VJ
July 1st, 2009, 07:36 PM
Mystique Rose....
ये कोई रहस्मयी गुलाब नहीं बल्कि ध्यान में ले जाने की एक सरल परक्रिया है.....
यह ओशो द्वारा बताई हुई विधि है जिसमे मनुष्य को ३ चरणों से गुजरना पड़ता है 1. हसना....2. रोना....3. मौन...
विधि इस तरीके से है....
हसना...............
पहले चरण में आपको लगातार 3 घंटे तक बिना किसी कारन हसना पड़ता है....जब आपकी हसी समाप्त हो जाये तो जोर से कहे या-हू ....आपकी हसी लौट आएगी.....3 घंटे तक हसने के बाद आपको ऐसा लगता है जैसे आपके प्राणों पर धुल की कई परते जमी हुई थी...और हसने से वे परते अपने स्थान से हटने लगी है....आपकी हसी उन्हें तलवार की तरह एक बार में काट डालती है....आप ऐसा 7 दिन तक लगातार 3 घंटो तक करी...इससे आपको आपके भीतर रूपांतरण का एहसास होगा....
रोना.............
दूसरा चरण आसूओ का है...पहले चरण के बाद हम एक नहीं अवस्था में आ जाते है....लेकिन अपने अंतस के मंदिर तक पहुचने के लिए हमें कुछ कदम और चलना होगा...क्योकि हमने पूर्व में उदासी, निराशा, चिंता आदि को अपने भीतर खूब दबाया है....उन सभी ने घेर कर हमारे सौन्दर्य और आनंद को नष्ट कर दिया है.....
7 दिन तक आप बिना वजह रोये, चीखे और आसू बहाए....उन्हें रोके मत....जब भी ऐसा लगे के आँखों से आसू नहीं निकल रहे तो या-बू कहे....ये शुद्ध धव्निया है जो न केवल हमारी आँखों में आँसू लती है...बल्कि हमें भीतर से पूरी तरह स्वच्छ कर देती है ...ताकि फिर से हम एक निर्दोष बच्चे की तरह बन सके....
मौन..............
तीसरा चरण मौन है जो हमारी हसी और आसुओ का साक्षी बनता है....यह चरण हसी और आसुओ से हमें मुक्ति दिलाता है ....हमें 7 दिनों तक लगातार मौन रहना चाहिए और सवयम में हो रहे परिवर्तनों को महसूश करना चाहिए.....
ध्यान की इस विधि में हमारे भीतर की 2 परतो को तोडा जाता है.....दरअसल हमारी हसी और आसुओ को निरंतर दबाया गया है....यदि हम इन परतो से मुक्ति प् ले तो इसका मतलब है हमने आपने आप को खोज लिया.....
या-हू या या-बू शब्दों का कोई अर्थ नहीं है ....ये मात्र विधिया है , धव्निया है...जो अंतस सत्ता में परवेश करने के लिए काम में लायी जाती है...
हसना...रोना तथा चीखना हमारे लिए लाभप्रद है ....और वैज्ञानिक भी मानते है ये चीजे मानसिक और शारीरिक दोनों तरीके से लाभप्रद है ....ये चीजे हमारे चित को सवस्थ रखने में मदद करती है....
हमें एक व्यायाम की तरह रोना और हसना चाहिए....दरअसल आसू हमारे लिए एक औषधि की तरह काम करते है....रोते समय रसायन निकलता है जो हमारी आँखों को साफ़ रखता है....और हमारी दृष्टि बेहतर होती है....जहा एक तरफ आसू हमारे भीतर की पीडा को बहार निकल देता है ..वही दूसरी तरफ हसी हमें आनंद के सागर में डुबो देती है....यदि हम एक बार इस चीज़ को सीख जाते है तो हमारा मन बिलकुकल शांत हो जाता है....हमें गुलाब के फूलो की तरह ताजगी, सुवाश और सोंदर्य मिलने लगता है....ध्यान की इस विधि को Mystique Rose -रहस्यदर्शी गुलाब कहा गया है....
ये कोई रहस्मयी गुलाब नहीं बल्कि ध्यान में ले जाने की एक सरल परक्रिया है.....
यह ओशो द्वारा बताई हुई विधि है जिसमे मनुष्य को ३ चरणों से गुजरना पड़ता है 1. हसना....2. रोना....3. मौन...
विधि इस तरीके से है....
हसना...............
पहले चरण में आपको लगातार 3 घंटे तक बिना किसी कारन हसना पड़ता है....जब आपकी हसी समाप्त हो जाये तो जोर से कहे या-हू ....आपकी हसी लौट आएगी.....3 घंटे तक हसने के बाद आपको ऐसा लगता है जैसे आपके प्राणों पर धुल की कई परते जमी हुई थी...और हसने से वे परते अपने स्थान से हटने लगी है....आपकी हसी उन्हें तलवार की तरह एक बार में काट डालती है....आप ऐसा 7 दिन तक लगातार 3 घंटो तक करी...इससे आपको आपके भीतर रूपांतरण का एहसास होगा....
रोना.............
दूसरा चरण आसूओ का है...पहले चरण के बाद हम एक नहीं अवस्था में आ जाते है....लेकिन अपने अंतस के मंदिर तक पहुचने के लिए हमें कुछ कदम और चलना होगा...क्योकि हमने पूर्व में उदासी, निराशा, चिंता आदि को अपने भीतर खूब दबाया है....उन सभी ने घेर कर हमारे सौन्दर्य और आनंद को नष्ट कर दिया है.....
7 दिन तक आप बिना वजह रोये, चीखे और आसू बहाए....उन्हें रोके मत....जब भी ऐसा लगे के आँखों से आसू नहीं निकल रहे तो या-बू कहे....ये शुद्ध धव्निया है जो न केवल हमारी आँखों में आँसू लती है...बल्कि हमें भीतर से पूरी तरह स्वच्छ कर देती है ...ताकि फिर से हम एक निर्दोष बच्चे की तरह बन सके....
मौन..............
तीसरा चरण मौन है जो हमारी हसी और आसुओ का साक्षी बनता है....यह चरण हसी और आसुओ से हमें मुक्ति दिलाता है ....हमें 7 दिनों तक लगातार मौन रहना चाहिए और सवयम में हो रहे परिवर्तनों को महसूश करना चाहिए.....
ध्यान की इस विधि में हमारे भीतर की 2 परतो को तोडा जाता है.....दरअसल हमारी हसी और आसुओ को निरंतर दबाया गया है....यदि हम इन परतो से मुक्ति प् ले तो इसका मतलब है हमने आपने आप को खोज लिया.....
या-हू या या-बू शब्दों का कोई अर्थ नहीं है ....ये मात्र विधिया है , धव्निया है...जो अंतस सत्ता में परवेश करने के लिए काम में लायी जाती है...
हसना...रोना तथा चीखना हमारे लिए लाभप्रद है ....और वैज्ञानिक भी मानते है ये चीजे मानसिक और शारीरिक दोनों तरीके से लाभप्रद है ....ये चीजे हमारे चित को सवस्थ रखने में मदद करती है....
हमें एक व्यायाम की तरह रोना और हसना चाहिए....दरअसल आसू हमारे लिए एक औषधि की तरह काम करते है....रोते समय रसायन निकलता है जो हमारी आँखों को साफ़ रखता है....और हमारी दृष्टि बेहतर होती है....जहा एक तरफ आसू हमारे भीतर की पीडा को बहार निकल देता है ..वही दूसरी तरफ हसी हमें आनंद के सागर में डुबो देती है....यदि हम एक बार इस चीज़ को सीख जाते है तो हमारा मन बिलकुकल शांत हो जाता है....हमें गुलाब के फूलो की तरह ताजगी, सुवाश और सोंदर्य मिलने लगता है....ध्यान की इस विधि को Mystique Rose -रहस्यदर्शी गुलाब कहा गया है....