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View Full Version : एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मì



navdeepkhatkar
January 19th, 2012, 01:19 PM
एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

एक चिड़े की चिड़िया मरगी, दूजी लाया ब्या के !!
देख सोंप के बच्चों ने , वा बैठ गयी गम खा के !!
चिड़ा घर ते चला गया , फेर समझा और बुझा के !!
उस पापन ने वो दोनों बच्चे , तले गेर दिए ठा के !!
चोंच मार के घायल कर दिए , चिड़िया ने जुलम गुजार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

मैं मर जा तो मेरे पिया तू , दूजा ब्या करवायिए ना !!
चाहे इन्दर की हूर मिले , पर बीर दूसरी लाईये ना !!
दो बेटे तेरे दिए राम ने , और tanne कुछ चायिए ना !!
रूप - बसंत की जोड़ी ने तू , कदे भी धमकायिये ना !!
उढ़ा पराह और नुहा धूवा के , कर उनका श्रृंगार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

याणे से की माँ मर जावे , धक्के खाते फिरा करे !!
कोई घुड़का दे कोई धमका दे , दुःख विपदा में घिरा करे !!
नों करोड़ का लाल रेत में , बिन जोहरी के ज़रा करे !!
पाप की नैया अधम डूब जा , धर्म के बेड़े तिरा करे !!
मरी हुई ने मन्ने याद करे तो , ला छाती के पुचकार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

मेरा फ़र्ज़ से समझावन का ,ना चलती तदबीर पिया !!
रोया भी ना जाता मेरे , गया सुख नैन का नीर पिया !!
मेरी करनी मेरे आगे आगी , आगे तेरी तक़दीर पिया !!
लख्मीचंद तू मान कहे की , आ लिया समय आखिर पिया !!
मांगे राम ते इतनी कह के , रानी ने पैर पसार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

JSRana
January 19th, 2012, 01:50 PM
एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

एक चिड़े की चिड़िया मरगी, दूजी लाया ब्या के !!
देख सोंप के बच्चों ने , वा बैठ गयी गम खा के !!
चिड़ा घर ते चला गया , फेर समझा और बुझा के !!
उस पापन ने वो दोनों बच्चे , तले गेर दिए ठा के !!
चोंच मार के घायल कर दिए , चिड़िया ने जुलम गुजार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

मैं मर जा तो मेरे पिया तू , दूजा ब्या करवायिए ना !!
चाहे इन्दर की हूर मिले , पर बीर दूसरी लाईये ना !!
दो बेटे तेरे दिए राम ने , और tanne कुछ चायिए ना !!
रूप - बसंत की जोड़ी ने तू , कदे भी धमकायिये ना !!
उढ़ा पराह और नुहा धूवा के , कर उनका श्रृंगार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

याणे से की माँ मर जावे , धक्के खाते फिरा करे !!
कोई घुड़का दे कोई धमका दे , दुःख विपदा में घिरा करे !!
नों करोड़ का लाल रेत में , बिन जोहरी के ज़रा करे !!
पाप की नैया अधम डूब जा , धर्म के बेड़े तिरा करे !!
मरी हुई ने मन्ने याद करे तो , ला छाती के पुचकार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

मेरा फ़र्ज़ से समझावन का ,ना चलती तदबीर पिया !!
रोया भी ना जाता मेरे , गया सुख नैन का नीर पिया !!
मेरी करनी मेरे आगे आगी , आगे तेरी तक़दीर पिया !!
लख्मीचंद तू मान कहे की , आ लिया समय आखिर पिया !!
मांगे राम ते इतनी कह के , रानी ने पैर पसार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!


बहुत पुराणी बात याद दिवा दी भाई नवदीप | बहौत बढ़िया |
​धन्यवाद् |

navdeepkhatkar
January 19th, 2012, 02:34 PM
राणा साब धन्यवाद की तो कोई बात नहीं ! मैं तो खुद कई दिन से इस रागनी को ढूंड रहा था ! गूगल भी किया कही भी ल्य्रिक्स नहीं मिले तो आखिर में आज सुनते सुनते खुद ही लिखने पड़े ! कई दिनों बाद बड़ा अछा महसूस हो रहा है कुछ ढंग का चेप के :):)

JSRana
January 19th, 2012, 02:46 PM
राणा साब धन्यवाद की तो कोई बात नहीं ! मैं तो खुद कई दिन से इस रागनी को ढूंड रहा था ! गूगल भी किया कही भी ल्य्रिक्स नहीं मिले तो आखिर में आज सुनते सुनते खुद ही लिखने पड़े ! कई दिनों बाद बड़ा अछा महसूस हो रहा है कुछ ढंग का चेप के :):)

भाई नवदीप अच्छी बातें पढ़ के अच्छा तो लगता ही है और आपने मेरे बचपन की याद ताज़ा कर दी | हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही होने का संभावना थी पर परिवार वालों की दूर दृष्टि और ऊपर वाले की कृपा से सब ठीक हो गया | इस लिए इस भजन /रागनी से ज्यादा ही लगाव सा है |

yogeshdahiya007
January 19th, 2012, 03:08 PM
बहुत बढ़िया भाई साहब


एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

एक चिड़े की चिड़िया मरगी, दूजी लाया ब्या के !!
देख सोंप के बच्चों ने , वा बैठ गयी गम खा के !!
चिड़ा घर ते चला गया , फेर समझा और बुझा के !!
उस पापन ने वो दोनों बच्चे , तले गेर दिए ठा के !!
चोंच मार के घायल कर दिए , चिड़िया ने जुलम गुजार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

मैं मर जा तो मेरे पिया तू , दूजा ब्या करवायिए ना !!
चाहे इन्दर की हूर मिले , पर बीर दूसरी लाईये ना !!
दो बेटे तेरे दिए राम ने , और tanne कुछ चायिए ना !!
रूप - बसंत की जोड़ी ने तू , कदे भी धमकायिये ना !!
उढ़ा पराह और नुहा धूवा के , कर उनका श्रृंगार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

याणे से की माँ मर जावे , धक्के खाते फिरा करे !!
कोई घुड़का दे कोई धमका दे , दुःख विपदा में घिरा करे !!
नों करोड़ का लाल रेत में , बिन जोहरी के ज़रा करे !!
पाप की नैया अधम डूब जा , धर्म के बेड़े तिरा करे !!
मरी हुई ने मन्ने याद करे तो , ला छाती के पुचकार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

मेरा फ़र्ज़ से समझावन का ,ना चलती तदबीर पिया !!
रोया भी ना जाता मेरे , गया सुख नैन का नीर पिया !!
मेरी करनी मेरे आगे आगी , आगे तेरी तक़दीर पिया !!
लख्मीचंद तू मान कहे की , आ लिया समय आखिर पिया !!
मांगे राम ते इतनी कह के , रानी ने पैर पसार दिए !!

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

navdeepkhatkar
January 19th, 2012, 03:10 PM
भाई नवदीप अच्छी बातें पढ़ के अच्छा तो लगता ही है और आपने मेरे बचपन की याद ताज़ा कर दी | हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही होने का संभावना थी पर परिवार वालों की दूर दृष्टि और ऊपर वाले की कृपा से सब ठीक हो गया | इस लिए इस भजन /रागनी से ज्यादा ही लगाव सा है |

अच्छा तो ये बात थी .. ! चलो जो होता ह अछा ही होता ह ! परमात्मा की कृपा आप पर बनी रहे !
ये रागनी किस्सा रूप - बसंत से है जी ! ये किस्सा नवीन ( my better half ) कई दिन से सुनने की ईच्छुक थी! तो टोह्नी पड़ गयी

JSRana
January 19th, 2012, 03:21 PM
अच्छा तो ये बात थी .. ! चलो जो होता ह अछा ही होता ह ! परमात्मा की कृपा आप पर बनी रहे !
ये रागनी किस्सा रूप - बसंत से है जी ! ये किस्सा नवीन ( my better half ) कई दिन से सुनने की ईच्छुक थी! तो टोह्नी पड़ गयी
बढ़िया भाई अर एक पंथ दो काज सिद्ध होगे |

ravinderjeet
January 19th, 2012, 03:42 PM
भाई नवदीप ,पंडित लख्मीचंद की या रागनी बचपन में भोत सुणी थी | पर जब इतणा बेरा ना था, अक इह का मर्म के स | पर इब्ब बेरा स,भुक्तभोगी होयें पाछे | पढतें -पढतें भावुक हो ज्या स बन्दा | ओर भावनाओं को शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता |

JSRana
January 19th, 2012, 03:58 PM
भाई नवदीप ,पंडित लख्मीचंद की या रागनी बचपन में भोत सुणी थी | पर जब इतणा बेरा ना था, अक इह का मर्म के स | पर इब्ब बेरा स,भुक्तभोगी होयें पाछे | पढतें -पढतें भावुक हो ज्या स बन्दा | ओर भावनाओं को शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता |

सही कही भाई जी | इस मर्म ने त भुक्त भोगी ए महसूस कर सके स | पर माडा मन ना करो, समय सारे घा भर दे स |
आखिर जीत धेर्यवान की ए हो स |

navdeepkhatkar
January 19th, 2012, 04:07 PM
बढ़िया भाई अर एक पंथ दो काज सिद्ध होगे |

kaaj to siidh karne pade ji .. k karaa rana ji (naveen rana ) te daar lage h :):):) :P:P:P

Saharan1628
January 19th, 2012, 04:15 PM
राणा साब धन्यवाद की तो कोई बात नहीं ! मैं तो खुद कई दिन से इस रागनी को ढूंड रहा था ! गूगल भी किया कही भी ल्य्रिक्स नहीं मिले तो आखिर में आज सुनते सुनते खुद ही लिखने पड़े ! कई दिनों बाद बड़ा अछा महसूस हो रहा है कुछ ढंग का चेप के :):)

badhiyaaa kiya bhai..kayi dino baad accha mahsus ho rha h kuch dhang ka padh ke.And if your good and better half listens to these archaic yet fresh composition then seriously mate the joint product is wonderful.Cheers!

navdeepkhatkar
January 19th, 2012, 05:13 PM
badhiyaaa kiya bhai..kayi dino baad accha mahsus ho rha h kuch dhang ka padh ke.And if your good and better half listens to these archaic yet fresh composition then seriously mate the joint product is wonderful.Cheers!


:):):):)....

dndeswal
January 19th, 2012, 06:55 PM
धन्यवाद नवदीप । इस रागनी को मैंने Jatland wiki पर जोड़ दिया है -

राजकवि दादा लखमी चन्द जी की कविताएं

http://www.jatland.com/home/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A 4%BF_%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BE_%E0%A4%B 2%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A5%80_%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0 %A5%8D%E0%A4%A6_%E0%A4%9C%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A5 %80_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE% E0%A4%8F%E0%A4%82

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mhundpuriamann
January 19th, 2012, 07:09 PM
एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

.
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याणे से की माँ मर जावे , धक्के खाते फिरा करे !!
कोई घुड़का दे कोई धमका दे , दुःख विपदा में घिरा करे !!
नों करोड़ का लाल रेत में , बिन जोहरी के ज़रा करे !!
पाप की नैया अधम डूब जा , धर्म के बेड़े तिरा करे !!
मरी हुई ने मन्ने याद करे तो , ला छाती के पुचकार दिए !!
.
.

एक चिड़िया के दो बच्चे थे , वे दूजी चीड़ी ने मार दिए !
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए !!

tu bhi katee ruaa kai-e mannaiga...................:-(

navdeepkhatkar
January 20th, 2012, 11:25 AM
tu bhi katee ruaa kai-e mannaiga...................:-(

bhaii saab
apne koi aisa irada nahi tha .. baki ron me to maher bhi kime kasar nahi rahi .. likhie issi h ji Rajkavi lakhmichand ji ne ..

navdeepkhatkar
January 20th, 2012, 11:26 AM
धन्यवाद नवदीप । इस रागनी को मैंने Jatland wiki पर जोड़ दिया है -

राजकवि दादा लखमी चन्द जी की कविताएं

http://www.jatland.com/home/राजकवि_दादा_लखमी_चन्द_जी_की_कविताएं

.

that is very nice of u Deshwal ji ..

JSRana
January 20th, 2012, 02:05 PM
kaaj to siidh karne pade ji .. k karaa rana ji (naveen rana ) te daar lage h :):):) :P:P:P

भाई नवदीप सुद्रढ़ गृहस्थी का मूल मन्त्र यो हे स के मौके अनुसार कदे कोए किस्से ते डर ज्या अर कदे दुसरे त |
राजा उद्यानपात के किस्से की एक बात याद आगी :
जब रानी सुनीति आपने पीहर जान लाग्गी तो राजा उद्यानपात ने ये बात कही थी |

"उम्र पुरानी तेरे बिना जी डामा डोळ रहे जा स |
बीर मर्द सुख दुःख के साथी ढक्का ढोल रहे जा स |"

तो भाई ढोल ढक्क्या ए रहन में मज्जा स |

mhundpuriamann
January 20th, 2012, 02:29 PM
bhaii saab
apne koi aisa irada nahi tha .. baki ron me to maher bhi kime kasar nahi rahi .. likhie issi h ji Rajkavi lakhmichand ji ne ..

hmmmm lakhmichand !
my father is a huge fan of him!

navdeepkhatkar
January 20th, 2012, 06:45 PM
भाई नवदीप सुद्रढ़ गृहस्थी का मूल मन्त्र यो हे स के मौके अनुसार कदे कोए किस्से ते डर ज्या अर कदे दुसरे त |
राजा उद्यानपात के किस्से की एक बात याद आगी :
जब रानी सुनीति आपने पीहर जान लाग्गी तो राजा उद्यानपात ने ये बात कही थी |

"उम्र पुरानी तेरे बिना जी डामा डोळ रहे जा स |
बीर मर्द सुख दुःख के साथी ढक्का ढोल रहे जा स |"

तो भाई ढोल ढक्क्या ए रहन में मज्जा स |

hmmm yo baat to h ji rana saab .. do pahiye h ji .. katthe chale ja to theek na to rola e se .. :):)

upendersingh
January 21st, 2012, 12:15 AM
Touching ragini...


http://www.youtube.com/watch?v=V7-p7vpBztM

ritu
January 21st, 2012, 01:31 AM
dil ko chu gyi ye ragini.me padd ke suna rahi thi apne husband ko to gala rundh gaya.ek ma ka apne jeevan ko khonne ke darr se apne baccho khaskar jab vo chotte hotte hai to yahi sabse bada darr juda hota hai.kaha karre ma sauteli nahi hoti gail baap bhi sautella ho jaya kare.haryana ke ek ex politician the dhrampaal malik shyad ab bhi ho unki wife aur bete ki accident m death ho gyi.death k 3 mahine baad bahay kar liya unhone.unki beti mere bahut acchi frend thi.uske jeevan me jo parivartan aaya vo dekha maine maine bahut kareeb se.apni ma soo galti chupaya kare apne balak ki er sautelli ma har galti bataya kare.exceptions are there but very rare

JSRana
January 21st, 2012, 01:00 PM
apni ma soo galti chupaya kare apne balak ki er sautelli ma har galti bataya kare.exceptions are there but very rare

बहौत कसूती अर साची बात कह दी ऋतू जी | आपनी और सौतेली माँ का गहरा फरक काढ दिया एके बात में |

navdeepkhatkar
January 21st, 2012, 01:31 PM
dil ko chu gyi ye ragini.me padd ke suna rahi thi apne husband ko to gala rundh gaya.ek ma ka apne jeevan ko khonne ke darr se apne baccho khaskar jab vo chotte hotte hai to yahi sabse bada darr juda hota hai.kaha karre ma sauteli nahi hoti gail baap bhi sautella ho jaya kare.haryana ke ek ex politician the dhrampaal malik shyad ab bhi ho unki wife aur bete ki accident m death ho gyi.death k 3 mahine baad bahay kar liya unhone.unki beti mere bahut acchi frend thi.uske jeevan me jo parivartan aaya vo dekha maine maine bahut kareeb se.apni ma soo galti chupaya kare apne balak ki er sautelli ma har galti bataya kare.exceptions are there but very rare

learning so many faces of life @JL makes me happy that i have not wasted my time by being here.. :)

drkarminder
January 22nd, 2012, 10:03 AM
..just 10-15 minutes back i listened to this ragni and this is the first time i m listening to it...
..but when it ended, my eyes were full of tears...
..nd i could not resist to say my thanx to navdeep bhai...
..thank u so much...

satyenderdeswal
January 30th, 2012, 09:10 PM
Deswal sir...
koi ragni ala page bhi bana dyo jispe raagni load kari ja sake
धन्यवाद नवदीप । इस रागनी को मैंने Jatland wiki पर जोड़ दिया है -

राजकवि दादा लखमी चन्द जी की कविताएं

http://www.jatland.com/home/राजकवि_दादा_लखमी_चन्द_जी_की_कविताएं

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