PDA

View Full Version : America Exposed !!



Samarkadian
November 29th, 2010, 02:26 PM
A new kind of media is in to the scene : Wikileaks. Big Boss of the World and its diplomacy behind curtains is exposed to the world. Reports has claimed that it had more than two lakhs documents associated with India. It is an interesting time in world history where Information age has brought its biggest ever surprise to the world.

For more information about Wikileaks:-

http://en.wikipedia.org/wiki/WikiLeaks

Further ,Indian reports are as under :-

विकिलीक्स ने द न्यूयॉर्क टाइम्स, गार्जियन, डेर स्पीगल, द टेलीग्राफ जैसे प्रतिष्ठत समाचार पत्रों खुलासों की पहली खेप रविवार देर रात जारी कर दी। हालांकि इन खुलासों को रोकने के लिए रहस्योद्घाटन से ठीक पहले विकिलीक्स की वेबसाइट हैक कर ली गई थी, लेकिन खुलासे पर कोई असर नहीं पड़ा। द टेलीग्राफ में पहली खेप से दिए समाचार में लिखा, अमेरिकी राजनयिक ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद को हिटलर और फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को नंगा राजा कहकर पुकारते थे। इससे पहले जर्मन वेबसाइट नेटजिपोलिटिक डॉट ओआरजी के मुताबिक बर्लिन के डेर स्पीगल समाचार पत्र ने दस्तावेजों के बारे में रविवार सुबह वेबसाइट पर जानकारियां दी थीं, लेकिन थोड़ी देर बाद इन्हें हटा लिया। अखबार ने लिखा, विकिलीक्स गोपनीय दस्तावेजों की पहली खेप रविवार रात जारी कर सकता है। उसके पास जो 30 लाख अमेरिकी दस्तावेज हैं, वह 2004 से बाद के बताए जा रहे हैं। इनमें से एक दस्तावेज 1966 का है। विकिलीक्स के संपादक जूलियन असांजे ने शुक्रवार को ट्विटर पर संदेश लिखकर खुलासों की घोषणा की थी। इसके बाद से ही अमेरिका के हाथ-पांव फूले हुए हैं। रविवार देर रात विकिलीक्स की साइट हैक किए जाने की भी खबर आई। ब्रिटिश समाचार पत्र द संडे टेलीग्राफ ने रविवार को दावा किया कि खुलासों की शुरुआत नेल्सन मंडेला व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई जैसी शख्सियतों से संबंधित दस्तावेजों से होगी। रहस्योद्घाटन का सिलसिला सप्ताह के अंत तक चलेगा। विकिलीक्स के पास कोरियाई प्रायद्वीप, ग्वांतनामो-बे, पाकिस्तान, यमन, अफगानिस्तान और अमेरिका-रूस के बीच हुई नई स्टार्ट संधि से जुड़े सनसनीखेज खुलासे हैं। खुलासों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की साफ-सुथरी छवि भी खराब हो सकती है। इसके अलावा ब्रिटेन के खिलाफ अमेरिकी षड्यंत्र भी सामने आएंगे। अमेरिकी न्यूज चैनल एनबीसी कहता है कि खुलासों की घोषणा मात्र से व्हाइट हाउस के अधिकारियों के चेहरे का रंग उड़ गया है और विकिलीक्स के रहस्योद्घाटन के बाद उनकी हालत बहुत बुरी होने वाली है।

========

विकीलीक्स से जारी अमेरिका के लगभग ढाई लाख गोपनीय दस्तावेजों में करीब 3,038 गोपनीय दस्तावेज नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के हैं। लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ने की अमेरिकी आशंका के बावजूद दुनियाभर का मीडिया सोमवार को इन दस्तावेजों का ब्यौरा प्रकाशित कर रहा है।

विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने कहा कि इन गोपनीय दस्तावेजों के जारी होने से पहले ही अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को इस बारे में आगाह कर दिया था। गौर हो कि विकिलीक्स से मिले लगभग ढाई लाख गोपनीय दस्तावेजों न्यूयार्क टाइम्स ने जारी किया, जिनमें परमाणु ईधन पर पाकिस्तान के साथ गतिरोध और चीन की सरकार द्वारा गूगल प्रणालियों को हैक करने जैसे कई मामलों में राजनयिक स्तर की बातचीत और घटनाओं का खुलासा किया गया है। न्यूयार्क टाइम्स ने इन गोपनीय दस्तावेजों को अमेरिकी कूटनीति के बड़े खुलासों में से एक बताया और कहा है कि अमेरिका की लगभग ढाई लाख गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों में से ज्यादातर बीते तीन वर्ष के हैं जो दुनियाभर में दूतावासों द्वारा परदे के पीछे की जाने वाली सौदेबाजी, विदेशी नेताओं के बर्बर विचारों और परमाणु एवं आतंकी खतरों के खरे मूल्यांकन का खुलासा करते हैं।

अमेरिका ने विकीलीक्स के इस कदम को गैर कानूनी बताया है और कहा है कि इससे अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ेगा। साथ ही विकिलीक्स के गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों के अवैध प्रकाशन से नाराज अमेरिका के सभी प्रमुख दलों के सांसदों ने ओबामा प्रशासन से कहा है कि प्रशासन हरसंभव कानूनी उपाय करके वेबसाइट को बंद कर दे।

इन दस्तावेजों में भारत संबंधी ब्यौरे के बारे में फौरी तौर पर पता नहीं चल पाया है क्योंकि विकीलीक्स की वेबसाइट बेहद व्यस्त होने की वजह से ठीक तरह से खुल नहीं पा रही है। रविवार को जारी की गई कुल ढाई लाख गोपनीय दस्तावेजों में कुल 3,038 दस्तावेज नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से संबंधित हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय का दौरा करने वाले भारत समेत प्रत्येक विदेशी राजनयिक की व्यक्तिगत गतिविधियों के प्रत्येक मिनट की अमेरिका जानकारी चाहता था और उसने भारत अमेरिकी नागरिक परमाणु समझौते तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार जैसे प्रमुख मुद्दों पर सूचनाएं इकट्ठा करने का निर्देश दिया था।

विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है। यह गोपनीय संदेश 31 जुलाई 2009 को अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने जारी किया था। इस संबंध में अमेरिकी राजनयिकों को यह संदेश जारी किया गया था कि वे सूचना इकट्ठा कर इसे खुफिया एजेंसियों को दे ताकि उस व्यक्ति की प्रत्येक गतिविधि की सूचना मिलती रहे। इसमें विदेशी सहयोगियों के क्रेडिट कार्ड की जानकारी भी शामिल हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिकी राजनयिकों से कहा गया था कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए होने वाले विस्तार के संबंध में प्रमुख गुटों के बीच चल रहे विचार विमर्श का पता लगाएं।

इसमें सबसे आगे चल रहे ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान [जी फोर], सुरक्षा परिषद में अतिरिक्त स्थाई सदस्यता का विरोध करने वाले मेक्सिको, इटली और पाकिस्तान, अफ्रीकी गुट और यूरोपीय संघ तथा विश्व निकाय सचिवालय में काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों के बीच चल रही बातचीत की जानकारी अमेरिका चाहता था।

अमेरिका गुटनिरपेक्ष आंदोलन [नैम], जी-77, इस्लामी देशों का संगठन, संयुक्त राष्ट्र में चीन, क्यूबा, मिस्र, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, सूडान, युगांडा, सेनेगल और सीरिया के स्थाई प्रतिनिधियों से जुड़ी जानकारियां मांगी गई थीं।

गुप्त दस्तावेजों के मुताबिक अमेरिका परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की पूर्ण बैठक के दौरान सदस्यों की योजनाएं भी जानना चाहता था।

अमेरिकी कूटनीति के रहस्य भी उजागर

विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए अमेरिका के पिछले तीन साल के संदेशों से गोपनीय राजनयिक अध्याय और पर्दे के पीछे हुई कूटनीतिक सौदेबाजियों के बारे में अप्रत्याशित जानकारी मिली है। इसमें परमाणु ऊर्जा के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हुआ गतिरोध भी शामिल है। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अपने खुलासे को लेकर दुनियाभर में सुर्खियों में आई इस वेबसाइट ने अमेरिकी कूटनीति के रहस्यों को उजागर कर दिया है।

टाइम्स ने एक संदेश के हवाले से कहा कि अमेरिका ने वर्ष 2007 के बाद से एक पाकिस्तानी शोध संयंत्र से उच्च संव*िर्द्धत यूरेनियम को हटाने के लिए गोपनीय तौर पर प्रयास किया हालांकि यह प्रयास अभी तक असफल रहा है। अमेरिकी अधिकारियों को भय था कि इसका इस्तेमाल गैर कानूनी परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है।

मई 2009 में राजदूत अन्ने डब्लू पेटर्सन ने बताया कि पाकिस्तान अमेरिकी विशेषज्ञों के दल को जाने की अनुमति नहीं दे रहा है। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना था कि यदि स्थानीय मीडिया को यूरेनियम हटाने की सूचना मिलती है तो वे निश्चित रूप से इसे अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर कब्जा करने का प्रयास करार देंगे।

दस्तावेजों में कहा गया है कि विश्व के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल की हैकिंग चीन के सरकारी अधिकारियों, निजी सुरक्षा विशेषज्ञों और चीनी सरकार द्वारा भर्ती किए गए अपराधियों ने की थी। इसके अलावा उन्होंने अमेरिका के सरकारी कंप्यूटरों, अमेरिकी व्यावसायिक नेटवर्क और दलाई लामा के कंप्यूटर नेटवर्क को भी हैक किया।

एक अन्य संदेश में अफगानिस्तान में फैले भ्रष्टाचार का ब्यौरा भी दिया गया है।

दस्तावेजों में आस्ट्रेलिया का भी जिक्र

दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी विकीलीक्स वेबसाइट द्वारा हासिल किए गए अमेरिका के 1442 गोपनीय दस्तावेजों में आस्ट्रेलिया का भी जिक्र आया है जो अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक है। एएपी की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को जारी किए गए दस्तावेजों में से एक में वर्ष 2007 के एपेक सम्मेलन में पर्दे के पीछे हुई बातचीत का भी उल्लेख है।

इससे पहले जारी गोपनीय दस्तावेजों में अमेरिका और चीन के बीच की उस बातचीत का भी विवरण है जो बीजिंग के रास्ते शस्त्रों की खेप लेकर ईरान जा रहे जहाज के बारे में हुई थी। यह संदेश उत्तर कोरिया द्वारा बीजिंग के रास्ते ईरान भेजी जा रही हथियारों की खेप को लेकर तुरंत कार्रवाई करने के लिए भेजा गया था।

दस्तावेज में कहा गया है कि सितंबर में सिडनी में हुई एपेक की बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश ने चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओं के साथ बातचीत में उत्तर कोरिया द्वारा ईरान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए बैलेस्टिक मिसाइल प्रणाली के मुख्य कल पुर्जे बीजिंग के रास्ते ईरान भेजने पर गहरी चिंता जताई थी।

लीक हुए दस्तावेजों में अमेरिका और पश्चिम एशिया के बीच कूटनीतिक संबंधों की भी चर्चा है। एक दस्तावेज में जिंबाब्वे के राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई है। इसमें आस्ट्रेलिया की भी चर्चा है और उसे अमेरिका के सबसे बड़े सहयोगियों में से एक बताया गया है।

बंद की जाए विकिलीक्स वेबसाइट

विकिलीक्स के गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों के अवैध प्रकाशन से नाराज अमेरिका के सभी प्रमुख दलों के सांसदों ने ओबामा प्रशासन से कहा है कि प्रशासन हरसंभव कानूनी उपाय करके वेबसाइट को बंद कर दे।

सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जॉन कैरी ने कहा कि इन परिस्थितियों में गोपनीय दस्तावेजों को जारी करना पूरी तरह गलत काम है, जो बहुत सी जिंदगियों को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने बताया कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला नहीं है और न ही यह पेंटागन से जुड़े दस्तावेजों को जारी करने के समान है। कैरी ने बताया कि इसकी बजाय यह दस्तावेज वर्तमान समय में जारी मामलों के विश्लेषण से जुड़े हैं, जिन्हें गोपनीय बनाए रखना अत्यंत जरूरी है।

सीनेट की होमलैंड सिक्युरिटी और शासकीय मामलों की समिति के अध्यक्ष जो लिबरमैन ने कहा कि विकिलीक्स ने जानबूझकर इन दस्तावेजों का खुलासा किया है, जो न केवल अमेरिका, बल्कि दूसरे बहुत से देशों की भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। लिबरमैन ने ओबामा प्रशासन से आग्रह किया कि इससे पहले कि विकिलीक्स और दस्तावेज जारी करके देश को और नुकसान पहुंचा सके, प्रशासन हरसंभव वैधानिक तरीके अपना कर विकिलीक्स को बंद कर दे।




----------------------------

What you think about this new sensation?

vicky84
November 29th, 2010, 05:16 PM
But India is not worried about wiki leaks. Thats what I read this morning on TOI :)

Ambijat
December 1st, 2010, 12:46 AM
The much touted wikileaks have come a cropper. It reveals little about the policy overtures on the part of leading global players and tells more about the twist in lion's tail. The anger and embarrassment of the US is pretty evident. The fact is nothing surprising given the history of US actions and its façade of altruism has always had to reveal the most pernicious attempts to push through its strategic interests.
The Afghanistan situation would only be seen more pathetic in terms and about the possible solutions as the WikiLeaks hint that there is hardly any solution envisaged. The dates are already being shifted from 2011 to 2014 and may be by that time to 2020.

cooljat
December 1st, 2010, 08:18 PM
Foreshortened version can be found here -

http://www.thehindu.com/system/topicRoot/WikiLeaks/


Cheers
Jit

vdhillon
December 1st, 2010, 08:46 PM
The much touted wikileaks have come a cropper. It reveals little about the policy overtures on the part of leading global players and tells more about the twist in lion's tail. The anger and embarrassment of the US is pretty evident. The fact is nothing surprising given the history of US actions and its façade of altruism has always had to reveal the most pernicious attempts to push through its strategic interests.
The Afghanistan situation would only be seen more pathetic in terms and about the possible solutions as the WikiLeaks hint that there is hardly any solution envisaged. The dates are already being shifted from 2011 to 2014 and may be by that time to 2020.

Spot on Ambrish ji. Its not as big a deal as it was made out to be. Nature of leaks is not as damaging as most leaks are diplomats reporting back to us on daily happenings.

Samar, IMO, there were no leak of long term, comprehensive analysis, future strategic plans, etc. Also, most of the info contained in the leaks is comparatively lame, already available in the public domain (though leaks add more specific anecdotes to already known info).

Its a failure of US government's 'information security process' which is easily pluggable. Though may cause some minor embarrassment.

singhvp
December 2nd, 2010, 09:10 PM
Founder of wikileaks faces charges of sexual crime during his visit to Sweden. It seems to a ploy of CIA to implicate him. Link is given below.

http://www.bbc.co.uk/news/world-europe-11898323

cooljat
December 3rd, 2010, 12:03 PM
Amazon shuts off Wikileaks servers, followed by stopping DNS services by Everydns. Although Julian moved its site from USA to Sweden but still it looks down as lot of attacks & hack activities are being targeted to ruin the site. Lot more leaks are lined up, let's see how it handles the pressure n' attacks !

http://www.thehindu.com/news/international/article927877.ece

Double game by US after 26/11 attacks

http://www.thehindu.com/news/national/article927227.ece

cooljat
December 8th, 2010, 06:54 PM
.

Assange defends WikiLeaks in editorial of 'The Australian' -

http://www.thehindu.com/news/international/article939272.ece?homepage=true

ps: pay heeds to what Assange Lawyers said in defense, that's interesting .. lol

Saharan1628
December 11th, 2010, 07:57 AM
Bhai abhi tak to leak hi leak chal rahe hain...Haven't seen any vital change in political scenario across the globe...and i don't think any thing said against India will get a reaction from our side bcoz truth is wo AMERICA hai bhai...jab pakistan aur china ko kuch nhi kehte to america ka kya paadenge

narendersingh
December 16th, 2010, 10:59 PM
Bhai abhi tak to leak hi leak chal rahe hain...Haven't seen any vital change in political scenario across the globe...and i don't think any thing said against India will get a reaction from our side bcoz truth is wo AMERICA hai bhai...jab pakistan aur china ko kuch nhi kehte to america ka kya paadenge
India ko apney kaan khulley rakhney padengey

amitdabas22
December 16th, 2010, 11:30 PM
Kaan khaulenge ki jaroorat nahi hai sir!!
Sirf aankh aur dimaag khol lo !! khafi hai !

Par kya karen...u can not write off a superpower just in a week !