Bhainsru Kalan

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Bhainsru Kalan (भैंसरू कलां) is a village in Sampla tahsil of Rohtak district and in Haryana.

History

देश के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का विकास महत्वपूर्ण है। गाँवो का इतिहास बहुत लम्बा है। वस्तुतः यह उतना ही प्राचीन है, जितना स्वयं भारत। अर्थात् यदि हम भारत वर्ष का विकास चाहते हैं, तो इसके लिए हमें गाँवो के विकास पर अत्यधिक ध्यान देना होगा। गांव के विकास के लिए मूलभुत सुविधाओं का होना जरूरी है, जरूरी नही है कि सभी सुविधाये सरकार द्वारा प्रदान की जाये उसके लिए ग्रामीणों को खुद भी प्रयास किये जाने चाहिए। किसी भी गांव के नाम के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य होता है , भैसरू कलां गांव के नामकरण के बारे में लोगों का कहना है कि गांव के अधिकतर लोगों का मूल ईसमाईला गांव से है। गांव के बुर्जगों का कहना है कि हमारे पूर्वज ईस्माईला गांव में रहते थे। गांव में पानी की तंगी के चलते एक दिन गांव का भैंसा भैसरू कंला की दिशा से आया जो कीचड़ में सना हुआ था। गांव के लोगों ने अगले दिन उस भैसे का अनुसरण किया और पानी के तालाब देखे और कुछ समय बाद ही लोगों ने ईस्माईला गांव को छोड़कर भैसरू कलां में अपना रहने का प्रबंध किया।

गांव में पंचायत एवं सरकार के सयुक्त प्रयास के चलते सभी सुविधाये है। गांव में पंचायत सचिवालय पूर्णरूप से कार्यरत्त है जिसमें लोगों को गांव में ही आधार कार्ड, पैंशन, बिजली के बिल व अन्य सरकारी कागजों के लिए तहसील कार्यालय नही जाना पड़ता। गांव में सामुदायिक केंद्र, चौपाल, आंगनवाड़ी, बालवाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र जैसी सुविधायें है। गांव के बुर्जगों ने हर सरकार से गांव में शराब का ठेका ना खोलने का अनुरोध किया है ताकि लोग नशे की लत से दूर है जिसका परिणाम है कि गांव में कोई भी शराब का ठेका नही है और ना ही शराब की अवैद्य रूप से बिक्री होती।

गांव के लोगों ने सबसे पहले गांव के रास्तों को प्राथमिकता देते हुए गांव से खेतों का जाने वाले रास्तों का निर्माण करवाया जिसमें दादा वाले जोहड़ से लेकर नयाबांस तक 56 फुट चौड़ा रास्ता छोड़ा जो गांव को सांपला से जोड़ता है।शिक्षा के प्रति समर्पित गांव के लोगों ने पांचवी तक का स्कूल बनवाया जिसमें अधिकांश कमरों का निर्माण ग्रामीणों ने अपने निजी कोष से किया था।गांव के युवाओें को कालेज स्तर पर अच्छी शिक्षा मिले इसलिए गांव भैसरू कलां के लोगों ने रोहतक स्थित गौड़ ब्राह्मण कालेज में काफी चंदा दिया है। कालेज समिती ने सबसे ज्यादा चंदा देने पर एक बार सर्वसहमति से स्वर्गीय पं भीखूराम को कालेज समिती का प्रधान भी बनाया था जो गांव के लिए एक गौरव की बात है।गांव में पंचायती राज की स्थापना में सर्वप्रथम बिहारी लाल जी को सरंपच सर्वसहमति से बनाया गया था। बिहारी लाल जी ने वास्तव में लोकतंत्र को स्थापित करते हुए दूसरी बार सर्वसहमति से सरपंच पद को ठुकराते हुए गांव में चुनाव करवाया। लोकंतत्र की सबसे छोटी ईकाई पंचायत में गांव के लोगों का भाई-चारा बहुत सराहनीय है। चुनाव के समय आजतक कोई भी दुर्घटना या लड़ाई झगड़े की बात नही हुई है। सत्यमेव जयते के साथ श्रममेव जयते की अवधारणा को मानने वाले रोहतक जिले के गांव भैसरू कलां में विकास की बयार है और इस विकास को सार्थक किया है गांव के युवाओं ने। गांव के युवां अपने बड़े बुर्जगों के तुर्जबों का लाभ उठाते हुए गांव को विकास की डगर पर बढाने का अनवरत कार्य कर रहे।गांव के युवाओं ने सबसे पहले जातिय पवित्रता और अपवित्रता के जातीय श्रेणीकरण को खत्म करने का प्रयास किया जो लगभग सफल रहा। गांव में सभी वर्गो के मंदिरों का निर्माण व उनमें होने वाले आयोजनों में युवाओं ने एकजुटता का परिचय देकर जातिय प्रथा का कलंक खत्म कर दिया। गांव में बढ़ई, नाई, कुम्हार, और मजदूर जो भूमिहीन थे, वे अपनी सेवाओं के बदले अपनी आजीविका के लिए अपने स्वामियों पर निर्भर थे। इस प्रकार भूमि-स्वामित्व गांवों में वर्चस्व का एक प्रतिमान बन गया था, भूमिहीन तथा दस्तकारों की जातियाँ जजमानी के रिश्ते में बंध गई थी और उन्हें निम्नतर श्रेणी में रखा गया था यह एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें श्रम का भुगतान नकद न होकर विभिन्न वस्तुओं के रूप में होता था। लेकिन भैसरू कलां गांव प्रदेश का पहला ऐसा गांव था जिसने सभी वर्गो के हितों का ध्यान में रखते हुए गांव की पंचायती जमीन को पिछड़े वर्ग के लिए बीस साल तक आरक्षित कर दिया था। उसमें केवल पिछड़े वर्ग के लिए काश्त करने का प्रावधान किया गया था। जिससे आज गांव में सभी वर्गो की आर्थिक हालत लगभग समान है।

गांव के लोग शुरू से ही शिक्षा के प्रति सचेत रहे है। वर्तमान पीढ़ी में गांव में साक्षरता के दर 99 प्रतिशत है। गांव के युवाओं का इस बात का फर्क है गांव का कोई भी व्यक्ति आज तक कन्या भू्रण हत्या, दहेज, हत्या और ब्लातकार जैसे मामलों में दोषी की बात तो दूर आज तक आरोपी भी नही बना है।गांव के युवा अपने बुर्जगों की परिपाटी व खेल को आगे बढ़ा रहे है। गांव में राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त पहलवान लखमीचंद एवं नारायणशाह हुए है। अंतराष्ट्रीय कुश्ती निणार्यक पहलवान लखमीचंद की देखरेख में गांव के युवा प्राचीन शिव मंदिर व सत्ता सत्तेश्वरी धाम में कुश्ती के दावं पेचों के साथ विभिन्न भर्तियों में शारीरिक प्रशिक्षण की तैयारी कर रहे है, जिसका परिणाम ये है कि गांव के दर्जनों युवां पुलिस और फौज में अपनी सेवा दे रहे है। गौ माता और शिक्षा के प्रति समर्पित गांव के महान सांगी पं भरत चंद पं लखमीचंद के समकालीन सांगी रहे है। पं भरत चंद के पदचिन्हों पर चलते हुए गांव के आजाद कवि पं श्रीराम शर्मा ने अपना पूरा जीवन गौमाता के नाम कर दिया।गौहान तहसील में स्थित गांव बली ब्राहमण में गौशाला का निर्माण नेतराम ब्रहमचारी के साथ मिलकर करवाने का श्रेय श्रीराम शर्मा को दिया जाता है। उनके पुत्र रामप्रकाश शर्मा के प्रयासों के चलते उनके भजनों का संग्रह शर्मा जी सौरभ नामक पुस्तक के नाम से प्रकाशित हो चुका जो हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रथम पुरूस्कार प्राप्त कर चुकी है। गर्व की बात है कि शर्मा जी द्वारा रचित सत्यवान सावित्री की कथा का एक भाग कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के एम ए हिंदी प्रथम वर्ष में विषय के रूप में लागू किया गया है। गांव की सांस्क्रतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पंचायत ने अभी हाल ग्राम सभा में श्रीराम शर्मा के नाम पर एक रंगमंच और भरत चंद सांगी के नाम पर एक पार्क बनाने की योजना का प्रस्ताव पास किया है। गांव में विकास के लिए विभिन्न सरकारों द्वारा समय-समय पर विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान दिया है जिसका सही उपयोग करते हुए गांव की पंचायत ने गांव को विकसित किया है। आज गांव की दशा ये है कि गांव की सभी गलियों में पानी की उचित निकासी है और गांव में सौ प्रतिशत शौचालय है। गांव में पशुधन का बहुत महत्व है जिसके लिए गांव की पंचायतों ने गांव के हर हिस्से में पशुओं के पीने के पानी की उचित व्यवस्था की है व गांव के चारों और पशुओं के लिए तालाब खुदवाये है। गांव के लोगों के लिए पार्क की व्यवस्था, पीने का पानी, गांव में स्कूल गांव को एक आदर्श रूप में स्थापित किये हुए है।गांव की पंचायती जमीन से गांव के पिछड़े वर्ग के लोगों के मकान एवं प्लाटों का आवंटटन किया गया। गांव में महात्मा गांधी आवास योजना के तहत प्लाट एवं इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत पक्के मकानों का आंवटन किया गया है। गांव में हमारा स्वच्छ हो जिसके तहत समय-समय पर सफाई अभियान चलाये जाते है व गांव में ठोस कचरा प्रबंधन स्थानों का निर्माण करवाया गया। अभी हाल में सरकार की योजना के तहत गांव के हर चौराहे पर डस्टबीन स्थापित करवाये गये। भैसरू कलां के ग्रामीण अपने वातावरण के लिए बहुत सजग है। गांव में ग्रामीण विकास युवा संघ पंचायत की सहयोगी ईकाई के तौर पर काम करते हुए गांव के लोगों से अनुदान लेकर गांव में पौधारोपण और सामाजिक कार्यो को बढ़ावा दे रहा है। और यदि वर्तमान संदर्भ की बात करे गांव का युवा संघ और गांव की सरपंच मीना देवी का सयुंक्त प्रयास है कि हर व्यक्ति एक पौधा रोपण करे और हर घर से एक रक्तदानी हो। पौधा रोपण और रक्त दान की इस पहल पर काम करते हुए लगभग छह सौ पौधे लगाये जा चुके है जो इस भीष्ण गर्मी में भी लहला रहे है क्योंकि गांव के युवा प्रतिदिन इन पौधों की सुरक्षा व देखरेख कर रहे।अपनी सांस्क्रतिक, सामाजिक, आर्थिक आदि योजानओं को अच्छे ढ़ंग से लागू करने के लिए वर्तमान सरंपच मीना देवी गांव के युवाओं के साथ बुर्जगों कर सलाह पर काम करते हुए गांव को विकास के पथ पर अनवरत रूप से आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। संक्षेप में इतना ही कहना काफी है कि गांव अपने आप में एक मिसाल है।

Population

Notable persons

Awards

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External Links

Reference


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