Ghatayan

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Ghatayan (घटायन) is a village in Khatauli tahsil in Muzaffarnagar district in Uttar Pradesh. It is head village of Pachas Khap.[1]

Location

इस के दो भाग है- घटायन उत्तरी, घटायन दक्षिणी,

History

घटायन के तोमर जाटों का इतिहास

इंद्रप्रस्थ दिल्ली पर पांडव वंशज जाटों का इतिहास में सबसे अधिक समय तक शासन रहा है।इतिहास में यह जाट राजवंश अर्जुनायन, पांडव कभी कौन्तेय व 8 वी सदी से तोमर(तंवर) नाम से प्रसिद्ध रहा है। दिल्ली पर जब गुलाम वंश का शासन स्थापित हो चुका था। उस समय भी तोमर जाटों के लालकोट के पास सैकड़ो गांव आबाद था। उनमें से कुछ गांव सल्तनत काल ,मुगलकाल व अंग्रेज़ी काल मे सत्तासीन अत्याचारी शासकों के खिलाफ विद्रोही बनकर विस्थापित हो गए थे।

दिल्ली के लालकोट महरौली के दो भाई कर्मसिंह तोमर व धर्मसिंह तोमर थे। यह मुगल बादशाह हुमायूं के लिए चुनोती बने हुए थे। यह बहादुर लोग मुस्लिम शासकों से संघर्ष करते हुए यहां से 13 वी सदी के प्रारंभ में विस्थापित होकर घटायन गांव के निकट आबाद हुए

कुछ समय बाद बड़े भाई कर्मसिंह ने बिजनोर जिले में पठानों को मारकर घनसुदपुरपीपली जाट गांव बसाया था।

छोटा भाई धर्मसिंह घटायन (बलोच व पठानों की बस्ती के निकट) के निकट बसा जिस जगह धर्मसिंह रुके उस स्थान को तोमरो के निवास के कारण तोमरलेहड़ी बोला गया बाद मे नाम अपभ्रंश होकर के आज तुलहेड़ी बोला जाता है वहा की जमीन रेतीली थी और जो आज घाटायन है उसका पूर्व में घाट नाम था जिसमे मुस्लिम रहते थे। धर्म सिंह के तीन बेटे और एक बेटी थी। बड़े बेटे नेमसिंह मंझले तेज सिंह और छोटे मदन सिंह

एक बार की बात है वहा के मुस्लिम काजी के बेटे की भैंस खुल गयी और वो उसपे पकड़ी नहीं जा रही थी तो कुवे से धर्म सिंह की बेटी पानी भर रही थी उसने देखा ये परेशान है तो उसकी रस्सी पर पैर रख दिया भैंस वही रुक गयी ये देख कर वो लड़का अचंभित हुवा की इसमें इतनी जान है हो इससे बच्चे पैदा होंगे कितने बलवान होंगे उसने अपने अब्बा से सारी बात बताई और अपनी शादी उस से कराने को कहा उसके अब्बा ने धर्म सिंह को बुलाया और सारी बात बताईन और कहा की या तो खुशी खुशी शादी कर दो नहीं तो जबरदस्ती उठा लेगे क्योंकि पूरा गाँव मुसलमानो का था

इससे धर्म सिंह सोच मे पड़ गये और उन्होंने कुछ समय मांग लिया अब बड़े भाई गंगा पार थे और बाकि के वंशज दिल्ली ,बागपत,मथुरा या अलीगढ़ थे अब करे तो क्या करे उन्होंने अपनी बेटी का रिश्ता मेरठ के पास पवाँर गोत्र मे किया था। नजदीक होने के कारण वे वहा चले गये और सारी आप बीती बताई तोमर व पंवार जाटों ने मिलकर मुस्लिमो से युद्ध की तैयारी शुरू कर दी सर्वखाप रिकॉर्ड में इस युद्ध को आसोज माह में होना लिखा है।

इस समय दीपावली का त्यौहार भी पास ही थी। तो जाट मल्ल यौद्धाओं ने सोचा वहा जाके क्या हो पता नही हम वीरगति को प्राप्त हो जाए इसलिए परिवार के साथ गोवर्धन पूजा करके चलते है इसलिए आज भी 15 दिन पहले गाँव दक्षिणी घटायन में गोवर्धन पूजा होती है।

जाट यौद्धा रण के लिए तैयार थे। युद्ध की व्यूह रचना हो चुकी थी। बलोच व पठान मुस्लिम अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर बारात लेकर अपने काल जाटों की तरफ बढ़े आ रहे थे।

दोनों पक्षो में घनघोर युद्ध होने लगा एक पहर बीतने से पहले ही जाटों ने अधिकांश मुस्लिम सेना को नरक के द्वार पहुँचा दिया था। ऐसे हीं करके सब खत्म कर दिये पर दूल्हा बच भागा जिसको पकड़ के गाँव के बाहर पुजाये मे मारा तब से एक कहावत चली की इसका पूंजा हीं मेट दिया इस गाँव की एक पठान मुस्लिम औरत अपने पीहर मे गई हुई थी। उसके पठान मुस्लिम औरत के बच्चे मवाने के पास सटला गांव में बसे हुए है। जो की आज भी घाटायन से नफ़रत करते है की इन्होने हमारे पूर्वज मारे थे.जब सब मुस्लिम मारे गये तो तोमर जाटों ने अपनी लड़की की पंवार जाटों में शादी की और आधा गाँव दहेज मे पवारों को दे दिया गया और उनको यही बसा लिया

आज आधे गाँव मे तोमर है और आधे मे पवार है। घाटायन मे उत्तरी और दक्षिणी के नाम से जाना जाता है उत्तरी को रोजी पट्टी दक्षिणी को जैनी पट्टी भी कहते है दो प्रधान बनते है गाँव मे धर्म सिंह से तीन बेटे थे जिनके नाम से तीन पट्टी बानी नेम सिंह से नीमड़े तेज सिंह से तिहाई और मदन सिंह से मधने

इस गाँव का नाम घाट था तो ये घट के दोबारा बसाया गया जिसको घटायन बोला गया ।

इतिहास स्त्रोत

  • मनदीप सिंह घटायन
  • मानवेंद्र सिंह
  • सर्व खाप इतिहास
  • पांडव गाथा

पचास खाप

44. पचास खाप - यह 50 गांव की खाप है जो जनपद मुजफ्फरनगर में आती है. घटायन गांव इस खाप का मुख्यालय है.[2]

Population

Jat Gotras

Notable persons

External links

References


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