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View Full Version : आर्य प्रशिक्षण सत्र



ashokpaul
September 28th, 2011, 07:34 AM
सृष्टि के आदि से लेकर आजतक सत्यज्ञान हमें ऋषियों के द्वारा मिलता रहा है | ज्ञान के वाहक ऋषिगण होते हैं | कर्तव्य-अकर्तव्य, पुण्य-पाप, धर्म-अधर्म, गुण-अवगुण, लाभ-हानि, सत्य-असत्य, हितकर-अहितकर, आस्तिक-नास्तिक आदि तथा ईश्वर का परिज्ञान हम मनुष्यों को ऋषि मुनि ही बतलाते हैं | ऋषिगण अपूर्व मेधा सम्पन्न, ईश्वर के संविधान के महाविद्वान, निस्वार्थी और परम दयालु होते हैं | इनका प्रत्येक उपदेश और कार्य प्राणिमात्र के हित के लिये होता है | वर्तमान कालीन देश-प्रान्त आदि की सीमाओं में इनका ज्ञान और कार्य बंधा हुआ नहीं होता है, परन्तु इस विश्व में प्रत्येक मनुष्यमात्र के लिये इनका उपदेश और कार्य होता है, यथार्थ में ये ऋषि - मुनि ही देश काल की सीमाओं से परे जाकर मनुष्य मात्र के कल्याण और उन्नयन के लिये कर्म और उपदेश करते हैं, वास्तव में ये ऋषि - मुनि ही मनुष्य ही नहीं अपितु प्राणिमात्र के सच्चे हितैषी होते हैं, इनका उपदेश हिन्दु, मुस्लिम, ईसाई, पारसी, जैनी, बौद्ध आदि-आदि विश्व भर में प्रचलित समस्त मत - पन्थों एवं सम्प्रदायों के अनुयायियों के लिये भी एक जैसा होता है, ये ही सच्चे अर्थों में मानवीय होते हैं| ऋषियों का ज्ञान सत्य, तथ्य, तर्क और यथार्थ वैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित होता है| जिनके सिद्धान्तों को किसी भी काल में और किसी के भी द्वारा काटा नहीं जा सकता है, इनका सिद्धान्त ईश्वरीय सिद्धान्तों एवं उनके द्वारा प्रदत्त ज्ञान पर अवलम्बित है| सृष्टि के प्रारम्भ के ऋषियों से लेकर महाभारत कालीन ऋषियों यथा ऋषि व्यास , ऋषि जैमिनि, ऋषि पतन्जलि, ऋषि कणाद, ऋषि कपिल, ऋषि गौतम, ऋषि यास्क और पराधीनता के काल में ऋषि दयानन्द से हमें विश्व भर के मनुष्यमात्र के लिये करणीय और धारणीय ईश्वरीय ज्ञान मिला है|
ऋषियों में ऋषि दयानन्द हमारे सबसे निकट काल में हुये हैं, इसलिये प्राचीन सभी ऋषियों के ज्ञान और कर्म को ये अपने में समेटे हुये है| और इनका उपदेश, कर्म और साहित्य विपुल रूप में हमारे सम्मुख है | जिससे हम सरलता और स्पष्टता से सत्य को जान सकते हैं, समझ सकते हैं, धारण कर सकते हैं और इस सत्य पथ पर चल सकते हैं| वैदिक सिद्धान्तों अर्थात आर्ष सिद्धान्तों के परिज्ञान के लिये प्रमुख रूप से गुरुकुलीय विधा से विद्द्या ग्रहण और आर्ष ग्रन्थों का स्वाध्याय है| वर्तमान काल में आर्य परम्पराओं के छिन्न-भिन्न हो जाने पर आर्य सिद्धान्तों के प्रमुख-प्रमुख सिद्धान्तों के परिज्ञान के लिये सर्वोत्तम, अल्पकालिक और संक्षिप्त विधा है आर्य प्रशिक्षण सत्र और आर्या प्रशिक्षण सत्र जो राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा के द्वारा आयोजित होता है| वर्तमान में इसका कार्य क्षेत्र भारतवर्ष है| भारतवर्ष में मुख्य रूप से हरियाणा प्रान्त, दिल्ली प्रान्त, उत्तरप्रदेश प्रान्त, मध्यप्रदेश प्रान्त, उत्तराखन्ड प्रान्त और राजस्थान प्रान्त में आयोजित होते हैं| सत्य के जिज्ञासु, वेद के जिज्ञासु और मानवामात्र के हिताकांक्षी अवश्य इन सत्रों में सम्मिलत होकर सत्य ज्ञान ग्रहण करें, वर्तमान काल में जितना और सैद्धान्तिक परिज्ञान आप दस वर्षों में भी स्वयं परिश्रम करके नहीं अर्जित कर सकते हैं, उससे अधिक और सुदृढ बोध आप इन द्विदिवसीय सत्रों में ग्रहण कर सकते हैं|इन द्विदिवसीय सत्रों के उपरान्त आपके लिये सत्य और वेद का द्वार खुल जाता है आप वैदिक धर्म में प्रवेश पा लेते हैं और इससे आप ऋषियों के द्वारा रक्षित और सिंचित सत्य पथ के पथिक और वाहक बन जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं|

ashokpaul
September 28th, 2011, 01:42 PM
संपूर्ण क्रांति के लिए......


आर्य प्रशिक्षण सत्र १-२ अक्तूबर २०११

समय- ८:०० पूर्व. - ८:०० अप. शनिवार को
६:०० पूर्व. - ६:०० अप. रविवार को

१. आर्य समाज माडल टाउन पानीपत हरयाणा (आर्य संदीप-9812038900)
२. आर्य समाज ग्राम म्हारा जनपद सोनीपत हरयाणा (आर्य नरेन्द्र-०८०५३५६२९७८)
३. आर्य समाज ग्राम दाहा जनपद करnaaल हरयाणा (आर्य राजकुमार-०९४१६३६८४७४)
४. राजकीय प्राथमिक पाठशाला ग्राम टीक, जनपद कैथल हरयाणा (आर्य मेहर-०९३५९७१९२७१)
५. ग्राम आह्रोल्ला, निकट चांदपुर जनपद bijnaur, उ. प्र. (आर्य विश्वजीत-०९७५८८७३३४०)

आर्या प्रशिक्षण सत्र २-३ अक्तूबर २०११

समय- ८:०० पूर्व.-५:०० अप.

१. ग्राम मेधाखेड़ी जनपद मुजफरनगर उ. प्र. (आर्य कुंवरपाल-०९९९७११६७६८)

आपके ठहराने और रहने की व्यवस्था आर्य प्रशिक्षण सत्र के संचालक द्वारा की जाएगी. आप दो जोड़ी वस्त्र, पेन कॉपी साथ लेकर आयें. और आपका मन किसी भी पूर्वाग्रहों से ग्रसित न हो. आपका मन समाज,राष्ट्र भावों से भरा हो. सत्य असत्य जानने की आकांक्षा आवशक है. आपका स्वागत है.

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