jatshiva1947
August 15th, 2012, 11:03 PM
बाबा रामदेव का आंदोलन 5 दिनों तक चला। सारे देश की जनता ने भरपुर सहयोग किया,और सहयोग करें भी क्यों ना जो आज देश की ऐसी हालात है जिसमें एक गरीब आदमी का जिना मुशिकल हो रहा है तो आखिर जायें कहां, करे तो क्या करें वाली स्थिती है। तो कहने का अर्थ यह है कि देश की अहिंसावादी जनता रामलीला मैदान से बाबा के साथ संसद कूच करने वाली थी तो दिल्ली सरकार ने रामलीला मैदान छावनी में तब्दील कर दिया। बाबा को पकङने के लिए तो इनके पास पुलिस बहुत है लेकिन सुभाष पार्क में मस्जिद के अवैध निर्माण को तोङने के लिए ना पुलिस है ना एमसीडी में ताकत है..............कितना दोगला व्यवहार हो रहा है एक ही देश में। सरकार अल्पसंख्यकों से वोट पाने के लिये कितनी समर्पित है कि चाहे कुछ भी कर लो सब जायज है। मुम्बई में आसाम मुद्दे पर भङकी हिंसा को रोकने लिए कोई कारगर कदम नही है।
अभी हाल ही में पाकिस्तान से दो हिदूओं के जत्थे आये जिन्होंने कहा कि हम वहां पर बहुत परेशान हैं वो लोग हमें जीने नही देते और एक दिन दैनिक जागरण में एक खबर छपी की हर महिने तकरीबन 25 लङकियों का अपरण और जबरन निकाह कर लेते हैं। ना ही कोई मानवाधिकार कुछ कहता है ना ही कोई मुलायम लालू या नितिश कुमार जैसा कोई देश भक्त नेता उनके ऊपर हो रहे अत्याचार पर कुछ कहता है।
अभी हाल ही में पाकिस्तान से दो हिदूओं के जत्थे आये जिन्होंने कहा कि हम वहां पर बहुत परेशान हैं वो लोग हमें जीने नही देते और एक दिन दैनिक जागरण में एक खबर छपी की हर महिने तकरीबन 25 लङकियों का अपरण और जबरन निकाह कर लेते हैं। ना ही कोई मानवाधिकार कुछ कहता है ना ही कोई मुलायम लालू या नितिश कुमार जैसा कोई देश भक्त नेता उनके ऊपर हो रहे अत्याचार पर कुछ कहता है।