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View Full Version : Right to education bill and secularists!



sjakhars
July 28th, 2011, 12:41 PM
An article on right to education bill. Now, secularists need exception in basic rights too. They do not want to follow the constitution, they want to be above the law. Read through the below article.

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/9393310.cms

लखनऊ।। दुनिया के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थानों में शुमार दारुल उलूम देवबंद ने भी शिक्षा का अधिकार कानून का विरोध करते हुए इसके तहत मदरसों की सम्प्रभुता पर असर पड़ने के खिलाफ आवाज उठाने का ऐलान किया है।

दारुल उलूम देवबंद के मुहतमिम मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून के जरिए मदरसों के अधिकार छीने जाने का पुरजोर विरोध किया जाएगा और इदारा इस कानून की मुखालिफत कर रहे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ उन्होंने कहा कि इस कानून से मदरसों की आजादी तथा शैक्षणिक व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी और उनके कामकाज में सरकार की बेजा दखलंदाजी बढ़ेगी।

मुहतमिम ने कहा कि अगर अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को इस कानून के दायरे से बाहर नहीं किया गया तो देवबंद विरोध दर्ज कराएगा। चाहे वह अपने बैनर तले हो या फिर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के झंडे तले।

नोमानी ने कहा कि करीब एक साल पहले दिल्ली में जमीयत उलमा-ए-हिन्द द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने इस कानून के मदरसों पर पड़ने वाले असर के बारे में आशंका जताए जाने पर आश्वासन दिया था कि ऐसी शिक्षण संस्थाओं को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

गौरतलब है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने शिक्षा का अधिकार कानून के विरोध में पिछले रविवार को एक बैठक की थी। इसमें फैसला किया गया था कि केन्द्र, सरकार अगर संसद के मानसून सत्र में मदरसों तथा अन्य अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के दायरे से बाहर नहीं किया गया तो रमजान माह के बाद देशव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा।

बोर्ड के सदस्य जफरयाब जीलानी ने बताया कि केन्द्र, सरकार ने पिछले साल एक अप्रैल को शिक्षा का अधिकार कानून सम्बन्धी शासनादेश जारी किया था। उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस सम्बन्ध में गत 19 मई को शासनादेश जारी कर दिया। उन्होंने बताया कि अब मदरसों को इस कानून के तहत अपनी व्यवस्थाओं में तब्दीली करने के आदेश भरे नोटिस जारी किए जा रहे हैं।

जीलानी ने बताया कि इस कानून के मुताबिक मदरसे, मकतब और स्कूल अगर तीन साल के अंदर नए कानून के नियम-कायदों को अमल में नहीं लाते तो उन पर जुर्माना लगाकर उन्हें बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपना शैक्षिक पाठ्यक्रम पढ़ा सकते हैं या सरकार द्वारा निर्धारित शैक्षिक पाठ्यक्रम में मुनासिब तब्दीली के साथ शिक्षा दे सकते हैं लेकिन शिक्षा का अधिकार कानून की धारा आठ और नौ के तहत यह अधिकार सरकार तथा स्थानीय निकायों को दे दिया गया है। जीलानी ने बताया कि इस कानून के तहत स्कूल स्थापित करने वाली अल्पसंख्यक इकाई से अपनी प्रबंध समिति में अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति को ही शामिल करने का अधिकार छीन लिया गया है।

उन्होंने कहा कि यह कानून लागू होने से अकलियती इदारों का धार्मिक शिक्षा देने के लिए भी शिक्षक की योग्यता निर्धारित करने का अधिकार भी छिन गया है। इससे धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। इस बीच, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी शिक्षा का अधिकार कानून का विरोध करते हुए कहा है कि वह इस मुहिम में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का साथ देगा। बोर्ड के अध्यक्ष मिर्जा मोहम्मद अतहर ने कहा कि उनका संगठन भी इस कानून का विरोध करता है और अगर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने आग्रह किया तो वह इस अधिनियम के
खिलाफ मुहिम में उसका पूरा साथ देगा।

ravinderjeet
July 28th, 2011, 01:44 PM
भाई ये सेकुलरिस्ट ते देश में ८-१० पाकिस्तान और बनावेंगे | न्यू थोड़े ना छोड़ेंगे इतने इस देश की इसी - तीसी ना हो ले गी |