Mandeta

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Location of Mandota in Sikar district

Mandeta (मांडेता) or Mandota (मांडोता) is a large village in Dhod tehsil of Sikar district in Rajasthan.

Before creation of Dhod tahsil, this village used to fall within Sikar tahsil.

Founders

The Village was founded by Manda Jats. [1]

Location

It is situated at a distance of 20 km from Sikar in the south direction.

Population

  • As per data in Census-2001, Mandota had a population of 3,741.
  • As per Census-2011 statistics, Mandota village has the total population of 3774 (of which 1965 are males while 1809 are females).[2]

Jat Gotras

Population

The population of the village Mandeta is about 600 families out of them Burdak is the major Jat gotras with population of 400 families.

History

As per records of the bards of Burdak the village was founded by Burdak Jats.[3] Oral tradition tells us that initially there settled Kaswan people in the village who dug a brick-well which was collapsed a few years back. Later Kaswas moved elsewhere and Dhaka people inhabited the village. In the middle of 15th century Burdaks came from Sarnau. Now the village is inhabited mainly by Burdaks.[4]

मण्डा गोत्र का इतिहास और मान्डेता

मारवाड़ में राठोड़ों के आगमन के समय जोधपुर के उत्तर में बसे वर्तमान मण्डोर ग्राम व मण्डोर गारडन के पास मण्डा गोत्र के जाटों का दुर्ग था और मारवाड़ के बड़े भू-भाग पर मण्डा जाटों का गणराज्य था। इतिहासकारों की मान्यता है कि रावण के श्वसुर राजा मन्द से ही मण्डा गोत्र का विकास हुआ है। राजा मन्द की पुत्री मन्दोदरी रावण की चरित्रवान पत्नी थी। मण्डा गोत्र के जाट किसी समय सिंध-बलोच प्रदेश में शक्तिशाली शासक रहे और पश्चिमी एशिया और यूरोप तक उपनिवेश बसाये। ऐसी भी मान्यता है कि ब्रिटेन का जार्ज वंश मण्डा से सम्बंधित है। मारवाड़ में राठोड सर्वप्रथम पाली में पालीवालों के शरणागत के रूप में आये थे तथा जार-जार हो चुके मण्डोर के मण्डा जाटों पर आक्रमण करके उनको वहां से बेदखल कर दिया। मण्डा वासणी, चुण्डासरिया, धीरासर, मान्डेता आदि गाँव उस समय मण्डा गोत्र के जाटों ने आबाद किये थे। सुजानगढ़ के पास मान्डेता नामक गाँव है जिसकी थेह में एक खेजड़े का पेड़ था। इस पेड़ से मण्डा गोत्र के जाटों का हाथी बंधता था। इस कारण यह पेड़ हाथी वाला खेजड़ा कहलाता था जिसका व्यास पांच हाथ मोटाई का था और पंद्रह हाथ अर्थात 25 फुट लम्बी रस्सी की लपेट की मोटाई उस खेजड़े के पेड़ की थी।[5]

बुरड़कों का मांडेता आगमन

बुरड़क गोत्र का निकास चौहान से हुआ है. उन्होंने सीकर जिले के जीणमाता के पास सरनाऊ नामक गाँव बसाया और राजधानी बनाया. यहाँ बुरड़क और ढाका जाटों में लड़ाई हुई. कहते हैं कि बुरड़कों ने अधिकांस ढाकों को ख़त्म कर दिया परन्तु बाद में ढाका जाटों ने बादशाह की मदद से सभी बुरड़कों को खत्म कर दिया. एक खर्रा गोत्र की लड़की बुरड़कों में ब्याही थी. वह उस समय पीहर गयी हुई थी और गर्भवती थी. उसका पीहर गोठड़ा तगालान में था. वह बच गयी. उसके ईस्टदेव गोसाईंजी थे. उसने गोसाईं जी की पूजा की और उनके आशीर्वाद से एक लड़का हुआ. सभी बुरड़क उस लडके से फले फूले हैं. लड़का ननिहाल गोठड़ा तगालान में पैदा हुआ. गोठड़ा तगालान में 400 बुरड़क परिवार रहते हैं. कुछ बुरड़क परिवार वहां से उठकर मांडेता गाँव चले गए. मांडेता में आथुनी चोक की हवेली है जो बुद्धा की है जहाँ से बुरड़क निकले हैं. वहां एक पुराना खेजड़ा का पेड़ अभी भी मोजूद है. बुद्धा का परिवार काफी धनवान था और कहते हैं कि वह हाथी पर तोरण मरवाता था.

बुरड़क वंशावली में एक उदाजी थे. उनके वंश में चिमना राम तथा उनके पुत्र मोहनाराम थे. मोहनाराम का विवाह पिलानिया जाटों में हुआ. उनके दो पुत्र थे. नूनारामजी और खुमाणारामजी. नूनारामजी और खुमानारामजी का जन्म सीकर जिले के मांडेता गाँव में हुआ. रतनगढ़ में वर्तमान में रह रहे बुरड़क नूनारामजी के वंशज हैं तथा ठठावता गाँव मे रह रहे बुरड़क खुमानारामजी के वंसज हैं. खुमाणारामजी का मामा हरुरामजी पिलानिया था वह सुटोट गाँव में रहता था. नूनारामजी और खुमानारामजी मांडेता से आकर मामा हरुरामजी पिलानिया के यहाँ सुटोट गाँव में रहने लगे. दोनों भाईयों का विवाह मामा हरु पिलानिया ने किया. खुमाणारामजी का विवाह खीचड़ जाटों में 'खीचड़ों की ढाणी' में भूरी खीचड़ के साथ हुआ तथा नूनारामजी का विवाह महला जाटों में मैलासी गाँव में हुआ. मामा हरुरामजी पिलानिया के मरने के बाद उसके भाईयों में जमीन का विवाद हुआ तब नूनारामजी और खुमाणारामजी सुटोट से रतनगढ़ आकर बस गए. मालूजी या मालीराम जी बुरड़क (1910-1998) इनमें उल्लेखनीय रहे हैं आप रतनगढ़ शहर नगरपालिका के अध्यक्ष रहे है. आपने स्वतंत्रता आन्दोलन में दौलतराम सारण के साथ रहकर समाज सेवा का कार्य किया. आपके कोई संतान नहीं होने से छोटे भाई की संतान गोद ली. खुमाणारामजी संवत 1962 में ठठावता गाँव आ गए.

Other Castes

Other castes dwelling in the village with number of families are Brahman (2), Rajput (15), Harijan (15), Meena (15), Swami (3).

Institutions

There is Govt. Secondary School in Mandota Village Sikar - Dhod, Rajasthan, India.

Other Mandeta villages

Mandeta is also a town in Afghanistan. [6]

Notable persons

  • Rupa Ram Burdak - From Village Mandota (Sikar),Ex Sarpanch (1982-88),Mob:08875658262
  • Rewat Singh Burdak, Resident Mandeta, PO – Mandeta, Tehsil Sikar, District Sikar, Rajasthan (India). (Interview dated 19-02-2007)
  • Moti Singh Burdak - Compounder, Mob: 09413702244
  • Bhairo Singh Burdak - From Village Mandota (Sikar),Ex Pradhan Panchayat Samiti Dhaudh (1999-2004), Mob:09413510633

External links


Reference

  1. Bhim Singh Arya: Julm Ki Kahani Kisan Ki Jabani, p.206-207
  2. http://www.census2011.co.in/data/village/81627-mandota-rajasthan.html
  3. Badwa Shri Bhawani Singh Rao of village Maheswas, tahsil Phulera, district Jaipur, Rajasthan, Mob:09785459386
  4. Moti Singh Burdak of Mandota on Phone,Mob:09413702244
  5. भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006), मरुधर प्रकाशन, सुजानगढ़ (चूरू),p.206-207
  6. Mandeta in Afghanistan

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