Deo Karan

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Deo Karan from village Palota (Jhunjhunu), was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.

जीवन परिचय

सन 1925 में पुष्कर सम्मलेन के पश्चात् शेखावाटी में दूसरी पंक्ति के जो नेता उभर कर आये, उनमें आपका प्रमुख नाम हैं [1]

पुष्कर ले लौटने के बाद बगड़ में जाट पंचायत की स्थापना की गयी. प्रचार के लिए भजनोपदेशकों की टोलियाँ तैयार की गयी. अनपढ़ समाज पर भजनोपदेशकों के गीतों का चमत्कारिक प्रभाव पड़ा. भजनोपदेशक अन्य राज्यों से भी आये थे और स्थानीय स्तर पर भी तैयार हुए. पंडित दत्तुराम, भोलासिंह, चौधरी घासीराम, पृथ्वी सिंह बेधड़क, हुकमीचंद, मनसाराम आदि कलाकारों ने गाँव-गाँव को गीतों से गूंजा दिया. स्थानीय स्तर पर मोहरसिंह, सूरजमल साथी, हनुमानदास, बस्तीराम, देवकरण पालोता, तेज सिंह भडुन्दा, गनपतराम महाशय आदि भजनोपदेशक तैयार हो गए. शेखावाटी के ग्रामीण अंचलों को जगाने का श्रेय इन्ही भजनोपदेशक को जाता है. 1925 में झुंझुनू जिले के हनुमानपुरा और कुहाडवास में जन सहयोग से स्कूल खोली गयी. उत्तर प्रदेश के शिक्षक हेमराज सिंह कुहाडवास में और चंद्रभान सिंह हनुमानपुरा में पढ़ाने लगे. इसी क्रम में आगे चलकर कूदन, पलथाना, कटराथल, मांडासी आदि गाँवों में स्कूल खोली गयी. खंडेलावाटी में चौधरी लादूराम रानीगंज ने आर्थिक भार वहन कर शिक्षा की जोत जगाई. शेखावाटी में जनसहयोग से करीब 30 स्कूल खोली गयी. (राजेन्द्र कसवा, p. 100)

References

  1. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 100

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