Panditpura

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Location of villages around Baswa

Panditpura (पंडितपुरा) Village is in Baswa tahsil in Dausa district of Rajasthan.

Location

Panditpura is located a few kms North-East of Bandikui Railway station.

Origin

The Founders

History

It is mostly Jat populated village. Panditpura's original name is Panitpur. Jats here came from Marwad area. Ranwa Jats came here about 450 year ago and Thakan Jats come here about 240 Year ago.


पण्डितपुरा दौसा जिले में बांदीकुई कस्बे से 3 किलोमीटर दुरी पर है । पण्डितपुरा का वास्तिविक नाम पनतपुरा है । जाटों ने पनतपूरा और अनन्तपुरा बसाया था । पनतपुरा का नाम पण्डितपुरा और अनंतपुरा का नाम आनंदपुरा राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है, जबकि पण्डितपुरा में ब्राह्मण पंडित जाति के घर जाटों की तुलना में बहुत ही कम है, जाटों के सीधेपन का लाभ उठा कर राजस्व रिकॉर्ड में पण्डितपुरा दर्ज करवा दिया ।

गाँव में रणवां, अलास्टा, ठाकन, हरितवाल, सारण, जलावटा, तोमर गोत्री जाट निवास करते है ।

रणवांजाट यहां पर नागौर जिले की मूण्डवा तहसील से लगभग 450 साल पहले आये थे ।

ठाकन जाट भी नागौर से आये थे ।

रणवा जाटों के एक समूह को अलस्टा बोला जाता है । दोनों एक ही गोत्र है ।

बिजाण्या और अलस्टा गोत्र की उत्पत्ति पण्डितपुरा से ही हुई है ।

जलावटा जिनको जरावटा भी बोला जाता है, पण्डितपुरा में दौसा तहसील के कालौता गॉव से आकर बसे । कालौता गाँव में आज भी जलावटा जाटों का कुल देवता भैरू जी है, वही पर आज भी जडावता जाट पूजने जाते है । पण्डितपुरा के जड़ावता जाटों ने महुवा तहसील में रोन्त और हंडिया गाँव बसाया है । इन दोनों गाँव को सामूहिक रूप से रोतडिया बोला जाता है । जड़ावता जाट टोंक से जड़ावता गाँव सवाई माधोपुर में आये और वहां से दौसा के कालौता में आये और फिर पण्डितपुरा में बसे यहां से ही रोत हड़िया में बसे ।

तोमर जाट दिल्ली और हरियाणा के निकट से आकर बसे । हरितवाल जाट यहां जयपुर की फुलेरा तहसील से आकर बसे । सहारन जाट मारवाड़ से पहले लछमंगढ़ अलवर में बसे, फिर पुन पण्डितपुरा में आकर आबाद हुए ।

जाटों के अलावा कुछ घर गौड़ ब्राह्मणों के है जो कि झाड़ोल उतरा काशी के पास से आकर बसे है उनका गोत्र झाडोलिया हो गया और एक घर मिश्रा गोत्र के ब्राह्मण का भी है । दलित वर्ग में बैरवा (चर्मकार) जाति के है । उनके घर पण्डितपुरा गाँव से बाहर ढाणी में है । उनका गोत्र महर है जिसको अब मेहरा भी बोला जाता है । कुछ दो घर खाती जाति के है उनका गोत्र नेपालपुरिया है ।[1]

Jat Gotras

Population

Notable Persons

External Links

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References

  1. लेखक-मानवेन्द्र सिंह तोमर

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