Madhuvana

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Madhuvana (मधुवन) was a dense forest in ancient northern India, west of Yamuna.

Origin

Variants

History

According to the Ramayana, an Asura named Madhu, ruled this forest and its territory. He was defeated by Shatrughna one of the brothers of king Raghava Rama of Kosala. Shatrughna later cleared this forest and built a city called Mathura here. This later became the capital of Surasena Kingdom as in the epic Mahabharata. Yadava kings Ugrasrena and Kamsa ruled from geographic information.

According to the Harivamsa (95.5242-8), a Yadava king Madhu, the descendant of Yadu ruled from Madhuvana. Rama's brother Shatrughna killed the Madhava Lavana, a descendant of Madhu, cut down the Madhuvana forest and built Mathura city there. After the death of Rama and his brothers, Bhima, son of Satvata, a descendant of Madhu recovered the city.[1]

मधुवन

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...मधुवन (AS, p.707) : 1. वाल्मीकि रामायण, सुंदरकांड 62,31 के अनुसार वानर राज सुग्रीव का प्रिय वन—‘इष्टं मधुवनं ह्येतत् सुग्रीवस्य महात्मनः, पितृपैतामहं दिव्यं देवैरपि दुरासदम्’. हनुमान तथा उनके साथियों ने सीता का पता लगाने की खुशी में इस वन के वृक्षों पर खूब खेल कूद मचा कर उन्हें नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था. इस बात से सुग्रीव को सूचना मिल गई कि सीता का पता लग गया है. एक किवदंती के अनुसार मैसूर राज्य में स्थित है रामगिरि सुग्रीव का मधुवन है. यह स्थान बंगलोर-मैसूर रेल पथ के मद्दर स्टेशन से 12 मील दूर है.

2. मधुपुरी या मथुरा के पास स्थित एक वन था, जिसका स्वामी मधु नाम का दैत्य था। मधु के पुत्र लवणासुर को अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र तथा श्री राम के भाई शत्रुघ्न ने विजित किया था। इस वन का उल्लेख वाल्मीकि रामायण उत्तरकाण्ड 67,13 में इस प्रकार है—‘तमुवाच सहस्राक्षो लवणो नाम राक्षसः, मधुपुत्रो मधुवने न ते ऽ ऽज्ञां कुरुते ऽनघ’. विष्णुपुराण में भी यमुना तटवर्ती इस वन का वर्णन है- 'मधुसंज्ञ महापुण्यं जगाम यमुनातटम्, [p.708]: पुनश्च मधुसंज्ञेन दैत्यानाधिष्ठितं यत:, ततो मधुवनं नाम्ना ख्यातमत्र महीतले' (विष्णुपुराण 1,12,2-3). विष्णुपुराण 1,12,4 से सूचित होता है कि शत्रुघ्न ने मधुवन के स्थान पर नई नगरी बसाई थी- 'हत्वा च लवणं रक्षो मधुपुत्रं महाबलम्, शत्रुघ्नो मधुरां नाम पुरींयत्र चकार वै'. हरिवंशपुराण 1,54-55 के अनुसार इस वन को शत्रुघ्न ने कटवा दिया था- 'छित्वा वनं तत् सौमित्रि:...’. पौराणिक कथा के अनुसार ध्रुव ने इसी वन में तपस्या की थी।

प्राचीन संस्कृत साहित्य में मधुवन को कृष्ण की अनेक चंचल बाल-लीलाओं की क्रीड़ा-स्थली बताया गया है। यह गोकुल या वृन्दावन के निकट कोई वन था। आजकल मथुरा से साढ़े तीन मील दूर महोली मधुवन नामक एक ग्राम है। पारंपरिक अनुश्रुति में मधु दैत्य की मथुरा और उसका मधुवन इसी स्थान पर थे. यहां लवणासुर की गुफा नामक स्थान है जिसे मधु के पुत्र लवणासुर का निवास स्थान माना जाता है. (देखें मथुरा)

महोली

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...महोली (AS, p.731), जिला मथुरा, उ.प्र. में मथुरा से लगभग 3-1/2 मील दूर दक्षि-पश्चिम की ओर स्थिति है. यह ग्राम वाल्मीकि रामायण में वर्णित मधुपुरी के स्थान पर बसा हुआ है. मधुपुरी को मधु नामक दैत्य ने बसाया था. उसके पुत्र लवणासुर को शत्रुघ्न ने युद्ध में पराजित कर उसका वध कर दिया था और मधुपुरी के स्थान पर उन्होंने नई मधुरा या मथुरा नगरी बसाई थी. महोली ग्राम को आजकल मधुबन-महोली कहते हैं. महोली मधुपुरी का अपभ्रंश है. लगभग 100 वर्ष पूर्व इस ग्राम से गौतम बुद्ध की एक मूर्ति मिली थी. इस कलाकृति में भगवान को परमकृशावस्था में प्रदर्शित किया गया है. यह उनकी उस समय की अवस्था का अंकन है जब बोधगया में 6 वर्षों तक कठोर तपस्या करने के उपरांत उनके शरीर का केवल शरपंजर मात्र ही अवशिष्ट रह गया था.

External links

References

  1. Pargiter, F.E. (1972). Ancient Indian Historical Tradition, Delhi: Motilal Banarsidass, p.170.
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.707
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.731