Mot Nath

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मोट नाथजी

मोट नाथ जी (b.1978 - ) (Mot Nath) का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले की चोहटन तहसील के शेरपुरा (लीलसर) गाँव में पौष सुदी दसमी संवत 2034 में वेदनाथ सऊ और जेती देवी सियाग गाँव बिसारणिया के घर हुआ.

आप आठ भाई-बहिनों में सबसे छोटे हैं. आपका बाल्यकाल शेरपुरा में ही बीता.

लीलसर बाड़ी में महंत की गद्दी पर आसीन

आपकी दीक्षा गुरुश्री जोरनाथ से भाद्रपद मेले पर संवत 2048 को ली. भैरव संस्कार ग्रहण कर आश्रम में रहने लगे. आश्रम में रहते हुए आपने गुरु सेवा के अतिरिक्त जसनाथ वाणी की सूक्ष्म जानकारी प्राप्त की. संवत 2055 मिगसर कृष्णा पंचमी (8 नवम्बर 1998 ) को गुरु जसनाथ के समाधिस्थ होने के पश्चात् मिगसर की पूर्णिमा को महंत की गद्दी आसीन हुए.

आपने महंत पद सम्हालने के बाद 16 नवम्बर 2000 (मिगसर पूर्णिमा) को लीलसर बाड़ी में जसनाथ मंदिर का निर्माण शुरू किया. पर्यावरण को समर्थित जसनाथी पेड़ पौधों का इतना ख्याल रखते हैं की शव को दफनाते हैं जलाते नहीं हैं. आप पर्यावरण प्रेमी, नशाप्रथा के घोर विरोधी, प्राणी मात्र के उद्धारक, गोभक्त, त्यागी, तपस्वी महंत हैं तथा सामाजिक कुरीतियों, अज्ञान, अन्धकार और अशिक्षा को समाज से उखाड़ फेंकना चाहते हैं.

लीलसर बाड़ी का इतिहास

जसनाथ संप्रदाय के अनुयायी भगवा साफा पहनते हैं तथा नगाड़े की धुन पर अग्नि नृत्य करते हैं. आज से 500 वर्ष पूर्व बीकानेर में अवतरित जसनाथजी महाराज ने आम आदमी के सुखी जीवन के लिए 36 नियम बनाये. इन नियमों का पालन करने वाला जसनाथी कहलाता है. इनके उपासना स्थल को बाड़ी कहते हैं. चोहटन तहसील की बाड़ी असोज सुदी सप्तमी संवत 2017 को जोगीनाथ जी महाराज ने स्थापित की थी. आपके चमत्कार से प्रभावित होकर गुडा जागीरदार ने 11 एकड़ जमीन इस बाड़ी के लिए भेंट की. जोगीनाथजी के बाद हीरानाथजी तथा इसके बाद जोरनाथजी संवत 2006 की असोज सुदी 7 को महंत बने. आप 'मालानी के सिद्ध' नाम से विख्यात हैं. इस बाड़ी की गुरु परंपरा में चौथी पीढ़ी में मोट नाथ जी हैं.

सन्दर्भ

  • जोगाराम सारण: बाड़मेर के जाट गौरव, खेमा बाबा प्रकाशन, गरल (बाड़मेर), 2009 , पृ. 184-185

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