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View Full Version : Shudh Hindi.........



shweta123
February 12th, 2008, 02:16 PM
Hindi hamaari rashtra bhasha hai aur mera keyboard isse nahi jaanta ! ..:rolleyes:

Kintu, kehte hain ki koshishe saadhno ki kami ki gulaam nahi hoti, to aaiye aarambh karte hain ek prayaas, ek prayog, shudh hindi me vaartalaap karne ka..... :)

Yu to hum aam bol chaal me sadaiv hindi bhasha ka prayog karte hai kintu wo shudh hindi se kaafi pare hi hoti hai.

Shudh hindi ka gyan rakhne waale logo ki sankhyaa ungliyo pe gini ja sakti hai, aur aaj ki yuvaa peedhi ke liye shudh hindi ka gyan rakhna ek swapn maatr prateet hota hai !

Ye dhaga samarprit hai hindi bhasha ko.

Koshish karte hai ki hum jo bhi vichaaro ka aadaan pradaan yaha karen, usme shudh hindi ka prayog kiya jaaye. Isse hame anubhav ho jaayega ki shudh hindi ka prayog karna kitna kathin prateet hota hai ! Aaiye thoda prayatna karen, apni kuch trutiyon ko sudhaarne ki aur agrasar hon, kuch vichaarvimarsh kiya jaaye :)

mukeshkumar007
February 12th, 2008, 02:42 PM
यह एक सहरानीये प्रयास है, हिन्दी भाषा के प्रोह्त्सान की दिशा मे यह एक उचित कदम है, :d हम उम्मीद करते है की शुद्ध हिन्दी भाषा मे विचारो का यह आदान प्रदान का सिलसिला बहुत आगे तक जायेगा ! हमारी शुभकामनाये इस धागे के साथ है !! :d:d

shweta123
February 12th, 2008, 03:04 PM
यह एक सहरानीये प्रयास है, हिन्दी भाषा के प्रोह्त्सान की दिशा मे यह एक उचित कदम है, :d हम उम्मीद करते है की शुद्ध हिन्दी भाषा मे विचारो का यह आदान प्रदान का सिलसिला बहुत आगे तक जायेगा ! हमारी शुभकामनाये इस धागे के साथ है !! :d:d

धन्यवाद मुकेश भाई !

आपकी शुभकामनाये तो सदैव ही रहती हैं मेरे साथ ! :)

VirenderNarwal
February 12th, 2008, 03:08 PM
मोहतरमां कुमारी सुश्री श्वेता जी, सर्व प्रथम हृदय की गहराईयों से मैं आपका अभिनंदन करता हूँ के आपने "कम्पयूटर पर" हिन्दी भाषा को भी महत्व दिया..... और वो भी शुद्व अल्फ़ाजों में...अतः मेरा आपसे अति नम्र निवेदन है कि आप इसे हिन्दी में ही प्रकाशित करती तो शायद ज्यादा प्रभावशाली लगता।
ख़ेर आपका प्रयास सरहानिय है......असंभव कुछ भी नही होता.....अगर आप किसी भी कार्य की नींव रखोगे तो आपके अतिख़ प्रयाश एक दिन अवश्य फ़लदाई होंगे।

पहले मैं भी अग्रेजी मे ही लिखा करता था.....भला हो माननीय श्री दयानंद देशवाल जी का....जिन्होने अविलम्भ , बिना अपना धैर्य खोये.....(क्योंकि मैने सीखते हुए उन्को बहुत सताया था).....मुझे कम्पयूटर पर हिन्दी लिखना सिखाया....और अगर आप मेरी सामान्य त्रुटियों को अगर नजर अंदाज कर दें तो....मैं भी काफ़ी अच्छी हिन्दी लिखने का प्रयाश और हिम्मत कर ही लेता हूँ।

अतः पुनः समस्त जाट्लैंड वासियों का हिन्दी का अधिक प्रयोग करने पर स्वागत करता हूँ।

जय हिन्द...जय भारत....जय जवान...जय किसान
.
.

shweta123
February 12th, 2008, 03:20 PM
मोहतरमां कुमारी सुश्री श्वेता जी, सर्व प्रथम हृदय की गहराईयों से मैं आपका अभिनंदन करता हूँ के आपने "कम्पयूटर पर" हिन्दी भाषा को भी महत्व दिया..... और वो भी शुद्व अल्फ़ाजों में...अतः मेरा आपसे अति नम्र निवेदन है कि आप इसे हिन्दी में ही प्रकाशित करती तो शायद ज्यादा प्रभावशाली लगता।
ख़ेर आपका प्रयास सरहानिय है......असंभव कुछ भी नही होता.....अगर आप किसी भी कार्य की नींव रखोगे तो आपके अतिख़ प्रयाश एक दिन अवश्य फ़लदाई होंगे।

पहले मैं भी अग्रेजी मे ही लिखा करता था.....भला हो माननीय श्री दयानंद देशवाल जी का....जिन्होने अविलम्भ , बिना अपना धैर्य खोये.....(क्योंकि मैने सीखते हुए उन्को बहुत सताया था).....मुझे कम्पयूटर पर हिन्दी लिखना सिखाया....और अगर आप मेरी सामान्य त्रुटियों को अगर नजर अंदाज कर दें तो....मैं भी काफ़ी अच्छी हिन्दी लिखने का प्रयाश और हिम्मत कर ही लेता हूँ।

अतः पुनः समस्त जाट्लैंड वासियों का हिन्दी का अधिक प्रयोग करने पर स्वागत करता हूँ।

जय हिन्द...जय भारत....जय जवान...जय किसान
.
.
महोदय श्री विरेंद्र नारवाल जी, आपके इस विनम्र निवेदन को मैं बिना विलम्ब किए विनम्रता से स्वीकार करती हूँ ! :)

आशा है की मेरी हिन्दी की इस लेखनी को देख आप अवश्य ही प्रसन्न हुए होंगे एवं मुझे अपने आशीर्वाद एवं सहयोग से आगे भी लाभान्वित करवाते रहेंगे. :)

धन्यवाद

sunitachaudhary
February 12th, 2008, 03:36 PM
good attempt, keep it up. but language should not come in any expression of thoughts

shweta123
February 12th, 2008, 03:43 PM
good attempt, keep it up. but language should not come in any expression of thoughts
सही कहा सुनीता जी, भाषा केवल अभिव्यक्ति का एक माध्यम मात्र है.

मैं केवल प्रयासरत थी अपने विचारों को शुद्ध हिन्दी के शब्दों मे प्रकट करने हेतु, परन्तु ये सच मे एक कठिन कार्य प्रतीत होता है!

समय लगता है उपयुक्त शब्द के चुनाव मे !

sunitachaudhary
February 12th, 2008, 03:51 PM
shweta ,
please correct main word that is HINDI.

shweta123
February 12th, 2008, 03:55 PM
shweta ,
please correct main word that is HINDI.
मैं समझी नही सुनीता जी

dkumars
February 12th, 2008, 04:01 PM
Hindi hamaari rashtra bhasha hai aur mera keyboard isse nahi jaanta ! ..:rolleyes:

Kintu, kehte hain ki koshishe saadhno ki kami ki gulaam nahi hoti, to aaiye aarambh karte hain ek prayaas, ek prayog, shudh hindi me vaartalaap karne ka..... :)

Yu to hum aam bol chaal me sadaiv hindi bhasha ka prayog karte hai kintu wo shudh hindi se kaafi pare hi hoti hai.

Shudh hindi ka gyan rakhne waale logo ki sankhyaa ungliyo pe gini ja sakti hai, aur aaj ki yuvaa peedhi ke liye shudh hindi ka gyan rakhna ek swapn maatr prateet hota hai !

Ye dhaga samarprit hai hindi bhasha ko.

Koshish karte hai ki hum jo bhi vichaaro ka aadaan pradaan yaha karen, usme shudh hindi ka prayog kiya jaaye. Isse hame anubhav ho jaayega ki shudh hindi ka prayog karna kitna kathin prateet hota hai ! Aaiye thoda prayatna karen, apni kuch trutiyon ko sudhaarne ki aur agrasar hon, kuch vichaarvimarsh kiya jaaye :)



यह एक सहरानीये प्रयास है, हिन्दी भाषा के प्रोह्त्सान की दिशा मे यह एक उचित कदम है, :d हम उम्मीद करते है की शुद्ध हिन्दी भाषा मे विचारो का यह आदान प्रदान का सिलसिला बहुत आगे तक जायेगा ! हमारी शुभकामनाये इस धागे के साथ है !! :d:d


धन्यवाद मुकेश भाई !

आपकी शुभकामनाये तो सदैव ही रहती हैं मेरे साथ ! :)


मोहतरमां कुमारी सुश्री श्वेता जी, सर्व प्रथम हृदय की गहराईयों से मैं आपका अभिनंदन करता हूँ के आपने "कम्पयूटर पर" हिन्दी भाषा को भी महत्व दिया..... और वो भी शुद्व अल्फ़ाजों में...अतः मेरा आपसे अति नम्र निवेदन है कि आप इसे हिन्दी में ही प्रकाशित करती तो शायद ज्यादा प्रभावशाली लगता।
ख़ेर आपका प्रयास सरहानिय है......असंभव कुछ भी नही होता.....अगर आप किसी भी कार्य की नींव रखोगे तो आपके अतिख़ प्रयाश एक दिन अवश्य फ़लदाई होंगे।

पहले मैं भी अग्रेजी मे ही लिखा करता था.....भला हो माननीय श्री दयानंद देशवाल जी का....जिन्होने अविलम्भ , बिना अपना धैर्य खोये.....(क्योंकि मैने सीखते हुए उन्को बहुत सताया था).....मुझे कम्पयूटर पर हिन्दी लिखना सिखाया....और अगर आप मेरी सामान्य त्रुटियों को अगर नजर अंदाज कर दें तो....मैं भी काफ़ी अच्छी हिन्दी लिखने का प्रयाश और हिम्मत कर ही लेता हूँ।

अतः पुनः समस्त जाट्लैंड वासियों का हिन्दी का अधिक प्रयोग करने पर स्वागत करता हूँ।

जय हिन्द...जय भारत....जय जवान...जय किसान
.
.


महोदय श्री विरेंद्र नारवाल जी, आपके इस विनम्र निवेदन को मैं बिना विलम्ब किए विनम्रता से स्वीकार करती हूँ ! :)

आशा है की मेरी हिन्दी की इस लेखनी को देख आप अवश्य ही प्रसन्न हुए होंगे एवं मुझे अपने आशीर्वाद एवं सहयोग से आगे भी लाभान्वित करवाते रहेंगे. :)

धन्यवाद



नमस्कार,

आदर्निये मोहदया सर्वप्रथम आपको कोटी कोटी धन्यवाद यह धागा शुरू करने के लिए |
आपके इस प्रयास की सराहना करते हुए आपको धन्यवाद और बधैया भी इस धागे की सफलता के लिए |
यह धागा लोग्प्रियता की ओर अग्रसर है हम कामना करते है की यह धागा सफलता का गगन चुमेगा और लोगो के दिलो दिमाग पर गहरा प्रभाव छोडेगा | अन्य भाइयो और उनकी बहनो को जो इस धागे में अपने विचार प्रस्तुस्त करना चाहते है उन्हें भी में अपनी और औरो की तरफ़ से आमंत्रित करता हूँ |

विनीत,
देवेन्द्र कुमार

dkumars
February 12th, 2008, 04:07 PM
Hindi hamaari rashtra bhasha hai aur mera keyboard isse nahi jaanta ! ..:rolleyes:

Kintu, kehte hain ki koshishe saadhno ki kami ki gulaam nahi hoti, to aaiye aarambh karte hain ek prayaas, ek prayog, shudh hindi me vaartalaap karne ka..... :)

Yu to hum aam bol chaal me sadaiv hindi bhasha ka prayog karte hai kintu wo shudh hindi se kaafi pare hi hoti hai.

Shudh hindi ka gyan rakhne waale logo ki sankhyaa ungliyo pe gini ja sakti hai, aur aaj ki yuvaa peedhi ke liye shudh hindi ka gyan rakhna ek swapn maatr prateet hota hai !

Ye dhaga samarprit hai hindi bhasha ko.

Koshish karte hai ki hum jo bhi vichaaro ka aadaan pradaan yaha karen, usme shudh hindi ka prayog kiya jaaye. Isse hame anubhav ho jaayega ki shudh hindi ka prayog karna kitna kathin prateet hota hai ! Aaiye thoda prayatna karen, apni kuch trutiyon ko sudhaarne ki aur agrasar hon, kuch vichaarvimarsh kiya jaaye :)


महोदया,
अगर आप अपने इस लेख को भी देवनागरी लिपि में प्रस्तुत करेंगी तो और भी सरह्निये होगा |
अतः आपसे ये निम्र निवेदन है की इसे हिन्दी में लिखे
धन्यवाद

mukeshkumar007
February 12th, 2008, 04:17 PM
नमस्कार,
आदर्निये मोहदया सर्वप्रथम आपको कोटी कोटी धन्यवाद यह धागा शुरू करने के लिए |
आपके इस प्रयास की सराहना करते हुए आपको धन्यवाद और बधैया भी इस धागे की सफलता के लिए |
यह धागा लोग्प्रियता की ओर अग्रसर है हम कामना करते है की यह धागा सफलता का गगन चुमेगा और लोगो के दिलो दिमाग पर गहरा प्रभाव छोडेगा | अन्य भाइयो और उनकी बहनो को जो इस धागे में अपने विचार प्रस्तुस्त करना चाहते है उन्हें भी में अपनी और औरो की तरफ़ से आमंत्रित करता हूँ | |



और हम आपको हिन्दी भाषा के लेखन मे इतनी गलतियाँ करने की वज़ह से ५ मे से सिर्फ़ १.५ नम्बर ही देते है. उम्मीद है आप आगे से कड़ी मेहनत करते हुए उल्लेखानिये सुधार करोगे !

dkumars
February 12th, 2008, 04:21 PM
good attempt, keep it up. but language should not come in any expression of thoughts


महोदया,
अगर हम अंग्रेज़ी का प्रयोग कर सकते है अपने भावो को प्रस्तुत करने के लिए तो हिन्दी में क्या बुराई है
हिन्दी को संगणक यंत्र पर प्रयोग करना थोड़ा कठिन कार्य है पर समय के साथ ये अंग्रेज़ी से भी आसन लगने लगेगा | चूँकि हम अंग्रेज़ी से बंधे हुए है, हमारी रोज मर्रा की जिंदगी में अंग्रेज़ी का इतना प्रभाव है कि हम अपनी भाषा भूलने लगे है इसलिए मेरे विचार में हिन्दी लिपि और शुद्ध हिन्दी को बढावा देना चाहिए | मेरा कहने का कतई ये मतलब नही है कि अंग्रेज़ी का विरोध करो | मेरे विचार से जितना हो सके भाषाओ का ज्ञान रखो पर अपनी जडो को नही भूलना चाहिए | जिस तरह आज कल हमारे समाज में लोग अंग्रेज़ी को बेकार में ही उच् स्थान दिए है, अपने बच्चो को हिन्दी कि बजाय अंग्रेज़ी ही सिखाते है, अधिकतर लोग हिन्दी को हीन भावना से देखतें है | इन घटिया विचारो का में कठोर विरोध करता हूँ | भाषा का ज्ञान आवशक है पर अपनी जड़ों को भूले बिना |
धन्यवाद

dkumars
February 12th, 2008, 04:26 PM
और हम आपको हिन्दी भाषा के लेखन मे इतनी गलतियाँ करने की वज़ह से ५ मे से सिर्फ़ १.५ नम्बर ही देते है. उम्मीद है आप आगे से कड़ी मेहनत करते हुए उल्लेखानिये सुधार करोगे !




महोदय,
मेरी कोशिश जारी है और समय के साथ में सीख जाऊंगा | मुझे अपनी गलतियों पर कोई पछतावा नही है परन्तु में अपनी त्रुटियों को सुधारने का हर संभव प्रयत्न करूँगा | और मुझे अति प्रसंता होगी यदि आप मुझे मेरी गलतियों से परिचित करायें |
धन्यवाद

shweta123
February 12th, 2008, 04:36 PM
नमस्कार,
आदर्निये मोहदया सर्वप्रथम आपको कोटी कोटी धन्यवाद यह धागा शुरू करने के लिए |
आपके इस प्रयास की सराहना करते हुए आपको धन्यवाद और बधैया भी इस धागे की सफलता के लिए |
यह धागा लोग्प्रियता की ओर अग्रसर है हम कामना करते है की यह धागा सफलता का गगन चुमेगा और लोगो के दिलो दिमाग पर गहरा प्रभाव छोडेगा | अन्य भाइयो और उनकी बहनो को जो इस धागे में अपने विचार प्रस्तुस्त करना चाहते है उन्हें भी में अपनी और औरो की तरफ़ से आमंत्रित करता हूँ | यह धागा एक शुक्षम जंतु के बुखार से पीड़ित एक नाबालिग़ बालिग सुश्री के दिमाग की अच्छी उपज है | इसलिए हर इंसान को हर २-४ माह में बीमार हो ही जन चाहिए, उस से दिमाग तेज़ चलता है और अच्छे विछारो का जन्म होता है जैसे की इस उधारण में हुआ है |

विनीत,
देवेन्द्र कुमार

आदरणीय शरारती तत्वों का आगमन इस धागे पे अन्तथा हो ही गई हिंदीमय रूप मे !:)

इन धन्यवाद एवं बधाइयों की प्रविष्टि मैंने इस धागे के मुख्य द्वार पे कर दी है. और आपके कोटि कोटि धन्यवाद से द्वार पर काफी रुकावट सी प्रतीत हो रही है ! :p
लोग कही इतनी बधाइयो को देख प्रवेश करने मे संकोच करने लगे तो ? :rolleyes:

ये धागा लोकप्रियता की ओर अग्रसर हो या नही परन्तु आपका 'भाई और उनकी बहनो' वाला संबोधन जरुर लोकप्रियता के परचम लहरायेगा:p

shweta123
February 12th, 2008, 05:20 PM
महोदय,
मेरी कोशिश जारी है और समय के साथ में सीख जाऊंगा | मुझे अपनी गलतियों पर कोई पछतावा नही है परन्तु में अपनी त्रुटियों को सुधारने का हर संभव प्रयत्न करूँगा | और मुझे अति प्रसंता होगी यदि आप मुझे मेरी गलतियों से परिचित करायें |
धन्यवाद
आपका संकल्प प्रशंसनीय है. हिन्दी मे इंग्लिश का उपयोग करते हुए लिख पाना थोड़ा कठिन कार्य है एवं इसमे त्रुटी होने की संभावना काफ़ी अधिक है, इसलिए आपका ये प्रयास उत्तम है. आशा है की आपको अतिशीग्रह ही ५ मे से ५ अंक प्राप्त होंगे माननीय जज महोदय के कर कमलों से

mukeshkumar007
February 12th, 2008, 05:28 PM
महोदय,
मेरी कोशिश जारी है और समय के साथ में सीख जाऊंगा | मुझे अपनी गलतियों पर कोई पछतावा नही है परन्तु में अपनी त्रुटियों को सुधारने का हर संभव प्रयत्न करूँगा |

भ्राताश्री ,
सादर प्रणाम,

हम सब हमारे स्थान पर खुशल मंगल है और उम्मीद करते है की आप भी वहाँ पर राजी खुशी होंगे. आगे समाचार यह है की आपका पत्र मिला पढ़ कर अत्यन्त खुशी हुयी की आप मे सिखने की लगन अभी भी उतनी ही है जितनी पहले थी. हमे पुरा विशवास है की आप की यह मेहनत एक दिन जरुर रंग लाएगी और आप सफलता की उचाइयां छुवोगे ! आप के इस दृढ निश्चयी व्यक्तित्व ने हमे मंत्र मुग्ध कर दिया !

आपका अनुज

dkumars
February 12th, 2008, 05:34 PM
भ्राताश्री ,
सादर प्रणाम,

हम सब हमारे स्थान पर खुशल मंगल है और उम्मीद करते है की आप भी वहाँ पर राजी खुशी होंगे. आगे समाचार यह है की आपका पत्र मिला पढ़ कर अत्यन्त खुशी हुयी की आप मे सिखने की लगन अभी भी उतनी ही है जितनी पहले थी. हमे पुरा विशवास है की आप की यह मेहनत एक दिन जरुर रंग लाएगी और आप सफलता की उचाइयां छुवोगे ! आप के इस दृढ निश्चयी व्यक्तित्व ने हमे मंत्र मुग्ध कर दिया !

आपका अनुज


धन्यवाद मुकेश
तुम्हारा पत्र पढ़ कर खुशी हुई

dkumars
February 12th, 2008, 05:35 PM
आपका संकल्प प्रशंसनीय है. हिन्दी मे इंग्लिश का उपयोग करते हुए लिख पाना थोड़ा कठिन कार्य है एवं इसमे त्रुटी होने की संभावना काफ़ी अधिक है, इसलिए आपका ये प्रयास उत्तम है. आशा है की आपको अतिशीग्रह ही ५ मे से ५ अंक प्राप्त होंगे माननीय जज महोदय के कर कमलों से


मैं मन लगा कर मेहनत करूँगा और आशा करता हूँ की ५/५ अंक प्राप्त करने में मुझे ज्यादा समय नही लगेगा |
देवेन्द्र

shweta123
February 12th, 2008, 05:40 PM
भ्राताश्री ,
सादर प्रणाम,

हम सब हमारे स्थान पर खुशल मंगल है और उम्मीद करते है की आप भी वहाँ पर राजी खुशी होंगे. आगे समाचार यह है की आपका पत्र मिला पढ़ कर अत्यन्त खुशी हुयी की आप मे सिखने की लगन अभी भी उतनी ही है जितनी पहले थी. हमे पुरा विशवास है की आप की यह मेहनत एक दिन जरुर रंग लाएगी और आप सफलता की उचाइयां छुवोगे ! आप के इस दृढ निश्चयी व्यक्तित्व ने हमे मंत्र मुग्ध कर दिया !

आपका अनुज
हे भगवान् ये भ्रात प्रेम देख कर तो मेरी आँखे नम हो गई. राम लक्ष्मण का अमर प्रेम :p

shweta123
February 12th, 2008, 05:44 PM
मैं मन लगा कर मेहनत करूँगा और आशा करता हूँ की ५/५ अंक प्राप्त करने में मुझे ज्यादा समय नही लगेगा |
देवेन्द्र
शुद्ध हिन्दी के नाम पर क्या क्या हो रहा है यह ! :confused:

धन्य हो गई मेरी आत्मा ! :p खुली चिट्ठिया प्रस्तुत हो रही हैं :rolleyes:


एक संवेदनशील दर्शक
~~ श्वेता

anilsinghd
February 12th, 2008, 05:48 PM
:eek::eek::eek::eek::eek::confused::confused::conf used:

shweta123
February 12th, 2008, 05:50 PM
:eek::eek::eek::eek::eek::confused::confused::conf used:
संयम से काम ले :rolleyes:

dkumars
February 12th, 2008, 05:52 PM
:eek::eek::eek::eek::eek::confused::confused::conf used:


भाई ये दीदे क्यों पाड़ रह्या है |
इस्सा के देख लिया, अपनी भाषा में बात करना आला नी न्यू देख्या करेई के ???:p

arunshamli
February 12th, 2008, 05:54 PM
क्या हिन्दी भाषा मे आजकल पूर्णविराम के स्थान पर अंग्रेजी वाले पीरियड़ का प्रयोग करने लगे हैं।

dkumars
February 12th, 2008, 05:58 PM
शुद्ध हिन्दी के नाम पर क्या क्या हो रहा है यह ! :confused:

धन्य हो गई मेरी आत्मा ! :p खुली चिट्ठिया प्रस्तुत हो रही हैं :rolleyes:


एक संवेदनशील दर्शक
~~ श्वेता


क्या हिन्दी भाषा मे आजकल पूर्णविराम के स्थान पर अंग्रेजी वाले पीरियड़ का प्रयोग करने लगे हैं।



हिन्दी के पुर्न्विराह्म के लिए Enter key के ऊपर वाली key को shift के साथ दबाइए |

shweta123
February 12th, 2008, 06:00 PM
हिन्दी के पुर्न्विराह्म के लिए Enter key के ऊपर वाली key को shift के साथ दबाइए |
||||||| :) :)

anilsinghd
February 12th, 2008, 06:02 PM
नही प्रिया भ्राता श्री ! हमें हिन्दी भाषा में टाइप करने का ज्ञान नही था ! इसलिए हम थोडी देर के लुए भ्रमित हो गए थे ! किंतु प्रिया वीरेंदर नरवल जी ने हमारी सहायता की और हम आपके सामने प्रस्तुत है अपनी एक कोशिश के साथ की हम भी इस सराहनीय प्रयास में अपना योगदान देंगे. :)

anilsinghd
February 12th, 2008, 06:08 PM
हिन्दी के पुर्न्विराह्म के लिए Enter key के ऊपर वाली key को shift के साथ दबाइए |

प्रिय भ्राता श्री , हम आपके इस कथन से असहमत हैं | हमारे "ब्लूमबर्ग" कीबोर्ड पर "Enter " से निचे वाली "key" को "shift" के साथ दबाने से पूर्ण विराम लगता है | :D :D

mukeshkumar007
February 12th, 2008, 06:17 PM
आप सभी महानुभवो से निवेदन है की हिन्दी भाषा मे लिखने के साथ साथ ही अपने जवाब की गुणवत्ता का भी ख्याल रखे !
हिन्दी भाषा हित मे जारी !

गुणवता निर्धारण मंत्रालय,
भारत सरकार !

dndeswal
February 12th, 2008, 08:02 PM
.
इस सराहनीय प्रयास के लिये सभी को साधुवाद । जिनके पास पुराने संगणक (कंप्यूटर) हैं और जो चित्रपट (मानिटर) पर हिन्दी नहीं पढ़ पा रहे, उन्हें चाहिये कि मेरा धागा पढ़ें : Tips for use of Hindi on your computer (http://www.jatland.com/forums/showthread.php?t=13233).

चलो, मेरे चेलो (और चेलियो) - नीचे कुछ शब्द लिख रहा हूं – इनको लिखो अपने कीबोर्ड की मदद से ('कापी-पेस्ट' मत करना, यह तो सभी कर सकते हैं):

ऋषि, वञ्जन, शॉल, ॐ, हळ ।
.

anilsinghd
February 12th, 2008, 08:58 PM
.
इस सराहनीय प्रयास के लिये सभी को साधुवाद । जिनके पास पुराने संगणक (कंप्यूटर) हैं और जो चित्रपट (मानिटर) पर हिन्दी नहीं पढ़ पा रहे, उन्हें चाहिये कि मेरा धागा पढ़ें : Tips for use of Hindi on your computer (http://www.jatland.com/forums/showthread.php?t=13233).

चलो, मेरे चेलो (और चेलियो) - नीचे कुछ शब्द लिख रहा हूं – इनको लिखो अपने कीबोर्ड की मदद से ('कापी-पेस्ट' मत करना, यह तो सभी कर सकते हैं):


.



ऋषि, वञ्जन, शॉल, ॐ, हळ ।


मैंने कॉपी पेस्ट नही किया ! मैंने कट पेस्ट कर दिया !:D:D:D:D:D

raj_rathee
February 14th, 2008, 12:29 PM
Hindi hamaari rashtra bhasha hai aur mera keyboard isse nahi jaanta ! ..:rolleyes:

Kintu, kehte hain ki koshishe saadhno ki kami ki gulaam nahi hoti, to aaiye aarambh karte hain ek prayaas, ek prayog, shudh hindi me vaartalaap karne ka..... :)

Yu to hum aam bol chaal me sadaiv hindi bhasha ka prayog karte hai kintu wo shudh hindi se kaafi pare hi hoti hai.

Shudh hindi ka gyan rakhne waale logo ki sankhyaa ungliyo pe gini ja sakti hai, aur aaj ki yuvaa peedhi ke liye shudh hindi ka gyan rakhna ek swapn maatr prateet hota hai !

Ye dhaga samarprit hai hindi bhasha ko.

Koshish karte hai ki hum jo bhi vichaaro ka aadaan pradaan yaha karen, usme shudh hindi ka prayog kiya jaaye. Isse hame anubhav ho jaayega ki shudh hindi ka prayog karna kitna kathin prateet hota hai ! Aaiye thoda prayatna karen, apni kuch trutiyon ko sudhaarne ki aur agrasar hon, kuch vichaarvimarsh kiya jaaye :)




Hunnnnnnnnnnn?
Kucch na palley padya ji... :eek:

Nyun tae Dayanand Deswaal Hindi script mein likhan laag gey...wah padhan
mein itna haanga laage sae ki unki post kade padhta eh koni...aadhi haan nueh andaaje tae jawaab de dun sun...err yahre aap bera na ki dhaal ki
boli bolan laag gey...JI...Humne tae nueh seekha tha ki Hindi bolni ho
tae saari baatan ke pacche 'JI' laa dyo...JI...

shweta123
February 14th, 2008, 01:23 PM
Hunnnnnnnnnnn?
Kucch na palley padya ji... :eek:

Nyun tae Dayanand Deswaal Hindi script mein likhan laag gey...wah padhan
mein itna haanga laage sae ki unki post kade padhta eh koni...aadhi haan nueh andaaje tae jawaab de dun sun...err yahre aap bera na ki dhaal ki
boli bolan laag gey...JI...Humne tae nueh seekha tha ki Hindi bolni ho
tae saari baatan ke pacche 'JI' laa dyo...JI...

कुछ भी आपके मष्तिष्क के द्वारों के पार नही जा पाया है तो आप किंचित भी विचलित न होईए एवं इस 'जी' से ही काम चला लीजिये जी !

यहाँ कुछ लिखना एवं जवाब देना कदापि अनिवार्य नही है जी, यह धागा केवल प्रयोग मात्र है हिन्दी भाषा मे कुछ वैचारिक आदान प्रदान हेतु | :)

dkumars
February 14th, 2008, 01:38 PM
कुछ भी आपके मष्तिष्क के द्वारों के पार नही जा पाया है तो आप किंचित भी विचलित न होईए एवं इस 'जी' से ही काम चला लीजिये जी !

यहाँ कुछ लिखना एवं जवाब देना कदापि अनिवार्य नही है जी, यह धागा केवल प्रयोग मात्र है हिन्दी भाषा मे कुछ वैचारिक आदान प्रदान हेतु | :)





प्रयोग प्रयोग में एक आध भगवन नै प्यारा न होजा कदे |
अर्र जी मक्का पुरंविराम ला लिया करो लेन खत्म होंन पै |

shweta123
February 14th, 2008, 04:32 PM
प्रयोग प्रयोग में एक आध भगवन नै प्यारा न होजा कदे |
अर्र जी मक्का पुरंविराम ला लिया करो लेन खत्म होंन पै |
शुद्ध हिन्दी मे शुद्ध हर्यानवी लहजे का अशुद्ध प्रयोग :o

dkumars
February 14th, 2008, 05:07 PM
शुद्ध हिन्दी मे शुद्ध हर्यानवी लहजे का अशुद्ध प्रयोग :o


दून मारन का जी करता हो तै ऊ बता दो जी | आगे आ कै नै खड़ा हो जांगा | काढ लियो अपने जी की |

shweta123
February 14th, 2008, 05:11 PM
दून मारन का जी करता हो तै ऊ बता दो जी | आगे आ कै नै खड़ा हो जांगा | काढ लियो अपने जी की |
माफ़ कीजियेगा मुझे तुन मारने का मतलब नही पता :confused: पर फ़िर भी आपको दूर से नमस्ते है जी :o:p

dkumars
February 14th, 2008, 05:25 PM
माफ़ कीजियेगा मुझे तुन मारने का मतलब नही पता :confused: पर फ़िर भी आपको दूर से नमस्ते है जी :o:p


kisse tei puch liyo jii दून ka matlab:p ... arr yo दून hai तुन na hai ...hehehe

anilsinghd
February 15th, 2008, 10:59 PM
kisse tei puch liyo jii दून ka matlab:p ... arr yo दून hai तुन na hai ...hehehe


mera jee kar raha doon maaran ka !!
khada hovai sai key ???? :D:confused::D:D:D

gaganjat
February 16th, 2008, 11:08 PM
namaskaar kumari shweta dhaka !

shubh prathakaal ! Kaisan ho aap?

aasha karta hu aapne prathakaleen snan karke , ganesh baba ki pooja-archana karke prasad ka bharpoor sevan kar liya hoga.

aaj ka mausam bahut hi kassota hai. badal gadgada laag rhe sai, ar bijli kad-kad karan laag rhe sai, aaj tai pakkam-paaka mhee bursaiga.

aur sab kimme thik-thak sai nai !

aapka aur sabka,

(Acharya) Gagan Dhillon





Hindi hamaari rashtra bhasha hai aur mera keyboard isse nahi jaanta ! ..:rolleyes:

Kintu, kehte hain ki koshishe saadhno ki kami ki gulaam nahi hoti, to aaiye aarambh karte hain ek prayaas, ek prayog, shudh hindi me vaartalaap karne ka..... :)

Yu to hum aam bol chaal me sadaiv hindi bhasha ka prayog karte hai kintu wo shudh hindi se kaafi pare hi hoti hai.

Shudh hindi ka gyan rakhne waale logo ki sankhyaa ungliyo pe gini ja sakti hai, aur aaj ki yuvaa peedhi ke liye shudh hindi ka gyan rakhna ek swapn maatr prateet hota hai !

Ye dhaga samarprit hai hindi bhasha ko.

Koshish karte hai ki hum jo bhi vichaaro ka aadaan pradaan yaha karen, usme shudh hindi ka prayog kiya jaaye. Isse hame anubhav ho jaayega ki shudh hindi ka prayog karna kitna kathin prateet hota hai ! Aaiye thoda prayatna karen, apni kuch trutiyon ko sudhaarne ki aur agrasar hon, kuch vichaarvimarsh kiya jaaye :)

vijay
February 16th, 2008, 11:22 PM
अपनी राष्ट्र भाषा में इतने सज्जनो और देविओं को वार्तालाप करते हुए देख कर ह्रदय गदगद हो गया |

gaganjat
February 19th, 2008, 11:53 AM
अपनी राष्ट्र भाषा में इतने सज्जनो और देविओं को वार्तालाप करते हुए देख कर ह्रदय गदगद हो गया |

hahhaahahh bada gad-gad bhad-bhad tud-tud ho raha hai dil bhai vijay !
Dil ka bhi tanne kati tabla sa baja diya.

sumitsehrawat
February 19th, 2008, 03:06 PM
good one... :D:D:D:D!!



Dil ka bhi tanne kati tabla sa baja diya.

cooljat
February 19th, 2008, 03:16 PM
भाई (आचार्य) गन्नी, तुने तो हंसा हंसा के कती पेट फाड़ दिया !! :D:D:D:D
कसुती हिंदी लिखी स भाई तुने तो !! :cool::cool:


aaj ka mausam bahut hi kassota hai. badal gadgada laag rhe sai, ar bijli kad-kad karan laag rhe sai, aaj tai pakkam-paaka mhee bursaiga.

aapka aur sabka,

(Acharya) Gagan Dhillon

VirenderNarwal
February 19th, 2008, 04:15 PM
भाई (आचार्य) गन्नी, तुने तो हंसा हंसा के कती पेट फाड़ दिया !! :D
कसुती हिंदी लिखी स भाई तुने तो !! :cool:
जीत जी...:confused:...थार्रा पेट सै..:rolleyes:..या बोद्दा पज़ामा....:p..जो झर दे शी पाट जा गा..:)..?
ओर सुण ले भाई ज्ञान की बात..:cool:...आपणे पेट नै सभांल कै राख्या कर..:eek:..ना तै कोए किडनी काढ़ ले जा गा...;):D...?
.
.

cooljat
February 19th, 2008, 04:24 PM
:eek::eek::(:o:o भाईसाब बात तो आपने कती पते की बोली;

इब कोई हंसा हंसा के जान भी ले जाए तो कोई गम कोंन्या

लेकिन किडनी कोनी ले जाने दूं !!:p;):cool:


जीत जी...:confused:...थार्रा पेट सै....या बोद्दा पज़ामा......जो झर दे शी पाट जा गा....?
ओर सुण ले भाई ज्ञान की बात.....आपणे पेट नै सभांल कै राख्या कर....ना तै कोए किडनी काढ़ ले जा गा...;)...?
.
.

VirenderNarwal
February 19th, 2008, 04:37 PM
:eek: भाईसाब बात तो आपने कती पते की बोली;

इब कोई हंसा हंसा के जान भी ले जाए तो कोई गम कोंन्या

लेकिन किडनी कोनी ले जाने दूं !!:p
भाई जीत जी..:confused:..जान तो जमा ना लें भाई की..:cool:..ओर 6.4" की जान नै कित ठायां-ठायां हांडूगा..:)..लेकिन किडनी ना छौडें कतै भी..;)..डाक्टरां तै बचा ले गया तै...:eek:.. यो "ठ्न्डी बियर" ना रहण दे थारै किडनी..:p:D..?
.
.

cooljat
February 19th, 2008, 04:54 PM
हा हा हा, भाई जी फॉर यौर इन्फोर्मेशन, "ठंडी बियर" किडनी के लिए बढ़िया रहती है..:cool::)
आपने तो बेरा होगा, ठंडी बियर पीने से किडनी स्टोन की प्रॉब्लम कदे ही ना होती.. :p;):D


लेकिन किडनी ना छौडें कतै भी..;)..डाक्टरां तै बचा ले गया तै...:eek:.. यो "ठ्न्डी बियर" ना रहण दे थारै किडनी..:p:D..?
.
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VirenderNarwal
February 19th, 2008, 05:14 PM
हा हा हा, भाई जी फॉर यौर इन्फोर्मेशन, "ठंडी बियर" किडनी के लिए बढ़िया रहती है..:cool::)
आपने तो बेरा होगा, ठंडी बियर पीने से किडनी स्टोन की प्रॉब्लम कदे ही ना होती.. :p;):D
म्हारी इन्फ़ोर्मेशन के लेवेगी.....हमने तै.....गर्म-गर्म कैम्पा-कोला पी राखी सै....नूण/नमक गेर कै....?
गर्मियाँ में...जब छौटे-छौटे बालक थे....तै....गाम में बानियाँ कै जाते....शिखर दूपरी में....उसते कहते...रै किराड...कैम्पा पया दे कैम्पा....? वो लू मे जमा तपती हुई गर्म-गर्म कैम्पा की बोतल हाथ मे दे देता.....उस बोतल में मोटा नूण/नमक गेर कै....बोतल का मूँह बन्द करके .....दो झटके मारते ही......सिधा मूँ कै ला लें थे......ओर नाका मनै कैम्पा की गैस जौर का झट्का मारदी...तै सम्झ ले पिसै पूरे हो गये...?
उसके आगै थारी ठन्डी बियर क्या स्वाद देगी...?
एक बे म्हारे बचपन में आ जा.....सब किमै भूल जागा।
.
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neels
February 19th, 2008, 05:23 PM
हे भगवान क्या बुरा हाल कर दिया है श्वेता के शुद्ध हिंदी प्रयास का, बिल्कुल हरियाणवी हिंदी बना दी..... !!!

crsnadar
February 19th, 2008, 05:32 PM
प्रयास तो निःसंदेह ही असाधारण है किन्तु सफलता सभी सदस्यों के सामजस्य पर ही निर्भर है.

sumitsehrawat
February 19th, 2008, 06:34 PM
ND style hai...:)! "कैम्पा पया दे कैम्पा...." :D:D!!
"र नाका मनै कैम्पा की गैस जौर का झट्का मारदी...तै सम्झ ले पिसै पूरे हो गये.." hahaha :D:D!!

Thanks,
Sumit

म्हारी इन्फ़ोर्मेशन के लेवेगी.....हमने तै.....गर्म-गर्म कैम्पा-कोला पी राखी सै....नूण/नमक गेर कै....?
गर्मियाँ में...जब छौटे-छौटे बालक थे....तै....गाम में बानियाँ कै जाते....शिखर दूपरी में....उसते कहते...रै किराड...कैम्पा पया दे कैम्पा....? वो लू मे जमा तपती हुई गर्म-गर्म कैम्पा की बोतल हाथ मे दे देता.....उस बोतल में मोटा नूण/नमक गेर कै....बोतल का मूँह बन्द करके .....दो झटके मारते ही......सिधा मूँ कै ला लें थे......ओर नाका मनै कैम्पा की गैस जौर का झट्का मारदी...तै सम्झ ले पिसै पूरे हो गये...?
उसके आगै थारी ठन्डी बियर क्या स्वाद देगी...?
एक बे म्हारे बचपन में आ जा.....सब किमै भूल जागा।
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gaganjat
February 20th, 2008, 01:07 AM
hahahahhaahahahahaaa itni shudh hindi....kash matma gandhi jinda hote...to unki ankho se tapa-ansu padan lagg jate

thamm chai mai gulkon-d biskut bhigo-bhigo ke khate raho ar shuddh hindi aate rahan do.

hudd karr rakhi sai mre yaar ! kati ae chala paad rakhya sai

gaganjat
February 20th, 2008, 01:10 AM
beer to aaadmi ke liye 'amrit' hai , aaj kal itni beemari chal padi hai, beer ke bina to unse ladna muskil hi nahi balki asambhav hai.

Dakturr Jit , beer ke 1 peti laa de isi baat pai freeze mai !


हा हा हा, भाई जी फॉर यौर इन्फोर्मेशन, "ठंडी बियर" किडनी के लिए बढ़िया रहती है..:cool::)
आपने तो बेरा होगा, ठंडी बियर पीने से किडनी स्टोन की प्रॉब्लम कदे ही ना होती.. :p;):D

gaganjat
February 20th, 2008, 01:12 AM
hahahhahahaha adaat bigad gi hai bhaisaab ,,,,goooli aali boootal chod kai campa peen lagge



म्हारी इन्फ़ोर्मेशन के लेवेगी.....हमने तै.....गर्म-गर्म कैम्पा-कोला पी राखी सै....नूण/नमक गेर कै....?
गर्मियाँ में...जब छौटे-छौटे बालक थे....तै....गाम में बानियाँ कै जाते....शिखर दूपरी में....उसते कहते...रै किराड...कैम्पा पया दे कैम्पा....? वो लू मे जमा तपती हुई गर्म-गर्म कैम्पा की बोतल हाथ मे दे देता.....उस बोतल में मोटा नूण/नमक गेर कै....बोतल का मूँह बन्द करके .....दो झटके मारते ही......सिधा मूँ कै ला लें थे......ओर नाका मनै कैम्पा की गैस जौर का झट्का मारदी...तै सम्झ ले पिसै पूरे हो गये...?
उसके आगै थारी ठन्डी बियर क्या स्वाद देगी...?
एक बे म्हारे बचपन में आ जा.....सब किमै भूल जागा।
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amitabh4ever
February 20th, 2008, 03:44 AM
i live in the usa, i have been speaking english since 12. i didn't get to study higher in india like i should have. how do i learn shudh hindi? can anyone tell me or maybe advise me? dhanyawad!

dkumars
February 25th, 2008, 02:57 PM
i live in the usa, i have been speaking english since 12. i didn't get to study higher in india like i should have. how do i learn shudh hindi? can anyone tell me or maybe advise me? dhanyawad!


भाई बोल
अ अनार
आ आम
इ इमली
ई ईंख
उ उल्लू
ऊ ऊन
और बचे ओड काल सिखाउंगा ... इन् सारा नै घोट ले पहल्या कत्ती
हिन्दी समझ में न आई हो तै बता दिए किसे कसूते जुगाड़ ते translate करवा देंगे भाई साहब :p

sanjeetsparp
February 25th, 2008, 04:35 PM
भाई बोल
अ अनार
आ आम
इ इमली
ई ईंख
उ उल्लू
ऊ ऊन
और बचे ओड काल सिखाउंगा ... इन् सारा नै घोट ले पहल्या कत्ती
हिन्दी समझ में न आई हो तै बता दिए किसे कसूते जुगाड़ ते translate करवा देंगे भाई साहब :p
Bhai Kumar Sahab ... Primary main meri Tai thee masterni er wa pedhaya ker ... Bolo Baalko अ ka अनार, आ ka आम, Chhoti इ ki इमली, Baddi ई ka ईंख, Chhote उ उल्लू, Badde ऊ ki ऊन

er naas te jab paatya ker jab nyu hoya kerta Ser aala Se, Pet Chera Se, sadak aala Se,

Bhai Mehaari Shudh Hindi ki te Ude e Taang toot li thee. Khud te Class main jarsi benani er ek Sab te Badde Baalak ne Manter Bena ke Jaal ki Kaamchi de diya kerti ... er wo Kheda Kheda poora din Geet se Gaayaan jaata ... er jo bhi kheda fota usse ke 2 Kaamchi ...... 10th paas keraan paache te nyu bera laagya ke ya Chhoti e er Baddi e na hoti .... ya 'e' er 'eee' ho sai ...

dkumars
February 26th, 2008, 04:58 PM
Bhai Kumar Sahab ... Primary main meri Tai thee masterni er wa pedhaya ker ... Bolo Baalko अ ka अनार, आ ka आम, Chhoti इ ki इमली, Baddi ई ka ईंख, Chhote उ उल्लू, Badde ऊ ki ऊन

er naas te jab paatya ker jab nyu hoya kerta Ser aala Se, Pet Chera Se, sadak aala Se,

Bhai Mehaari Shudh Hindi ki te Ude e Taang toot li thee. Khud te Class main jarsi benani er ek Sab te Badde Baalak ne Manter Bena ke Jaal ki Kaamchi de diya kerti ... er wo Kheda Kheda poora din Geet se Gaayaan jaata ... er jo bhi kheda fota usse ke 2 Kaamchi ...... 10th paas keraan paache te nyu bera laagya ke ya Chhoti e er Baddi e na hoti .... ya 'e' er 'eee' ho sai ...


woh bhai tai konya aaya aaj ... laage hai chutti maar gya ... pehlade din hi bunk... hmmm

dkumars
October 29th, 2008, 04:20 PM
सभी हिन्दी प्रेमी फ़िर से आमंत्रित है इस धागे में अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए |
आइये हिन्दी को फ़िर से उस्सी परचम पर पहुंचाए जहा वोह ५० वर्ष पहले थी | देवनागरी लिप्पी के लिए यहाँ क्लिक करें. http://www.google.co.in/transliterate/indic

dkumars
October 30th, 2008, 02:03 PM
मोहतरमा, आपने ये धागा शुरू किया और बंद हो गया| फ़िर हमने सरपंचो से कह कर इससे खुलवाया पर अभी भी इसमे कोई पोस्ट नही| कृपा करके कम से कम आप तो २-४ शब्द लिख दीजिये, क्या पता ये धागा फ़िर से दौड़ने लगे ?

shweta123
October 30th, 2008, 03:24 PM
मोहतरमा, आपने ये धागा शुरू किया और बंद हो गया| फ़िर हमने सरपंचो से कह कर इससे खुलवाया पर अभी भी इसमे कोई पोस्ट नही| कृपा करके कम से कम आप तो २-४ शब्द लिख दीजिये, क्या पता ये धागा फ़िर से दौड़ने लगे ?
प्रतीत होता है की आप इस धागे के विचार बिन्दु से अत्यंत प्रभावित हैं. :)

ये सत्य है की शुद्ध हिन्दी का प्रयोग कठिन हैं. यूँ तो हम सभी हिन्दी भाषी हैं किंतु हिन्दी को शुद्ध रूप में बोल या लिख पाना एक विशालकाय कार्य प्रतीत होता है. आइये एक और प्रयत्न किया जाए हमारी मातृ भाषा के विभिन् पक्षों पर पुनः एक दृष्टि डालने का !

SANDEEP5
October 30th, 2008, 04:07 PM
सभी हिन्दीप्रेमियों को नमस्ते :)
कृपया जाटभूमि के सभी सक्रिय सदस्यों को इस धागे में लिखने के लिए प्रेरित करे | अन्यथा हमारे जाट सरपंच इस धागे पर अन्य कोई नया धागा ना जुड़ते देख इसे फ़िर से बंद कर देंगे | आप सभी लोगो का हिन्दी के प्रचार प्रसार में किया गया यह कदम अवश्य ही सफल होगा | मेरे काफ़ी प्रयास के बाद ही मैं सफल को हिन्दी में लिख पाने में सफल हो पाया | कभी कभी ऐसा होता है कि गूगल पर हिन्दी लिखते समय हिन्दी के गूढ़ शब्दों को यह हिन्दी में अनुवादित करने में सफल नही हो पाता है | परन्तु इन सभी रुकावटो के बावजूद गूगल का यह प्रयास सराहनीय है |
मेरा उन सभी लोगो से विनम्र निवेदन है जो इस जाटभूमि पर आकर अन्य विषयो पर अपने विचार प्रकट करते हैं कृपया इस विषय पर भी अपने अमूल्य विचार प्रस्तुत करे ताकि हम अपनी मात्रभाषा हिन्दी को इस अंतरजाल {इन्टरनेट} पर फैलाने में सफल हो सके |
मैं एक ओर बात पर आप सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा कि हमें केवल हिन्दी भाषा में ही लिखने का प्रयास करना है उसमे उर्दू अरबी और फ़ारसी शब्दों का प्रयोग कम से कम करना है | तभी हम अपने इस प्रयास में सफल हो पाएंगे |
बस मेरी ओर से आज के लिए इतना ही पर्याप्त है बाकि बातें बाद में करेंगे |
:)
आप सभी के जैसा एक हिन्दीप्रेमी :)
:)संदीप तोमर:)

raksngh
October 30th, 2008, 04:08 PM
प्रतीत होता है की आप इस धागे के विचार बिन्दु से अत्यंत प्रभावित हैं. :)

ये सत्य है की शुद्ध हिन्दी का प्रयोग कठिन हैं. यूँ तो हम सभी हिन्दी भाषी हैं किंतु हिन्दी को शुद्ध रूप में बोल या लिख पाना एक विशालकाय कार्य प्रतीत होता है. आइये एक और प्रयत्न किया जाए हमारी मातृ भाषा के विभिन् पक्षों पर पुनः एक दृष्टि डालने का !

प्रिये मित्रो,
आज की तारीख में हिन्दी को राष्ट्रभाषा मानने को कई राज्य तैयार नही है.
सबसे फले इसका कोई उपआय बताओ फिर कोई बात आगे बढेगी

sachinb
October 30th, 2008, 04:23 PM
Paryaas to bahut achha hai lekin Hindi mein likhe kaise,:eek:,,,,kayi baar koshi kari lekin baat hi nahi ban rahi,,,,,,,chalo koshi jaari rakhte hain,,,,,,,aur pher usi chakkar mein haryanvi likhan khaatir bheetrla ubaale khaan laag jya se

SANDEEP5
October 30th, 2008, 05:38 PM
Paryaas to bahut achha hai lekin Hindi mein likhe kaise,:eek:,,,,kayi baar koshi kari lekin baat hi nahi ban rahi,,,,,,,chalo koshi jaari rakhte hain,,,,,,,aur pher usi chakkar mein haryanvi likhan khaatir bheetrla ubaale khaan laag jya se


भाई सचिन जो अंतरजाल (इन्टरनेट) पता नीचे दिया गया है उस पर जाकर अंग्रेजी के कुंजीपटल (कीबोर्ड) जो भी कुंजी आप दबायेंगे वह हिन्दी में नज़र आएगी

फ़िर वहां से आप उसे नक़ल (कॉपी) करके जाटभूमि पर जाकर चिपका (पेस्ट) सकते हैं | यह बहुत ही सरल है | इस विधि का प्रयोग करके आप भी हिन्दी में लिख सकते हैं |

हिन्दी में अन्य किसी भी सहायता के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं | मुझे इसमे अत्यन्त खुशी होगी |




http://www.google.co.in/transliterate/indic

shweta123
October 30th, 2008, 05:44 PM
भाई सचिन जो अंतरजाल (इन्टरनेट) पता नीचे दिया गया है उस पर जाकर अंग्रेजी के कुंजीपटल (कीबोर्ड) जो भी कुंजी आप दबायेंगे वह हिन्दी में नज़र आएगी

फ़िर वहां से आप उसे नक़ल (कॉपी) करके जाटभूमि पर जाकर चिपका (पेस्ट) सकते हैं | यह बहुत ही सरल है | इस विधि का प्रयोग करके आप भी हिन्दी में लिख सकते हैं |

हिन्दी में अन्य किसी भी सहायता के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं | मुझे इसमे अत्यन्त खुशी होगी |




http://www.google.co.in/transliterate/indic
संदीप जी उनकी दुविधा ये है की उनको शब्द ही नही मिल पाते शुद्ध हिन्दी के, अपितु वे अपनी हरयाणवी में ही सिमट के रह जाते हैं उचित शब्द न मिल पाने के कारण. वे चाह कर भी हरयाणवी के मोह से बाहर नही आ पाते :)

sachinb
October 30th, 2008, 06:02 PM
Baat aisi hai Shweta ji, mere saath shabdo ka koyi bandhan nahi hai, aur na hi mujhe hindi ke shabd dhundne mein koyi kathinaayee hoti hai, main hindi puran dhaara-parvaah ke nir-vighan bol aur likh sakta hun,

mere hindi bhasha ke upar aapki tippani matr aapki apni mansikta pardarshit karti hai aur aisa parteet hota hai ki aap apne hi vicharo tak sankuchit hain:rock,,,,

Sandeep bhai ne mere ko theek samjha hai aur usi ke liye unhone sujhaav bhi diya, ye to aapki hi samajh mein roda atak gaya kahin:rock

You seems to be an intelligent person so i will take the right words of Hindi on loan from you(only i fi get struck somewhere, to which i am preety confident will not struck):rock

Rahit baat Haryanvi ki, I am proud of being a Jat and I love to speak Haryanavi without any hesitation and without any inhibition:boxing


संदीप जी उनकी दुविधा ये है की उनको शब्द ही नही मिल पाते शुद्ध हिन्दी के, अपितु वे अपनी हरयाणवी में ही सिमट के रह जाते हैं उचित शब्द न मिल पाने के कारण. वे चाह कर भी हरयाणवी के मोह से बाहर नही आ पाते :)

dkumars
October 30th, 2008, 06:10 PM
संदीप जी उनकी दुविधा ये है की उनको शब्द ही नही मिल पाते शुद्ध हिन्दी के, अपितु वे अपनी हरयाणवी में ही सिमट के रह जाते हैं उचित शब्द न मिल पाने के कारण. वे चाह कर भी हरयाणवी के मोह से बाहर नही आ पाते :)

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान
रस्सी आवत जात ते सिल पे परत निशान

SANDEEP5
October 30th, 2008, 06:26 PM
संदीप जी उनकी दुविधा ये है की उनको शब्द ही नही मिल पाते शुद्ध हिन्दी के, अपितु वे अपनी हरयाणवी में ही सिमट के रह जाते हैं उचित शब्द न मिल पाने के कारण. वे चाह कर भी हरयाणवी के मोह से बाहर नही आ पाते :)

हरयाणवी भाषा का मोह त्यागे बिना तो शुद्ध हिन्दी लिखना और सीखना बड़ा ही कष्टप्रद होगा | मैं भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हूँ लेकिन मैं शुद्ध हिन्दी बोलते या लिखते समय अपनी आंचलिक भाषा का प्रयोग नही करता हूँ अन्यथा उस हिन्दी का तो बेडागर्क हो जाएगा |

SANDEEP5
October 30th, 2008, 06:31 PM
सचिन जी ये जवाब यदि आप हिन्दी भाषा में देते तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होती |
आप ही ने अपने प्रतिउत्तर में लिखा है कि मैंने आपको सही समझा है और सुझाव भी सही दिया है |
मैं आपसे आशा करूँगा कि आप भविष्य में कम से कम इस धागे पर तो मेरे दिए गए सुझाव पर अमल करते हूए हिन्दी में ही जवाब देंगे |

आपका सच्चा हितेषी
संदीप तोमर

choudharyneelam
October 30th, 2008, 07:14 PM
Ati uttam aur sarahniye vichaar prakat kiye aapne, Shweta ji

Likhne ke pashchat hi andaza hota hai ki hum apni Matra-bhasha se kitne aparichit hain. Kathin bhasha ka ehsaas ho raha hai. Parantu main apni taraf se jee-tod prayatn karungi, isse sikhne, samajhne aur likhne mein.

Filhaal ye mutthi bhar shabd hi bayaan kar paayi hun. Ye sunder aur vichaarsheel prayatn jaari rahega.

Kintu ek prashann poochhna hai.....ant mein mujhe REGARDS likhna ho to iske liye sahi hindi parryay kya hoga ?

dkumars
October 30th, 2008, 08:51 PM
Ati uttam aur sarahniye vichaar prakat kiye aapne, Shweta ji

Likhne ke pashchat hi andaza hota hai ki hum apni Matra-bhasha se kitne aparichit hain. Kathin bhasha ka ehsaas ho raha hai. Parantu main apni taraf se jee-tod prayatn karungi, isse sikhne, samajhne aur likhne mein.

Filhaal ye mutthi bhar shabd hi bayaan kar paayi hun. Ye sunder aur vichaarsheel prayatn jaari rahega.

Kintu ek prashann poochhna hai.....ant mein mujhe REGARDS likhna ho to iske liye sahi hindi parryay kya hoga ?


नीलम जी आपको हिन्दी में लिखते हुए देख अति प्रसंता हुई लेकिन अगर लिप्पी रोमन की जगह देवनागरी होती तो मजा ही कुछ और होता| देवनागरी लिप्पी(हिन्दी) में लिखने के लिए यहाँ क्लिक करे|
http://www.google.co.in/transliterate/indic

अगर Regards का आप हिन्दी अनुवाद चाहती है तो उसे आशीष कहते है

आशीष,
देवेन्द्र कुमार

choudharyneelam
October 30th, 2008, 09:18 PM
नीलम जी आपको हिन्दी में लिखते हुए देख अति प्रसंता हुई लेकिन अगर लिप्पी रोमन की जगह देवनागरी होती तो मजा ही कुछ और होता| देवनागरी लिप्पी(हिन्दी) में लिखने के लिए यहाँ क्लिक करे|
http://www.google.co.in/transliterate/indic

अगर regards का आप हिन्दी अनुवाद चाहती है तो उसे आशीष कहते है

आशीष,
देवेन्द्र कुमार

देवेंदर, मुझे भी आपके तुरंत जवाब से अति प्रसंन्त्ता हुई
आपका बहुत बहुत धन्यवाद और मेरी और से हिन्दी भाषा में और भी सवाल-जवाब आते रहेंगे

श्वेताजी में कुछ नया सोचने की अद्भुत कला है, जो यहाँ इन्होने पहल करके साबित की :)

आशीष
नीलम चौधरी
(देवेंदर, मैं आपका मेरे लेख में बदलाव लाने के लिए भी धन्यवाद करना चाहूंगी, बयान करने के लिए शब्द कोष कम पड़ रहा है की मैं ये बता सकूँ कितना लुत्फ़ उठा रही हूँ लिखने में) :)

neels
October 30th, 2008, 09:27 PM
मोहतरमा, आपने ये धागा शुरू किया और बंद हो गया| फ़िर हमने सरपंचो से कह कर इससे खुलवाया पर अभी भी इसमे कोई पोस्ट नही| कृपा करके कम से कम आप तो २-४ शब्द लिख दीजिये, क्या पता ये धागा फ़िर से दौड़ने लगे ?


ati uttam aur sarahniye vichaar prakat kiye aapne, shweta ji

likhne ke pashchat hi andaza hota hai ki hum apni matra-bhasha se kitne aparichit hain. Kathin bhasha ka ehsaas ho raha hai. Parantu main apni taraf se jee-tod prayatn karungi, isse sikhne, samajhne aur likhne mein.

filhaal ye mutthi bhar shabd hi bayaan kar paayi hun. Ye sunder aur vichaarsheel prayatn jaari rahega.

Kintu ek prashann poochhna hai.....ant mein mujhe regards likhna ho to iske liye sahi hindi parryay kya hoga ?

देवेन्द्र एवं नीलम, आप दोनों का प्रयास बहुत ही सराहनीय है| यदि आप मोहतरमा, फिलहाल, अंदाजा जैसे उर्दू व फारसी के शब्दों का प्रयोग कम करें तो अति उत्तम होगा| आप द्वारा इन शब्दों का प्रयोग एक दूसरे धागे का स्मरण करवाता है - हिंदी का इस्लामीकरण| ;) नीलम आप 'आदर सहित' शब्द का भी प्रयोग कर सकती हैं|

anuchhikara
October 30th, 2008, 09:30 PM
नीलम जी आपको हिन्दी में लिखते हुए देख अति प्रसंता हुई लेकिन अगर लिप्पी रोमन की जगह देवनागरी होती तो मजा ही कुछ और होता| देवनागरी लिप्पी(हिन्दी) में लिखने के लिए यहाँ क्लिक करे|
http://www.google.co.in/transliterate/indic

अगर Regards का आप हिन्दी अनुवाद चाहती है तो उसे आशीष कहते है

आशीष,
देवेन्द्र कुमार
खुशी तो अत्यन्त हुई है :)..........पर यदि शब्दों को लिखने में गलती न करे तो ज्यादा उचित और सरल होगा ...........डीके:cool: "प्रसंता" नहीँ "प्रसन्नता" सही उच्चारण है !!!!!

pdpbeniwal
October 30th, 2008, 09:49 PM
pyaare bhai logon.....
Hindi hum logon ko jitni aati hai kaafi hai....bol lete hai......samajh lete hai....ab adheek hindi ka gyaan le ke kya karenge....aaj ki antarrashtriaya bhasa to angrezi hai....agar humein antarrashtriya satar tak paunchana hai to angrezi pe dhyaan lagaane ki jyaada jaroorat hai......
aur jo ye hindi aap log yahan likh rahe ho.......aisi school mein to nahi padhi thi maine.....ye maatra sab golmaal hai....hindi na to kunjipatal ke anukul hai....hindi ki paanch panktiyan likhne mein paanch minute lag jaate hai....maatra dhoondte dhoondte......itne takleef ki kya jaroorat hai.....angrezi likho....koi verbhaav to nahi hai angrezi se hamaara...
.......baat rahi shudh hindi ki to....bhasa aisi honi chaiye ki aam aadmi ke samajh mein aa jaayein....hindi bhi bahut saare shabd urdu ke paryog mein laati hai to kya dikkat hai usmein....angrezi bhi hindi ke shabd prayog mein laati hai to vo bhi achhi baat hai...

ssgoyat
October 30th, 2008, 10:46 PM
देवेन्द्र एवं नीलम, आप दोनों का प्रयास बहुत ही सराहनीय है| यदि आप मोहतरमा, फिलहाल, अंदाजा जैसे उर्दू व फारसी के शब्दों का प्रयोग कम करें तो अति उत्तम होगा| आप द्वारा इन शब्दों का प्रयोग एक दूसरे धागे का स्मरण करवाता है - हिंदी का इस्लामीकरण| ;) नीलम आप 'आदर सहित' शब्द का भी प्रयोग कर सकती हैं|

जहाँ तक अल्फाज चुनने की बात है.
हम ख़ुद उर्दू के बड़े कायल हैं.

जितनी लट्ठ मार हमारी जाटों की बोली है, उसकी बिल्कुल विपरीत है उर्दू व फारसी ..
पंजाबी को भी में हिन्दी से ऊपर ही मानता हू..

PrashantHooda
October 30th, 2008, 11:09 PM
हिन्दी की कुछ ज्यादा ही "हिन्दी" हो रही है यहाँ :eek: :confused: :rolleyes:

dkumars
October 30th, 2008, 11:43 PM
खुशी तो अत्यन्त हुई है :)..........पर यदि शब्दों को लिखने में गलती न करे तो ज्यादा उचित और सरल होगा ...........डीके:cool: "प्रसंता" नहीँ "प्रसन्नता" सही उच्चारण है !!!!!

धन्यवाद् अनु |
मै अपनी त्रुटी में सुधार का प्रयत्न करूँगा |

देवेन्द्र

dkumars
October 30th, 2008, 11:55 PM
pyaare bhai logon.....
Hindi hum logon ko jitni aati hai kaafi hai....bol lete hai......samajh lete hai....ab adheek hindi ka gyaan le ke kya karenge....aaj ki antarrashtriaya bhasa to angrezi hai....agar humein antarrashtriya satar tak paunchana hai to angrezi pe dhyaan lagaane ki jyaada jaroorat hai......
aur jo ye hindi aap log yahan likh rahe ho.......aisi school mein to nahi padhi thi maine.....ye maatra sab golmaal hai....hindi na to kunjipatal ke anukul hai....hindi ki paanch panktiyan likhne mein paanch minute lag jaate hai....maatra dhoondte dhoondte......itne takleef ki kya jaroorat hai.....angrezi likho....koi verbhaav to nahi hai angrezi se hamaara...
.......baat rahi shudh hindi ki to....bhasa aisi honi chaiye ki aam aadmi ke samajh mein aa jaayein....hindi bhi bahut saare shabd urdu ke paryog mein laati hai to kya dikkat hai usmein....angrezi bhi hindi ke shabd prayog mein laati hai to vo bhi achhi baat hai...
]प्रिय प्रदीप,

ज्ञान किस्सी भी प्रकार का ग़लत नही होता | वासी भी यहाँ किस्सी को भी बाध्य नही किया गया है सिखने या लिखने के लिए | ये धागा उनके लिए है जो हिन्दी प्रेमी है या हिन्दी सीखने के लिए उत्सुक है |

आपको ध्यान दिला दूँ कि अंग्रेज़ी के लिए एक और धागा चल रहा है अगर आप अंग्रेज़ी सिखने या सुधरने के लिए आतुर है तोह यहाँ क्लिक करे |
http://www.jatland.com/forums/showthread.php?t=25379

यहाँ किस्सी भी प्रकार से आप बाध्य नही है कि आपको कुछ न कुछ लिखना ही पड़ेगा |
अंग्रेज़ी कौन से हिन्दी के शब्द प्रयोग करती है कृपा हमें भी बताइए हम जानने के लिए उत्सुक है |



देवेन्द्र

sachinb
October 31st, 2008, 09:50 AM
Tomar Bhai Ji,,samay kam tha is liye aap ki batayi hui baat ko abhi tak karya-rup de nahi paaya hun,,

vo to maine Shweta Ji ke dwara likhe hue kataksh ke upar turant likhna pada,,,,,,,kyaa kare insaan ko kayi baar apne upar ghamand ho jaata hai,,,,,,aise mein us insaan ko batana bhi bahut awashyak hai,,,,,

agla uttar dev-naagri ka paryog seekhne ke baad hi dunga is dhaage mein:rock


सचिन जी ये जवाब यदि आप हिन्दी भाषा में देते तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होती |
आप ही ने अपने प्रतिउत्तर में लिखा है कि मैंने आपको सही समझा है और सुझाव भी सही दिया है |
मैं आपसे आशा करूँगा कि आप भविष्य में कम से कम इस धागे पर तो मेरे दिए गए सुझाव पर अमल करते हूए हिन्दी में ही जवाब देंगे |

आपका सच्चा हितेषी
संदीप तोमर

shweta123
October 31st, 2008, 11:26 AM
Baat aisi hai Shweta ji, mere saath shabdo ka koyi bandhan nahi hai, aur na hi mujhe hindi ke shabd dhundne mein koyi kathinaayee hoti hai, main hindi puran dhaara-parvaah ke nir-vighan bol aur likh sakta hun,

mere hindi bhasha ke upar aapki tippani matr aapki apni mansikta pardarshit karti hai aur aisa parteet hota hai ki aap apne hi vicharo tak sankuchit hain,,,,

Sandeep bhai ne mere ko theek samjha hai aur usi ke liye unhone sujhaav bhi diya, ye to aapki hi samajh mein roda atak gaya kahin

You seems to be an intelligent person so i will take the right words of Hindi on loan from you(only i fi get struck somewhere, to which i am preety confident will not struck):rock

Rahit baat Haryanvi ki, I am proud of being a Jat and I love to speak Haryanavi without any hesitation and without any inhibition
आप अत्यंत विद्वान होंगे किंतु तब भी आपको कटाक्ष एवं कथन के मध्य अन्तर का ज्ञान नही है ! :)

किसी के कहे कथन को तोड़ मडोड कर उसका अर्थ बदल देना इसे कहते हैं ! :rolleyes:

मैंने साफ़ शब्दों में कहा था की शायद आप हरयाणवी की बोल चाल एवं उसके उपयोग के इतने आदि हो चुके हैं की आपको हिन्दी के शब्द सोच पाना एवं उनको प्रयोग में लेना एक टेढी खीर प्रतीत होता है. और ये एक आम समस्या है हम सभी के साथ - क्या हरयाणवी, क्या राजस्थानी, ये समस्या तो सभी के साथ है ! :o

आज कितने व्यक्ति हैं जो धारा प्रवाह उचित शब्दकोष का प्रयोग करते हुए हिन्दी बोल सकते हैं? मैं तो ऐसा करने में सक्षम नही हू! :cool: अपितु हम सभी कही न कहीं जाने अनजाने में उर्दू एवं फ़ारसी के दैनिक बोल चाल के शब्दों का प्रयोग कर बैठते हैं और इसमे बुरा क्या है ? जिस भाषा का हम बाल्यकाल से प्रयोग करते आए हैं उसका प्रभाव तो हमारी बोल चाल में सदैव ही दिखायी देगा. :confused:

तो अगर आपकी आंचलिक भाषा हरयाणवी है तो उसका प्रभाव आपकी अंग्रेजी तक पे पड़ेगा हिन्दी की तो आप बात ही छोडिए. :(

हर किसी बात को बिना समझे उसपे कटाक्ष करना समझदारी नही है, आगे आप स्वयं समझदार हैं. मैंने किसी पे कोई कटाक्ष नही किया तो नही किया ! और जबकि मै ख़ुद हरयाणा से सम्बन्ध रखती हूं तो मै आप पर उसको लेकर कटाक्ष क्यो करुँगी? :tamatar

और हाँ मुझे गर्व है भारतीय होने का एवं मुझे अत्यंत आनंद की अनुभूति होती है हिन्दी कों शुद्ध रूप से बोल पाले का प्रयत्न करते रहने में. :)

shweta123
October 31st, 2008, 11:43 AM
pyaare bhai logon.....
Hindi hum logon ko jitni aati hai kaafi hai....bol lete hai......samajh lete hai....ab adheek hindi ka gyaan le ke kya karenge....aaj ki antarrashtriaya bhasa to angrezi hai....agar humein antarrashtriya satar tak paunchana hai to angrezi pe dhyaan lagaane ki jyaada jaroorat hai......
aur jo ye hindi aap log yahan likh rahe ho.......aisi school mein to nahi padhi thi maine.....ye maatra sab golmaal hai....hindi na to kunjipatal ke anukul hai....hindi ki paanch panktiyan likhne mein paanch minute lag jaate hai....maatra dhoondte dhoondte......itne takleef ki kya jaroorat hai.....angrezi likho....koi verbhaav to nahi hai angrezi se hamaara...
.......baat rahi shudh hindi ki to....bhasa aisi honi chaiye ki aam aadmi ke samajh mein aa jaayein....hindi bhi bahut saare shabd urdu ke paryog mein laati hai to kya dikkat hai usmein....angrezi bhi hindi ke shabd prayog mein laati hai to vo bhi achhi baat hai...
आवशयकता तो चाँद पर जाने की भी नही है धरती पर क्या नही है ? ;)

'तकलीफ' तो एक औरत कों एक शिशु कों जन्म देने में भी होती है, तो क्या वो छोड़ दे इस कार्य कों ? :o

मुशकिलों से युक्त हर कार्य कों छोड़ा नही जा सकता अगर उसमे दूरगामी सफलता प्राप्त होने की निमित्त मातृ भी आशा हो एवं वो कार्य किसी लक्ष्य कों ध्यान में रख कर किया जा रहा हो. :)

आपको कैसा लगेगा अगर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आपके देश की भाषा आ सके तो? माना की ये लक्ष्य निकट भविष्य में प्राप्त होता प्रतीत नही होता, किंतु अपने देश की इस धरोहर कों हम कम से कम अगली पीढियों तक एक सही रूप में पहुँचा तो सके!:)

RavinderSura
October 31st, 2008, 12:41 PM
खुशी तो अत्यन्त हुई है :)..........पर यदि शब्दों को लिखने में गलती न करे तो ज्यादा उचित और सरल होगा ...........डीके:cool: "प्रसंता" नहीँ "प्रसन्नता" सही उच्चारण है !!!!!
jiji aap to hindi ki adhyapika bi ho , hume gyaan hi nahi thha iss vishey me|

dkumars
October 31st, 2008, 12:46 PM
अगर उसमे दूरगामी सफलता प्राप्त होने की निमित्त मातृ भी आशा हो एवं वो कार्य किसी लक्ष्य कों ध्यान में रख कर किया जा रहा हो.

!

:eek::confused:;):confused::eek::confused::eek::co nfused:

pdpbeniwal
October 31st, 2008, 02:51 PM
आवशयकता तो चाँद पर जाने की भी नही है धरती पर क्या नही है ? ;)

'तकलीफ' तो एक औरत कों एक शिशु कों जन्म देने में भी होती है, तो क्या वो छोड़ दे इस कार्य कों ? :o

मुशकिलों से युक्त हर कार्य कों छोड़ा नही जा सकता अगर उसमे दूरगामी सफलता प्राप्त होने की निमित्त मातृ भी आशा हो एवं वो कार्य किसी लक्ष्य कों ध्यान में रख कर किया जा रहा हो. :)

आपको कैसा लगेगा अगर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आपके देश की भाषा आ सके तो? माना की ये लक्ष्य निकट भविष्य में प्राप्त होता प्रतीत नही होता, किंतु अपने देश की इस धरोहर कों हम कम से कम अगली पीढियों तक एक सही रूप में पहुँचा तो सके!:)

आदर्नियन श्वेता जी,
मेरे कहने का तात्पर्य ये कती ना था की किसी कार्य को मात्र इसलिए छोड़ दिया जाएँ की वो जटिल है बल्की क्या अनुकूल परिणाम उसका भविष्य में आएगा वो मूल चिन्तन का उदेशेया होना चाइये .....आप जिन कार्यो की व्याख्या कर रही है हर कार्य से बहुत सारे सपष्ट दिखने वाले अनुकूल परिणाम निकट और दूर भविष्य में देखे जा सकते है
हिन्दी का यदी हम वीकास करना चाहते है तो अहम् मुद्दा तो ये है की इन वीकास के पर्यतानो के दौरान हम उसके स्वरुप से छेड़खानी ना होने दे ....सब से प्रथम आवशयकता है तो वो है की हम उपकरण का वीकास करे जो भाषा के व्याकरण का सम्मान करे.....अगर इस भांती वीकास चलता गया तो कुछ बर्षों में हिन्दी पहचान में भी नही आएगी .....किसी दूसरी भाषा के मध्यम से अगर हम अपनी भाषा को टाइप करे तो अपनी भाषा का वीकास कैसे संभंव है ....आवशयकता है तो पहले की अपनी भाषा को अन्य भाषा पर निर्भार्यता से मुक्त करे ... अगर हम अपनी धरोहर को जीवित रखना चाहते है तो हमें पहले इसे मानक स्तर पर टाइप करने की आवशयकता है ...
अगर आज अंग्रेज़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है तो उसका कारण महज ये नही है की अंग्रेज़ी के वीकास पर महज ध्यान दिया गया था ...अंग्रेज़ी बोलने वाले लोगों का समाज के वीकास में बहुत बड़ा योगदान है....हम लोगों ने ऐसा किया क्या है की जो हम हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कभी दूर भविष्य में भी ला सकेंगे.....हमारे जिस वीकास पर हम गर्व करते है वो वीकास
केवल इतना है की हम किस तीव्रता से पास्चायता संस्कृति को अपनी संस्कृति में अपना रहे है....
.......सीधी सी बात जो मुझे पीड़ा करती है वो येह है की मुझ से भाषा का येह बदलता हुआ सवरूप सहन नही होता है ... भाषा का जिस तरह से हस्त लेखन में प्रयोग होता है उसे यहाँ पर भी संजीवित रखा जाएँ......दिविसतर मानको से कोई सफलता नही ली जा सकती .....
.......... टिप्पणियों की सह्दिल से प्रतीक्षा है ....किसी भी परकार का संकोच न करे. :):):)
आशीष
प्रदीप बेनीवाल

pdpbeniwal
October 31st, 2008, 03:20 PM
]प्रिय प्रदीप,

ज्ञान किस्सी भी प्रकार का ग़लत नही होता | वासी भी यहाँ किस्सी को भी बाध्य नही किया गया है सिखने या लिखने के लिए | ये धागा उनके लिए है जो हिन्दी प्रेमी है या हिन्दी सीखने के लिए उत्सुक है |

आपको ध्यान दिला दूँ कि अंग्रेज़ी के लिए एक और धागा चल रहा है अगर आप अंग्रेज़ी सिखने या सुधरने के लिए आतुर है तोह यहाँ क्लिक करे |


यहाँ किस्सी भी प्रकार से आप बाध्य नही है कि आपको कुछ न कुछ लिखना ही पड़ेगा |
अंग्रेज़ी कौन से हिन्दी के शब्द प्रयोग करती है कृपा हमें भी बताइए हम जानने के लिए उत्सुक है |



देवेन्द्र

Respected Sir,

I am very sorry i bothered you making you type something which i already knew.....actually i didn't intend to write that paragraph in hope to get this type of flagrant suggestion....For the words which are used by English originally of Sanskrit/Hindi...i'm pasting a excerpt here...For the details you can visit the link given below:

English is one of the most widely spoken languages of the world. It is also has a rich vocabulary with Oxford dictionary listing more than 600,000 words. The reason behind the extensive vocabulary is very simple. English has evolved by incorporating words from various languages from all over the world. Many Indian words have made it to the regular English vocabulary. Most of them were added during the British imperialistic rule over India from spanning from 16th to 20th century. More than five hundred words of Indian origin were absorbed into English during that period and it has grown ever since. Currently the Oxford English Dictionary lists over 700 words of Indian origin.

Most of the Indian words that were incorporated into English had no equivalent in English for example yoga, swastika, khaki, sari, and sati. However unlike French and Latin words, Indian words were rarely substituted to English words. Some words, which already had meanings, were borrowed because they sounded different and trendy like pundit, guru, dharma etc.

Actually i'm not able to paste link here since my posts count is yet below 15...so do googling for details....sorry for the inconvenience ...
With Regards
Pradeep Beniwal :):):)

dkumars
October 31st, 2008, 03:39 PM
respected sir,

i am very sorry i bothered you making you type something which i already knew.....actually i didn't intend to write that paragraph in hope to get this type of flagrant suggestion....for the words which are used by english originally of sanskrit/hindi...i'm pasting a excerpt here...for the details you can visit the link given below:

english is one of the most widely spoken languages of the world. It is also has a rich vocabulary with oxford dictionary listing more than 600,000 words. The reason behind the extensive vocabulary is very simple. English has evolved by incorporating words from various languages from all over the world. Many indian words have made it to the regular english vocabulary. Most of them were added during the british imperialistic rule over india from spanning from 16th to 20th century. More than five hundred words of indian origin were absorbed into english during that period and it has grown ever since. Currently the oxford english dictionary lists over 700 words of indian origin.

most of the indian words that were incorporated into english had no equivalent in english for example yoga, swastika, khaki, sari, and sati. However unlike french and latin words, indian words were rarely substituted to english words. Some words, which already had meanings, were borrowed because they sounded different and trendy like pundit, guru, dharma etc.

actually i'm not able to paste link here since my posts count is yet below 15...so do googling for details....sorry for the inconvenience ...
with regards
pradeep beniwal :):):)




धन्यवाद् प्रदीप

choudharyneelam
October 31st, 2008, 08:11 PM
देवेन्द्र एवं नीलम, आप दोनों का प्रयास बहुत ही सराहनीय है| यदि आप मोहतरमा, फिलहाल, अंदाजा जैसे उर्दू व फारसी के शब्दों का प्रयोग कम करें तो अति उत्तम होगा| आप द्वारा इन शब्दों का प्रयोग एक दूसरे धागे का स्मरण करवाता है - हिंदी का इस्लामीकरण| ;) नीलम आप 'आदर सहित' शब्द का भी प्रयोग कर सकती हैं|

प्रिये मोहतरमा, आपकी बात भी अपने स्थान पर उचित है, किंतु मैंने अपनी हिन्दी की पुस्तकों में इन् दोनों शब्दों का प्रोयग देखा और पढ़ा है.

आदर सहित
नीलम चौधरी :)

choudharyneelam
October 31st, 2008, 08:19 PM
कोई कुछ भी कहे लेकिन मुझे एक बात पर पक्का यकीन हो गया है की, मोदेरातोर्स इस सुंदर धागे में गाँठ नहीं मारेंगे :d क्यूंकि यहाँ तो लड़ते वक्त भी मधुर वाणी झलक रही है, कोई अपशब्द का प्रयोग नहीं हो सकता जैसा की आम_तौर पर हम अंग्रेज़ी में देखते हैं :)

dkumars
October 31st, 2008, 10:35 PM
कोई कुछ भी कहे लेकिन मुझे एक बात पर पक्का यकीन हो गया है की, मोदेरातोर्स इस सुंदर धागे में गाँठ नहीं मारेंगे :d क्यूंकि यहाँ तो लड़ते वक्त भी मधुर वाणी झलक रही है, कोई अपशब्द का प्रयोग नहीं हो सकता जैसा की आम_तौर पर हम अंग्रेज़ी में देखते हैं :)

महोदया, मोडरेटर शब्द की इस्सी तीसी कर दी आप ने तो|

hoodarajesh
November 1st, 2008, 12:32 PM
आवशयकता तो चाँद पर जाने की भी नही है धरती पर क्या नही है ? ;)

'तकलीफ' तो एक औरत कों एक शिशु कों जन्म देने में भी होती है, तो क्या वो छोड़ दे इस कार्य कों ? :o

मुशकिलों से युक्त हर कार्य कों छोड़ा नही जा सकता अगर उसमे दूरगामी सफलता प्राप्त होने की निमित्त मातृ भी आशा हो एवं वो कार्य किसी लक्ष्य कों ध्यान में रख कर किया जा रहा हो. :)

आपको कैसा लगेगा अगर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आपके देश की भाषा आ सके तो? माना की ये लक्ष्य निकट भविष्य में प्राप्त होता प्रतीत नही होता, किंतु अपने देश की इस धरोहर कों हम कम से कम अगली पीढियों तक एक सही रूप में पहुँचा तो सके!:)

आदरणीय .
कुमारी स्वेता जी आपके हिन्दी के प्रति इतना प्रेम देख कर दिल गद -गद हो गया है .
आप सही फरमा रही है की हिन्दी एक दिन विश्व सतरीय भाषा बन जायेगी .
राम चन्द्र जी कह गये सिया से एसा वक्त भी आएगा |
दुनिया बोलेगी हिन्दी और हमारा हिंदुस्तान छा जाएगा |
हिन्दुस्तान छा जाएगा हिन्दी होगी माँ सबकी |
बाकि पशु नही होंगे घर में होंगी गा (गाय) सबकी |

anuchhikara
November 1st, 2008, 03:36 PM
महोदया, मोडरेटर शब्द की इस्सी तीसी कर दी आप ने तो|
हाहाहाहाहाहाहा:p.......... डीके :cool:!!!!!............अब तो हँसी भी हिन्दी में ही आएगी !!!!:D;)

shweta123
November 1st, 2008, 03:40 PM
Funny Translations
******************

Have a nice day! ----- * अच्छा दिन लो!

Check this out, man! ----* इसकी छानबीन करो, आदमी!

Don't mess with me, dude.--*मेरे साथ गंदगी मत करो, ए व्यक्ति

She's so fine! ----- * वो इतनी बारीक हैं!

Listen buddy, that chick's mine, okay!?--*सुनो दोस्त,वो चूजा मेरा है। ठीक

Hey good looking; what's cooking? ----* अरे सुन्दरता की देवी, क्या पका रही हो

Are you nuts? ----- *क्या आप अखरोट हैं?

Son of a gun.----- * बच्चा बंदूक का.


Rock the party. ---- * पार्टी में पथ्थर फेंको.

**************
और सबसे बेहतरीन
**************

Keep in touch...... * छूते रहो.

Lets hang out!....*चलो बाहर लटकते हैं।

anuchhikara
November 1st, 2008, 03:50 PM
प्रिय दोस्तों !!!! ..............इस धागे पर लिखते हुए सच में सबको बहुत खुशी हो रही है !.......परन्तु यदि शब्दों को लिखने में गलती न करें तो और उचित व सार्थक होगा !!!!! :)

anuchhikara
November 1st, 2008, 03:57 PM
Funny Translation

**************
और सबसे बेहतरीन
**************

Keep in touch...... * छूते रहो.

Lets hang out!....*चलो बाहर लटकते हैं।

hahahahahaahah:).;)............chalo shweta ........."बाहर लटकते हैं।" ............:D:p:cool:

arvind1069
November 2nd, 2008, 10:34 AM
mujhe computer par apni matri bhasha hindi main likhne ka gyan nahi hai. aap main se koi mujhe ye vidya sikha sakta hai.

vaise ye dhaga aarambh karke aapne hindi bhasha ke punruthaan ka ek ati uttam prayaas kiya hai. aapko sadhuvaad.
sach hai jo samaj apni bhasha ka samman nahi karta, vo shighra hi vinaash ko prapt hota hai.

arvind1069
November 2nd, 2008, 10:46 AM
सही कहा सुनीता जी, भाषा केवल अभिव्यक्ति का एक माध्यम मात्र है.

मैं केवल प्रयासरत थी अपने विचारों को शुद्ध हिन्दी के शब्दों मे प्रकट करने हेतु, परन्तु ये सच मे एक कठिन कार्य प्रतीत होता है!

समय लगता है उपयुक्त शब्द के चुनाव मे !

bhasha kewal vicharon ki ek abhivyakti ka sadhan hi nahi hai. bhasha hame apni sanskriti, darshan, samaj, dharam se jorti hai. bhasha ka itna kam mulyankan na kijiye.
yahan australia main rehte hue maine isko prateet kiya hai. jab koi apni bhasha ko jaanne hara milta hai, (bhale hi vo kisi bhi desh ka ho) to mann ko ek sukh milta hai, lagta hai ki koi apna hi mil gaya. uske sath hum ek vichitra sa bandhan anubhav karte hai, jo kisi anya bhasha bolne wale ke sath nahi pate, bhale hi vo manushya kitna bhi achha kyun na ho. to bhasha vichar abhivyakti se kahi adhik hai.

choudharyneelam
November 2nd, 2008, 01:46 PM
mujhe computer par apni matri bhasha hindi main likhne ka gyan nahi hai. aap main se koi mujhe ye vidya sikha sakta hai.

प्रिया मित्र,
मुझे ये देवेन्द्र द्वारा सिखाया गया सबसे सरल तरीका लगा. इसलिए आप यहाँ निचे दिए अनुसार लिंक को आजमा कर देखें. आशा है आपको भी पसंद आए. :)

http://www.google.co.in/transliterate/indic#

choudharyneelam
November 2nd, 2008, 01:54 PM
महोदया, मोडरेटर शब्द की इस्सी तीसी कर दी आप ने तो|

दोस्त, अपने अनुसार मैंने एकदम उचित शब्द लिखा था, किंतु ये तो बदल के कुछ और ही हो गया :d......ही ही ही ही.......मुझे अनु जी से ये नई बात सीख के और अच्छा लगा

Rmandaura
November 2nd, 2008, 11:00 PM
"[quote=shwetadhaka;185999]Funny Translations
******************

Have a nice day! ----- * अच्छा दिन लो!

Check this out, man! ----* इसकी छानबीन करो, आदमी!

Don't mess with me, dude.--*मेरे साथ गंदगी मत करो, ए व्यक्ति

She's so fine! ----- * वो इतनी बारीक हैं!.........."
----------------------------------------------------------------------

श्वेता आपने बहुत ही सुंदर लिखा है. सभी पहले के धागों में भी अच्छा लिखा है. सभी का प्रयास सराहनीय है. यह सच है कि समय बहुत लगता है लेकिन एक बार लिखने लगो तो शायद आपका कंप्यूटर भी मदद करने लगता है और ठीक शब्द लिखता है. मुझे भी पहली बार हिन्दी में लिख कर अच्छा लगा | आप सभी का धन्यवाद |

Anjalis
November 3rd, 2008, 11:20 AM
आदर्नियन (आदरणीया)श्वेता जी,
मेरे कहने का तात्पर्य ये कती ना (यह कतई नहीं ) था की (कि)किसी कार्य को मात्र इसलिए छोड़ दिया जाएँ की वो जटिल है बल्की क्या अनुकूल परिणाम उसका भविष्य में आएगा वो मूल चिन्तन का उदेशेया होना चाइये (बल्कि क्या भविष्य में उसका अनुकूल परिणाम आयेगा, वो मूल चिन्तन का उद्देश्य होना चाहिए ) ...आप जिन कार्यो की व्याख्या कर रही है हर कार्य (उन कार्यों )से बहुत सारे सपष्ट दिखने वाले अनुकूल परिणाम निकट और दूर भविष्य में देखे जा सकते है
हिन्दी का यदी हम वीकास (विकास )करना चाहते है तो अहम् मुद्दा तो ये है की इन वीकास के पर्यतानो (विकास के प्रयत्नो)के दौरान हम उसके स्वरुप से छेड़खानी ना होने दे ....सब से प्रथम आवशयकता (आवश्यकता)है तो वो यह है की (कि)हम उपकरण का वीकास (विकास )करे जो भाषा के व्याकरण का सम्मान करे.....अगर इस भांती वीकास (भाँतिविकास )चलता गया तो कुछ बर्षों में हिन्दी पहचान में भी नही आएगी .....किसी दूसरी भाषा के मध्यम (माध्यम )से अगर हम अपनी भाषा को टाइप करे तो अपनी भाषा का वीकास (विकास )कैसे संभंव है ....आवशयकता (आवश्यकता)है तो पहले अपनी भाषा को अन्य भाषा पर निर्भार्यता (निर्भरता )से मुक्त करे ... अगर हम अपनी धरोहर को जीवित रखना चाहते है तो हमें पहले इसे मानक स्तर पर टाइप करने की आवशयकता है ...
अगर आज अंग्रेज़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है तो उसका कारण महज ये नही है की अंग्रेज़ी के वीकास (विकास )पर महज ध्यान दिया गया था ...अंग्रेज़ी बोलने वाले लोगों का समाज के वीकास (विकास )में बहुत बड़ा योगदान है....हम लोगों ने ऐसा किया क्या है की जो हम हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कभी दूर भविष्य में भी ला सकेंगे.....हमारे जिस वीकास (विकास )पर हम गर्व करते है वो वीकास (विकास ) केवल इतना है की (कि)हम किस तीव्रता से पास्चायता (पाश्चात्य) संस्कृति को अपनी संस्कृति में अपना रहे है....
.......सीधी सी बात जो मुझे पीड़ा करती है वो येह यह है की मुझ से भाषा का येह यह बदलता हुआ सवरूप सहन नही होता है ... भाषा का जिस तरह से हस्त लेखन में प्रयोग होता है उसे यहाँ पर भी संजीवित (सजीव )रखा जाएँ......दिविसतर ?मानको (दोहरे मापदंडो) से कोई सफलता नही ली जा सकती. (प्राप्त नही की जा सकती)....
.......... टिप्पणियों की सह्दिल (सह्रदय) से प्रतीक्षा है ....किसी भी परकार (प्रकार) का संकोच न करे. :):):)
आशीष
प्रदीप बेनीवाल

आप सभी का प्रयास बहुत ही सराहनीय है, किन्तु आप भाषा को लिखते समय अशुद्धियों का भी ध्यान रखिये. निम्नलिखित लेख इसका एक उदहारण है; ( अशुद्ध शब्दों को नीले रंग में दर्शाया गया है) इस लेख में बहुत सी व्याकरण सम्बन्धी गलतियाँ हैं .
क्योंकि यहाँ हम शुद्ध हिन्दी भाषा के प्रयोग की बातें कर रहें हैं, तो इसमे अतिरिक्त सावधानी की जरुरत है. परन्तु आप के द्वारा व्यक्त किए गए विचार सराहनीय है.मेरा उद्देश्य आपको ठेस पहुचाने नही है , क्योकि आलोचना अगर सही तरह की हो , तो उसे सहज स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि इसमे आपकी ही भलाई छुपी होती है .

PrashantHooda
November 3rd, 2008, 11:30 AM
आप सभी का प्रयास बहुत ही सराहनीय है, किन्तु आप भाषा को लिखते समय अशुद्धियों का भी ध्यान रखिये. निम्नलिखित लेख इसका एक उदहारण है; ( अशुद्ध शब्दों को नीले रंग में दर्शाया गया है) इस लेख में बहुत सी व्याकरण सम्बन्धी गलतियाँ हैं .
क्योंकि यहाँ हम शुद्ध हिन्दी भाषा के प्रयोग की बातें कर रहें हैं, तो इसमे अतिरिक्त सावधानी की जरुरत है. परन्तु आप के द्वारा व्यक्त किए गए विचार सराहनीय है.मेरा उद्देश्य आपको ठेस पहुचाने नही है , क्योकि आलोचना अगर सही तरह की हो , तो उसे सहज स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि इसमे आपकी ही भलाई छुपी होती है .




उपरोक्त (लिखित/वर्णित) लेख इसका उदाहरण है | :) :) :)

arvind1069
November 3rd, 2008, 01:06 PM
प्रिया मित्र,
मुझे ये देवेन्द्र द्वारा सिखाया गया सबसे सरल तरीका लगा. इसलिए आप यहाँ निचे दिए अनुसार लिंक को आजमा कर देखें. आशा है आपको भी पसंद आए. :)

http://www.google.co.in/transliterate/indic#


आपका बहुत २ धन्यवाद नीलम जी

arvind1069
November 3rd, 2008, 01:13 PM
क्या कारण है की हमारी मात्री भाषा की आज इतनी उपेक्षा हो रही है?
हम हिन्दी मैं बात करने मैं संकोच क्यूँ करते है और अंग्रेज़ी मैं बात करने में गर्व क्यूँ महसूस करते हैं?
क्या कोई बता सकता है?
क्या हमारा देश अपनी भाषा का प्रयोग करके उन्नति नही कर सकता?

PrashantHooda
November 3rd, 2008, 01:46 PM
क्या कारण है की हमारी मात्री भाषा की आज इतनी उपेक्षा हो रही है?
हम हिन्दी मैं बात करने मैं संकोच क्यूँ करते है और अंग्रेज़ी मैं बात करने में गर्व क्यूँ महसूस करते हैं?
क्या कोई बता सकता है?
क्या हमारा देश अपनी भाषा का प्रयोग करके उन्नति नही कर सकता?

क्योंकि हम सब वर्षों की परतंत्रा के कारण स्वयम को हीन समझने लगे हैं | अंग्रेजों का शासन एवं उनकी शासन विधि जो की उन्होंने हमारे ऊपर थोपी गयी थी, हमने अक्षरसः स्वीकार कर ली है | हम आज भी उन्ही पुरानी नीतियों और परम्पराओं को जान बुझ कर ढ़ो रहे है, क्योंकि समाज में आज भी अंग्रेज़ी के वक्ताओं को उसी सम्मान से देखा जाता है जिस सम्मान से अंग्रेज़ प्रशासको को उनके चापलूस देखा करते थे | केवल हमारा राष्ट्र ही इस परम्परा का एक मात्र ज्वलंत उदाहरण है | :(
हमने कभी हमारी प्रशासकीय एवं न्यायिक शब्दावलियों के विकास एवं प्रयोग के लिए अथक प्रयत्न नही किए | कुछ जागरूक नागरिक अंग्रेज़ी भाषा को इसलिए अधिक उत्साहित करते हैं क्योंकि वे ये समझते है कि इसके माध्यम से शिक्षा एवं रोजगार के अवसर अधिक प्राप्त हो सकते है | किंतु यह एक मिथ्या ब्रह्म ही सिद्ध होता है, यह एक सत्य से परे की सोच है | चीन, जापान, रूस एवं फ्रांस आज भी अपनी मातृभाषाओं क्रमशः चीनी, जापानी, रूसी एवं फ्रांसीसी का प्रयोग करते हुए भी हम भारवासियों से बहुत आगे हैं | क्योंकि सफलता कि जनक भाषा नही वरन आत्म सम्मान एवं आत्म प्रयत्न से जन्म लेने वाला उत्साह एवं दृढ़ निश्चय है | :) :)

हमने स्वयं ने बहुत बार देखा होगा के जब रूसी राष्ट्राध्यक्ष हमारी संसद को स्वयम की मातृभाषा में संबोधित करते हैं तो हमें भी आत्मिक रूप से गौरव की अनुभूति होती है कि देखिये इनका अपने राष्ट्र एवं मातृभाषा के प्रति कितना समर्पण है | हमारे ह्रदय में भी उनसे प्रेरणा लेने कि उत्कंठा उत्पन्न होती है परन्तु यह क्षणिक आवेश ही बन कर रह जाती सी प्रतीत होती है | क्योंकि हमें हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करने वाला वातावरण पूर्ण रूप से प्राप्त नही हो पता है | आइये हम सभी आज से हिन्दी को अपना उत्कृष्ट स्थान दिलाने के लिए प्रण करें जिससे कि हमें और हमारी भावी पीढी को आत्म गौरव की प्राप्ति हो| :) :)
जय हिंद !

hoodarajesh
November 3rd, 2008, 02:25 PM
[quote=PrashantHooda;186167]क्योंकि हम सब वर्षों की परतंत्रा के कारण स्वयम को हीन समझने लगे हैं | अंग्रेजों का शासन एवं उनकी शासन विधि जो की उन्होंने हमारे ऊपर थोपी गयी थी, हमने अक्षरसः स्वीकार कर ली है | हम आज भी उन्ही पुरानी नीतियों और परम्पराओं को जान बुझ कर ढ़ो रहे है, क्योंकि समाज में आज भी अंग्रेज़ी के वक्ताओं को उसी सम्मान से देखा जाता है जिस सम्मान से अंग्रेज़ प्रशासको को उनके चापलूस देखा करते थे | केवल हमारा राष्ट्र ही इस परम्परा का एक मात्र ज्वलंत उदाहरण है | :(
हमने कभी हमारी प्रशासकीय एवं न्यायिक शब्दावलियों के विकास एवं प्रयोग के लिए अथक प्रयत्न नही किए | कुछ जागरूक नागरिक अंग्रेज़ी भाषा को इसलिए अधिक उत्साहित करते हैं क्योंकि वे ये समझते है कि इसके माध्यम से शिक्षा एवं रोजगार के अवसर अधिक प्राप्त हो सकते है | किंतु यह एक मिथ्या ब्रह्म ही सिद्ध होता है, यह एक सत्य से परे की सोच है | चीन, जापान, रूस एवं फ्रांस आज भी अपनी मातृभाषाओं क्रमशः चीनी, जापानी, रूसी एवं फ्रांसीसी का प्रयोग करते हुए भी हम भारवासियों से बहुत आगे हैं | क्योंकि सफलता कि जनक भाषा नही वरन आत्म सम्मान एवं आत्म प्रयत्न से जन्म लेने वाला उत्साह एवं दृढ़ निश्चय है | :) :)

हमने स्वयं ने बहुत बार देखा होगा के जब रूसी राष्ट्राध्यक्ष हमारी संसद को स्वयम की मातृभाषा में संबोधित करते हैं तो हमें भी आत्मिक रूप से गौरव की अनुभूति होती है कि देखिये इनका अपने राष्ट्र एवं मातृभाषा के प्रति कितना समर्पण है | हमारे ह्रदय में भी उनसे प्रेरणा लेने कि उत्कंठा उत्पन्न होती है परन्तु यह क्षणिक आवेश ही बन कर रह जाती सी प्रतीत होती है | क्योंकि हमें हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करने वाला वातावरण पूर्ण रूप से प्राप्त | :) :)
जय हिंद ![/नही हो पता है | आइये हम सभी आज से हिन्दी को अपना उत्कृष्ट स्थान दिलाने के लिए प्रण करें जिससे कि हमें और हमारी भावी पीढी को आत्म गौरव की प्राप्ति होquote]
प्रिय मित्र .
मैं आपकी बात से सों फीसदी सहमत हू . आज लगभग पुलिश थानों में और
अदालतों में सारे काम हिन्दी + उर्दू में होते है . तो क्या वहा के काम नही हो रहे क्या .
पर सुप्रीम कोर्ट में काम अंग्रेजी में होता है . एसा इसलिए की अंग्रेजो के समय में
सुप्रीम कोर्ट के सारे न्याय धीश अंग्रेज ही होते थे . अभी कुछ समय पहले वहा भी
हिन्दी में काम करवाने के प्रयास हुए थे . पर न्याय धिशो ने यह कह कर हिन्दी को
लागु करने से मना कर दिया की हमें परेशानी होगी . तो क्या सुप्रीम कोर्ट के माननीय
न्याय धीश अमेरिका से आयात किए हुए है जो उनको परेशानी होगी . वहा के वकील
साहेबान भी भारतीय ही है . हिन्दी की कुछ माटी पलित तो दक्सिन भारतीयों ने भी कर राखी है .
रही कसर राज ठाकरे जैसे छुट भये नेता कर रहे है . काश सरदार पटेल कुछ समय और जीवित
रह जाते तो जैसे सभी रियासतों को मिलाकर एक भारत बना दिया था . उसी तरह सभी भाषाओ
को मिलाकर एक हिन्दी बना देते .
जय हिन्दी
जय हिंद

PrashantHooda
November 3rd, 2008, 02:49 PM
प्रिय मित्र .
मैं आपकी बात से सों फीसदी सहमत हू . आज लगभग पुलिश थानों में और
अदालतों में सारे काम हिन्दी + उर्दू में होते है . तो क्या वहा के काम नही हो रहे क्या .
पर सुप्रीम कोर्ट में काम अंग्रेजी में होता है . एसा इसलिए की अंग्रेजो के समय में
सुप्रीम कोर्ट के सारे न्याय धीश अंग्रेज ही होते थे . अभी कुछ समय पहले वहा भी
हिन्दी में काम करवाने के प्रयास हुए थे . पर न्याय धिशो ने यह कह कर हिन्दी को
लागु करने से मना कर दिया की हमें परेशानी होगी . तो क्या सुप्रीम कोर्ट के माननीय
न्याय धीश अमेरिका से आयात किए हुए है जो उनको परेशानी होगी . वहा के वकील
साहेबान भी भारतीय ही है . हिन्दी की कुछ माटी पलित तो दक्सिन भारतीयों ने भी कर राखी है .
रही कसर राज ठाकरे जैसे छुट भये नेता कर रहे है . काश सरदार पटेल कुछ समय और जीवित
रह जाते तो जैसे सभी रियासतों को मिलाकर एक भारत बना दिया था . उसी तरह सभी भाषाओ
को मिलाकर एक हिन्दी बना देते .
जय हिन्दी
जय हिंद


भाई आपने पूर्णतया सही कहा है | हमें आज भी अंग्रेज़ी सभ्यता ने बहुत मजबूती से जकड रखा है, वस्तुतः यह एक रूप से न्यायलय का अपमान ही होगा परन्तु मुझे आज यह कहते हुए बहुत शर्म एवं पीड़ा अनुभव होती है कि आज भी राजस्थान मुख्य न्यायालय का ग्रीष्म काल में एक माह का अवकाश घोषित होता है क्योंकि आज भी ये उन्ही अंग्रेज़ अधिकारी कि अक्षरश: नक़ल करते हैं जिनको कि राजपूताने की ग्रीष्म ऋतू बहुत ही कष्ट कारक प्रतीत होती थी | हमारी परतंत्र विचारधारा का इससे बड़ा सजीव उदाहरण नही हो सकता | आज जबकि समस्त न्यायालय कक्ष वातानाकूलित हैं तो भी माननीय न्यायाधीश एक माह के ग्रीष्म अवकाश पर रहतें है | जब धर्माधिकारियों की यह स्थिति है तो हम लोग जन साधारण से तो सदाचार एवं सद्-व्यवहार की अपेक्षा ही नही कर सकते है | :( इसके पीछे हमारी परतंत्र मानसिकता के अलावा कुछ भी नही है |
(हमारे राष्ट्रपति भी ग्रीष्म ऋतू में शिमला में रह कर स्वयं को बहुत धन्य समझते है |)

pdpbeniwal
November 3rd, 2008, 03:21 PM
क्या कारण है की हमारी मात्री भाषा की आज इतनी उपेक्षा हो रही है?
हम हिन्दी मैं बात करने मैं संकोच क्यूँ करते है और अंग्रेज़ी मैं बात करने में गर्व क्यूँ महसूस करते हैं?
क्या कोई बता सकता है?
क्या हमारा देश अपनी भाषा का प्रयोग करके उन्नति नही कर सकता?

बाज़ार में जो चीज़ थोक के भाव मिलती है उसका भाव कम होना स्भाविक है....ऐसी ही कुछ स्तिथी से गुजर रही है हमारी राष्ट्राय भाषा......ये दर्शय है हिन्दी भाषी राज्यों का.....जनमानस की हमेशा से यही सोच रही है की भीड़ में अलग से कैसे दिखा जाए .........
...फिर वो कोई भी वीदेशी वस्तु हो.....यहाँ तक की वीदेशी भाषा से भी कोई परहेज नही है
इस को कहने में तो कोई अतिशाक्योती नही होगी कि कारपोरेट दुनिया में तो अंग्रेज़ी अपने पैर पसार चुकी है.....आज करियर के जितने भी अवसर है सब की प्रथम आवशय्कता है अंग्रेज़ी....इसलिए आज की नौजवान पीढ़ी के लिए अंग्रेज़ी के अभाव में पल्पना मात्र एक अप्रोढ़ सोच है.....
जब हमारा देश आजाद हुआ था तो राष्ट्राय भाषा के चुनाव में हिन्दी मात्र एक मत से अंग्रेज़ी से जीती थी.....अगर ऐसा ना होके विपरीत हुआ होता तो कम से कम राष्ट्राय भाषा हिन्दी का बिगुल तो नही बजता....पर विधाता को यही मंजूर था तो अब
राष्ट्र्यभाषा को बचाने के प्रयतन ऐसे धागों तक ही सिमीत रह गए है.....
अगर हिन्दी भाषा के विकास में सब से बड़े योगदान कि बात कि जाएँ तो वो है हिन्दी सिनेमा का....अगर दक्षिण भारत के कुछ राज्यों को नज़रंदाज़ कर दिया जाएँ तो.......
. लेकिन अब हिन्दी सिनेमा का भी अंग्रेजीकरण हो रहा है तो अब क्या कह सकते है ......

hoodarajesh
November 3rd, 2008, 03:21 PM
भाई आपने पूर्णतया सही कहा है | हमें आज भी अंग्रेज़ी सभ्यता ने बहुत मजबूती से जकड रखा है, वस्तुतः यह एक रूप से न्यायलय का अपमान ही होगा परन्तु मुझे आज यह कहते हुए बहुत शर्म एवं पीड़ा अनुभव होती है कि आज भी राजस्थान मुख्य न्यायालय का ग्रीष्म काल में एक माह का अवकाश घोषित होता है क्योंकि आज भी ये उन्ही अंग्रेज़ अधिकारी कि अक्षरश: नक़ल करते हैं जिनको कि राजपूताने की ग्रीष्म ऋतू बहुत ही कष्ट कारक प्रतीत होती थी | हमारी परतंत्र विचारधारा का इससे बड़ा सजीव उदाहरण नही हो सकता | आज जबकि समस्त न्यायालय कक्ष वातानाकूलित हैं तो भी माननीय न्यायाधीश एक माह के ग्रीष्म अवकाश पर रहतें है | जब धर्माधिकारियों की यह स्थिति है तो हम लोग जन साधारण से तो सदाचार एवं सद्-व्यवहार की अपेक्षा ही नही कर सकते है | :( इसके पीछे हमारी परतंत्र मानसिकता के अलावा कुछ भी नही है |
(हमारे राष्ट्रपति भी ग्रीष्म ऋतू में शिमला में रह कर स्वयं को बहुत धन्य समझते है |)

भ्राता प्रशांत सही बात है . आज हमारे देश के प्रतिनिधि दुसरे मुल्क में जाकर
अंग्रेजी बोलेंगे . बल्कि ये कहे की वो जाते ही अंग्रेजी सिखने . एक स्वामी
विवेकानंद थे . जिन्होंने शिकागो धर्म समेलन में हिंदू धर्म पर हिन्दी में अपने
विचार व्यक्त किए थे . तो पूरी दुनिया में हिंदू धर्म और स्वामी विवेकानद की
प्रसिदी फ़ैल गई थी | आज भी अमरीका के इतिहास में ये बात दर्ज है .

Rmandaura
November 3rd, 2008, 08:34 PM
"[quote=Anjalis;186152]

क्योंकि यहाँ हम शुद्ध हिन्दी भाषा के प्रयोग की बातें कर रहें हैं, तो इसमे अतिरिक्त सावधानी की जरुरत है. परन्तु आप के द्वारा व्यक्त किए गए विचार सराहनीय है.मेरा उद्देश्य आपको ठेस पहुचाने नही है , क्योकि आलोचना अगर सही तरह की हो , तो उसे सहज स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि इसमे आपकी ही भलाई छुपी होती है . "

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बहुत ही सुंदर, सभी को आपसे प्रेरणा लेनी चाहिए. हमें थोड़ा सा प्रयास अपनी भाषा की शुद्दियों के प्रति अवश्य करना चाहिए और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भाषा सरल भी रहे ताकि सभी को सहज में समझ आ सके. सकारातमक सोच से आगे बढ़ना चाहिए. सभी के प्रयास से ही सफलता मिल सकती है.