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View Full Version : Poh ka mihna !



spdeshwal
June 26th, 2010, 11:51 AM
पोह का मीहना

डॉ रणबीर दहिया जी दुँरा रचित ये हरयाणवी गीत/ रागनी , हालांकि करीब दो दशक पुरानी ग्रामीण जीवन की झलक और किसान के संघर्षमय पर्यास को इन्गत करते हुए ,
शोषित जीवन के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का सुझाव लिए हुए है ! बहुत सुंदर सब्द, सुरीली आवाज ! हमारे नए मेम्बर्स को शायद पता न हो , डॉ साहेब जाट लैंड के सकिर्य मेम्बेर्स रहे हैं !

पोह का मीहना, रात अँधेरी, यो पड़े कसाई पाला
या सारी दुनिया सुख तें सोवे , मेरी जान का गाला
पोह ......

सारे दीन मैने खेताँ के मांह इंख की करी डूआई !
मार मंडस्सा सर पी पूली , हंगा लाके ठाई !
पूली भारया, जाथर थोडा , चणक नाड़ में आई !
आगेन: डंग पाटी कोण्या, थोड अँधेरी छाई !
हेर: झटका देके चनक तोड़ दी, होया दर्द का चाला!
या सारी दुनिया .........

भाई साह्जे का ते कोहलू था, मेरी ज़ोट रात ने आई !
रूंग बुलध खड़े हुए जिब दया मैंने भी आई !
इस्सा कस्साई जाड़ा था, मेरी भी नास सुसाई
मजबूरी थी मेरे पेट की, कोण्या पार बसाई!
पकावे ते न्यू कहन लगया , कड़े होजया गुड का राला !
या सारी दुनिया........

भई कई खर्च कठे हो रे सें, जान मरण में आई
गुड ने बेचो गुड ने बेचो , इस्सी लोलता लाई!
छोरी के दुस्सर की सिर पे , आन चडी करडाई!
सरकारी कर्जे आल्याने ने पाछे जिप लगाईं !
हे रे मंडी के माँ फंसग्या, होवे लूट का चाला !
या सारी दुनिया ......

खांसी की ते परवाह ना थी, पर ताप ने आण दबोच लिया !
डाक्टर ने एक सुआ लाया, दस रुपे का नोट लिया !
मेरे पे गर्दिश क्यों चड्गी, इस्सा के मैंने खोट किया !
कई मुसीबत कठठी होगी, सारियाने गल ज़ोट लिया !
रणबीर साहजे जतन बिना , भाई मिटे ना दम का चाला !
या सारी दुनिया ...

http://www.youtube.com/watch?v=gEaNgTQuNyI&feature=related



आशा है , आप सभी को ये गीत/ रागनी पसंद आएगी !

खुश रहो !