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View Full Version : आसाम हिंसा मुम्बई तक पहुंची........................



jatshiva1947
August 11th, 2012, 11:36 PM
सब लोग इस कदर अंधे हो रहे कि देखकर भी कुछ नही समझ पा रहे या फिर इतने संवेदनहीन हो गये हैं कि समझकर भी ना समझ बने बैठे हैं। आसाम की हिंसा किसी से छीपी नही है कि कैसे इतना बङा नरसंहार हुआ और लाखों लोग घर से बेघर हो गये। और किसी को कोई चिंता नही है एक दिन पीएम साहब का बयान आया था कि आसाम हिंसा देश पर कलंक है। क्या मात्र इस बयान से हिंसा पर अंकुश लग सका। अंकुश तो क्या लगता वही हिंसा भङक कर मुम्बई तक आ पहुंची और कितना विकराल रूप धारण किया यह सभी ने देखा है। मीडीया की 3 ओबी वैन को आग में स्वाहा कर दिया उन वैन का कोई कसूर नही था उनको तो इसलिए भेंट चढाया गया की उनका वह हिंसात्मक कार्य कोई नही देख सके।
हम सभी ने यह देखा लेकिन बस यही देखकर रह गये कि वहां पर कुछ दंगा हुआ है, लेकिन क्या आपने आज तक इसके परिणाम के बारें कोई चिंतन मंथन किया है। कभी मन में ख्याल आया है कि यह आग जो देश में लग चुकि है इसमें हम भी परिवार समेत जलने वाले हैं। और अब हम लोग लगे पङे हैं या तो अपने एसोआराम में या फिर अपने बीबी बच्चों के भविष्य के बारें में सोच रहे हैं। लेकिन अगर कभी भविष्य में हमारे बच्चे इस आग की चपेट में आकर या उसमें झुलसकर हमसे पुछे की पापा आपने कभी इस आग को बुझाने के लिए कुछ क्यूं नही किया। तो क्या जबाब है हमारे पास........... कोई बतायेगा मुझे की क्या कहेंगे उस समय जब हम इतने मजबुर होंगे की सिर को तकिये में छिपाकर रोने के अलावा कुछ नही कर सकते।आसाम हिंसा मुम्बई तक पहुंची........................
सब लोग इस कदर अंधे हो रहे कि देखकर भी कुछ नही समझ पा रहे या फिर इतने संवेदनहीन हो गये हैं कि समझकर भी ना समझ बने बैठे हैं। आसाम की हिंसा किसी से छीपी नही है कि कैसे इतना बङा नरसंहार हुआ और लाखों लोग घर से बेघर हो गये। और किसी को कोई चिंता नही है एक दिन पीएम साहब का बयान आया था कि आसाम हिंसा देश पर कलंक है। क्या मात्र इस बयान से हिंसा पर अंकुश लग सका। अंकुश तो क्या लगता वही हिंसा भङक कर मुम्बई तक आ पहुंची और कितना विकराल रूप धारण किया यह सभी ने देखा है। मीडीया की 3 ओबी वैन को आग में स्वाहा कर दिया उन वैन का कोई कसूर नही था उनको तो इसलिए भेंट चढाया गया की उनका वह हिंसात्मक कार्य कोई नही देख सके।
हम सभी ने यह देखा लेकिन बस यही देखकर रह गये कि वहां पर कुछ दंगा हुआ है, लेकिन क्या आपने आज तक इसके परिणाम के बारें कोई चिंतन मंथन किया है। कभी मन में ख्याल आया है कि यह आग जो देश में लग चुकि है इसमें हम भी परिवार समेत जलने वाले हैं। और अब हम लोग लगे पङे हैं या तो अपने एसोआराम में या फिर अपने बीबी बच्चों के भविष्य के बारें में सोच रहे हैं। लेकिन अगर कभी भविष्य में हमारे बच्चे इस आग की चपेट में आकर या उसमें झुलसकर हमसे पुछे की पापा आपने कभी इस आग को बुझाने के लिए कुछ क्यूं नही किया। तो क्या जबाब है हमारे पास........... कोई बतायेगा मुझे की क्या कहेंगे उस समय जब हम इतने मजबुर होंगे की सिर को तकिये में छिपाकर रोने के अलावा कुछ नही कर सकते।