rajpaldular
August 14th, 2008, 10:26 AM
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वाराणसी। लीच यानी जोंक को देखकर आप भले ही डर जाते हों, लेकिन यही जोंक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में गंजेपन के इलाज में कारगर सिद्ध हो रही है।
बीएचयू में ढाई वर्ष पहले शुरू हुई जोंक के जरिए अब तक 400 से ज्यादा लोग अपने गंजेपन का इलाज करा चुके हैं। इलाज की इस अनोखी विधि को "लीच थेरेपी" नाम दिया गया है। "लीच थेरेपी" मेे रोग से प्रभावित स्थान के आस-पास जोंक चिपका दी जाती है, जो प्रभावित जगह से खून चूसने लगती हैं। इस विधि से इलाज करने वाले डॉ. एन$पी$ राय बताते हैं कि खून चूसते समय यह ऎसे सलाइवा (थूक) छोड़ती हैं, जो सम्बन्धित स्थान के संक्रमण को समाप्त कर देता है।
इसके अलावा जोंक का प्रयोग चर्मरोग, ल्यूकोडर्मा, आर्थराइटिस और फाइलेरिया जैसी बीमारियों को ठीक करने में किया जा रहा है।
वाराणसी। लीच यानी जोंक को देखकर आप भले ही डर जाते हों, लेकिन यही जोंक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में गंजेपन के इलाज में कारगर सिद्ध हो रही है।
बीएचयू में ढाई वर्ष पहले शुरू हुई जोंक के जरिए अब तक 400 से ज्यादा लोग अपने गंजेपन का इलाज करा चुके हैं। इलाज की इस अनोखी विधि को "लीच थेरेपी" नाम दिया गया है। "लीच थेरेपी" मेे रोग से प्रभावित स्थान के आस-पास जोंक चिपका दी जाती है, जो प्रभावित जगह से खून चूसने लगती हैं। इस विधि से इलाज करने वाले डॉ. एन$पी$ राय बताते हैं कि खून चूसते समय यह ऎसे सलाइवा (थूक) छोड़ती हैं, जो सम्बन्धित स्थान के संक्रमण को समाप्त कर देता है।
इसके अलावा जोंक का प्रयोग चर्मरोग, ल्यूकोडर्मा, आर्थराइटिस और फाइलेरिया जैसी बीमारियों को ठीक करने में किया जा रहा है।