Thathawata Piran

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Location of Thathawata Piran is in east of Thethalia (Fatehpur) in Sikar district

Thathawata Piran (ठठावता पीरान) is a small village in Fatehpur tehsil of Sikar district in Rajasthan.

Location

It is located at a distance of about 10 km from fatehpur in west direction. There is also Thathawata Bodiya adjoining this village.

History

Lal Singh Mankar S/O Khinw Singh Resident Thathawata Piran took part in the Shekhawati Kisan Andolan. They opened school in this village in 1932.

Population

As per Census-2011 statistics, Thathawata Bodiya village has the total population of 460 (of which 243 are males while 217 are females).[1]

Jat Gotras in this village

The Major Jat gotra of the village is Mankad with 60 families. The other Jat gotras in the village with number of families are Kularia (15), Bijarnia (6), Dookya (4), Garhwal (3), Dhaka (1), Rao (1), Sepat (1), Achra (1).

Other Castes

Other castes living in the village are Rajput (10), Brahman (15), Balai (15), Nai (4), Swami (5), Khati (1) and Sunar (2).

अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रयास

सीकर ठिकाने में किसानों पर होने वाली ज्यादतियों के बारे में अखिल भारतीय जाट महासभा भी काफी चिंतित थी. उन्होंने कैप्टन रामस्वरूप सिंह को जाँच हेतु सीकर भेजा.कैप्टन रामस्वरूप सिंह ने चौधरी जगनाराम मौजा सांखू तहसील लक्ष्मनगढ़ उम्र 50 वर्ष बिरमाराम खीचड़ गाँव चाचीवाद तहसील फतेहपुर उम्र 25 वर्ष के बयान दर्ज किये. चौधरी जगनाराम ने जागीरदारों की ज्यादतियों बाबत बताया. बिरमाराम ने 10 अप्रेल 1934 को उसको फतेहपुर में गिरफ्तार कर यातना देने के बारे में बताया. उसने यह भी बताया कि इस मामले में 10 -15 और जाटों को भी पकड़ा था. इनमें चौधरी कालूसिंह बीबीपुर तथा लालसिंह मांकड़ पुत्र खींव सिंह ठठावता पीरान को मैं जानता हूँ शेष के नाम मालूम नहीं हैं. कैप्टन रामस्वरूप सिंह ने जाँच रिपोर्ट जाट महासभा के सामने पेश की तो बड़ा रोष पैदा हुआ और इस मामले पर विचार करने के लिए अलीगढ में जाट महासभा का एक विशेष अधिवेशन सरदार बहादुर रघुवीरसिंह के सभापतित्व में बुलाया गया. सीकर के किसानों का एक प्रतिनिधि मंडल भी इस सभा में भाग लेने के लिए अलीगढ गया. सर छोटू राम के नेतृत्व में एक दल जयपुर में सर जॉन बीचम से मिला. बीचम को कड़े शब्दों में आगाह किया गया कि वे ठिकाने के जुल्मों की अनदेखी न करें. नतीजा कुछ खास नहीं निकला पर दमन अवश्य ठंडा पड़ गया. [2]


ठाकुर देशराज[3] द्वारा जाट जन सेवक में प्रकाशित सिहोट ठाकुर के दमनचक्र के भुक्त भोगी ठठावता पीरान के लोगों के बयान यथावत नीचे दिये जा रहे हैं:

बयान तुलसी सिंह वल्द रामसिंह गांव ठठावता

बयान तुलसी सिंह वल्द राम सिंह गांव ठठावता तहसील फतेहपुर सीकर उम्र 37 वर्ष ने बयान दिया।

मेरा ताऊ का लड़का भाई डालूराम वल्द बुधराम उम्र 22 वर्ष को तारीख 15 अप्रैल 1934 को गांव गांव ठठावता तहसील फतेहपुर (सीकर) में ही फ़तेहपुर तहसील का का जसजी राजपूत सिपाही ने आकर कहा कि पुलिस सुपरिटेंडेंट आया हुआ है और तुम्हें उस गवाही के लिए बुलाया जो कि तुम्हारे गांव के गणेशा चमार की लरेर को भैरवबक्स राजपूत ने चुरा कर खा लिया था। उसने अपने साथ में भैरवबाक्स राजपूत के चाचा रामनाथ जी को भी साथ में ले लिया था और मोटा चौधरी को भी साथ कर लिया था। अब वह उसके साथ चल कर एक कोस


[पृ.242]: पहुंचा होगा कि रामनाथ जी को तो वापस भेज दिया और मोटा चौधरी तथा उसे (डालूराम को) साथ कर लिया। जब तहसील में पहुंचे तो मोटा चौधरी को भी वापस भेज दिया और डालू राम को किले में बंद कर दिया। तारीख 17 को जब मैं मिलने को गया तो मुझे फटकार कर कहा कि तुम यहां से चले जाओ, बातें मत करो। 17 तारीख को जब मुझे अपने भाई का समाचार जिस किसी तरह मालूम हुआ उसे अब तक खाना नहीं दिया गया है। अगर आटा भेजा जाए तब उसे रोटी दी जाती है। उसे पंचायत में भाग लेने के कारण ही पकड़ा गया है और उनसे कहा जाता है कि तुम अगर पंचायत के कामों में हिस्सा लोगे तो दुख पाओगे।

बयान बिरमाराम वल्द भैरों सिंह जाट, चाचीवाद

बिरमाराम बलद भैरों सिंह जाट 25 वर्ष उम्र साकिन चाचीवाद तहसील फतेहपुर इलाका सीकर ने बयान किया।

करीब 2 माह हुए कि मैं तारीख 7 अप्रैल 1934 कटराथल सीकरवाटी जाट पंचायत की मीटिंग में गया था। दूसरे रोज मैं अपने गांव वापस आ गया था। मैं तारीख 10 अप्रैल को फतेहपुर शादी के लिए सौदा लाने के लिए गया था कि तहसील के 15 असवारों ने आकर मुझे पकड़ लिया। जिनमें से एक का नाम भूरेखां है और के नाम मुझे मालूम नहीं। तहसील फतेहपुर के प्रत्येक गांव में महम्मद खां नायब तहसीलदार ने ऐलान कर रखा था कि कोई भी जाट कमेटी में मत जाना। जो जाएगा उसे हम बुरी तरह पिटेंगे और गांव में से निकलवा देंगे। मुझे तहसील के सवार मारते-पीटते और घसीटते हुए तहसील में ले गए। जाते ही तहसीलदार महम्मद खां ने मुझसे कहा कि हमने गांव में जाट कमेटी में जाने के लिए मना कर दिया था।


[पृ 243] फिर तुमने हमारा हुक्म क्यों नहीं माना। मैंने कहा मैंने कोई बुरा काम नहीं किया, हमारी जाति की कमेटी थी इसलिए मैं भी चला गया। इस पर तहसीलदार साहब बहुत बिगड़े और झुंझलाए, हमारे हुकुम को नहीं माना अब हमारे सामने बात बनाता है। फोरन कुर्सी से उठा और मेरे तीन-चार बेंत मारी और फिर कहा कि इसे काठ में लगा दो, इसका अक्ल ठीक हो जावे। करीब 1 बजे दोपहर का वक्त था। मुझे काठ में लगाकर धूप में डलवा दिया। मारे प्यास के मेरा कंठ सूखने लगा कि पानी भी नहीं पीने दिया गया। करीब 4 घंटे तब तक मुझे धूप में ही डाले रखा। इसके बाद मुझे काठ में से निकाला और कहा कि जाटों की कमेटी में मत जाना। मैंने कहा इसमें क्या नुकसान है। बस फिर मेरे चार-पांच बेंत मारे और कहा कि इसे जंगले में बंद कर दो। यह सुनते ही एक सिपाही ने लेजाकर मुझे जंगले में बंद कर दिया और ताला लगा दिया। शाम को मैंने खाना और पानी मांगा परंतु सिपाहियों ने कहा खाना और पानी कमेटी वालों से मंगवा लो। मैं भूखा और प्यासा पडा रहा। मुझे 4 दिन तक बराबर खाना पानी नहीं दिया जबकि मैं बहुत कमजोर हो गया, चलने-फिरने में चक्कर आने लगा, तो मुझे दो रोटी रोज की देने लगे। पानी बहुत थोड़ा मिला मुश्किल से काम चलाता था। इसी मामले में 10-15 जाटों को और भी रोक रखा था। चौधरी कालू सिंह बीबीपुर, लालू सिंह ठठावता के थे। और के नाम मुझे मालूम नहीं। मुझे तारीख 24 अप्रैल को छोड़ दिया और कह दिया कि अब कमेटी में मत जाना। परंतु मैं तारीख 25 अप्रैल 1934 की जाट स्त्री कांफ्रेंस कटराथल चला गया। जब यह खबर तहसीलदार साहब ने सुनी तो ता. 13 सन् 1934 ई. को 3 सवार भेजकर मुझे पकड़वा लिया। तहसील में लेजाकर मुझे पीटा गया और जंगले में बंद कर दिया गया। और तारीख 30 को छोड़ दिया।


[पृ.244]: मेरे पिताजी के नाम से 1000 बीघा जमीन है। जिसमें से कुछ हम जोत थे और बाकी दूसरों से जुतवा देते थे। हमने सन् 1933 में एक दरख्वास्त तहसीलदार को दी। यह जमीन ज्यादा है हमारे से नहीं जोती जाती इसलिए इसमें से 325 बीघे जमीन किसी दूसरे आदमी को दे दीजिए। हमारी यह दरख्वास्त मंजूर हो गई जिसकी नकल हमारे पास मौजूद है। 325 बीघा जमीन हमने नहीं जुताई। ठिकाने वालों ने पड़ी रखा और घास करवाली जिसमें ₹20 की घास चौधरी कुशलाराम मालासी वाले को बेची और बाकी तहसील के घोड़ों के वास्ते रखली। परंतु 325 बीघे जमीन का लगान हमसे मांगा जा रहा है। और हमें तंग किया जा रहा है कि तुम जाटों की कमेटी में जाते हो इसलिए लगान नहीं छोड़ा जाएगा। सीकर वाटी जाट पंचायत से हमारी प्रार्थना है कि इन जुल्मों से हमारी रक्षा करावें तथा करें।

दस्तखत : बिरमाराम

Notable persons

External links

References

  1. http://www.census2011.co.in/data/village/81273-thithawata-bodiya-rajasthan.html
  2. डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.97
  3. Thakur Deshraj: Jat Jan Sewak, 1949, p.241-244
  4. रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0, पृष्ठ 117

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