SandeepSirohi
October 8th, 2012, 01:38 PM
ये एक व्यंग है उसी तरह पढ़े व्यक्तिगत तौर पर ना ले
वैसे, समस्त ब्रह्मांड में किसी मंत्री का सर्वकालिक सत्यवचन इसे माना जाना चाहिए. या ये भी कहा जा सकता है कि भारत के किसी मंत्री ने पहली बार सत्यवचन कहे हैं.
सवाल ये है कि टायलेट (शौचालय से गरीबी की बू आती है, जबकि टायलेट से अमीरी की खुशबू (http://raviratlami.blogspot.in/2012/06/blog-post_07.html), इसीलिए हम इसी शब्द का प्रयोग करेंगे) मंदिर से ज्यादा पवित्र क्यों है. आइए, जरा पड़ताल करें.
तो पहले ये देखें कि आप मंदिर क्यों जाते हैं? (मंदिर की जगह आप गिरिजाघर, मस्जिद, गुरुद्वारा कुछ भी प्रतिस्थापित करने को स्वतंत्र हैं)
· मंदिर में आप अपने पिछले कर्मों के पाप धोने जाते हैं.
· मंदिर आप शांति की तलाश में जाते हैं
· मंदिर आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर की पूजा प्रार्थना करने जाते हैं
· मंदिर आप मृत्युपरांत स्वर्ग प्राप्ति के लिए जाते हैं
· मंदिर आप अपने अगले जन्म में शानदार जीवन प्राप्ति के लिए जाते हैं
अब जरा देखें कि आप टायलेट क्यों जाते हैं.
· टायलेट में आप पिछले दिन का पाप धोने जाते हैं. चाहे वो मूली के पराँठे हों या केएफसी का बर्गर सब कुछ धुलता है, और आपके किए गए पाप (खानपान) के मुताबिक होता है. यहाँ भी आप वही दुआ करते हैं कि कल बहुत पाप हो गया था, अब आगे कोई पाप नहीं करेंगे, मगर टायलेट से बाहर आने के घंटे भर बाद भूल कर उन्हीं मॅकडोनल्ड्स और डोमिनोज़ के चक्कर लगाते नजर आते हैं.
· टायलेट के भीतर की शांति का कोई मुकाबला कर सकता है? आपकी खुद की सांसें भी यहाँ सुनाई पड़ती हैं. और कभी कभी तो शांति के (शांति से निपटने) के लिए अपनी खुद की सांसें भी रोकनी पड़ती हैं.
· टायलेट आप इस लिए जाते हैं कि आप फिर से, ज्यादा अच्छे से पेट पूजा कर सकें. पेट पूजा से बड़ी बड़ी पूजा इस दुनिया में है ही नहीं. सर्वशक्तिमान परमेश्वर की भी नहीं!
· टायलेट आप टायलेटोपरांत की स्वर्गिक अनुभूति के लिए जाते हैं. जरा एक नंबर और दो नंबर के प्रेशर को घंटे भर क्या, दस पंद्रह मिनट के लिए ही सही, रिलीज होने से रोक देखिए. और इसके बाद जब आपका प्रेशर रिलीज होगा तो उस स्वर्गिक अनुभूति की कल्पना इस या उस जीवन के स्वर्ग से शर्तिया कम ही होगी. और, लगता है कि मनुष्य ने स्वर्ग की कल्पना इसी अनुभूति को भोग कर ही की होगी.
· टायलेट आप इसलिए जाते हैं कि आपका आगे का आने वाला समय शानदार हो. यही नहीं, आपके आसपास का वातावरण भी दुर्गंध रहित, आवाज रहित, कष्टरहित हो.
अब तो आप मानेंगे न कि टायलेट मंदिर से ज्यादा पवित्र है.
http://raviratlami.blogspot.in/
वैसे, समस्त ब्रह्मांड में किसी मंत्री का सर्वकालिक सत्यवचन इसे माना जाना चाहिए. या ये भी कहा जा सकता है कि भारत के किसी मंत्री ने पहली बार सत्यवचन कहे हैं.
सवाल ये है कि टायलेट (शौचालय से गरीबी की बू आती है, जबकि टायलेट से अमीरी की खुशबू (http://raviratlami.blogspot.in/2012/06/blog-post_07.html), इसीलिए हम इसी शब्द का प्रयोग करेंगे) मंदिर से ज्यादा पवित्र क्यों है. आइए, जरा पड़ताल करें.
तो पहले ये देखें कि आप मंदिर क्यों जाते हैं? (मंदिर की जगह आप गिरिजाघर, मस्जिद, गुरुद्वारा कुछ भी प्रतिस्थापित करने को स्वतंत्र हैं)
· मंदिर में आप अपने पिछले कर्मों के पाप धोने जाते हैं.
· मंदिर आप शांति की तलाश में जाते हैं
· मंदिर आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर की पूजा प्रार्थना करने जाते हैं
· मंदिर आप मृत्युपरांत स्वर्ग प्राप्ति के लिए जाते हैं
· मंदिर आप अपने अगले जन्म में शानदार जीवन प्राप्ति के लिए जाते हैं
अब जरा देखें कि आप टायलेट क्यों जाते हैं.
· टायलेट में आप पिछले दिन का पाप धोने जाते हैं. चाहे वो मूली के पराँठे हों या केएफसी का बर्गर सब कुछ धुलता है, और आपके किए गए पाप (खानपान) के मुताबिक होता है. यहाँ भी आप वही दुआ करते हैं कि कल बहुत पाप हो गया था, अब आगे कोई पाप नहीं करेंगे, मगर टायलेट से बाहर आने के घंटे भर बाद भूल कर उन्हीं मॅकडोनल्ड्स और डोमिनोज़ के चक्कर लगाते नजर आते हैं.
· टायलेट के भीतर की शांति का कोई मुकाबला कर सकता है? आपकी खुद की सांसें भी यहाँ सुनाई पड़ती हैं. और कभी कभी तो शांति के (शांति से निपटने) के लिए अपनी खुद की सांसें भी रोकनी पड़ती हैं.
· टायलेट आप इस लिए जाते हैं कि आप फिर से, ज्यादा अच्छे से पेट पूजा कर सकें. पेट पूजा से बड़ी बड़ी पूजा इस दुनिया में है ही नहीं. सर्वशक्तिमान परमेश्वर की भी नहीं!
· टायलेट आप टायलेटोपरांत की स्वर्गिक अनुभूति के लिए जाते हैं. जरा एक नंबर और दो नंबर के प्रेशर को घंटे भर क्या, दस पंद्रह मिनट के लिए ही सही, रिलीज होने से रोक देखिए. और इसके बाद जब आपका प्रेशर रिलीज होगा तो उस स्वर्गिक अनुभूति की कल्पना इस या उस जीवन के स्वर्ग से शर्तिया कम ही होगी. और, लगता है कि मनुष्य ने स्वर्ग की कल्पना इसी अनुभूति को भोग कर ही की होगी.
· टायलेट आप इसलिए जाते हैं कि आपका आगे का आने वाला समय शानदार हो. यही नहीं, आपके आसपास का वातावरण भी दुर्गंध रहित, आवाज रहित, कष्टरहित हो.
अब तो आप मानेंगे न कि टायलेट मंदिर से ज्यादा पवित्र है.
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