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View Full Version : Partiality with khap's



puneetlakra
July 17th, 2012, 07:30 PM
​२१वि सदी आ गयी है , लेकिन मुस्लिम समाज का अधिकांश भाग अभी भी मध्य कालीन मान्यताओ की ज़कडन में है , लेकिन राजनितिक पार्टिया वोट बैंक के कारण मदरसा शिक्षा , बहुविवाहः, अनियंत्रित प्रजनन जैसे मुददों पर कट्टरपंथियों का समर्थन करते आये है .समाज के विकास को ताक पर रखकर वोट बैंक की खातिर एक विषेस समुदाय की कट्टरवादी विचार धारा को पोषित किया जा रहा है पर मीडिया का इस ओर कई ध्यान नहीं है और है तोह आवाज नहीं उठाते क्योकि मीडिया घरो में इन सभी पार्टियों का पैसा लगा है और यह सभी खाप या पंचायतो की सारी खबरों को खूब बड़ा चड़ा कर दिखाते है क्यों ?
कुछ समय पहले दारूल उलूम , देवबंद ने यह फतवा जारी किया था की नौकरीपेशा औरत की कमाई शरीयत की नजर में हराम है.
मुफ्तीयो के अनुसार औरत और मर्द का एकसाथ काम करना हराम है और ऐसी जगहों पर औरतो का बेपर्दा होकर काम करना इस्लाम के खिलाफ है
अभी शुक्रवार को कश्मीर बंद रहा . कश्मीर के अलगाववादियों ने सार्वजानिक तौर पर तिरगा जलाया और भारत माता की मौत की कामना की .
मीडिया ने कुछ क्यों नहीं कहा हर साल अमरनाथ यात्रा में बाधा डाली जाती है पर सरकार दूसरी तरफ अल्पसंख्यको के मजहबी फर्ज को हज सब्सिडी के नाम पर पूरा करती है , देश की बहुसंख्यको की भावनाओ के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों ?
कश्मीर घाटी में मुस्लिम बहु संख्यक है इसीलिए वहा सविधान की जगह शरियत का वर्चस्व है , लेकिन जाटलैंड में जाट अपनी परम्परो के साथ नहीं रह सकते , यहाँ पर और कोई नहीं तो समाज सेवी संगठनो के शोर के बाद सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश देते है पर कश्मीर मुद्धे पर कुछ नहीं कहता क्यों ?
कश्मीर के इस्लामी चरमपंथियों जिनको पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों का खुला समर्थन प्राप्त है , ने अपने महाविद्यालय में पढने वाली ३००० छात्राओ पर " हिजाब" लागू करने का अल्टीमेटम दिया था , पर कोर्ट के कोई निर्देश नहीं दिया इसके कुछ समय बाद " मदरसा स्टुडेंट्स यूनियन " ने भी इस्लामी आलिया university की छात्राओं समेत शिक्षिकाओ को बुर्का पहनकर कालेज आने का फरमान जारी किया था .
आशचर्य है की मीडिया , समाज सेवी संगठन और हमारी माननयि कोर्ट इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती न ही कोई निर्देश जारी करती पर जाट और खाप की परम्पर्ये सभी को खटकती है क्यों ?
यह भेदभाव हमारे साथ क्यों ?

ravinderjeet
July 17th, 2012, 07:35 PM
इनके लट्ठ ना दयोगे ,ते न्यू-ए होवेगा |

swaich
July 17th, 2012, 08:01 PM
​२१वि सदी आ गयी है , लेकिन मुस्लिम समाज का अधिकांश भाग अभी भी मध्य कालीन मान्यताओ की ज़कडन में है , लेकिन राजनितिक पार्टिया वोट बैंक के कारण मदरसा शिक्षा , बहुविवाहः, अनियंत्रित प्रजनन जैसे मुददों पर कट्टरपंथियों का समर्थन करते आये है .समाज के विकास को ताक पर रखकर वोट बैंक की खातिर एक विषेस समुदाय की कट्टरवादी विचार धारा को पोषित किया जा रहा है पर मीडिया का इस ओर कई ध्यान नहीं है और है तोह आवाज नहीं उठाते क्योकि मीडिया घरो में इन सभी पार्टियों का पैसा लगा है और यह सभी खाप या पंचायतो की सारी खबरों को खूब बड़ा चड़ा कर दिखाते है क्यों ?
कुछ समय पहले दारूल उलूम , देवबंद ने यह फतवा जारी किया था की नौकरीपेशा औरत की कमाई शरीयत की नजर में हराम है.
मुफ्तीयो के अनुसार औरत और मर्द का एकसाथ काम करना हराम है और ऐसी जगहों पर औरतो का बेपर्दा होकर काम करना इस्लाम के खिलाफ है
अभी शुक्रवार को कश्मीर बंद रहा . कश्मीर के अलगाववादियों ने सार्वजानिक तौर पर तिरगा जलाया और भारत माता की मौत की कामना की .
मीडिया ने कुछ क्यों नहीं कहा हर साल अमरनाथ यात्रा में बाधा डाली जाती है पर सरकार दूसरी तरफ अल्पसंख्यको के मजहबी फर्ज को हज सब्सिडी के नाम पर पूरा करती है , देश की बहुसंख्यको की भावनाओ के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों ?
कश्मीर घाटी में मुस्लिम बहु संख्यक है इसीलिए वहा सविधान की जगह शरियत का वर्चस्व है , लेकिन जाटलैंड में जाट अपनी परम्परो के साथ नहीं रह सकते , यहाँ पर और कोई नहीं तो समाज सेवी संगठनो के शोर के बाद सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश देते है पर कश्मीर मुद्धे पर कुछ नहीं कहता क्यों ?
कश्मीर के इस्लामी चरमपंथियों जिनको पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों का खुला समर्थन प्राप्त है , ने अपने महाविद्यालय में पढने वाली ३००० छात्राओ पर " हिजाब" लागू करने का अल्टीमेटम दिया था , पर कोर्ट के कोई निर्देश नहीं दिया इसके कुछ समय बाद " मदरसा स्टुडेंट्स यूनियन " ने भी इस्लामी आलिया university की छात्राओं समेत शिक्षिकाओ को बुर्का पहनकर कालेज आने का फरमान जारी किया था .
आशचर्य है की मीडिया , समाज सेवी संगठन और हमारी माननयि कोर्ट इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती न ही कोई निर्देश जारी करती पर जाट और खाप की परम्पर्ये सभी को खटकती है क्यों ?
यह भेदभाव हमारे साथ क्यों ?

Sir ji..your points are valid..It does seem like Courts Islam ke baare mein kuch nahih kehte..par Khap ko illegal kehte hain..

I think difference sirf is baat ka hai ki Law society or religion mein fark karta hai...Aur yeh isliye kyunki religion ke written laws hai jabki aociety ke nahin hai..Agar kal ko supreme court hijab ke against kuch bolta hai to muslim Quran ke panne dikha sakte hain jisme Hijab ka mention hai...par kisi community ja caste ka aisa kahin kuch likhit granth of rules nahi hai...hence the differentiation..meri according yehi reason hai difference ka..agar kisi ka kuch aur view hai to batayein...

rahi baat kashmir mudde ki...woh to maajra hi alag hai..religious bhi hai aur political bhi...us par to 100 pages wali thread ban sakti hai...

Abhisheksangwan
July 17th, 2012, 08:36 PM
सोनीपत में एक गांव में एक खाप की पंचायत हुई थी, और पंचायत उस फैसले को ले के हुई थी जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों की कमी और सबूतों के अभाव के कारण एक बलात्कार के आरोपी को बरी कर दिया था.. बा इज्जत बरी.....

लड़की ने उसके बाद खुदखुशी कर ली थी.... लड़की के परिजनों ने आखिरकार खाप को जानकारी दी... खाप ने दोनों पक्षों को पंचायत में १३ जून २०१२ ​को
आने को कहा और जब दोनों पक्षों के लोग आये तो लड़के से पुछा की तुमने ये किया है तो लड़के ने साफ़ साफ़ मना कर दिया और कह दिया की जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया की मैंने नहीं किया तो अब आप मुझे परेशान क्यों कर रहे हो... पंच श्री जगबीर मलिक ने लड़के के पापा को बुलाया और कहा की बेटा अपने पापा के सर पे हाथ रख के कह दे की तूने ये पाप नहीं किया.... लड़का थोड़ी देर सोचता रहा.. लड़के के पापा ने कहा की अरे मेरा बेटा निर्दोष है उसने कुछ नही किया है अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला सुना दिया तो पंचायत करने का फैसला बेबुनियाद है.. जगबीर मलिक जी ने लड़के को कहा की अपने पिता जी के सर पे हाथ रख के कह दो की तुमने कुछ नही किया तुम निर्दोष हो... लड़के ने मना कर दिया की मै ऐसा नहीं करूँगा.... अब लड़के के पिता के कहने पे लड़के ने कहा की मैंने सिर्फ जबरदस्ती की थी बलात्कार नहीं किया... और ज्यादा दबाव डालने पे लड़के ने अपना गुनाह मान लिया... पंचायत ने फैसला लड़के के पिता पे छोड दिया की क्या करना चाइये और अंत में लड़के को दो साल तक गांव से बाहर निकाल दिया, लड़के को जिम्मेदारी दी गयी लड़की के घर वालो को दो लाख मुहवाजे के रूप में दे... लड़की वालो ने मुहवाजा लेने से इनकार कर दिया...तो सारी राशि गौ साला में दान करदेने की कही...

अब ये बताओ अगर ये पहले ही पंचायत के पास आ जाते तो लड़की की जान बच जाती.... मै पूरे विस्वास के साथ कह सकता हू की ये खबर कोई भी बिकाऊ मीडिया नही बताएगी....

ravinderjeet
July 17th, 2012, 09:36 PM
Sir ji..your points are valid..It does seem like Courts Islam ke baare mein kuch nahih kehte..par Khap ko illegal kehte hain..

I think difference sirf is baat ka hai ki Law society or religion mein fark karta hai...Aur yeh isliye kyunki religion ke written laws hai jabki aociety ke nahin hai..Agar kal ko supreme court hijab ke against kuch bolta hai to muslim Quran ke panne dikha sakte hain jisme Hijab ka mention hai...par kisi community ja caste ka aisa kahin kuch likhit granth of rules nahi hai...hence the differentiation..meri according yehi reason hai difference ka..agar kisi ka kuch aur view hai to batayein...

rahi baat kashmir mudde ki...woh to maajra hi alag hai..religious bhi hai aur political bhi...us par to 100 pages wali thread ban sakti hai...



मुस्लिम देशों में क़ुरान के लिखे के खिलाफ फेसले लेते हैं और लागू करते हैं | वहां पर इनकी हदीश कहाँ चली जाती हे ??????????? ये डंडे के यार सें , बेबे के खषम |

swaich
July 17th, 2012, 09:46 PM
मुस्लिम देशों में क़ुरान के लिखे के खिलाफ फेसले लेते हैं और लागू करते हैं | वहां पर इनकी हदीश कहाँ चली जाती हे ??????????? ये डंडे के यार सें , बेबे के खषम |

That is a good thing. How is that bad? Some nations like Turkey are only Muslim majority but do not follow Sharia law.

DrRajpalSingh
July 17th, 2012, 10:07 PM
That is a good thing. How is that bad? Some nations like Turkey are only Muslim majority but do not follow Sharia law.

Turkish Ataturk Kamal Pasha led his country on the path of modernity by divesting the then Khalifa after World War I at a time when Indian Muslims were leading restoration of Khalifa as the religious head of the Islamic nations and temporal head of the Government of Turkish Empire. At this the muslims abandoned their cooperation with Non Co-Operation Movement led by Mahatma Gandhi, who had earlier extended his full support to Khilafat Movement of the Indian Muslims.

But the fact remains the strong institutions established by Ataturk have emerged stronger with the passage of time and made Turkey a modern State.

cutejaatsandeep
July 17th, 2012, 10:09 PM
​२१वि सदी आ गयी है , लेकिन मुस्लिम समाज का अधिकांश भाग अभी भी मध्य कालीन मान्यताओ की ज़कडन में है , लेकिन राजनितिक पार्टिया वोट बैंक के कारण मदरसा शिक्षा , बहुविवाहः, अनियंत्रित प्रजनन जैसे मुददों पर कट्टरपंथियों का समर्थन करते आये है .समाज के विकास को ताक पर रखकर वोट बैंक की खातिर एक विषेस समुदाय की कट्टरवादी विचार धारा को पोषित किया जा रहा है पर मीडिया का इस ओर कई ध्यान नहीं है और है तोह आवाज नहीं उठाते क्योकि मीडिया घरो में इन सभी पार्टियों का पैसा लगा है और यह सभी खाप या पंचायतो की सारी खबरों को खूब बड़ा चड़ा कर दिखाते है क्यों ?
कुछ समय पहले दारूल उलूम , देवबंद ने यह फतवा जारी किया था की नौकरीपेशा औरत की कमाई शरीयत की नजर में हराम है.
मुफ्तीयो के अनुसार औरत और मर्द का एकसाथ काम करना हराम है और ऐसी जगहों पर औरतो का बेपर्दा होकर काम करना इस्लाम के खिलाफ है
अभी शुक्रवार को कश्मीर बंद रहा . कश्मीर के अलगाववादियों ने सार्वजानिक तौर पर तिरगा जलाया और भारत माता की मौत की कामना की .
मीडिया ने कुछ क्यों नहीं कहा हर साल अमरनाथ यात्रा में बाधा डाली जाती है पर सरकार दूसरी तरफ अल्पसंख्यको के मजहबी फर्ज को हज सब्सिडी के नाम पर पूरा करती है , देश की बहुसंख्यको की भावनाओ के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों ?
कश्मीर घाटी में मुस्लिम बहु संख्यक है इसीलिए वहा सविधान की जगह शरियत का वर्चस्व है , लेकिन जाटलैंड में जाट अपनी परम्परो के साथ नहीं रह सकते , यहाँ पर और कोई नहीं तो समाज सेवी संगठनो के शोर के बाद सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश देते है पर कश्मीर मुद्धे पर कुछ नहीं कहता क्यों ?
कश्मीर के इस्लामी चरमपंथियों जिनको पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों का खुला समर्थन प्राप्त है , ने अपने महाविद्यालय में पढने वाली ३००० छात्राओ पर " हिजाब" लागू करने का अल्टीमेटम दिया था , पर कोर्ट के कोई निर्देश नहीं दिया इसके कुछ समय बाद " मदरसा स्टुडेंट्स यूनियन " ने भी इस्लामी आलिया university की छात्राओं समेत शिक्षिकाओ को बुर्का पहनकर कालेज आने का फरमान जारी किया था .
आशचर्य है की मीडिया , समाज सेवी संगठन और हमारी माननयि कोर्ट इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती न ही कोई निर्देश जारी करती पर जाट और खाप की परम्पर्ये सभी को खटकती है क्यों ?
यह भेदभाव हमारे साथ क्यों ?
bhai saab mai apki baat se bilkul sehmat hu ki jahaa jahaa ye katwe hai waha kabhi shanti nahi ho sakti...aap duniya ka koi bhi konaa deekh lo...meraa to eek hi manna hai kattartaa ka mukabla kattartaa see hi kiya ja sakta hai...hamari sabse badi prob.. hai ki hum log bahut soft hai....n hum logo mai se bahut aise bhi hai jo katwoo ko bahut pasand karte hai....even jatland ke bhi aise bahut members hai jo inn katwo ke baare mai kuch nahi sun sakte n kehte hai jat is a jat phir chahe wo katwa hi kyo na ho...but thats not true..agar kissi ko mulle itne hi pasand hai to mai chahta hu ki koi eek barr kuch time ke liye jafrabad area mai reh kar deekhe tab unki sooch badal jayegi.....hamari sarkar impotant hai...hume koi strong leader chahiye joo congress ki tarah bhookne mai kam n action mai zeyada believe kare like modi...yee to shukar karo ki india ki location israel wali nahi hai nahi to waha to india kab ka islamic country ban gaya hota....hume israel se kuch seekhna chahiye ki how to retaliate if some dares to attack you.......but hamare leader hi fattu hai.....i hope next pm modi hi hume...wohi in katwo ko seekha raakhega and kashmir ka mudda 1week mai khatam kar dega.

DrRajpalSingh
July 17th, 2012, 10:19 PM
​२१वि सदी आ गयी है , लेकिन मुस्लिम समाज का अधिकांश भाग अभी भी मध्य कालीन मान्यताओ की ज़कडन में है , लेकिन राजनितिक पार्टिया वोट बैंक के कारण मदरसा शिक्षा , बहुविवाहः, अनियंत्रित प्रजनन जैसे मुददों पर कट्टरपंथियों का समर्थन करते आये है .समाज के विकास को ताक पर रखकर वोट बैंक की खातिर एक विषेस समुदाय की कट्टरवादी विचार धारा को पोषित किया जा रहा है पर मीडिया का इस ओर कई ध्यान नहीं है और है तोह आवाज नहीं उठाते क्योकि मीडिया घरो में इन सभी पार्टियों का पैसा लगा है और यह सभी खाप या पंचायतो की सारी खबरों को खूब बड़ा चड़ा कर दिखाते है क्यों ?
कुछ समय पहले दारूल उलूम , देवबंद ने यह फतवा जारी किया था की नौकरीपेशा औरत की कमाई शरीयत की नजर में हराम है.
मुफ्तीयो के अनुसार औरत और मर्द का एकसाथ काम करना हराम है और ऐसी जगहों पर औरतो का बेपर्दा होकर काम करना इस्लाम के खिलाफ है
अभी शुक्रवार को कश्मीर बंद रहा . कश्मीर के अलगाववादियों ने सार्वजानिक तौर पर तिरगा जलाया और भारत माता की मौत की कामना की .
मीडिया ने कुछ क्यों नहीं कहा हर साल अमरनाथ यात्रा में बाधा डाली जाती है पर सरकार दूसरी तरफ अल्पसंख्यको के मजहबी फर्ज को हज सब्सिडी के नाम पर पूरा करती है , देश की बहुसंख्यको की भावनाओ के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों ?
कश्मीर घाटी में मुस्लिम बहु संख्यक है इसीलिए वहा सविधान की जगह शरियत का वर्चस्व है , लेकिन जाटलैंड में जाट अपनी परम्परो के साथ नहीं रह सकते , यहाँ पर और कोई नहीं तो समाज सेवी संगठनो के शोर के बाद सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश देते है पर कश्मीर मुद्धे पर कुछ नहीं कहता क्यों ?
कश्मीर के इस्लामी चरमपंथियों जिनको पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों का खुला समर्थन प्राप्त है , ने अपने महाविद्यालय में पढने वाली ३००० छात्राओ पर " हिजाब" लागू करने का अल्टीमेटम दिया था , पर कोर्ट के कोई निर्देश नहीं दिया इसके कुछ समय बाद " मदरसा स्टुडेंट्स यूनियन " ने भी इस्लामी आलिया university की छात्राओं समेत शिक्षिकाओ को बुर्का पहनकर कालेज आने का फरमान जारी किया था .
आशचर्य है की मीडिया , समाज सेवी संगठन और हमारी माननयि कोर्ट इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती न ही कोई निर्देश जारी करती पर जाट और खाप की परम्पर्ये सभी को खटकती है क्यों ?
यह भेदभाव हमारे साथ क्यों ?

Agar hum apki sari baat ko ikathi padhen to yahi kaha ja sakata hai ki agar Bhartiya Samaj ka ek section galat kar raha ho to dusra bhi galat raste per chalne lage to koi achhi baat nahin hogi kyonki do galatian ko milakar ek sahi kaam nahin ho jata!

Aadhunik Bharat ke nirman ke marg mein rukawaton ko badhane ke sthan par ghatane me sahogi banane aur rashtra nirmaan mein sarthak bhumika badhane kee aaj aap se sabhi umeed karate hain.

Hamen sadhbhavana falane mein yogdaan dena ho to theek hai, warna nafrat ko badhawa dene se bachna hoga; tabhi duniaya mein bharat ka naam izat se liya jayega!

deswaldeswal
July 17th, 2012, 10:45 PM
[QUOTE=Abhisheksangwan;311510]
सोनीपत में एक गांव में एक खाप की पंचायत हुई थी, और पंचायत उस फैसले को ले के हुई थी जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों की कमी और सबूतों के अभाव के कारण एक बलात्कार के आरोपी को बरी कर दिया था.. बा इज्जत बरी.....

लड़की ने उसके बाद खुदखुशी कर ली थी.... लड़की के परिजनों ने आखिरकार खाप को जानकारी दी... खाप ने दोनों पक्षों को पंचायत में १३ जून
२०१२ ​को
आने को कहा और जब दोनों पक्षों के लोग आये तो लड़के से पुछा की तुमने ये किया है तो लड़के ने साफ़ साफ़ मना कर दिया और कह दिया की जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया की मैंने नहीं किया तो अब आप मुझे परेशान क्यों कर रहे हो... पंच श्री जगबीर मलिक ने लड़के के पापा को बुलाया और कहा की बेटा अपने पापा के सर पे हाथ रख के कह दे की तूने ये पाप नहीं किया.... लड़का थोड़ी देर सोचता रहा.. लड़के के पापा ने कहा की अरे मेरा बेटा निर्दोष है उसने कुछ नही किया है अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला सुना दिया तो पंचायत करने का फैसला बेबुनियाद है.. जगबीर मलिक जी ने लड़के को कहा की अपने पिता जी के सर पे हाथ रख के कह दो की तुमने कुछ नही किया तुम निर्दोष हो... लड़के ने मना कर दिया की मै ऐसा नहीं करूँगा.... अब लड़के के पिता के कहने पे लड़के ने कहा की मैंने सिर्फ जबरदस्ती की थी बलात्कार नहीं किया... और ज्यादा दबाव डालने पे लड़के ने अपना गुनाह मान लिया... पंचायत ने फैसला लड़के के पिता पे छोड दिया की क्या करना चाइये और अंत में लड़के को दो साल तक गांव से बाहर निकाल दिया, लड़के को जिम्मेदारी दी गयी लड़की के घर वालो को दो लाख मुहवाजे के रूप में दे... लड़की वालो ने मुहवाजा लेने से इनकार कर दिया...तो सारी राशि गौ साला में दान करदेने की कही...

अब ये बताओ अगर ये पहले ही पंचायत के पास आ जाते तो लड़की की जान बच जाती.... मै पूरे विस्वास के साथ कह सकता हू की ये खबर कोई भी बिकाऊ मीडिया नही बताएगी....

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अभिषेक भाई बहुत अछि जानकारी है

सोनीपत के गाँव का नाम और दोनों परिवार के नाम और लिख सको तो कृपा लिखना धन्यवाद ..........

DrRajpalSingh
July 17th, 2012, 11:11 PM
Kripya Privaron ke naam sarvjanik nahin karenge/Gupat hi rahen to achha hoga!