Mahabala

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Mahabala (महाबल) was primeval man of Dhaulya clan of the famous folk deity Tejaji.

Genealogy of Mahabala

Mansukh Ranwa[1] has provided the Genealogy of Dhaulya rulers. The primeval man of their ancestry was Mahābal, whose descendants and estimated periods calculated @ 30 years for each generation are as under:

  • 1. Mahābal (महाबल) (480 AD)
  • 2. Bhīmsen (भीमसेन) (510 AD)
  • 3. Pīlapunjar (पीलपंजर) (540 AD)
  • 4. Sārangdev (सारंगदेव) (570 AD)
  • 5. Shaktipāl (शक्तिपाल) (600 AD)
  • 6. Rāypāl (रायपाल) (630 AD)
  • 7. Dhawalpāl (धवलपाल) (660 AD)
  • 8. Nayanpāl (नयनपाल) (690 AD)
  • 9. Gharṣanpāl (घर्षणपाल) (720 AD)
  • 10. Takkapāl (तक्कपाल) (750 AD)
  • 11. Mūlsen (मूलसेन) (780 AD)
  • 12. Ratansen (रतनसेन) (810 AD)
  • 13. Śuṇḍal (सुण्डल) (840 AD)
  • 14. Kuṇḍal (870 AD)
  • 15. Pippal (पिप्पल) (900 AD)
  • 16. Udayarāj (उदयराज) (930 AD)
  • 17. Narpāl (नरपाल) (960 AD)
  • 18. Kāmrāj (कामराज) (990 AD)
  • 19. Vohitrāj (वोहितराज) (1020 AD)
  • 20. Thirarāj (थिरराज) (1050 AD) or Tahadev (ताहड़देव)
  • 21. Tejpal (तेजपाल) (1074- 1103 AD)

Mahabala in Mahabharata

Shalya Parva, Mahabharata/Book IX Chapter 44 mentions about the ceremony for investing Kartikeya with the status of generalissimo and various tribes who joined it. Mahabala finds mention here:

परिघं च वटं चैव भीमं च सुमहाबलम
दहतिं दहनं चैव परचण्डौ वीर्यसंमतौ
अंशॊ ऽपय अनुचरान पञ्च थथौ सकन्थाय धीमते (Mahabharata:IX.44.31)

उग्रसेन के नौ पुत्र थे, उनमें कंस ज्येष्ठ था। उनके नाम हैं- न्यग्रोध, सुनामा, कंक, शंकु अजभू, राष्ट्रपाल, युद्धमुष्टि और सुमुष्टिद। उनके कंसा, कंसवती, सतन्तू, राष्ट्रपाली और कंका नाम की पाँच बहनें थीं, जो परम सुन्दरी थीं। अपनी संतानों सहित उग्रसेन कुकुर-वंश में उत्पन्न हुए कहे जाते हैं भजमान का पुत्र महारथी विदूरथ और शूरवीर राजाधिदेव विदूरथ का पुत्र हुआ। राजाधिदेव के शोणाश्व और श्वेतवाहन नामक दो पुत्र हुए, जो देवों के सदृश कान्तिमान और नियम एवं व्रत के पालन में तत्पर रहने वाले थे। शोणाश्व के शमी, देवशर्मा, निकुन्त, शक्र और शत्रुजित नामक पाँच शूरवीर एवं युद्धनिपुण पुत्र हुए। शमी का पुत्र प्रतिक्षत्र, प्रतिक्षत्र का पुत्र प्रतिक्षत्र, उसका पुत्र भोज और उसका पुत्र हृदीक हुआ। हृदीक के दस अनुपम पराक्रमी पुत्र उत्पन्न हुए, उनमें कृतवर्मा ज्येष्ठ और शतधन्वा मँझला था। शेष के नाम (इस प्रकार) हैं- देवार्ह, नाभ, धिषण, महाबल, अजात, वनजात, कनीयक और करम्भक। देवार्ह के कम्बलबर्हिष नामक विद्वान् पुत्र हुआ। उसका पुत्र असोमजा और असोमजा का पुत्र तमोजा हुआ। इसके बाद सुदंष्ट, सुनाभ और कृष्ण नाम के तीन राजा और हुए जो परम पराक्रमी और उत्तम कीर्तिवाले थे। इनके कोई संतान नहीं हुई। ये सभी अन्धकवंशी माने गये हैं। ॥74-85॥

See also

Mahawal

References

  1. Mansukh Ranwa: Kshatriya Shiromani Veer Tejaji, 2001, p.13

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