yashvardhan
September 25th, 2011, 04:37 PM
राजा मान सिंह हत्याकांड में फिर टली सुनवाई
राजस्थान में वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव के दौरान भरतपुर के राजा मानसिंह डीग विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। 21 फरवरी 85 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर भरतपुर के राजा राजा मान सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के प्रत्याशी विजेंद्र सिंह के समर्थन में चुनावी सभा के लिए डीग आए थे। चुनावी भाषण में तत्कालीन मुख्यमंत्री माथुर ने भरतपुर राजघराने पर कटाक्ष और प्रतिकूल टिप्पणी करना प्रारंभ कर दिया था।
माथुर की सभा के पास ही राजा मान सिंह समर्थकों के साथ जनसंपर्क में व्यस्त थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री माथुर की गई टिप्पणी के बारे में लोगों ने तत्काल ही राजा को अवगत करा दिया।
राजा मान सिंह यह सुन आपा खो बैठे। उन्हें इतना ज्यादा गुस्सा आया कि वह स्वयं अपने जौंगे (जीप) के साथ तेजी से सभास्थल पहुंचे और मंच को धराशाई कर दिया। इस बीच पुलिस ने गोली चला दी और फायरिंग में राजा मानसिंह की मौके पर मौत हो गई। इस मामले में तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर कान सिंह भाटी समेत डेढ़ दर्जन पुलिस कर्मियों को मुल्जिम बनाया गया था।
उक्त मामले शुक्रवार को आरोपी कान सिंह भाटी सहित अन्य आरोपियों को भरतपुर पुलिस मिनी बस में जिला न्यायालय परिसर में लाई लेकिन सीबीआई अधिवक्ता वीके शर्मा के एक अन्य के स में व्यस्त होने के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। कुछ नामजद आरोपियों की मौत हो चुकी है।
राजस्थान में वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव के दौरान भरतपुर के राजा मानसिंह डीग विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। 21 फरवरी 85 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर भरतपुर के राजा राजा मान सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के प्रत्याशी विजेंद्र सिंह के समर्थन में चुनावी सभा के लिए डीग आए थे। चुनावी भाषण में तत्कालीन मुख्यमंत्री माथुर ने भरतपुर राजघराने पर कटाक्ष और प्रतिकूल टिप्पणी करना प्रारंभ कर दिया था।
माथुर की सभा के पास ही राजा मान सिंह समर्थकों के साथ जनसंपर्क में व्यस्त थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री माथुर की गई टिप्पणी के बारे में लोगों ने तत्काल ही राजा को अवगत करा दिया।
राजा मान सिंह यह सुन आपा खो बैठे। उन्हें इतना ज्यादा गुस्सा आया कि वह स्वयं अपने जौंगे (जीप) के साथ तेजी से सभास्थल पहुंचे और मंच को धराशाई कर दिया। इस बीच पुलिस ने गोली चला दी और फायरिंग में राजा मानसिंह की मौके पर मौत हो गई। इस मामले में तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर कान सिंह भाटी समेत डेढ़ दर्जन पुलिस कर्मियों को मुल्जिम बनाया गया था।
उक्त मामले शुक्रवार को आरोपी कान सिंह भाटी सहित अन्य आरोपियों को भरतपुर पुलिस मिनी बस में जिला न्यायालय परिसर में लाई लेकिन सीबीआई अधिवक्ता वीके शर्मा के एक अन्य के स में व्यस्त होने के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। कुछ नामजद आरोपियों की मौत हो चुकी है।