Rolasar

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Rolasar (रोलासर) is a medium-size village in Sardarshahar Tehsil of Churu district in Rajasthan.

Jat Gotras

History

इतिहासिक प्रष्ठभूमि

हम जब उत्तरी राजस्थान के इतिहास को देखते है तो यहा पर जाट जाति का निवास रहा है जो अपने अपने कबीलों में रहा करते थे इन्ही एक सिहाग गोत्र के समूह पल्लू सुईं रावतसर आदि इलाकों में रहा करता था और इनके आसपास के गाँव भी इनके ही बसाये गए थे उन गाँवो में से ही एक गाँव है रोलासर जो वर्तमान में चुरू जिले के सरदारशहर तहसील में आता है

गाँव की स्थापना सिहाग गोत्र द्वारा की गई थी क्योकि सिहाग गोत्र की दो राजधानी सुईं और पल्लू पास में 15 से २० किलोमीटर पर विधमान हे ,बुजर्गो की किवदंतियों से सुना है की सिहाग गोत्र के व्यक्ति रोलाजी यहा पर झुझार हुवे थे जिसका मंदिर गाँव से उत्तर पश्चिम दिशा में रोलामंड नामंक स्थान पर स्थित हे जो पहले ओयनभूमि थी जिसे कुछ लोगो ने बाद में आकर कृषि भूमि के रूप में बदल दिया ,इस रोलाजी के नाम से ही गाँव का नाम रोलासर पड़ा था ,पहले गाँव रोलामंड स्थान पर था बाद में स्थान परिवर्तन करते हुवे दो तीन अन्य जगह पर भी बसा था जो गाँव से पश्चिम दिशा में था

वर्तमान स्थिति

गाँव में जो वर्तमान में सामाजिक सरचना है उसकी शुरुआत लगभग 200 साल पहले से हुई थी क्योकि पहले ये सिहाग गोत्र का गाँव था और यहा सिहाग लोग ही गावं में ज्यदा मात्रा में निवास करते थे फिर किसी कारन से ये इन सिहाग लोगो का पलायन यह से होता चला गया और अन्य जाट जातीय लोग यहा पानी और रोटी की तलाश में आने लेगे

सबसे पहले सारण जाती के एक दो व्यक्ति यहा पर आये थे ,आगामी वर्षो में आने वाले मुख्य लोगो में थे गोदारा जो रुनिया बासो से आये थे पर कुछ दिनों में ही यहा के स्थानीय सामन्तो से से विवाद होने लगा क्योकि ये गोदारा जाती के लोग स्वाभिमान के साथ जीना पसंद करते थे फिर ये लोग यहा से पलायन कर पास के गाँव कुलचासर में बस जाते है और वहा पर कृषि और पशुपालन करने लगते है,बाद के कुछ वर्षो में बाना गोत्र के लोग यहा पर आये फिर कुछ वर्षो में ये लोग भी चले गये

कुछ समय बाद में स्थानीय राजपूत सामंत द्वारा बहुत ही मान मनुवल के बाद वापिश गोदारा और बाना जाट दोनों जो आपस में नजदीकी रक्त संबंदी था ये लोग यहा पर आ गये और गोदारा जाती के ही मेघाराम गोदारा को गाँव का चौधरी बनाया गया

कुछ समय के बाद गोदारा जाती का दूसरा समूह डांडू सर गाँव का यहा पर आ कर बस गया तब से गोदारा की दोनों शाखाओ का यहा पर प्रभुत्व हे, गाँव में एक बार सरपच भी रह चुके है गाँव में अन्य जाती में पूनिया है जो तारानगर तहसील के पूनिया की ढाणी से आकर बसे है ,गाँव में एक घर ढाका जाती का भी है जो कहा जाता है की यहा आने से पहले पाकिस्थान से आजादी के समय आये थे

कस्वां जाती भी saran jati के साथ बिल्यु गाँव से आये थे

हरिजनों में यहा पर नायक और मेघवाल बसते है जिसमे नायक जाती के लोग ज्यादा है राजपूत यहा केराठोर वंश के है| सबसे बाद में आने वाली जाती मोटसरा है

आर्थिक

गाँव मुख्य रूप से खेती और पशुपालन पर निर्भर हे पहले हालात बहुत ही नाजुक थे कुछ सक्षम लोग तो यहा पर ही खेती से अपनी जीवनचर्या चला पते थे और बाकि लोग पलायन कर पंजाब की और पानी वाले इलाके में पशुओ के साथ चले जाते थे और वहा से ही पशुओ का चारा और अपने लिए रोजगार का परबनध हो पाता था वर्तमान में बहुत ही बदलाव आया है जिसका मुख्य कारन खेतो में ट्युवेल हो जाना है जिससे रोजगार यहा पर ही मिल जाता है और किसान भी अब आत्म्नर्भर होने लगे है अब ज्यादा तर घर पक्के हो चुके है खेती भी आधुनिक यंत्रो से होने लगी है

शिक्षा

शिक्षा की सरुआत यहा पर आजादी के बाद से हो गई थी 1960 के आसपास सर्वप्रथम यहा के लोग द्वारा ही प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गई फिर आने वाले कुछ सालो में ही सरकार के द्वारा एक प्राथमिक विद्यालय खोला गया जो आज वृहत आकार ले कर आज उच्च माद्यमिक विद्यालय रूप में विधमान है इसका श्रेह जाता है इस विद्यालय के ही अद्यापक श्री मानाराम गोदारा को जो वर्तमान में सेवानिवृत इस विद्यालय से हो चुके है और आज भी अपना योगदान शिक्षा को बढावा देने में दे रहे है और साथ साथ सामाजिक कार्यो में भी सक्रिय है अन्य में अद्यापक कुम्भाराम गोदारा और मूलाराम गोदारा व लालचंद(ममता आदर्श स्कूल सावर) का भी योगदान शिक्षा प्रति अनुपम रहा है भंवरलाल गोदारा ,सकुन्तला गोदारा ,संत कुमार बाना ,महेंद्र बाना, पतराम बाना,सुरजीत कुलरिया,सुमित्रा गोदारा , विमला गोदारा सुमन सारण खिवाराम मोटसरा,किशोर सिंह (kkc कॉलेज) आदि लोग भी अपना योगदान दे रहे है अन्य में परताप मोटसरा दिल्ली में होटल का व्यवसाय कर रहे है बुदराज सारण डेयरी व्यवसाय से जुड़े हुवे हैअन्य लोगो में दीपचंद सारण आदि अन्य लोग सरकारी सेवा से जुड़े हुवे है

Population

According to Census-2011 information: With total 268 families residing, Rolasar village has the population of 1534 (of which 777 are males while 757 are females).[1]

Jat Monuments

Temples

Notable persons

External Links

References


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