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View Full Version : तलाक की आङ में क्या है ??????????



jatshiva1947
March 24th, 2012, 08:35 AM
वाह भई क्या कहना हमारी अदालतों में इतने मुकदमें पैंडिंग पङे हैं इतने अरबों के घोटाले इतनी हत्याओं के दोषी जिनको फांसी तक सुना रखी है इतनें आतंकवादी लेकिन उन मुकदमों पर कोई फैसला नही उनकी किसी को कोई चिंता नही और ऐसे फैसले जिससे समाज में अराजकता बढे दुरियां बढे उन पर सरकार का ध्यान आजकल कुछ ज्यादा ही है। घरों में लङाई झगङे तो सनातन काल से होते आये हैं लेकिन भारत देश के संस्कार परम्परा और आदर्श ऐसे बनाये थे कि उन सब झगङों तकरार को एक किनारे करके फिर भी घर बसे रहते थे। लेकिन एक और रास्ता साफ कर दिया कि अगर पति पत्नि आपस में खुश नही हैं और काफी समय से अलग रह रहे तो वो तालाक ले सकते हैं। कितना सुंदर फैंसला दिया है। लोगो में खुशी की लहर दोङ रही है सब खुश हैं। अब शादी का बंधन प्रेम का नही रहेगा अगर किसी को भी थोङी सी परेशानी हुई तो तलाक........... ये काम थे समाज के कि चार आदमी बैठकर उन्हे समझाते थे कि अगर तुम्हारी नही बन रही है तो और अगर दुसरे के साथ शादी करोगे तो जरूरी नही है कि खुश रह सको तो ये कोई विकल्प नही है खुश रहने का और ग्रहस्थी को सही चलाने का।
पहले सरकार अगर किसी अदालत में कोई मुकदमा जाता था कि तलाक चाहिए तो अदालत कहती थी तुम्हें एक ओर मोका दिया जाता है 6 माह एक साथ रहो। और जो फैंसला गुस्से की घङी में लिया गया हो उन 6 माह में बदल भी सकता था।
और अब तो ज्यादा सुविधा प्रदान कर दी गयी अगर कोई महिला अगर तलाक भी ले ले तो तलाक के बाद भी उसे पति की जायदाद में से हिस्सा मिलेगा।
क्या आपकी समझ में आया है कि क्या है ये सब नीति?????
ये महिलाओं को मजबुत कर रहे हैं या उन्हे तलाक लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ।
इस फैसले के बाद लीव इन रिलेशनशिप का करेज बहुत बढेगा सरकार एक के बाद जैसे सिढी बना रहे हो उन रास्तों की अङचने साफ कर रहे हैं जिसको हम कभी लाज शर्म और हया कहते थे। लीव इन रिलेशनशिप. समलैंगिकता जिसे सरकार ने पहले से ही मान्याता दे दी है उसकी तरफ हमारे युवा भाई झुकेगे। मेरी समझ में ये नही आया की आखिर ये सरकार चाहती क्या है। भोपाल गैस त्रासदी के फैंसला सबके सामने है अजमस का फैंसला सबके सामने है इन पर बिलकुल भी चिंतित नही है फिक्रमंद है तो बस उन मुद्दों पर जिससे हमारे युवा कमजोर हो व्याभीचारी बने।
हिंदूओं में तलाक को पाप समझा जाता रहा है और हर पत्नि की यही इच्छा रही है कि सात जन्म तक साथ निंभाना है और अपने पतियों को करवा चौथ पर भगवान की तरह से पुजती हैं। अदालत को चाहिए था उन करोङो महिलाओं का हवाला देकर कोई फैसला करना चाहिए था जो भुखी सुखी रहकर भी अपने पति के साथ हर दुख सुख की घङी में कंधा से कंधा मिलाकर चलती थी। लेकिन इस आधुनिकता और पश्चिम विचारों से ग्रसित लोगो के कारण पति को छोङना और नयी बीबी रखना अब तो कोई दिक्कत ही नही रही चाहे 50 शादी कर ले हर 6 माह बाद तलाक दो। मैं तो बहुत दुखी हुं क्या करें??????????

rajpaldular
March 24th, 2012, 12:27 PM
This indeed is a point to ponder.

These type of laws do favour promoting divorce among younger people......