Gopal Singh Fogawat

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Gopal Singh Fogawat

Gopal Singh Fogawat (25.11.1970-5.4.2006) (अमर शहीद श्री गोपाल फोगावट), a popular social worker and Ex. President of Jat Mahasabha, Sikar, was murdered on 5 April 2006. [1]. He was from village Tasar Chhoti in Sikar tahsil of district Sikar in Rajasthan.

परिचय

जन्म- 25 नवम्बर 1970 ।

पिताजी - श्री हरदेवाराम फोगावट

माताजी - रामकुंवरी देवी ।

पत्नी- शांति देवी ।

भाई - रिछपाल फोगावट, बनवारी फोगावट ।

संतान- पुत्र महेश (क्लर्क), पुत्र विजेन्द्र (एयरफोर्स), पुत्री पूनम ।

पता- मु/पो - तासर छोटी, तह/जिला- सीकर ।

शहादत- 5 April 2006 ।


शिक्षा

प्राथमिक शिक्षा गाँव तासर छोटी से ही पूर्ण की तथा उच्च प्राथमिक शिक्षा बागरिया बाल विधा मंदिर, लक्षमणगढ से पूर्ण की । तत्पश्चात करणपुर (श्री गंगानगर) से उच्च शिक्षा पूरी की । इसी दौरान आप आर.एस.एस. से जुड़े । उसके बाद सीकर से नर्सिंग की व SK महाविद्यालय में प्रवेश लिया ।

सरकारी सेवा

बतौर मेल नर्स साल 1994 में आपको प्रथम पोस्टिंग नागौर जिले के डेगाना मिली । लेकिन एक साल में ही वापिस सीकर चले गये और सीकर के SK हॉस्पिटल में लगे ।

समाजसेवी के रूप में

SK हॉस्पिटल में लगने को पश्चात तो गौपाल जी ने अपना जीवन समाज को समर्पित कर दिया । दूर दराज के गाँवों से आने वाले लोग सबसे पहले उन्हीं से मिलते थे । रौब इतना था कि डॉ. भी खौफ खाते थे । एक बार तो व्यस्तता का बहाना बनाकर एक डॉ. ने किसी गरीब को देखने से मना कर दिया था तो उसे कॉलर पकड़ कर हॉस्पिटल लेकर आये । बाद में उस डॉ ने सबसे माफी मांगी । श्री फोगावट ने अपनी तनख्वाह का एक भी पैसा घर में नहीं दिया । सारा पैसा मरीजों को फल वितरण करने व गरीबों का ईलाज कराने में लगा देते थे । कई कई बार तो उलटा अपने परिवार वालों से पैसा ले आते थे गरीबों का ईलाज करवाने के लिए ।

इसके अलावा उन्होंने सैंकडो बार ब्लड डोनेशन के कैंप लगवाकर हजारों युनिट ब्लड एकत्रित किया । कहते हैं ना कि डॉक्टर भगवान होते है, सही कहते है । इस बात का जीवंत उदाहरण श्री फोगावट जी थे । इस तरह आम जनता मे उनकी छवि एक दमदार व्यक्ति की बन गई थी ।

जन नेता

श्री फोगावट जी आम जनता के मसीहा कहे जाने लगे थे । आकर्षक व्यक्तित्व के साथ एक तेज-तर्रार वक्ता के रूप में उनकी छवि आज भी अमिट है । जिस जाट महासभा ने आजादी से पहले शेखावाटी में जाग्रति का शुभारंभ किया था वह महासभा इस समय मरी पडी थी । महसभा ने उस समय सीकर अध्यक्ष के लिए फोगावटजी का चयन किया औऱ इस तरह सीकर जाट महासभा फिर से जीवंत हो उठी । श्री फोगावट जी ने एक साल के भीतर ही 10 बड़ी जाट सभाएं आयोजित कर मार्शल कौम जाटों की ताकत से सबको रूबरू करवा दिया । जाट छात्रावास फिर से भरने लगे और जाट किसानों के बेटों का खूब सहयोग किया । इसके अलावा सीकर में नियमित रूप से RSS की शाखा का संचालन भी करते रहे और फिर धीरे-धीरे शाखा को गाँवों की मिट्टी तक खींच ले गये । केवल जाट समाज ही नहीं बल्कि सर्वसमाज में उनकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा थी । सन् 2005 के पंचायती राज चुनावों में सुभाष महरिया, प्रेमसिंह बाजौर व अमराराम कॉमरेड का एक भी आदमी चुनाव जीत नहीं पाया और राजनेताओं की नींद उड़ गयी । सीकर शहर का जन-जन उनका दीवाना था । हो भी क्यों नहीं, क्योंकि फोगावटजी ने हर गरीब को अपना भाई मानकर सेवा की थी ।

गौपाल फोगावट हत्याकांड

उनकी अपार लोकप्रियता ही इसका कारण बनी थी । रामनवमी के एक दिन पहले की बात है । उनके ससुराल तासर बडी में शादी समारोह था । जिसमें जाने के लिए पहली बार उन्होंने सूट बनवाया था । वरना तो हमेशा सफेद कुर्ता-पजामा ही पहनते थे । SK हॉस्पिटल के दक्षिण में स्थित 7 स्टार टेलर्स पर वे सूट लेने गये । दुश्मन वहां पहले ही आसपास मौजूद थे । दुकान के अंदर चैंजींग रूम में सूट पहन के देख रहे थे, तभी बलवीर बानूडा व उसके साथियों ने वहां आकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू करदी । श्री फोगावट के 8 गोलियाँ दागी और भाग गये । लेकिन वे मरे नहीं थे । बलवीर बानूडा ने वापिस आकर उनके सिर पर दो गोलियाँ ओर मारी । इस तरह सीकर का महान तपस्वी शहीद हो गया ।

हत्याकांड के पश्चात

उनके शव का पोस्टमार्टम कर जाट हॉस्टल में दर्शनाथ हेतु रखा गया । हजारों की संख्या में जमावड़ा लगा था । पूरा सीकर उस दिन बंद रहा और लोगों के आँसू नहीं थम रहे थे । उनकी शवयात्रा लगभग 11 किमी निकाली गई और लोगों ने पुष्पवर्षा कर शहीद को अंतिम विदाई दी । उनके अंतिम संस्कार में 25000 लोग सम्मिलित हुए थे । जब आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो जाट सड़कों पर आ गये ।

14 जून को सीकर में जाटों ने महारैली निकाली जिसमें राजस्थान के कई बडी जाट हस्तियां सम्मिलित हुई ।

16 जून से स्व. जीवण गोदारा Jeevan Godara (इनकी भी 10 दिन बाद हत्या कर दी गई) के नेतृत्व में कोर्ट के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू हुआ ।

इस हत्याकांड में 16 जनों को उम्रकैद की सजा मिली और मुख्य आरोपी बलवीर बानूडा मारा जा चुका है ।

शहादत के पश्चात

4 अप्रेल सन् 2013 में श्री फोगावट के नाम पर 'अमर शहीद गोपाल फोगावट' प्रन्यास की आधारशिला रखी गई । जिसके अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र धाबाई (skin specialist) है।


इस तरह एक कर्मदूत समाजसेवा में शहीद हो गया । वास्तव में फोगावटजी एक महान शख्सियत थी । सीकर की जनता आज भी उस चेहरे को नहीं भूल पाई है । अपनी सम्पूर्ण जीवन उन्होंने परसेवा को समर्पित किया था । उनके रहते सीकर में कोई भी गरीब पैसों के अभाव में ईलाज से नहीं मरा । स्वंय समय के पाबंद थे और उनकी प्रेरणा से समस्त अस्पताल प्रशासन भी इसी राह पर रहे ।

"मिटती नहीं हस्ती उनकी,
जो परसेवा में बलिदान हुए,
शहादत उनकी अनमोल है,
हंसते हंसते जो कुर्बान हुए,"


एक ऐसा क्रांतिकारी पुरूष जिसने अपनी विचारधारा को नया मुकाम दिया और आज भी शेखावाटी सीकर के युवा उस विचारधारा, उस सोच को सीने से लगाये बैठा है ।


अमर शहीद श्री गोपाल फोगावट (Gopal Singh Fogawat) - समाजसेवा में एक ना भूलाये जाने वाला नाम..


लेखक

सन्दर्भ

  1. Jat Samaj, Agra, April-2006

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