PDA

View Full Version : Dhanyawaad Deswal Saab



raj2rif
May 3rd, 2008, 02:48 AM
धन्यवाद देशवाल साहब

आपने हिन्दी में कैसे लिख सकते हैं बता दिया
हिन्दी प्रेमियों के लिए एक छोटी सी कविता प्रस्तुत है


बिहरो बिहारी की बिहार वाटिका में चाहे,
सूर की कुटी में अड़ आसन जमाइये
केशव के कुञ्ज में किलोल केली कीजिये
या तुलसी के मानस में डुबकी लगाइए
देव की दरी में दुर दिव्यता निहारिए
या भूषण की सेना के सिपाही बन जाइये
अन्य भाषा भाषियों मिलेगा मन माना सुख
हिन्दी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइये

dndeswal
May 4th, 2008, 08:01 PM
.

एक सुन्दर रचना - देसी माटी की महक अलग ही है Col. तेवतिया जी !

.

raj2rif
May 11th, 2008, 11:28 AM
मैं चोर नहीं हूँ प्यासा हूँ
दो घूंट चुरा कर पीता हूँ
पर चोर नहीं हूँ प्यासा हूँ,

पनघट पर टूट पड़ी गगरी
बिक गयी छलकती हर गगरी
मैं अपनी लुटिया भर ना सका
भर गयीं और गगरी सगरी
मैं छीन झपट कर पीता हूँ
बरजोर नहीं हूँ प्यासा हूँ
मैं चोर नहीं हूँ प्यासा हूँ

मुझको पनघट पनघट ना नचा
पी लेने दे, घट-घट ना नचा
ओ प्यास जगाने वाली सुन
मुझको घूँघट-घूँघट ना नचा
मैं चाँद घेरता आया हूँ,
घटा घनघोर नहीं हूँ, प्यासा हूँ
मैं चोर नहीं हूँ प्यासा हूँ