rsdalal
December 14th, 2008, 06:45 AM
Good going for our boxing team. They got us 4 medals, many of them are jats.
Congrats.
http://in.jagran.yahoo.com/news/sports/general/7_9_5068337.html
मास्को। विश्व कप में पहले स्वर्ण पदक की आस लगाए मुक्केबाज अखिल कुमार, जितेंदर कुमार, एलए लाकड़ा और दिनेश कुमार का ख्वाब पूरा नहीं हो सका और उन्हे कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। हालांकि सेमीफाइनल में पराजय के बावजूद मुक्केबाजों ने चार कांस्य जीतकर भारतीय मुक्केबाजी में नया इतिहास रच दिया।
सेमीफाइनल में शनिवार को हुए मुकाबले में चार में से तीन भारतीय मुक्केबाज क्यूबा और एक रूसी खिलाड़ी से हारकर स्वर्ण की होड़ से बाहर हो गए। इन चारों ही मुक्केबाजों को कांस्य पदक जीतने के लिए ढाई-ढाई हजार डालर मिलेंगे। विश्व कप के इतिहास में पहली बार चार भारतीय मुक्केबाज अंतिम चार में पहुंचने में सफल रहे थे।
बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनलिस्ट अखिल दुर्भाग्यशाली रहे कि वह मामूली अंतर से 54 किग्रा वर्ग के फाइनल में पहुंचने से चूक गए जबकि जीतेंदर को 51 किग्रा वर्ग में 6-14 से और लाकड़ा को 57 किलो वर्ग में 3-6 से हार का सामना करना पड़ा। वहीं पीले तमगे की आखिरी उम्मीद 81 किलो में दिनेश कुमार से भी निराशा हाथ लगी और रूसी मुक्केबाज से हार गए।
अखिल से काफी उम्मीदें थीं कि वह फाइनल में पहुंचेंगे। बेंटमवेट वर्ग में उनका अब तक का प्रदर्शन काफी शानदार रहा था। सेमीफाइनल में उनके मुकाबले बीजिंग ओलंपिक के रजत विजेता क्यूबा के यानकील लियोन अलार्कोन खडे़ थे। दोनों के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ। अखिल अपने क्यूबाई प्रतिद्वंदी को कोई मौका देने के मूड में नहीं थे। अखिल ने इस मुकाबले में ओलंपिक की वह गलती नहीं दोहराई जब उन्होंने खुद को अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रहारों के सामने खुला छोड़ दिया था।
अखिल और यानकील के बीच चार राउंड तक जबरदस्त मुकाबला चला। दोनों एक-एक अंक के लिए जूझे। पहले राउंड में स्कोर 0-0 था। दूसरे राउंड में स्कोर 2-2 पहुंच गया। तीसरे राउंड में क्यूबाई मुक्केबाज ने बढ़त बनाई। चौथे राउंड में अखिल ने स्कोर 4-4 से बराबरी पर ला दिया लेकिन जजों ने पंचों के काउंटबैक पर क्यूबाई मुक्केबाज को विजेता घोषित किया। अखिल बेशक अपना मुकाबला हार गए लेकिन उन्होंने कहा, 'मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना था लेकिन मुझे अफसोस है कि मैं फाइनल में नहीं पहुंच पाया। मगर साथ ही मुझे इस बात का संतोष है कि मैंने ओलंपिक के रजत विजेता के पसीने निकाल दिए।'
इससे पहले जीतेंदर 51 किग्रा के फ्लाइवेट वर्ग में अपने क्वार्टर फाइनल के प्रदर्शन को नहीं दोहरा सके। बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनलिस्ट जीतेंद्र को ओलंपिक के रजत विजेता क्यूबा के हरनादेंज लफीता ने सेमीफाइनल में 14-6 से पीट दिया। जितेंदर ने मुकाबले में हालांकि अच्छी शुरुआत की थी और पहले राउंड में 4-2 की बढ़त बना ली थी लेकिन इसके बाद जैसे उनकी ऊर्जा ही खत्म हो गई। लफीता ने दूसरा राउंड 3-0 से जीता और भारतीय मुक्केबाज को अगले दो राउंड में धोते हुए 11 अंक बटोर डाले। लफीता ने यह मुकाबला आसानी से 14-6 से जीतकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।
हरनादेंज का अब फाइनल में रूस के मिशा एलोयान से मुकाबला होगा जिन्होंने अन्य सेमीफाइनल में इटली के विनसेंजो पिकार्डी को 14-4 से पीटा। जीतेंदर ने कहा, 'पहले राउंड में मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा था लेकिन इसके बाद मैं लड़खड़ा गया। इस हार के बावजूद मुझे खुशी है कि मैं विश्व कप में कांस्य पदक जीतने में सफल रहा।'
भारत के तीसरे मुक्केबाज लाकड़ा ने 57 किग्रा वर्ग में क्यूबा के इदेल टोरिएंट के खिलाफ जबरदस्त संघर्ष किया मगर उन्हें भी 3-6 से हार का सामना करना पड़ा। हार के जारी दौर को दिनेश भी जीत में नहीं बदल सके और 81 किलो भार वर्ग में वह रूसी मुक्केबाज आर्थर बीटरब्यू से मुकाबला हार गए। दिनेश मुकाबला पूरा नहीं कर सके और उन्हे बीच में ही मुकाबले से हटना पड़ा।
Congrats.
http://in.jagran.yahoo.com/news/sports/general/7_9_5068337.html
मास्को। विश्व कप में पहले स्वर्ण पदक की आस लगाए मुक्केबाज अखिल कुमार, जितेंदर कुमार, एलए लाकड़ा और दिनेश कुमार का ख्वाब पूरा नहीं हो सका और उन्हे कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। हालांकि सेमीफाइनल में पराजय के बावजूद मुक्केबाजों ने चार कांस्य जीतकर भारतीय मुक्केबाजी में नया इतिहास रच दिया।
सेमीफाइनल में शनिवार को हुए मुकाबले में चार में से तीन भारतीय मुक्केबाज क्यूबा और एक रूसी खिलाड़ी से हारकर स्वर्ण की होड़ से बाहर हो गए। इन चारों ही मुक्केबाजों को कांस्य पदक जीतने के लिए ढाई-ढाई हजार डालर मिलेंगे। विश्व कप के इतिहास में पहली बार चार भारतीय मुक्केबाज अंतिम चार में पहुंचने में सफल रहे थे।
बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनलिस्ट अखिल दुर्भाग्यशाली रहे कि वह मामूली अंतर से 54 किग्रा वर्ग के फाइनल में पहुंचने से चूक गए जबकि जीतेंदर को 51 किग्रा वर्ग में 6-14 से और लाकड़ा को 57 किलो वर्ग में 3-6 से हार का सामना करना पड़ा। वहीं पीले तमगे की आखिरी उम्मीद 81 किलो में दिनेश कुमार से भी निराशा हाथ लगी और रूसी मुक्केबाज से हार गए।
अखिल से काफी उम्मीदें थीं कि वह फाइनल में पहुंचेंगे। बेंटमवेट वर्ग में उनका अब तक का प्रदर्शन काफी शानदार रहा था। सेमीफाइनल में उनके मुकाबले बीजिंग ओलंपिक के रजत विजेता क्यूबा के यानकील लियोन अलार्कोन खडे़ थे। दोनों के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ। अखिल अपने क्यूबाई प्रतिद्वंदी को कोई मौका देने के मूड में नहीं थे। अखिल ने इस मुकाबले में ओलंपिक की वह गलती नहीं दोहराई जब उन्होंने खुद को अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रहारों के सामने खुला छोड़ दिया था।
अखिल और यानकील के बीच चार राउंड तक जबरदस्त मुकाबला चला। दोनों एक-एक अंक के लिए जूझे। पहले राउंड में स्कोर 0-0 था। दूसरे राउंड में स्कोर 2-2 पहुंच गया। तीसरे राउंड में क्यूबाई मुक्केबाज ने बढ़त बनाई। चौथे राउंड में अखिल ने स्कोर 4-4 से बराबरी पर ला दिया लेकिन जजों ने पंचों के काउंटबैक पर क्यूबाई मुक्केबाज को विजेता घोषित किया। अखिल बेशक अपना मुकाबला हार गए लेकिन उन्होंने कहा, 'मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना था लेकिन मुझे अफसोस है कि मैं फाइनल में नहीं पहुंच पाया। मगर साथ ही मुझे इस बात का संतोष है कि मैंने ओलंपिक के रजत विजेता के पसीने निकाल दिए।'
इससे पहले जीतेंदर 51 किग्रा के फ्लाइवेट वर्ग में अपने क्वार्टर फाइनल के प्रदर्शन को नहीं दोहरा सके। बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनलिस्ट जीतेंद्र को ओलंपिक के रजत विजेता क्यूबा के हरनादेंज लफीता ने सेमीफाइनल में 14-6 से पीट दिया। जितेंदर ने मुकाबले में हालांकि अच्छी शुरुआत की थी और पहले राउंड में 4-2 की बढ़त बना ली थी लेकिन इसके बाद जैसे उनकी ऊर्जा ही खत्म हो गई। लफीता ने दूसरा राउंड 3-0 से जीता और भारतीय मुक्केबाज को अगले दो राउंड में धोते हुए 11 अंक बटोर डाले। लफीता ने यह मुकाबला आसानी से 14-6 से जीतकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।
हरनादेंज का अब फाइनल में रूस के मिशा एलोयान से मुकाबला होगा जिन्होंने अन्य सेमीफाइनल में इटली के विनसेंजो पिकार्डी को 14-4 से पीटा। जीतेंदर ने कहा, 'पहले राउंड में मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा था लेकिन इसके बाद मैं लड़खड़ा गया। इस हार के बावजूद मुझे खुशी है कि मैं विश्व कप में कांस्य पदक जीतने में सफल रहा।'
भारत के तीसरे मुक्केबाज लाकड़ा ने 57 किग्रा वर्ग में क्यूबा के इदेल टोरिएंट के खिलाफ जबरदस्त संघर्ष किया मगर उन्हें भी 3-6 से हार का सामना करना पड़ा। हार के जारी दौर को दिनेश भी जीत में नहीं बदल सके और 81 किलो भार वर्ग में वह रूसी मुक्केबाज आर्थर बीटरब्यू से मुकाबला हार गए। दिनेश मुकाबला पूरा नहीं कर सके और उन्हे बीच में ही मुकाबले से हटना पड़ा।