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View Full Version : Another Gem of Fauji Mehar Singh!



spdeshwal
September 5th, 2009, 11:55 AM
मेरी माँ के जाये बीर
Another gem of a Ragni by Fauji Mhar Singh and has been sung,so beautifully
by Pt. Karampal Sharma!


मेरी माँ के जाये बीर, विपत में रोया न करते !
कदे दिन ये भी आवें सें, कड़े दिन ये भी आवें से !

संगत बुरी चोर जारां की, हो से नीच चुगल खोरां की !
देख के, ने औरां की खीर,नीत डुबोया ना करते!
टूक मर पच के थ्यावें सें !
कदे दीन ......

सरा में लूट लिए छल करके, फैंसला होगा उस ईश्वर कै !
करके प्यारां गेलयाँ शीर, आँख भर रोया न करते!
ज़माना नीच बतावे से !
कदे दीन ......

गात में कति रहा ना जोश, दुःख में लई आत्मा मोश !
म्हारी खोस लई जागीर , घणा जंग झोया ना करते !
हंसी लोग उडावे सें !
कदे दिन ..

मेहर सिंह पड़गे घण्ने झमेले, आज हम पड़गे घण्ने अकेले !
धर ले बुरे वक्त में धीर, होश ने खोया ना करते !
आनंद रंग हटके छावें सें !
कदे दिन...
मेरी माँ के जाये बीर, विपत में रोया न करते !
कड़े दिन ये भी आवें सें, कड़े दिन ये भी आवें से !

http://www.haryanavimusic.com/hmp/pages/main/player.php?Id=119&connection=56&t=SONG

आशा है , सभी रागनी प्रेमी इसे पसंद करेंगे !

aryasatyadev
September 5th, 2009, 08:48 PM
देशवाल जी, पढने से लगता है की ये रागनी किसी खास context में लिखी गयी है, इसके पीछे की कहानी अगर मालूम है तो कृपया share करें....