Dandak

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Dandakh (दांदक) Dandak (दांदक) Dandaka (दांदक) Dadak (दादक) are various names of gotra of Jats found in Rajasthan, Haryana and Madhya Pradesh. They fought Mahabharata War in Pandava's side

Origin

History

According to Rajatarangini[4]Dandaka was a very respectable man who was with the king Kalasha, father of Harsha (r.1089-1111 AD) king of Kashmir.

दंडक = दंडकवन = दंडकारण्य

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ... दंडक = दंडकवन = दंडकारण्य (AS, p.421): रामायण काल में यह वन विंध्याचल से कृष्णा नदी के कांठे तक विस्तृत था. इसकी पश्चिमी सीमा पर विदर्भ और पूर्वी सीमा पर कलिंग की स्थिति थी. वाल्मीकि रामायण अरण्यकांड 1,1 में श्री राम का दंडकारण्य में प्रवेश करने का उल्लेख है-- 'प्रविश्य तु महारण्यं दंडकारण्यमात्मवान् रामो ददर्श दुर्धर्षस्तापसाश्रममंडलम्'.

लक्ष्मण और सीता के साथ रामचंद्रजी चित्रकूट और अत्रि का आश्रम छोड़ने के पश्चात यहां पहुंचे थे. रामायण में, दंडकारण्य में अनेक तपस्वियों के आश्रमों का वर्णन है. महाभारत में सहदेव की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में दंडक पर उनकी विजय का उल्लेख है--'ततः शूर्पारकं चैव तालकटमथापिच, वशेचक्रे महातेजा दण्डकांश च महाबलः' महा. सभा पर्व 31,36

सरभंगजातक के अनुसार दंडकी या दंडक जनपद की राजधानी कुंभवती थी. वाल्मीकि रामायण उत्तरकांड 92,18 के अनुसार दंडक की राजधानी मधुमंत में थी. महावस्तु (सेनार्ट का संस्करण पृ. 363) में यह राजधानी गोवर्धन या नासिक में बताई है. वाल्मीकि अयोध्या कांड 9,12 में दंडकारण्य के वैजयंत नगर का उल्लेख है. पौराणिक कथाओं तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र में दंडक के राजा दांडक्य की कथा है जिनका एक ब्राह्मण कन्या पर कुदृष्टि डालने से सर्वनाश हो गया था. अन्य कथाओं में कहा गया है भार्गव-कन्या दंडका के नाम पर ही इस वन का नाम दंडक हुआ था.

कालिदास ने रघुवंश में 12,9 में दंडकारण्य का उल्लेख किया है-- 'स सीतालक्ष्मणसख: सतयाद्गुरुमलोपयन्, विवेश-दंडकारण्यं प्रत्येकं च सतांमन:'. कालिदास ने इसके आगे 12,15 में श्रीराम के दंडकारण्य-प्रवेश के पश्चात उनकी भरत से चित्रकूट पर होने वाली भेंट का वर्णन है जिससे कालिदास के अनुसार चित्रकूट की स्थिति भी दंडकारण्य के ही अंतर्गत माननी होगी. रघुवंश 14,25 में वर्णन है कि अयोध्या-निवर्तन के पश्चात राम और सीता को दंडकारण्य के कष्टों की स्मृतियाँ भी बहुत मधुर जान पड़ती थी-- 'तयोर्यथाप्रार्थितमिंद्रियार्थानासेदुषो: सद्मसु चित्रवत्सु, प्राप्तानि दुखान्यपि दंडकेषु संचित्यमानानि सुखान्यभूवन'.

रघुवंश 13 में जनस्थान को राक्षसों के मारे जाने पर 'अपोढ़विघ्न' कहा गया है. जनस्थान को दंडकारण्य का ही एक भाग माना जा सकता है. उत्तररामचरित में भवभूति ने दंडकारण्य का सुंदर वर्णन किया है. भवभूति के अनुसार दंडकारण्य जनस्थान के पश्चिम में था (उत्तररामचरित, अंक-1).

जर्तगण - त्रिगर्त

डॉ. धर्मचंद्र विद्यालंकार[6] ने लिखा है.... यास्काचार्य के पश्चात पाणिनि की अष्टाध्यायी ही हमारे पास एकमात्र शाब्दिक स्रोत इस विषय में है. जिसमें कुल्लू-कांगड़ा घाटी में उनकी संख्या पहले तीन त्रिगर्ता: तो बाद में वै छ: भी गिनाए गए हैं. इनका अपना एक गणसंघ भी [p.15]: था महाभारत ग्रंथ में भी विराटनगर (बहरोड) के पास त्रिगर्तों का निवास वर्णित है. संभवत: वर्तमान का तिजारा जैसा नगर ही रहा होगा.

'कितने पाकिस्तान' जैसी औपनान्याषिक रचना के कथाकार श्री कमलेश्वर ने भी उसी और स्पष्ट संकेत किया है. महाभारत में भी ऐसा एक प्रकरण आया है कि जब त्रिगर्त गणों ने अथवा जाटों के तीन कुलों ने विराटराज की गायों का अपहरण बलपूर्वक कर लिया था, तब वहीं पर छद्म वेशधारी अर्जुन ने अपने गांडीव नामक धनुष बाण से ही उन गायों को मुक्त कराया था. सभी वे तीन जाट जनगण के लोग राजभय से भयभीत होकर उत्तर पश्चिम की दिशा में प्रवास कर गए थे.

यह सुखद संयोग ही है कि बहरोड (विराटनगर) के ही निकट वर्तमान में भी एक सातरोड नामक गांव स्थित है, तो उसी नाम की एक खाप हांसी (असिका) नामक नगर के निकट उन्हीं लोगों की विद्यमान है. जिसका सामान्य सा नामांतरण भाषिक विकार या उच्चारण की भ्रष्टता के कारण सातरोड से सातरोल जैसा भी हो गया है. वहीं से राठी ही राष्ट्री या बैराठी का संक्षिप्त रूप धारण करने वाले वे लोग आगे हरियाणा के रोहतक (महम) और बहादुरगढ़ तक में भी पाए जाते हैं. संभवतः राठौड़ और रोड जैसे वंशज भी वही हों. वे पाणिनि मुनि के आरट्टगण भी संभव हैं.

पाणिनि जिन गण संघों की ओर इंगित करते हैं, उनमें दामला और दाण्डक (ढांडा) तथा कुंडू जैसे गणगोत्र वाची लोग भी हैं. वह हमें वर्तमान में भी कुरुक्षेत्र और कैथल जैसे जिलों में दामल और ढांडा एवं कुंडू जैसे कुलनामोंके साथ आबाद मिलते हैं. बल्कि ढांडा या दाण्डक लोगों का तो अपना एक बड़ा गांव या कस्बा ढांड के नाम से कैथल जिले में स्थित है तो बामल या बामला लोगों का भी अपना एक गांव भिवानी जिले में हमें मिलता है. हां कुंडू लोग उनसे थोड़े पीछे हिसार जिले के पावड़ा और फरीदपुर में बसे हुए हैं. उनके ये गांव शायद रोहतक के टिटौली गांव से ही निसृत हैं. तो पानीपत और पलवल जैसे जिलों में कुंडू जाटों के गांव आज भी आबाद हैं.

महर्षि पतंजलि जो कि ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के वैयाकरण हैं और जिन्होंने महाभाष्य जैसा महान पाणिनि की अष्टाध्यायी के सूत्रों की व्याख्या के लिए रचा है. वे पुष्यमित्र शुंग नामक क्षत्रिय वंश विनाश कर्त्ता, ब्राह्मण शासक किंवा पौराणिक परशुराम के ही राजपुरोहित और प्रधान अमात्य या महामंत्री भी थे. उन्होंने पाणिनि की अष्टाध्यायी में आगत जर्तों को वाहिक या पश्चिमी पंजाब का ही निवासी वहां पर बताया है. दूसरे, वे उन्हें अब्राह्मणिक और अराष्ट्रिक अथवा गणों में संगठित होने के ही कारण अराजक और बहुभाषी या विकट वाचाल भी बतलाते हैं.

यही घोर घृणा जर्तगणों के प्रति हमें महाभारत के उस कर्ण-पर्व में भी देखने को मिलती है, जिसके अनुसार अपना रथ कीचड़ में फसने पर कर्ण अपने सारथी शल्य के भी सम्मुख उन्हीं जर्तगणों की जमकर खिंचाई करते हैं. वह सब कर्ण के ब्याज से उनके मुख में विराजमान ब्राह्मण ही तो बोल रहा था. क्योंकि जब मद्रराज शल्य उससे यही पूछते हैं कि तुम्हें भला हमारे जर्तगणों के विषय में ऐसी घिनौनी सूचना किसने दी है, तो वह यही स्पष्ट कर देता है कि उधर वाहिक देश से आगत एक ब्राह्मण ने ही उसे यह ज्ञान दिया था. गणतंत्र की व्यवस्था के समर्थक होने से ही महाभारत में जाटों को ज्ञाति कहा गया है.

पश्चिमी पंजाब अथवा वर्तमान के पाकिस्तान से सिकंदर के आक्रमण के पश्चात ही ये त्रिगर्त और षष्टगर्त जनगण आगे पूर्वी पंजाब से भी दक्षिण में राजस्थान की ओर प्रस्थान कर गए थे. ऐतिहासिक अध्ययन से भी हमें यही ज्ञात होता है कि व्यास नदी और सतलुज के उर्वर अंतर्वेद में आबाद यही तीन जर्तगण - मालव, कठ और शिवी गण राजस्थान से गुजरकर ही मालवा और काठियावाड़ी भी गए थे. मालवगण ने ही प्रथम ईशा पूर्व में शकों को पराजित करके दशपुर या दशार्ण प्रदेश और विदिशा को अपने ही कुल नाम पर 'मालवा' नाम दिया था.

Distribution in Madhya Pradesh

Dandak (दांदक) Jats live in districts: Dhar, Indore, Narsinghpur, Bhopal and Ratlam

Locations in Dhar city

Prakash nagar,

Villages in Indore district

Indore, Manpur, Sherpur Indore,

Villages in Barwani district

Talun[7]

Villages in Narsinghpur district

Banskuari, Barman Kalan, Linga, Mainakar (Narsinghpur), Mainawari,

Villages in Bhopal district

Kachhi Barkheda, Nipania Jat (Bhopal), Raipur (Bhopal),

Villages in Ratlam district

Villages in Ratlam district with population of Dandak (दांदक) gotra are: Ratlam 1,

Villages in Dhar district

Dandak (दांदक) Jats live in Dhar.

Villages in Indore district

Ghatabillod, Manpur,

Villages in Khargone district

Khargone, Mangariya,

Villages in Gwalior district

Lashkar (Gwalior), Sekra,

Villages in Datia district

Khadaua, Kulenth, Pachokhara Datia, Nogawan,

Distribution in Haryana

Villages in Bhiwani district

Mandholi Kalan[8]

Distribution in Rajasthan

Villages in Dholpur district

Garhi Jakhoda,

Notable persons

  • Ram Singh Dandak (ठाकुर रामसिंह ) from Pachokhara, Datia, Madhya Pradesh, was a social worker and freedom fighter. ठाकुर रामसिंह जी - [पृ.555]: दतिया राज्य की सेवड़ा तहसील में पचोखरा गांव में ठाकुर रामसिंह जी की जन्म भूमि है। गोत दांदक है। आप एक धनवान जमीदार हैं और कौम के कामों से हित रखते हैं। आप की अवस्था लगभग 42 साल है। आपके पिता ठाकुर कमोदसिंह जी थे। [9]
  • ठाकुर गणेशसिंह – [पृ.556]: दतिया राज्य की सेवड़ा तहसील में खड़ऊआ नाम के गांव में दांदक गोत्र के ठाकुर गणेशसिंह जी एक प्रसिद्ध जाट सरदार हैं। अवस्था आपकी लगभग 50 साल होगी। इसी गांव में इसी गोत्र के दूसरे जाट सरदार ठाकुर भवानीसिंह जी के सुपुत्र ठाकुर चित्तर सिंह जी हैं। आपकी उम्र 25 साल के आसपास है। दोनों ही संपन्न आदमी हैं।[10]
  • Leela Dhar Dandak - From Dhar, Editor Jat Vaibhav Smarika Khategaon, 2010. Address - Prakash Nagar, Manpur House, Dhar. Mob:9425046425: श्री लीलाधर दांदक मूलरुप से ग्राम मानपुर तहसील महू जिला इंदौर के निवासी हैं । आपके पिता जी स्व. श्री कृपाराम जी दांदक थे । स्व श्री कृपाराम जी लोक निर्माण विभाग में ओव्हरसियर (उप यंत्री ) थे । एल.एल.बी.तक शिक्षित श्री लीलाधर पहले जिलाध्यक्ष कार्यालय धार में सेवारत थे । बाद में आपने शासकीय सेवा से त्याग पत्र देकर वकालत का पेशा चुना । वर्तमान में आप धार में वकालत करते हैं । आपकी पत्नी धार में उच्च श्रेणी शिक्षक हैं ।
  • Sardar Singh Dandak - Dhar, MP आप स्व ठाकुर बद्री सिंह दांदक के बड़े सुपुत्र हैं । ठाकुर बद्री सिंह एक सम्पन् किसान परिवार से थे । आपके पास लगभग 900,बीघा कृषि भूमि थी । श्री सरदार सिंह जी के दो पुत्र हैं । बड़े पुत्र श्री हरदेव सिंह जाट हैं । ये घाटाबिल्लोद धार क्षेत्र के बड़े व्यवसायी हैं । धार जिला कांग्रेस के पदाधिकारी रहे हैं । क्षेत्र में आपका अच्छा नाम है । इनके दूसरे बेटे श्री संतोष सिंह जाट हैं । इनका व्यवसाय भी बिजनेस है। स्व श्री बद्री सिंह जी के छोटे बेटे श्री राज कुमार सिंह (काका जी) है ।आपका घाटाबिल्लोद और इंदौर में बिजनेस है । आप मृदुभाषी और व्यवहार कुशल व्यक्ति हैं ।
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References


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