Illa

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Genealogy of Ila

Illa (इला) or Ila (इला) was daughter of Vaivasvata Manu (वैवस्त मनु) who married to Budha and got son Pururava.


इला के ऐलवंश का विस्तार

पुस्तक का नाम - हरयाणे के वीर यौधेय - पृष्ठ १७१-१७५

लेखक - स्वामी ओमानन्द सरस्वती


अत्रि
प्रजापति (चन्द्र - सोम)
बुध
(इसका विवाह मनु की कन्या इला से हुआ)
पुरुरवा ऐल
(इससे ऐल वंश की प्रसिद्धि हुई)


ताण्ड्य ब्राह्मण (३४-१२-६) में सौमायनो बुधः सोम प्रजापति का पुत्र बुध था, ऐसा लिखा है ।


सोमः प्रजापतिः पूर्वं कुरूणां वंशवर्द्धनः ।

सोमाद् बभूव षष्ठोऽयं ययातिर्नहुषात्मजः ॥

(महाभारत उद्योगपर्व १४९-३)

सबसे पहले प्रजापति सोम कौरव वंश की वृद्धि के आदि कारण हैं । सोम की छठी पीढ़ी में नहुषपुत्र ययाति का जन्म हुआ ।

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ययाति के पांच पुत्र हुए, जिनके विषय में महाभारत में लिखा है -


तस्य पुत्रा बभूवुर्हि पञ्च राजर्षिसत्तमाः ।

तेषां यदुर्महातेजा ज्येष्ठः समभवत्प्रभुः ॥४॥

पूरुर्यवीयांश्‍च ततो योऽस्माकं वंशवर्धनः ।

शर्मिष्ठया सम्प्रसूतो दुहित्रा वृषपर्वणः ॥५॥

(उद्योगपर्व अ० १४९)

ययाति के पांच पुत्र हुए, जो सबके सब श्रेष्ठ राजर्षि थे । उनमें महातेजस्वी तथा शक्तिशाली पुत्र यदु थे और सबसे छोटे


पुत्र का नाम पुरु था, जिन्होंने हमारे इस वंश की वृद्धि की है । वे वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा के गर्भ से उत्पन्न हुये थे ।


यदु देवयानी के पुत्र थे और महातेजस्वी शुक्राचार्य के दौहित्र थे । वे यदुवंश के प्रवर्तक थे, वे मन्दबुद्धि और बड़े अभिमानी थे, उन्होंने समस्त क्षत्रियों का अपमान किया था । वे अपने पिता वा भाइयों का भी अपमान करते थे, इसलिए इनके पिता ययाति ने कुपित होकर इन्हें राज्य से भी वञ्चित कर दिया था । यदु के जिन भाइयों ने उनका साथ दिया था, ययाति ने उन अन्य पुत्रों को भी राज्याधिकार से वञ्चित कर दिया ।


यवीयांसं ततः पूरुं पुत्रं स्ववशर्त्तिनम् ।

राज्ये निवेशयामास विधेयं नृपसत्तमः ॥

एवं ज्येष्ठोऽप्यथोत्सिक्तो न राज्यमभिज्ञायते ।

यवीयांसोऽपि जायन्ते राज्यं वृद्धोपसेवया ॥१२-१३॥

तदनन्तर अपने अधीन रहने वाले आज्ञापालक छोटे पुत्र पुरु को नृप श्रेष्ठ ययाति ने राजगद्दी पर बिठाया । इससे यह सिद्ध है कि ज्येष्ठ पुत्र भी यदि अहंकारी हो तो उसे राज्य की प्राप्ति नहीं होती और छोटे पुत्र भी वृद्ध पुरुषों की सेवा करने से राज्य पाने के अधिकारी हो जाते हैं ।


इस प्रकार पुरु से कौरव पाण्डवों का वंश चला है । यदु से योगिराज श्रीकृष्ण जी आदि का वंश चला है । ययाति के एक पुत्र अनु से अनेक प्रसिद्ध गणराज्यों का वंश चला है ।


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इस प्रकार मनु की कन्या इला, जिसका विवाह प्रजापति सोम के साथ हुआ था, उससे सोलहवीं पीढ़ी में राजा नृग का पुत्र और उशीनर का पौत्र यौधेय गणराज्य का संस्थापक यौधेय नाम का राजा हुवा । यह वंश प्रजापति सोम (चन्द्र) के कारण चन्द्रवंश कहलाया । सूर्यवंश मनु के पुत्रों से चला और चन्द्रवंश उसकी कन्या इला से चालू हुवा । इस प्रकार क्षत्रियों के दोनों प्रसिद्ध सूर्य और चन्द्रवंश मनु से ही सम्बन्ध रखते हैं । इस भांति


यौधेयों के पूर्वजों में मनु पुरूरवा, ययाति, उशीनर और नृगादि बडे़-बड़े राजा हुए हैं । इसी वंश में यौधेयों के चचा शिवि औशीनर के सुवीर, केकय और मद्रक - इन तीन पुत्रों से तीन गणराज्यों की स्थापना हुई । इसी प्रकार इनके चचेरे भाई सुव्रत के पुत्र अम्बष्ठ ने एक गणराज्य की स्थापना की । यदुवंश भी यौधेयों के वंश की एक शाखा है । इस प्रकार पुरुषोत्तम राम, योगिराज श्रीकृष्ण और कौरव तथा पाण्डव भी यौधेयों की शाखा प्रशाखाओं में आये हुए हैं ।


Jat Gotras from Ila



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