BHAGWANSINGHSIR
August 26th, 2012, 10:20 PM
अमृत जैसा दूध पिला कर मैंने तुमकोबड़ा किया
अपने बच्चे से भी छीना पर तुमकोमैंने दूध दिया.
रूखी सूखी खाती थी मैं
कभी न किसीको सताती थी मैं
कोने में पड़ जाती थी मैं
दूध नहीं दे सकती अब तो
गोबर से काम तो आती थी मैं
मेरे उपलों की आग से तूने भोजनअपना पकाया था
गोबर गैस से रोशन कर के तेरा घरउजलाया था
क्योंकर मुझको बेच रहा रे उस कसाईके हाथों में ?
पड़ी रहूंगी इक कोने में मत करलालच माँ हूँ मैं.
मर कर भी है कीमत मेरी खाल भीतेरे काम आए
मेरी हड्डी की कुछ कीमत शायद तू हीघर लाए
मैं हूँ तेरे क्रिशन की प्यारी
वह कहता था जग से न्यारी
उसकी बंसी की धुन पर मैं
भूली थी यह दुनिया सारी
मत कर बेटा तू यह पाप
अपनी माँ को न बेच आप
रूखी सूखी खा लूँगी मैं
किसीको नहीं सताऊँगी मैं
तेरे काम ही आई थी मैं
तेरे काम ही आउंगी मैं.15341
अपने बच्चे से भी छीना पर तुमकोमैंने दूध दिया.
रूखी सूखी खाती थी मैं
कभी न किसीको सताती थी मैं
कोने में पड़ जाती थी मैं
दूध नहीं दे सकती अब तो
गोबर से काम तो आती थी मैं
मेरे उपलों की आग से तूने भोजनअपना पकाया था
गोबर गैस से रोशन कर के तेरा घरउजलाया था
क्योंकर मुझको बेच रहा रे उस कसाईके हाथों में ?
पड़ी रहूंगी इक कोने में मत करलालच माँ हूँ मैं.
मर कर भी है कीमत मेरी खाल भीतेरे काम आए
मेरी हड्डी की कुछ कीमत शायद तू हीघर लाए
मैं हूँ तेरे क्रिशन की प्यारी
वह कहता था जग से न्यारी
उसकी बंसी की धुन पर मैं
भूली थी यह दुनिया सारी
मत कर बेटा तू यह पाप
अपनी माँ को न बेच आप
रूखी सूखी खा लूँगी मैं
किसीको नहीं सताऊँगी मैं
तेरे काम ही आई थी मैं
तेरे काम ही आउंगी मैं.15341