम में चुनाव देर से हुए । पंजाब में कांग्रेस की हालत नाजुक होने के बावजूद भी नतीजे चौकाने वाले थे इसमें कांग्रेस ने 41.53% मतों के साथ 6 सीट हासिल की जबकि अकाली दल को 7 सीट हासिल हुई व 37.17% मत हासिल हुए । इस सभा कल के दौरान कांग्रेस सरकार के वित् व रक्षा मंत्री वि .पि . सिंह ने बोफोर्स कांड को उजागर किया जिस कारण सिंह को मंत्री पद से हटा दिया गया । सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और अरुण नेहरु , आरिफ मोहमद खान के साथ मिल कर जन मोर्चा का गठन किया ।
नोवीं लोकसभा के लिए 1989 में आम चुनाव हुए । इसमें जनता दल को 40.66% मतों के साथ 275 सीट हासिल हुई व कांग्रेस 39.53% मतों के साथ 197 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही । जनता दल में जब प्रधान मंत्री चुनने की बात आई तो वि .पि . सिंह ने चौधरी देवी लाल का नाम प्रस्तावित किया परन्तु चौधरी देवी लाल ने यह कह कर मना कर दिया की सरकार में उनका "ताऊ" का पद ही अच्छा हैं इसलिए वि .पि .सिंह को प्रधान मंत्री बना दो । यह बात वि .पि .सिंह के विरोधी चन्द्र शेखर को अखर गई क्योंकि चौधरी देवी लाल ने चन्द्र शेखर को प्रधान मंत्री बनाने का वादा किया हुआ था । इस नाराजगी में चन्द्र शेखर ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से मना कर दिया ।वि .पि .सिंह ने प्रधान मंत्री बनते ही obc आरक्षण लग कर दिया जिसके विरोध में देश में काफी तोड़ फोड़ आगजनी हुई कई युवको ने आत्मदाह किया । चन्द्र शेखर व चौधरी देवी लाल ने अपने 63 सांसदों के साथ जनता दल से किनारा कर लिया और 1990 में समाजवादी जनता पार्टी का गठन किया । वि .पि . सिंह सरकार भंग होने के बाद ताऊ देवी लाल ने कांग्रेस से बाहरी समर्थन हासिल कर चन्द्र शेखर को प्रधान मंत्री बनाया व खुद उप-प्रधान मंत्री बने । यह सरकार भी लम्बे समय तक नहीं चल सकी क्योंकि कांग्रेस ने एक बार फिर से अपना रंग दिखा दिया ।
दसवीं लोकसभा के लिए 1991 में आम चुनाव करवाए गए । इसमें किसी दल को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ । इसमें कांग्रेस को 35.66% मतों के साथ 244 सीट हासिल हुई , आडवानी के नेतृत्व में भाजपा 20.04% मतों के साथ 120 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही व वि .पि . सिंह की जनता दल 11.77% मतों के साथ 69 सीट लेकर तीसरे स्थान पर रही । 20 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गाँधी के क़त्ल के कारण दुसरे चरण के लिए मतदान जून में करवाया गया । इस चुनाव में भाजपा राम मंदिर के पर चुनाव रही थी तो जनता दल मंडल के नाम पर लड़ रही थी । बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को सरकार बनाने का न्योता मिला नरसिम्हा राव को प्रधान मंत्री चुना गया । भजन लाल सरकार के बहुमत के लिए अहम् रोल निभाया उन्होंने अपना सांसद खरीद फरोख्त वाला जादू दिखाया । इस सभा काल में कांग्रेस में काफी उथल पुथल हुई । गाँधी परिवार समर्थको व नरसिम्हा राव में टकराव बढ़ गया 1995 में अर्जुन सिंह व एन .डी . तिवारी ने कांग्रेस छोड़ कर अपनी अलग से आल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) बना ली । राजेश पायलट ने नरसिम्हा राव के करीबी चंद्रास्वामी को जेल में डाल दिया । कांग्रेस का यह कार्यकाल तंदूर कांड , संचार घौटाला , यूरिया घौटाला आदि को लेकर काफी चर्चा में रही । जैन डायरी हवाला काण्ड भी काफी सुर्खियों में रहा जिसमे देश के कई बड़े नेताओ के नाम उजागर हुए । भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी का नाम इसमें आने के कारण उनको अध्यक्ष पद गवाना पड़ा जिसका फायदा अटल बिहारी वाजपेयी को हुआ ।
"कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||
कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !
ग्याहरवी लोकसभा के लिए 1996 में आम चुनाव हुए । इसमें एच .डी .देवे .गोवडा की जनता दल को 29% मतों के साथ 192 सीट मिली , भाजपा + 20.29% मतों के साथ 187 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही , कांग्रेस 28.80% मतों के साथ 140 सीट लेकर तीसरे स्थान पर रही । 15 मई को राष्ट्रपति ने भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का न्योता दिया और उन्हें बहुमत सिद्ध करने के लिए 31 मई का वक़्त दिया परन्तु अटल बिहारी वाजपेयी ने बहुमत हासिल न होता देख 28 मई को ही इस्तीफा दे दिया । कांग्रेस के समर्थन से यूनाइटेड फ्रंट के देवे गोवडा को प्रधान मंत्री बनाया गया परन्तु कुछ महीनो बाद अप्रैल 1997 में कांग्रेस ने गोवडा सरकार से समर्थन वापिस ले लिया । कांग्रेस अभी चुनाव लड़ने की हालत में नहीं थी इसलिए वह यूनाइटेड फ्रंट के नए नेतृत्व को समर्थन देने के लिए तैयार हो गई और 21 अप्रैल 1997 को आई .के .गुजराल को प्रधान मंत्री बनाया गया । गुजराल साहब की भी डगर आसान न थी परन्तु इस बार समस्या कांग्रेस से नहीं खुद की जनता दल से थी । बिहार में cbi ने गवर्नर किदवई से मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घौटाले में जांच की अनुमति मांगी । गवर्नर ने जाच की अनुमति प्रदान कर दी व यूनाइटेड फ्रोंटके बाहर व भीतर लालू के इस्तीफे के मांग उठाने लगी । प्रधान मंत्री के समझाने के बाद भी लालू प्रसाद ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया । प्रधान मंत्री ने तत्कालीन cbi डायरेक्टर जोगिन्दर सिंह का तबादला कर दिया लोगो को लगा की यह लालू को बचाने के लिए किया हैं तो बवाल मच गया । जब लालू ने देखा की अब कोई चारा नहीं रहा तो उन्होंने एक नया पैंतरा खेला लालू ने जनता दल छोड़ अपनी एक नई पार्टी rjd का गठन किया । जनता दल के 45 सांसदों में 17 सांसद लालू के साथ चले गए परन्तु लालू ने केंद्र सरकार को कोई नुकसान नहीं पहुचाया सरकार को अपना समर्थन जारी रखा । 11 महीने बाद गुजराल सरकार भंग हो गई ।
बाहरवी लोकसभा के लिए 1998 में आम चुनाव हुए । इसमें भाजपा + (nda ) को 37.21% मतों के साथ 254 सीट हासिल हुई , कांग्रेस को 26.14% मतों के साथ 144 सीट हासिल हुई । कांग्रेस ने यह चुनाव सीताराम केसरी की अध्यक्षता में लड़ा था । 286 सांसदों का समर्थन हासिल कर अटल एक बार फिर से प्रधान मंत्री चुने गए परन्तु 13 महीनो बाद की aiadmk के 18 सांसदों के समथन वापसी से भाजपा सरकार भंग हो गई ।
तेहरवी लोकसभा के 1999 में आम चुनाव हुए । इसमें भाजपा+ को 37.06% मतों के साथ 274 सीट हासिल हुई , कांग्रेस को 28.30% मतों के साथ 156 सीट हासिल हुई । अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधान मंत्री चुना गया । अटल बिहारी वाजपेयी ने 5 साल का अपना यह कार्यकाल पूरा किया ।
चौहदवी लोकसभा के लिए 2004 में आम चुनाव हुए । इसमें कांग्रेस को 35.4% मतों के साथ 218 सीट हासिल हुई , भाजपा+ को 33.3% मतों के साथ 181 सीट हासिल हुई । इस चुनाव में देशी-विदेशी का नारा चला जिस कारण सोनिया गाँधी ने मनमोहन सिंह को प्रधान मंत्री बनाया ।
पंद्रहवी लोकसभा के लिए 2009 में आम चुनाव हुए । इसमें कांग्रेस को 37.22% मतों के साथ 262 सीट हासिल हुई , भाजपा 24.63% मतों के साथ 159 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही , cpi (m) 21.15% मतों के साथ 79 सीट लेकर दुसरे स्थान पर रही । इस चुनाव में महंगाई मुख्या मुद्दा रहा फिर भी कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही और मनमोहन सिंह एक बार फिर से प्रधान मंत्री चुने गए ।
ऊपर दिए आकड़ो से पता चलता हैं की कांग्रेस 1971 में दो फाड़ हुई और इसमें इंदिरा कांग्रेस को 44% मत हासिल हुए 352 सीट हासिल हुई । उसके बाद इंदिरा गाँधी के खिलाफ जबरदस्त आन्दोलन हुआ , देश में कल हुआ । कांग्रेस के इस राज के दौरान बड़ा आन्दोलन हुआ , नेता जेल गए , इंदिरा व संजय जैसे दिग्गज चुनाव हार गए इसके बावजूद भी कांग्रेस को 40.98% मत हासिल हुए । जिन लोगो ने आन्दोलन किये जेल गए वह सरकार 3 साल भी नहीं चल पाई । लोग 3 साल में ही कांग्रेस के किये अत्याचार गई और 1980 के चुनाव में कांग्रेस को 43% मतों के साथ 374 सीट मिली । उसके बाद में 1989 के चुनाव में कांग्रेस को न के बावजूद भी उसको 39.53% मत मिले । 1996 का चुनाव जो की गाँधी परिवार की अध्यक्षता में नहीं लड़ा गया उसमे 29% मत हासिल हुए ।
देश में आज तक जितनी भी गैर कांग्रेसी सरकार बनी हैं उनमे से सिर्फ 1999-2004 का ऐसा कार्यकाल हैं जो nda ने पूरा किया ।
इस देश में सिर्फ दो पार्टी भी समस्या का कोई समाधान नहीं हैं । खिलाड़ी तो वहीँ हैं बस पाले बदलते रहते हैं , पाला बदलते ही जनता समझती हैं की अब ठीक हैं वो तो जिस पार्टी में नेता जी पहले थे उसकी नीति उसकी सोच गलत थी । असल में जरुरत हैं लोगो की मानसिकता बदलने की ।
भारत देश एक कृषि प्रधान देश हैं इसकी 80% आबादी खेती पर आधारित हैं और सबसे ताज्जुब की बात हैं की एक किसान को ही इसका प्रधान मंत्री नहीं बनने दिया जाता । देश आजाद हुए 65 वर्ष हो गए , इन 65 वर्षो में देश पर कांग्रेस का 50 साल राज रहा हैं । कांग्रेस राज में किसान प्रधान मंत्री का सवाल ही नहीं और बाकी 13 साल गैर कांग्रेस के राज में भी किसान प्रधान मंत्री सिर्फ बड़ी मुश्किल से 3 साल रहे होंगे । असल में किसान जाति के जो लोग पढ़ लिख के शहरो में बस जाते वे लोग भी गाँव की मूल भुत जरूरतों को भूल जाते हैं , ये लोग नए ज़माने की बात करते हैं । अपने आप को पढ़ा लिखा समझदार दिखाने के लिए अजीब लोगो की अजीब सोच की वकालत करते हैं । आज जिसका भी कभी गाँव देहात से वास्ता रहा उसको किसान नेता कहा जाता हैं जबकि हकीक़त यह हैं की इनमे से आधो को तो यह भी नहीं पता होगा की हरी मिर्च और लाल मिर्च एक हैं या अलग अलग पौधो पर लगती हैं । दादा परदादा किसान होने से हम किसान नहीं हो जाते और ना ही कोई ज़मीन का मालिक होने से किसान होता । चौधरी चरण सिंह ने बहुत सही कहा था की "" देश का विकास गाँव की गलियों से हो कर गुजरता हैं "" । यह हकीक़त भी हैं हम आईटी में जितनी मर्जी तरक्की कर ले परन्तु जब तक गाँव का किसान का विकास नहीं होगा तब तक इस देश का कुछ नहीं हो सकता और गाँव के, किसान के दुःख दर्द को एक किसान ही समझ सकता हैं ।
"कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||
कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !
bishanleo2001 (November 18th, 2012)
जहाँ तक कांग्रेस की बात हैं तो ये तो वहीँ बात हैं की '' मेरे देश में 100 में 99 बेईमान फिर भी मेरा देश महान क्योंकि पडोसी देश के 100 के 100 बेईमान "" । इसलिए कांग्रेस का कुछ नहीं बिगड़ सकता क्योंकि विपक्ष इससे भी बड़ा नकली हैं ।
"कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||
कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !
desijat (November 18th, 2012), jaisingh318 (November 19th, 2012), ssgoyat (December 31st, 2012), vicky84 (November 18th, 2012)
सच्चे शब्दों में सच के अहसास लिखेंगे ...
वक्त पढे जिसको कुछ इतना खास लिखेंगे...
गीत गजल हम पर लिखेंगे लिखने वाले...
हमने कलम उठाइ, तो इतिहास लिखेंगे...!!