jatshiva1947
March 22nd, 2012, 08:41 AM
दिल की गहराई से चाहा है तुम्हे
जब भी तन्हा हुआ हुं साथ पाया है तुम्हे
अकेला बैठता हुं खाता हुं कहीं भी रहुं
कैसी अजीब चाहत है हर पल यादों में पाया है तुम्हे
जीवन में आये दुख बहुत, कष्टों ने भी घेरा.
कभी जीने की चाहत हुई कभी मरने की तम्मना
कहीं नही मिला रास्ता चारो और था अन्धेरा
दुखी हुआ, उदास हुआ, कहीं नहीं मिला किनारा
बंद किये नयन सामने पाया तुम्हे।
मेरे श्याम हे घनश्याम मदनमुरारी जय गोपाल14285
जब भी तन्हा हुआ हुं साथ पाया है तुम्हे
अकेला बैठता हुं खाता हुं कहीं भी रहुं
कैसी अजीब चाहत है हर पल यादों में पाया है तुम्हे
जीवन में आये दुख बहुत, कष्टों ने भी घेरा.
कभी जीने की चाहत हुई कभी मरने की तम्मना
कहीं नही मिला रास्ता चारो और था अन्धेरा
दुखी हुआ, उदास हुआ, कहीं नहीं मिला किनारा
बंद किये नयन सामने पाया तुम्हे।
मेरे श्याम हे घनश्याम मदनमुरारी जय गोपाल14285