jatshiva1947
November 20th, 2012, 12:00 AM
. महिलाओं को लेकर सिर्फ 20 वीं सदी की ही बात नही है महिलाओं का तो सनातन काल से ही सृष्टि के बनाने और चलाने में बहुत बङा सहयोग रहा है। गीता में भगवान ने भी कहा है कि हे अर्जुन मैं तो सारी दुनिया का पिता और धारण करने वाली प्रकृति सबकी माता है.....तो इस बात से जानकारी और विस्वास हो गया होगा कि.....महिलाओं के बिना तो कोई बङा कार्य सम्भव ही नही है......
महिलाओं की दृढ इच्छा शक्ति को सारी दुनिया मानती है एक पोराणिक कहानी है की भीष्म की मां गंगा ने अपने बेटे को शिक्षा में ऐसा पारंगत किया था कि भीष्म ने अपने पराक्रम से बहते दरिया का पानी अपने तीरों से रोक दिया था...... और झांसी की रानी के बारें में तो आप सब जानते ही होंगे की अपने पुत्र को पीठ पर बांधकर युद्ध के मैदान में शत्रुओं के दांत खट्टे कर दिये थे। ऐसी रही हैं महिलाएं। तो कोन भुल सकता है महिलाओं की समाज में भुमिका।
लेकिन आज हम विचार कर रहे हैं 20वीं सदी की महिलाएं........... तो इस काल में महिलाओं ने तरक्की और विकास की वो ऊचाईयों को छुआ जहां पर हम लोग कल्पना भी नही कर सकते। ऐसा भी नही है की सिर्फ शिक्षा में ही लङकियों ने नाम उंचा किया है...... चाहे हिमालय की चढाई हो या फिर अंतरिक्ष की यात्रा..... देश चलाने और देश की अगुवाई में भी महिला पिछे नही रही चाहे वो देश की पीम हो या राष्ट्रपति या फिर सबसे वङी लोकतंत्र की पंचायत संसद हो वहां पर भी महिलाओं अपनी काबलियत का परचम लहराया है। व्यापार में भी किसी को आगे नही निकलने दिया।
20वीं सदी की महिलाओं को अबला समझने वाले लोगों को भी सही सबक मिला है...... कुछ लोग ऐसे थे जो महिलाओं को अबला, कमजोर और बेबश समझकर उनके ऊपर अत्याचार करते रहते थे लेकिन आज की महिला ऐसी नही हैं जो घर की चार दिवारों में हो रहे अत्याचारों को झेलते हुए अपनी जिंदगी को नरक में डाल दे......
किसी ने लिखा है कि ढोल गंवार शूद्र और नारी ताङन के अधिकारी इससे बात स्पस्ट होती है कि महिलाओं को हमारा समाज कैसा मानता था। उसी भ्रम को दुर किया है 20वीं सदी की महिलाओं ने कि जो काम एक पूरूष कर सकता है महिला उससे भी बेहतर कर सकती है। महिलाओं को तो लोग बस बच्चा पैदा करने की मशीन समझते थे.................. भगवान ने गीता में कहा है हे अर्जुन में स्त्रीयों में श्री वाक, स्मृति, मेधा, क्षमा और धृति में हुं लेकिन इस बात को किसी ने कभी नही आगे आने दिया... ढोल गंवार शूद्र और नारी ताङन के अधिकारी इसी बात को आधार बनाकर चले और बहुत से इलाकों में तो यह प्रचलन था कि लङकी को होते ही दूध में डुबोकर या जहर देकर मार डालते थे अर्थात महिलाओं को पाप समझा जाता था। लेकिन आज की महिलाओं ने अपनी सामर्थ्य से यह दिखा दिया की जिसको आप कमजोर समझते हो वह कमजोर नही है हर क्षेत्र में पूरूष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जिंदगी में कामयाबी की बुलंदियों को छु सकती है।
महिलाओं की दृढ इच्छा शक्ति को सारी दुनिया मानती है एक पोराणिक कहानी है की भीष्म की मां गंगा ने अपने बेटे को शिक्षा में ऐसा पारंगत किया था कि भीष्म ने अपने पराक्रम से बहते दरिया का पानी अपने तीरों से रोक दिया था...... और झांसी की रानी के बारें में तो आप सब जानते ही होंगे की अपने पुत्र को पीठ पर बांधकर युद्ध के मैदान में शत्रुओं के दांत खट्टे कर दिये थे। ऐसी रही हैं महिलाएं। तो कोन भुल सकता है महिलाओं की समाज में भुमिका।
लेकिन आज हम विचार कर रहे हैं 20वीं सदी की महिलाएं........... तो इस काल में महिलाओं ने तरक्की और विकास की वो ऊचाईयों को छुआ जहां पर हम लोग कल्पना भी नही कर सकते। ऐसा भी नही है की सिर्फ शिक्षा में ही लङकियों ने नाम उंचा किया है...... चाहे हिमालय की चढाई हो या फिर अंतरिक्ष की यात्रा..... देश चलाने और देश की अगुवाई में भी महिला पिछे नही रही चाहे वो देश की पीम हो या राष्ट्रपति या फिर सबसे वङी लोकतंत्र की पंचायत संसद हो वहां पर भी महिलाओं अपनी काबलियत का परचम लहराया है। व्यापार में भी किसी को आगे नही निकलने दिया।
20वीं सदी की महिलाओं को अबला समझने वाले लोगों को भी सही सबक मिला है...... कुछ लोग ऐसे थे जो महिलाओं को अबला, कमजोर और बेबश समझकर उनके ऊपर अत्याचार करते रहते थे लेकिन आज की महिला ऐसी नही हैं जो घर की चार दिवारों में हो रहे अत्याचारों को झेलते हुए अपनी जिंदगी को नरक में डाल दे......
किसी ने लिखा है कि ढोल गंवार शूद्र और नारी ताङन के अधिकारी इससे बात स्पस्ट होती है कि महिलाओं को हमारा समाज कैसा मानता था। उसी भ्रम को दुर किया है 20वीं सदी की महिलाओं ने कि जो काम एक पूरूष कर सकता है महिला उससे भी बेहतर कर सकती है। महिलाओं को तो लोग बस बच्चा पैदा करने की मशीन समझते थे.................. भगवान ने गीता में कहा है हे अर्जुन में स्त्रीयों में श्री वाक, स्मृति, मेधा, क्षमा और धृति में हुं लेकिन इस बात को किसी ने कभी नही आगे आने दिया... ढोल गंवार शूद्र और नारी ताङन के अधिकारी इसी बात को आधार बनाकर चले और बहुत से इलाकों में तो यह प्रचलन था कि लङकी को होते ही दूध में डुबोकर या जहर देकर मार डालते थे अर्थात महिलाओं को पाप समझा जाता था। लेकिन आज की महिलाओं ने अपनी सामर्थ्य से यह दिखा दिया की जिसको आप कमजोर समझते हो वह कमजोर नही है हर क्षेत्र में पूरूष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जिंदगी में कामयाबी की बुलंदियों को छु सकती है।