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View Full Version : देश भर की लड़कियाँ बिकती हैं हरियाणा में



anujkumar
April 4th, 2006, 11:59 AM
अनवरी ख़ातून अपनी उम्र बताती है 22 साल. उसके छह बच्चे हैं जिसमें सबसे बड़ा लड़का है 15 बरस का.
अनवरी मूल रुप से झारखंड के हज़ारीबाग़ की रहने वाली हैं लेकिन पिछले साल ही उसे हरियाणा के मेवात ज़िले के घासेड़ा गाँव में लाकर एक अधेड़ व्यक्ति के पल्ले बाँध दिया गया है.

वो बताती है कि उसे लाया तो गया था कि वो अपनी दूर के एक रिश्तेदार से मिल सके लेकिन यहाँ लाकर उसकी शादी कर दी गई.

तो क्या वो इस शादी के लिए राज़ी थी? इस सवाल पर वो अपने ही घर में बैठी अपने कुछ परिवारजनों और पड़ोसियों के सामने जब जवाब देती है तो उसके चेहरे पर पीड़ा की लकीरें साफ़ दिखाई देती हैं, “एक बीस साल की कुँवारी लड़की का ब्याह छह बच्चों के बाप से क्या उसकी मर्ज़ी से हो सकता है?”

वो बताती हैं कि कैसे उसे यहाँ लाने के लिए एक आदमी ने उसके पति से दस हज़ार रुपए ले लिए.

अनवरी ख़ातून घासेड़ा गाँव में ऐसी अकेली महिला नहीं है जो ये पीड़ा झेल रही है.

उसी के गाँव में बीसीयों ऐसी महिलाएँ हैं जो दूसरे प्रदेशों से यहाँ लाई गई हैं और उनके बदले उनके पतियों ने चार हज़ार रुपयों से लेकर तीस हज़ार रुपयों तक का भुगतान किया है.

और ये कहानी सिर्फ़ घासेड़ा गाँव की नहीं है, पूरे हरियाणा के लगभग हर गाँव में ऐसी लड़कियाँ हैं जो दूसरे प्रदेशों से यहाँ लाई गई हैं और और इनकी संख्या हज़ारों में है.

इन्हें कथित तौर पर शादी करके उन्हें यहाँ रखा गया है.

यदि यह सिर्फ़ शादी ही होती तो कोई बात नहीं थी, इसका उद्देश्य को कुछ और ही है और प्रत्यक्ष रुप से यह मामला मानव व्यापार का दिखता है.


एक बीस साल की कुँवारी लड़की का ब्याह छह बच्चों के बाप से क्या उसकी मर्ज़ी से हो सकता है?


अनवरी ख़ातून

हरियाणा की महिलाएँ ख़ुद मानती हैं कि बाहर से लड़कियाँ उन लोगों के लिए लाई जाती हैं जिन्हें हरियाणा में लड़कियाँ नहीं मिलतीं.

मेहरम की उम्र 60 साल से अधिक है. वे कहती हैं, “एक तो लड़कियाँ कम हैं, उस पर इधर के लोग नुक्स वालों को लड़कियाँ नहीं देते. कोई लंगड़ा हो या दूसरी शादी करनी हो तो क्यों दे अपनी लड़की?”

झारखंड से लाए जाने के बाद अधेड़ अब्दुल रशीद के साथ घर बसाने वाली सईदा कहती हैं, “जो रंडवा हो जाए, जो किसी की बहू मर जाए या बहू किसी के साथ भाग जाए वो लाए बाहर से बहू.”

और अब्दुल रशीद पास ही बैठे स्वीकारोक्ति में मुस्कुराकर सिर हिलाते हैं.

मानव व्यापार

मानव व्यापार रोकने के लिए काम कर रहे स्वयंसेवी संगठन शक्तिवाहिनी के ऋषिकांत कहते हैं कि पूरे हरियाणा में देश के विभिन्न प्रांतों से लड़कियों को लाकर इसी तरह बेचा जा रहा है.

वे बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि एक बार बिकने भर से बात ख़त्म हो जाती है, उन्हें ग़ुलामों की तरह कई-कई बार भी बेचा जा रहा है. एक तेरह साल की लड़की की कहानी बताते हुए वे कहते हैं कि उसे चार बार बेचा गया. आख़िर शक्तिवाहिनी ने उसे यहाँ से निकाल कर नारी निकेतन भेजा.

ज़्यादातर लड़कियाँ यहाँ कम उम्र में ही लाई जाती हैं और उन्हें कभी पता नहीं होता कि उनकी कथित तौर पर शादी की जाने वाली है.

झारखंड के ही गोमू से आई सईदा की उम्र इस समय 20-22 साल दिखती है. उसे आठ साल पहले एक ड्राइवर के साथ जाकर अब्दुल रशीद लाया था.

कारण ये था कि अब्दुल रशीद की पहली पत्नी से बच्चा नहीं हो रहा था और उसे गाँव में लड़की नहीं मिल रही थी.


इलियास की चौथी पत्नी मरियम कहती हैं कि यवतमाल से यहाँ आकर वो ख़ुश है

जैसा कि 50 की उम्र पार कर गया अब्दुल ख़ुद बताता है, “चार हज़ार का खर्चा आया था उस समय इसे लाने में.”

सईदा एक तरह से ख़ुशक़िस्मत है. लेकिन सब इतने ख़ुशक़िस्मत नहीं हैं.

झारखंड से ही आई त्रिफला को पिछले दिन हरियाणा के ही जींद ज़िले में सर काटकर मार डाला गया.

उसका दोष इतना ही था कि ‘ख़रीदकर’ लाई गई ये लड़की कई लोगों के साथ एक साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए राज़ी नहीं हो रही थी.

लड़कियों को हरियाणा-पंजाब लाने की वजह सिर्फ़ दैहिक शोषण भर नहीं है, वे परिवार के लिए लड़के पैदा करने की मशीनें भी हैं.

ऐसे कई क़िस्सें हैं कि एक भाई के लिए लड़का पैदा करने के बाद बाहर से लाई गईं लड़कियों को दूसरे भाई के लिए भी लड़का पैदा करने को कहा गया.

पुराना मामला

त्रिफला की हत्या ने एक बार इस मामले को रोशनी में लाने का काम तो किया है लेकिन ऐसा तो बहुत समय से हो रहा है.

शहनाज़ नौ-दस साल पहले मालदा से घासेड़ा गाँव में लाई गई थी और उसके बाद से अपने माँ-बाप से कभी नहीं मिली.

और ये इतने लंबे समय से हो रहा है कि हरियाणा में ऐसी लड़कियों को एक नाम दे दिया गया है. वे ऐसी लड़कियों को ‘पारो’ कहते हैं.


शहनाज़ नौ-दस साल पहले मालदा से घासेड़ा गाँव में लाई गई थीं

मरियम भी एक पारो हैं. उसके पति ने उसे महाराष्ट्र के यवतमाल से 1985 में लाया था. तीन शादियों के बाद वो चौथी शादी थी.

आज मरियम सात बच्चों की माँ है. उसकी बड़ी बेटी की शादी हो गई लेकिन उसके पति ने उसे छोड़ दिया है.

मरियम नहीं चाहती कि उसकी बेटी का पति कोई पारो रख ले और यदि वो ऐसा करता है तो बेटी के हक़ के लिए अदालत में जाने की बात कहती है.

लेकिन उसने हाल ही में अपने एक रिश्तेदार के लिए यवतमाल से ही एक पारो लाकर दी है.

बोली

इसका कारण पूछने पर हरियाणा के लोग बताते हैं कि जिन लोगों को यहाँ लड़कियाँ नहीं मिलतीं वो दूसरे राज्यों से लड़कियाँ मँगवाते हैं.

ऐसा नहीं है कि लड़कियाँ किसी ख़ास व्यक्ति के लिए मँगवाई जाती हैं. किसी लड़की को यहाँ लाकर उसकी बोली भी लगाई जाती है.

गाँव असावटी के सरपंच सुरेंदर हमें अपने ही गाँव में एक लड़की से मिलवाने ले गए. उन्होंने बताया कि वहाँ पश्चिम बंगाल से एक लड़की लाई गई है और उसकी बोली लगाई गई है दस हज़ार रुपए.

सुरेंदर बताते हैं कि नज़र मोहम्मद नाम के एक व्यक्ति इसे यहाँ लेकर आया था और जैसा कि लड़की ने ख़ुद उन्हें बताया उसे देखने तरह-तरह के लोग आ रहे थे.

हालांकि हम उस लड़की अजमेरी से नहीं मिल पाए क्योंकि कहा गया कि वो अपने घर लौट गई है लेकिन पड़ोसियों को आशंका थी उसका ‘सौदा’ हो गया है.

वहीं मिले मोहम्मद हाकिम. वो बताते हैं, “जिन्हें लड़कियाँ नहीं मिलती वो बिहार, बंगाल, नागपुर से लड़कियाँ लाते हैं उनके माँ-बाप को धोखा देकर.”

इस ‘धोखे’ की पुष्टि करते हैं झारखंड में मानव व्यापार पर काम कर रहे समाजसेवी संजय मिश्रा.


लक्ष्मी को पाँच कन्या भ्रूण का गर्भापात करवाने का कोई अफ़सोस नहीं

वे बताते हैं कि अकेले झारखंड से 45 हज़ार लड़कियों को दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच दिया गया है.

उन्होंने बीबीसी से कहा, “कभी उन्हें काम का लालच दिखाकर ले जाया जाता है तो कभी फ़िल्म एक्टर बनाने का लोभ देकर. लेकिन उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाकर भोग की वस्तु बनाकर रख दिया गया है.”

संजय मिश्रा बताते हैं कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से सरकारें इस ओर कोई क़दम नहीं उठा रही हैं.

दूसरी ओर ऋषिकांत को भी इसी का दर्द है. वो बताते हैं कि अजमेरी की बोली लग रही है ये उन्हें पता था और वे चाहते तो कई दिनों पहले उसे निकाल ले जाते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

वे पूछते हैं, “हम सामाजिक संगठन के लोग इन लड़कियों को निकाल-निकाल कर नारी निकेतन या उनके घर पहुँचाते रहें और सरकारें कोई नीति ही न बनाए तो हम इसे कब तक इसी तरह करते रहें. क्योंकि हो सकता है कि घर पहुँचाने के बाद उस लड़की के साथ फिर ऐसा हो जाए.”

लड़कियों की कमी

ऋषिकांत मानते हैं कि जिन राज्यों से लड़कियाँ लाई जा रही हैं वो सब ग़रीब राज्य हैं और रोज़गार की कमी के चलते लड़कियों के माँ-बाप आसानी से अपनी लड़कियों को कहीं भी भेजने को राज़ी हो जाते हैं.

लेकिन पंजाब, हरियाणा जैसे जिन राज्यों में उन्हें लाया जा रहा है वहाँ उसकी कौन सी मजबूरी है, यह एक बड़ा सवाल है.

स्वयंसेवी संगठन इसका सीधा संबंध उस सामाजिक समस्या से जोड़ते हैं जिसके चलते देश भर में पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं की संख्या लगातार घट रही है.

भारत में 1991 की जनगणना में प्रति हज़ार पुरुषों के पीछे 945 महिलाएँ थीं और ये अनुपात 2001 की जनगणना में घटकर लगभग 927 रह गया था.

पंजाब और हरियाणा में तो महिलाओं की स्थिति और दयनीय है. 2001 की जनगणना के मुताबिक़ हरियाणा में प्रति हज़ार पुरुषों पर सिर्फ़ 861 महिलाएँ हैं.

हरियाणा में भ्रूण परीक्षण और फिर कन्या भ्रूण की हत्या का मामला भयावह स्थित तक पहुँच चुका है.

पाँच बार गर्भपात

असावटी गाँव की लक्ष्मी ने अपने पति सुखपाल के साथ मिलकर एक के बाद एक पाँच बार गर्भपात करवाया क्योंकि हर बार गर्भ में कन्या भ्रूण था.


ऋषिकांत का कहना है कि सरकारें अभी भी मानव व्यापार को लेकर गंभीर नहीं हैं

सामाजिक परिस्थितियाँ ऐसी है कि लक्ष्मी को इस बात का अफ़सोस भी नहीं. वो कहती हैं, “एक के बाद एक चार लड़कियाँ पैदा हो गईं तो सास ससुर सहित सभी रिश्तेदारों ने बात तक करना बंद कर दिया था और मेरे पति की दूसरी शादी की चर्चा करने लगे थे.”

फिर वे दूसरी समस्या की बात करती हैं, “और लड़कियाँ ही होती रहीं तो उनकी शादी ब्याह का खर्चा कहाँ से आएगा. सरकार तो कुछ करती नहीं.”

समाजसेवी मानते हैं कि लड़कियों के लिए सरकार की ज़्यादातर योजनाओं के बारे में लोगों को पता ही नहीं होता और जो सहायता मिलती है वो इतनी नहीं होती कि समाज की अवधारणा को बदल ले या समस्या का व्यावहारिक हल निकाल सके.

जब तक सरकार जागे और कोई क़दम उठाने की पहल करे तब तक हरियाणा-पंजाब में पारो का बाज़ार सज़ा हुआ है और बोलियाँ लगाने वालों का हुजूम तैयार है.

dndeswal
April 4th, 2006, 01:42 PM
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यह बता देना उचित होता कि यह रिपोर्ट किस स्रोत से ली गई है | यह तो सच है कि कुछ स्तर पर ऐसे काम हो रहे हैं परन्तु यह अधूरा सच लगता है । सारी कहानी हरयाणा के मेवात क्षेत्र पर केन्द्रित है जो कि एक मुस्लिम बहुल इलाका है । और ये मुस्लिम तो सारे देश में ही ऐसा कर रहे हैं - एक मेवात में ही क्यों !

समाजसेवी संजय मिश्रा अपनी पब्लिसिटी तो करवा रहे हैं पर शायद उन्हें शायद हरयाणा के समाज का पूरा ज्ञान नहीं ।
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anujkumar
April 4th, 2006, 11:22 PM
देशवाल जी इस रिपोट को बीबीसी हिंदी से लिया गया है।

devdahiya
April 5th, 2006, 12:09 AM
Bhai ye bechari gareeb laddkiyan tei sarre ke bikkan laag rhi sein....Jat arr Haryana tei inn NEWS aalyan nei nyuweinn BADNAAM kar ke rakhhna sei.

anujkumar
April 9th, 2006, 10:04 AM
I think these BBC people didn't go in JAT bahul ksetra simple because if repercussions. :)

it's agreed upon the situation is similar in rest of Haryana, the worst sex ratio does include the majority (JAT).


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यह बता देना उचित होता कि यह रिपोर्ट किस स्रोत से ली गई है | यह तो सच है कि कुछ स्तर पर ऐसे काम हो रहे हैं परन्तु यह अधूरा सच लगता है । सारी कहानी हरयाणा के मेवात क्षेत्र पर केन्द्रित है जो कि एक मुस्लिम बहुल इलाका है । और ये मुस्लिम तो सारे देश में ही ऐसा कर रहे हैं - एक मेवात में ही क्यों !

समाजसेवी संजय मिश्रा अपनी पब्लिसिटी तो करवा रहे हैं पर शायद उन्हें शायद हरयाणा के समाज का पूरा ज्ञान नहीं ।
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sansanwalamit
April 9th, 2006, 10:33 AM
I suppose this is not the first time brides are sold in Haryana or in Jatland (Jat majority regions). I have heard stories that in 30s, 40s and even untill 60s people including Jats used to buy brides.
These buyers were generally poor and had limited chances of scoring a bride by the means of arranged marriage. So the only option left was to buy brides from poorer and impoverished areas.
As such I do not have any source for this information except the stories that I heard in my village. Infact I have heard people calling some specific regions pretty much in Jatland (which I would not like to name) the sources of such brides.

rohittewatia
April 9th, 2006, 04:13 PM
I suppose this is not the first time brides are sold in Haryana or in Jatland (Jat majority regions). I have heard stories that in 30s, 40s and even untill 60s people including Jats used to buy brides.
These buyers were generally poor and had limited chances of scoring a bride by the means of arranged marriage. So the only option left was to buy brides from poorer and impoverished areas.
As such I do not have any source for this information except the stories that I heard in my village. Infact I have heard people calling some specific regions pretty much in Jatland (which I would not like to name) the sources of such brides.

I also have heard similar stories about some of the people in my village who have been married like that and believe it, they are jats...so, this problem is not only confined to muslim religion...not only poverty, even foetus homicide could also be the problem...Issliye soh baaton kih aik baat...Naah Dahez dein aur naah dahez leiin. Let all people think alike and the sex ratio increase. Haryana n rajasthan have almost least sex ratio in whole country...

hamendra
April 10th, 2006, 11:14 AM
Bhai ye bechari gareeb laddkiyan tei sarre ke bikkan laag rhi sein....Jat arr Haryana tei inn NEWS aalyan nei nyuweinn BADNAAM kar ke rakhhna sei.


Dev Uncle Jee,

Haryana Ko Badnam Nahee Kiya Jaa Raha hai, Balik Durbhagya Se ye Niyatee Bantee Jaa Rahee Hai.

Haryana and Punjab Eaise Do State hai Jahan Per men/Women ratio day by day badta ja raha hai.

Sex Ratio In India in 100 years

Years Sex Ratio
1901 972
1911 964
1921 955
1931 950
1941 945
1951 946
1961 941
1971 930
1981 934
1991 927
2001 933

Normal sex ratio at birth: 940-950 girls per 1000 boys
India's sex ratio at brith: 976/1000 in 1961 to 927/1000 in 2001.

Punjab and Haryana, 704 females per 1000 males
Sex ratio (the number of females per 1000 males) for India is 933 females per 1000 males. It is an improvement of 6 points over 927 earlier recorded in 1991 Census. Like the 1991 Census, the highest sex ratio (1058) has been reported in Kerala. Haryana has reported the lowest sex ratio of 861 among the major states. One of the interesting fact that has emerged, is that the sex ratio of child population in age group 0-6 is 927. The child sex ratio in 1991 was 945. The sharpest decline in sex ratio of the child population has been observed in Himachal Pradesh, Punjab, Haryana, Gujarat, uttranchal, Maharashtra and Union territory of Chandigarh.


Source: Census of India 2001

prashantacmet
April 10th, 2006, 12:56 PM
ooooo AMITEEEEEEE Canada main rah ke saari AKAL kharab kar li AAPNI... Yu ke likha te KUZAAT, BADTAMEEZ.... eib haam tanne maaf na karre BAIMAANNNNNN.....
Can u give any proof regarding what u have written. I accept that u can find some cases of buying brides among JATS. But how can u say that BRIDES are sold in JATLAND.. what nonsense...... Rare cases of buying the brides & in those cases Jats buy the brides
from other REGIONs like (NEPAL,UTTARKAASSI(UTTARANCHAL),ORRISSA,BIHAR) . But till now, i have not heard even a single case that any JAt has sold his daughter/sister...

tajhe Canada main hi khabar jaan laag ri kUKARMMIIIIIIIII...........


I suppose this is not the first time brides are sold in Haryana or in Jatland (Jat majority regions). I have heard stories that in 30s, 40s and even untill 60s people including Jats used to buy brides.
These buyers were generally poor and had limited chances of scoring a bride by the means of arranged marriage. So the only option left was to buy brides from poorer and impoverished areas.
As such I do not have any source for this information except the stories that I heard in my village. Infact I have heard people calling some specific regions pretty much in Jatland (which I would not like to name) the sources of such brides.

aakashtahlan
April 10th, 2006, 02:01 PM
Bhaiyo aur bhabheeO,

I do agree that sale and purchase of females is on high ratio in Haryana,Punjab and UP and now also in Utranchal,it is also a fact that this have not started recently, it have been continuing for long and centuries now.

1st of all we should eradicate the factors leading this kind of a situation. According to me factors are:

1. Sex Ratio in this geographical area.
2. Un-Employment.
3. Social acceptance to this kind of activites.

I feel we should try to resolve these issues first.

Thanks,
Aakash.

hamendra
April 10th, 2006, 06:19 PM
Some more details.......

According to the 2001 Census, the number of females per 1,000 males is highest in
Christian communities (964/1000),
followed by Muslims (950/1000)
and Buddhists (942/1000).
Sikhs come last (786/1000)
while the religion of the majority, Hinduism, comes somewhere in the middle (925/1000).

The Census has also revealed that child sex ratio in four states, viz., Punjab, Haryana, Himachal Pradesh and Gujarat, had drastically declined to less than 800 girls for every 1000 boys.