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View Full Version : Chanakya and foriegn Daughter in Law 's Custom !!!!!!!!!



rajpaldular
January 27th, 2012, 01:56 PM
चाणक्य और विदेशी बहू प्रसंग

आज से लगभग 2300 वर्ष पहले पहले उत्पन्न हुए चाणक्य भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के पहले विचारक माने जाते हैं. पाटलिपुत्र (पटना) के शक्तिशाली नंद वंश को उखाड़ फेंकने और अपने शिष्य चंदगुप्त मौर्य को बतौर राजा स्थापित करने में चाणक्य का अहम योगदान रहा. ज्ञान के केंद्र तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य रहे चाणक्य राजनीति के चतुर खिलाड़ी थे और इसी कारण उनकी नीति कोरे आदर्शवाद पर नहीं, अपितु व्यावहारिक ज्ञान पर टिकी है। आप एक प्रसंग पढ़ें:-


सम्राट चंद्रगुप्त अपने मंत्रियों के साथ एक विशेष मंत्रणा में व्यस्त थे कि प्रहरी ने सूचित किया कि आचार्य चाणक्य
राजभवन में पधार रहे हैं. सम्राट चकित रह गए. इस असमय में गुरू का आगमन ! वह घबरा भी गए. अभी वह कुछ सोचते ही कि लंबे - लंबे डग भरते चाणक्य ने सभा में प्रवेश किया.

सम्राट चंद्रगुप्त सहित सभी सभासद सम्मान में उठ गए. सम्राट ने गुरूदेव को सिंहासन पर आसीन होने को कहा. आचार्य चाणक्य बोले - " भावुक न बनो सम्राट, अभी तुम्हारे समक्ष तुम्हारा गुरू नहीं, तुम्हारे राज्य का एक याचक खड़ा है, मुझे कुछ याचना करनी है. " चंद्रगुप्त की आँखें डबडबा आईं. बोले - " आप आज्ञा दें, समस्त राजपाट आपके चरणों में डाल दूं." चाणक्य ने कहा - " मैंने आपसे कहा भावना में न बहें, मेरी याचना सुनें." गुरूदेव की मुखमुद्रा देख सम्राट चंद्रगुप्त गंभीर हो गए, बोले - "आज्ञा दें." चाणक्य ने कहा - " आज्ञा नहीं, याचना है कि मैं किसी निकटस्थ सघन वन में साधना करना चाहता हूं. दो मास के लिए राजकार्य से मुक्त कर दें और यह स्मरण रहे वन में अनावश्यक मुझसे कोई मिलने न आए. आप भी नहीं. मेरा उचित प्रबंध करा दें."

चंद्रगुप्त ने कहा - " सब कुछ स्वीकार है." दूसरे दिन प्रबंध कर दिया गया. चाणक्य वन चले गए. अभी उन्हें वन गए एक सप्ताह भी न व्यतीत हुआ था कि यूनान से सेल्युकस ( सिकन्दर का सेनापति ) अपने जामाता चंद्रगुप्त से मिलने भारत पधारे. उनकी पुत्री का हेलेन का विवाह चंद्रगुप्त से हुआ था. दो - चार दिन के पश्चात उन्होंने चाणक्य से मिलने की इच्छा प्रकट कर दी. सेल्युकस ने कहा - "सम्राट, आप वन में अपने गुप्तचर भेज दें.उन्हें मेरे बारे में कहें. वह मेरा बड़ा आदर करते हैं, वह कभी इन्कार नहीं करेंगे."

अपने श्वसुर की बात मान चंद्रगुप्त ने ऐसा ही किया. गुप्तचर भेज दिए गए. चाणक्य ने उत्तर दिया - " ससम्मान सेल्युकस वन लाए जाएं, मुझे उनसे मिल कर प्रसन्नता होगी." सेना के संरक्षण में सेल्युकस वन पहुंचे. औपचारिक अभिवादन के पश्चात चाणक्य ने पूछा - " मार्ग में कोई कष्ट तो नहीं हुआ." इस पर सेल्युकस ने कहा - " भला आपके रहते मुझे कष्ट होगा? आपने मेरा बहुत ध्यान रखा." ना जाने इस उत्तर का चाणक्य पर क्या प्रभाव पड़ा कि वह बोल उठे - " हां, सचमुच आपका मैंने बहुत ध्यान रखा." इतना कहने के पश्चात चाणक्य ने सेल्युकस के भारत की भूमि पर चरण रखने के पश्चात वन आने तक की सारी घटनाएं सुना दीं. उसे इतना तक बताया कि सेल्युकस ने सम्राट से क्या बात की, एकांत में अपनी पुत्री से क्या बातें हुईं. मार्ग में किस सैनिक से क्या पूछा. सेल्युकस व्यथित हो गए. बोले - " इतना अविश्वास? मेरी गुप्तचरी की गई. मेरा इतना अपमान."

चाणक्य ने कहा - " ना तो अपमान, ना अविश्वास और ना ही गुप्तचरी. अपमान की तो बात मैं सोच भी नहीं सकता. सम्राट भी इन दो मास में संभवतः ना मिल पाते. आप हमारे अतिथि हैं. रह गई बात सूचनाओं की तो वह मेरा "राष्ट्रधर्म " है. आप कुछ भी हों, पर विदेशी हैं. अपनी मातृभूमि से आपकी जितनी प्रतिबद्धता है, वह इस राष्ट्र से नहीं हो सकती. यह स्वाभाविक भी है. मैं तो सम्राज्ञी की भी प्रत्येक गतिविधि पर दृष्टि रखता हूं. मेरे इस ' धर्म ' को अन्यथा न लें. मेरी भावना समझें."

सेल्युकस आश्चर्यचकित हो गया. वह चाणक्य के पैरों में गिर पड़ा. उसने कहा - " जिस राष्ट्र में आप जैसे राष्ट्रभक्त हों, उस देश की ओर कोई आँख उठाकर भी नहीं देख सकता." सेल्युकस वापस लौट गया.

मित्रों आज भारत में फिर से एक विदेशी बहू का राज चल रहा है, तो क्या हम भारतीय राष्ट्रधर्म का पालन कर रहे है ??????????/

raka
January 28th, 2012, 12:00 PM
चाणक्य और विदेशी बहू प्रसंग

मित्रों आज भारत में फिर से एक विदेशी बहू का राज चल रहा है, तो क्या हम भारतीय राष्ट्रधर्म का पालन कर रहे है ??????????/

भारतीयों के इस राष्ट्रधर्म पालन का तो इतिहास गवाह हैं के हजारो सालो से कैसा राष्ट्रधर्म निभाते आये हैं आज कोई यह नई बात नहीं हैं | इस राष्ट्रधर्म के चक्कर में इन कंजरो ने जाटों की कड़ छित्वा दी और खुद राज कर रहे हैं |
राजपाल जी कौम को अवसरवादी बनाने की बात करो बहुत निभा लिए धर्म |
मैंने सुना हैं के आपका भाई राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष हैं | ऐसे खूंटे ठोकने के बजाये आपको उनकी मदद करनी चाहिए उनको मजबूत करना चाहिए ताकि हमारा एक जाट भाई राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी का दावेदार बन सके |

एक बार एक पत्रकार ने चौ.भजन लाल से पूछा " विपक्ष कहता हैं की सोनिया बाहर की हैं "
भजन लाल ने कहा के " हमारे यहाँ बहु बाहर की ही होती हैं घर की नहीं " ;)

SumitJattan
January 29th, 2012, 01:09 AM
Chanakaya is one of the greatest thinker ever born on this holy land . He had united all the kingdoms of westren India you can say present Sindh and Punjab against Alexender before taking control of Patli putra , which we failed to do against britishers . He was far more superior tactician then what we have now. Chandragupta was the ruler of India at the age of 21 and belonged to a non kshatriya caste . It was impossible without a mentor like him . I really respect his nationalism , he was shrewd and bitter at the question of national interest and of no doubt he had started the golden period of Aryavrat.


Thanks for starting this thread

drkarminder
January 29th, 2012, 10:44 AM
..राजा और कलमाड़ी जैसे बहुत से नेता और लोग तो हिंदुस्तान की मिट्टी मे ही पैदा हुए है..
..क्या वो राष्ट्र धरम का पालन कर रहे हैं...
.. क्या उनको अपने देश से प्यार है...
.. तो आप सोनिया गांधी,जो की खुद विदेशी है ,से राष्ट्र धर्म की अपेक्षा कैसे कर सकते है....

SumitJattan
January 30th, 2012, 02:07 AM
Karminder sir ye sab neta uss Nand vansh jaisse hai jiske patan ko uska sanik bal aur shakti bhi nahi bacha paya tha , Nationalism ki defenition hum logon ke liye sirf 2-3 din tak simit hai .... meine America ke 70% gharon ke aage American flag dekha hai .... Chahe inhe kitna bhi dukh hoan ye log apne desh ke against nahi bolte meine ye sab isse liye bol raha hoan kyon ki mujhe 5 saal ho gaye hai inke saath kaam karte hue ho gaye hai aur 3 bar lay off dekha hai ... ye log desh ke faayde mein hi apna faayda dekhte hai ..... hum logon ke liye faayda sirf apni jebon tak hi simit rehta hai ... mujhe baaki deshon ka nahi pata par yahna aake pata laga hai ki desh prem kya hota hai .... bas yahi baat hai kya hum log ( common people ) rashtriya dharam ka palan karte hai ?????
agar uttar haa hai to raja aur kalmadi jaise log kabhi chune nahi jaate

Moar
February 29th, 2012, 08:12 PM
http://www.iranchamber.com/history/articles/iranic_identity_of_mauryas1.php