PDA

View Full Version : Nirnay aur Nishkarsh



rajpaldular
August 9th, 2008, 06:25 PM
एक बार द्रौपदी ने पांडवों से बात करते हुए कहा था कि "जिस तरह बदला लेने की रणनीति हर वक्त श्रेष्ठ नहीं होती, उसी तरह क्षमाशील होना भी सदा बेहतर परिणाम नहीं देता। अत: सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को दोनों ही विद्याओं में पारंगत होना चाहिए।"
इस बात से मैनेजमेंट एक्सपट्र्स यह निष्कर्ष निकालते हैं कि यह मानव संसार इतना जटिल है कि एक रणनीति के भरोसे इसे नहीं जीता जा सकता है। एक योद्धा को परस्पर विरोधाभासी रणनीतियों में पारंगत होना चाहिए और उसे यह भी मालूम होना चाहिए कि किस परिस्थिति में कौन-सी रणनीति उचित परिणाम दिलवाएगी।
कॉर्पोरेट संसार में इस तरह की सफलता के कई उदाहरण भरे पडे हैं। जर्मनी की मर्सिडीज बैन्ज कार कंपनी एक समय बडी लग्जरी कार बना कर पैसे कमाने की रणनीति पर ही चला करती थी। परन्तु कुछ वर्षों पहले परिस्थितियों को भांपते हुए छोटी कारें बनाने की रणनीति को भी इसने अपना लिया।
इसी तरह से जापान के एक कार निर्माता कंपनी ने विश्व भर में छोटी कॉम्पैक्ट कारों में नाम कमाया। उन्होंने अपनी श्रेष्ठ छोटी कारों से पहले अमरीका में झंडा लहराया, फिर विश्व में छा गए। परन्तु परिस्थितियों को भांपते हुए अपनी रणनीतियों में बदलाव किया और बडी लग्जरी कारों के निर्माण में जुट गए। आज उनकी बडी गाडियां अमरीका और यूरोप की बडी कारों को अच्छी टक्कर दे रही हैं। इस मानव संसार की माया इतनी जटिल है कि महाभारत में विदुर ने भी एक बार कहा था कि इस मानव संसार में यह जरू री नहीं कि बुद्धिमान व्यक्ति की चतुरता उसके लिए हर वक्त लाभकारी हो। इसी तरह से बुद्धिमान व्यक्ति अधिकतर शक्की प्रवृत्ति के होते हैं। अपनी इस प्रवृत्ति के कारण वे कई बार निर्णय लेने में देर कर डालते हैं और नुकसान उठाते हैं। कॉर्पोरेट वल्र्ड के मैनेजरों को ये मालूम होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में कौन सा व्यक्ति संस्था को अधिक लाभ पहुंचाएगा।