Gulab Singh Burrak

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Gulab Singh Burrak

Gulab Singh Burrak (1916-2007) (गुलाबसिंह बुरड़क), original name Dani Ram, was freedom fighter from village Lalhana, PO: Golagarh, District:Bhiwani, Haryana. His son Jagan Singh Burrak (Born:29.9.1938) is Retd. Subedar (Mob:09255346158), who is presently residing at H.No. 3057, Sector-13, Bhiwani, Haryana.

Career

In his early days Dani Ram was staying with his maternal uncle Lekh Ram Punia of village Bislan, tahsil Rajgarh of Churu district in Rajasthan. Dani Ram in the name of Gulab Singh as son of Lekh Ram joined the British Army.

Gulab Singh Burrak joined '1 Jat Regiment' of the British Army (as INA) on 20.11.1940 at the age of 24 and immediately after his joining the Army he helped Indian National Army under the leadership of Subhash Chandra Bose. He had to face the Red Fort Trial of conspiracy against the Nation. He was imprisoned at Rad Fort. Pt Jawahar Lal Nehru fought the case and the Nationalists were freed. He was discharged from the British Army on 25.4.1946.

Again on 4.3.1947 he joined Indian Army in A.S.C. in the name of Dani Ram S/O Moti Ram Burdak of village Lalhana in Bhiwani district Haryana. He retired from Army on 2.5.1968 as Hon. Nb Subedar.

He died on 10.8.2007.

गुलाबसिंह बुरड़क का जीवन परिचय

गुलाबसिंह बुरड़क का जन्म वर्ष 1916 में हरयाणा के भिवानी जिले के गाँव लालहाना में हुआ। इनका मूल नाम दानाराम था। इनके पिता का नाम मोती राम था। आप वर्ष 1940 में 24 वर्ष की उम्र में 1 जाट रेजिमेंट पलटन में भरती हुये। आपने वर्ष 1942 में सुभाष चन्द्र बोस की पुकार पर आजाद हिन्द फ़ौज का साथ दिया। इस कदम पर अंग्रेज हुकूमत नाराज हो गयी तथा इन को फांसी लगाने के इरादे से लाल किले की जेल में बंद कर देश-द्रोह का मुकदमा चलाया। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस मुकदमें की पैरवी की। यह पाया गया कि इन्होने हिन्दुस्तान के हित के विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया परन्तु यह कदम देश-भक्ति से प्रेरित होकर अंग्रेज सरकार की खिलाफत की। इस पर फांसी की सजा माफ़ हो गयी परन्तु 25.4.1946 को सेना से निकाल दिया गया.

आप फिर से 4.3.1947 को अपने मूल नाम दानाराम पुत्र मोतीराम बुरड़क से आर्म्ड सप्लाई कोर सेना में भरती हो गये. सेना से आप सन 2.5.1968 में सेवा निवृत हुये. आपको दो पेन्सन प्राप्त होती हैं- स्वतंत्रता सेनानी पेन्सन तथा सेना की नायब सूबेदार पद से सेवा निवृति के उपलक्ष में।

देहांत

आप का देहांत सन 10.8.2007 में गाँव लालहाना में हुआ.

गुलाबसिंह बुरड़क का परिवार

गुलाबसिंह बुरड़क के दादा डालूराम लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व राजस्थान में सीकर जिले में स्थित पिपराली गाँव से आकर भिवानी तहसील (हरयाणा) के गाँव लालहाना में बस गये. डालू राम के पुत्र मोती राम (पत्नी कम्मा जाखड) के दो पुत्र हुए:

1. हर नाम (पत्नी भूरी कादयान), जिनके दो पुत्र हुए नरेन्द्र (पत्नी सुलोचना भामू) और होशियार (पत्नी कमलेश भामू)
2. दाना राम उर्फ़ गुलाब सिंह (पत्नी पातो पूनिया गाँव बिसलान चुरू )

दानाराम उर्फ़ गुलाबसिंह बुरड़क के दो पुत्र हुए

1. बदलू राम (पत्नी सरबती जनेवा गाँव.....?), जिनके तीन पुत्र हुए - मुख्तार (पत्नि रामरति सिवाच) , जिले सिंह (पत्नी संतरा सिवाच) और जगवीर (पत्नि निर्मल सांगवान)
2. जगन सिंह (पत्नी किताब कौर महला गाँव:मंढौली खुर्द)

जगन सिंह के पुत्र हैं - दुली चंद (पत्नी शर्मीला सहरावत)

जगन सिंह बुरडक

जगन सिंह बुरडक का जन्म 29 सितम्बर 1938 को गाँव लालहाना जिला भिवानी (हरयाणा) में हुआ। आपने शासकीय हाई स्कूल दादरी से मेट्रिक पास किया और 29 जनवरी 1959 को सेना के EME ट्रेड AA (Gun) में भर्ती हो गये. 20 अगस्त 1985 को सेवा निवृत हो कर गाँव लालहाना में सामाजिक कार्यों में व्यस्त है।

References

Gulab Singh Burrak's son Jagan Singh Burrak (Born:29.9.1938) is Retd. Subedar (Mob:09255346158), who is presently residing at H.No. 3057, Sector-13, Bhiwani, Haryana. Jagan Singh Burdak is the source of all these information.


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