rajpaldular
August 9th, 2008, 06:29 PM
महाभारत जैसे विशाल ग्रंथ के बारे में लोग ठीक ही कहते हैं कि "जिन चीजों का वर्णन इस महाकाव्य में दिया गया है, उनके बारे में इस महाकाव्य के बाहर भी जानकारियां उपलब्ध हो सकती हैं, परंतु जिन चीजों का इस ग्रंथ में जिक्र तक नहीं किया गया है, उसके बारे में जानकारियां जुटाना इस संसार में संभव नहीं है।"
महाभारत में भरे हुए अथाह ज्ञान ने कॉर्पोरेट वल्र्ड का घ्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। महाभारत में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के अपनी मां की कोख में होते हुए भी चक्रव्यूह जैसी जटिल चीजों को सीख लेने जैसी चीज ने सारे संसार का घ्यान अपनी ओर खींचा है। इस पर जापान के एक डॉक्टर मुकोटो शिचिडा ने बच्चों के इस तरह के अनुभव पर अच्छी खासी रिसर्च कर डाली है। उन्होंने पाया कि मां की कोख में बच्चे के मस्तिष्क का दायां भाग बेहद एक्टिव रहता है। इसमें अपने चारों ओर होने वाली घटनाओं को ग्रहण करने की उच्च शक्ति होती है। इसको कई लोग एक्सट्रा सेंसरी परस्पेशन भी कहते हैं।
डॉ. मुकोटो ने अपने शोध से काफी नाम कमाया और जापान में साढे तीन सौ "चाइल्ड एकेडमीज" की स्थापना की। यही नहीं इस विषय पर अनेकों पुस्तकें लिखकर ढेर सारा पैसा भी कमाया है। अमरीका में तो कई कंपनियों ने बच्चों को कोख में ही सिखाने-पढाने के लिए कई तरह के प्रॉडक्ट बाजार में उतार दिए हैं। इसमें से एक प्रॉडक्ट है "बेबी प्लस प्री नैटल एजुकेशन सिस्टम" लगभग छह हजार रूपयों के इस प्रॉडक्ट को महिलाओं को अपने पेट पर स्ट्रैप करना होता है। इसमें से सोलह प्रकार की रिदमिक साउण्ड निकलती है, जो बच्चे के दिमाग के पूर्ण विकास में सहायक होती है। महाभारत की रचना हमारे देश में होने के बावजूद यहां इस तरह के प्रयोग कम ही देखने को मिलते हैं। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि किसी चीज को बिना सोचे समझे अंधविश्वास कहना भी एक बहुत बडी मूर्खता है।
महाभारत में भरे हुए अथाह ज्ञान ने कॉर्पोरेट वल्र्ड का घ्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। महाभारत में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के अपनी मां की कोख में होते हुए भी चक्रव्यूह जैसी जटिल चीजों को सीख लेने जैसी चीज ने सारे संसार का घ्यान अपनी ओर खींचा है। इस पर जापान के एक डॉक्टर मुकोटो शिचिडा ने बच्चों के इस तरह के अनुभव पर अच्छी खासी रिसर्च कर डाली है। उन्होंने पाया कि मां की कोख में बच्चे के मस्तिष्क का दायां भाग बेहद एक्टिव रहता है। इसमें अपने चारों ओर होने वाली घटनाओं को ग्रहण करने की उच्च शक्ति होती है। इसको कई लोग एक्सट्रा सेंसरी परस्पेशन भी कहते हैं।
डॉ. मुकोटो ने अपने शोध से काफी नाम कमाया और जापान में साढे तीन सौ "चाइल्ड एकेडमीज" की स्थापना की। यही नहीं इस विषय पर अनेकों पुस्तकें लिखकर ढेर सारा पैसा भी कमाया है। अमरीका में तो कई कंपनियों ने बच्चों को कोख में ही सिखाने-पढाने के लिए कई तरह के प्रॉडक्ट बाजार में उतार दिए हैं। इसमें से एक प्रॉडक्ट है "बेबी प्लस प्री नैटल एजुकेशन सिस्टम" लगभग छह हजार रूपयों के इस प्रॉडक्ट को महिलाओं को अपने पेट पर स्ट्रैप करना होता है। इसमें से सोलह प्रकार की रिदमिक साउण्ड निकलती है, जो बच्चे के दिमाग के पूर्ण विकास में सहायक होती है। महाभारत की रचना हमारे देश में होने के बावजूद यहां इस तरह के प्रयोग कम ही देखने को मिलते हैं। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि किसी चीज को बिना सोचे समझे अंधविश्वास कहना भी एक बहुत बडी मूर्खता है।