RavinderSura
November 26th, 2012, 04:20 PM
वर्तमान समय में जब भाई भाई का नहीं हैं , लोग अपने सगे भाइयों से लड़ रहे हैं , और अगर बात भारत और पकिस्तान की की जाए तो यह स्थिति और भी भयंकर हो जाती हैं । ऐसे में दूसरों के हितों में कार्य करना महानता हैं । धर्म की रक्षा करने वाले आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं जिसका जीता जागता उधाहरण हैं दिल्ली के बिजवासन गाँव निवासी - नाहर सिंह कादियान । एक आज़ादी से पहले का नाहर सिंह था जो अंग्रेजों से अपने देश के लिए लड़ा था लेकिन यह आज का नाहर सिंह हैं जो अपने हिन्दू भाइयों के लिए के अपनी ही सरकार से लड़ रहा हैं । नाहर सिंह का जन्म हरियाणा की पवित्र भूमि सोनीपत जिले के गाँव बिजाना कला में 1 अक्तूबर 1954 को किसान शीशराम व माता भुला देवी के घर हुआ । नाहर सिंह का जन्म भी अजीब परिस्थितियो में हुआ इनकी माता नहर में स्नान कर रही थी उसी समय उनको प्रसव वेदना हुई तथा चलती नहर में ही बच्चे का जन्म हो गया । और इसी वजह से इनका नाम नाहर सिंह रखा गया । बाल्यकाल से वह परोपकारी रहे तथा लोगो का भला करना उनके स्वभाव में शामिल हो गया । पिता शीशराम एक भोलेभाले किसान थे तथा माता भुला देवी एक सहृदयी गृहणी । इसी परोपकारी भावना ओतप्रोत नाहर सिंह ने जींद जिले के गुरुकुल कालवा से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की गुरु कुल की सच्ची व उच्च शिक्षा से नाहर सिंह में एक दैवीय सादगी का समावेश हो गया तत्पश्चात नाहर सिंह ने कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय से सनातक की डिग्री ली ।
शिक्षा पूरी होने के बाद नाहर सिंह देश प्रेम के चलते सेना में भर्ती हो गए सेना में रहते हुए उन्होंने कड़ा अनुसाशन सिखा और देश प्रेम की भावना और मजबूत हो गई । पारिवारिक कारणों के वजह से उन्हें भारतीय सेना छोडनी पड़ी और 1984 में भारतीय भीमा निगम में बतौर एरिया डेवलेपमेंट अफसर के पद पर आसीन हुए । मेधावी नाहर सिंह के सपने और अधिक उच्चे थे इन्होने बैंक की प्रतियोगी परीक्षा पास कर केनरा बैंक की दिल्ली शाखा में बतौर क्लर्क स्थान पाया लेकिन यह भी उनकी मंजिल नहीं थी इसके बाद वो दिल्ली पुलिस में बतौर उपनिरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) भर्ती हो गए । पुलिस की नौकरी के बाद कस्टम विभाग में बतौर अधीक्षक आजकल अंतर्राष्ट्रीय दिल्ली हवाई अड्डे पर सेवारत हैं ।
नौकरी के साथ साथ नाहर सिंह ने हमेशा समाज सेवा को अपना परम धर्म माना । जाटों को इस समय आरक्षण की बेहद जरुरत हैं और इसी लिए वे जाटों को आरक्षण दिलवाने के लिए जोर शोर से जुटे हैं । गतवर्ष दिल्ली के जंतर मन्तर पर धरना के दौरान इन्हें पता चला की जाट भाई दो दिन से भूखे प्यासे बैठे हैं । बिना किसी के कहे इन्होने एक ट्रक केलों एवं चाय नाश्ते का प्रबंध अपनी और से किया । ऐसा ही एक दूसरा किस्सा बाबा रामदेव के दिल्ली के राम लीला मैदान में प्रदर्शन को लेकर के हैं । जब दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर हमला बोला तो बाबा रामदेव मंच से नीचे कूदे तो नाहर सिंह ने उन्हें अपने हाथों में लेकर सुरक्षित जगह पहुचाया था । तत्पश्चात पतानाजली योगपीठ के 28 अप्रैल 2012 को गुडगाँव में बाबा रामदेव ने अपनी गद्दी पर बैठा कर सम्मानित किया । उसी समय नाहर सिंह ने स्वाभिमान ट्रस्ट को एक लाख ग्यारह हजार का दान दिया ।
नाहर सिंह से गुरु कुल झज्जर में काफी पैसे देकर कमरों का निर्माण करवाया हैं । पिछले दिनों महरौली जिले में स्वयं सेवक संघ के शस्त्र पूजा में नाहर सिंह को स्वयं सेवक संघ का अध्यक्ष बनाया । इसके एलवा बहादुरगढ़ के आत्म्शुधि आश्रम के वे आजीवन सदस्य हैं ।
नाहर सिंह ने जो सबसे बड़ा कार्य किया हैं वो हैं 145 पाकिस्तानी हिन्दुओ को शरण देना । नाहर सिंह ने न सिर्फ 145 हिन्दू परिवारों को अपने परिसर में रहने स्थान मुहैया करा रखा हैं बल्कि उनके सारे इंतजाम भी अपने हाथों में ले रखे हैं । बिना किसी लालच के ऐसा करने का साहस विरले लोग ही कर पाते हैं । उन्हें आज का आधुनिक कर्ण कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं हैं ।
दिल्ली में मजनू के टिले पर रहने वाले 145 हिन्दुओ के साथ दिसम्बर 2011 में कुछ प्रशासनिक समस्याए आ खड़ी हुई । नाहर सिंह को इसकी सुचना एक समाचार पत्र से प्राप्त हुई और वहा जाकर इन्होने उनके हालत को समझा तथा वे कई दिनों तक सोच में पड़े रहे की इनको मदद कैसे की जाये । तभी किसी ने बताया यदि कोई इन बेचारे हिन्दुओ को गोद ले ले तो प्रशासन इन्हें परेशान नहीं करेगा । धर्म भावना से ओत-प्रोत नाहर सिंह ने एक सप्ताह के अंदर अपना 30 कमरों का मकान जिससे करीब 60 हजार मासिक किराया आता था, को खाली करवा कर 18 दिसम्बर 2011 को मजनू का टिले से सभी 145 हिन्दुओ को अपने घर की छत दे कर गोद ले लिया । न तो उनसे कोई किराया लिया जाता हैं वरण उनके खान-पान इलाज व इनके बच्चो की पढ़ाई का भार पिता समान नाहर सिंह ही वहन करते हैं । परुषों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अनेक सब्जी की रहड़ियाँ खरीद कर उन्हें स्वावलंभी बनाया है ।
बुजुर्ग बख्तावरी , मोहन दास , अर्जुन , गंगाराम नम आँखों से बताते हैं की भले यह भारत का 66वा सवतंत्रता दिवस हो लेकिन यहाँ रहा रहे सभी शरणार्थी परिवारों के जीवन में यह आज़ादी का पहला जश्न हैं । भारतवर्ष जिसको हिन्दुस्तान के नाम से भी जाता हैं , विडम्बना देखिये की हिन्दुओ की आवाज़ व हितों की रक्षा के लिए विश्व हिन्दू परिषद् , राष्ट्रीय सेवक संघ , राम सेना , बजरंग दल , शिव सेना व ना जाने कितने धार्मिक सामाजिक एवं कितने राजनैतिक मंच हैं जो हिन्दुओ का लिए हुए हैं , उन तक इन पाकिस्तानी हिन्दू भाइयों की आवाज़ शायद ही पहुची हो या सुनकर अनसुना किया जा रहा हो । ऐसे में इस महान हिन्दू प्रेमी जाट नाहर सिंह ने बिना किसी राजनितिक लोभ लालच के अपना हिन्दू धर्म निस्वार्थ निभाया । अब हिन्दुस्तान के हिन्दू ही तय करेंगे की वास्तविक हिन्दू हृदय सम्राट क्या वो हैं जो पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को हिन्दुस्तान में खेलने से मना करता हैं < ----- 'या' -------> फिर वो जो पकिस्तान के मुसलमानों के अत्याचारों से तंग आकर हिन्दुस्तान में गत वर्षों से शरण लिए पाकिस्तानी हिन्दुओ को पिता समान गोद लेता हैं ???????????????
हिन्दुओ के रखवाले जाट नाहर सिंह कादियान का सम्पर्क 9968288057
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शिक्षा पूरी होने के बाद नाहर सिंह देश प्रेम के चलते सेना में भर्ती हो गए सेना में रहते हुए उन्होंने कड़ा अनुसाशन सिखा और देश प्रेम की भावना और मजबूत हो गई । पारिवारिक कारणों के वजह से उन्हें भारतीय सेना छोडनी पड़ी और 1984 में भारतीय भीमा निगम में बतौर एरिया डेवलेपमेंट अफसर के पद पर आसीन हुए । मेधावी नाहर सिंह के सपने और अधिक उच्चे थे इन्होने बैंक की प्रतियोगी परीक्षा पास कर केनरा बैंक की दिल्ली शाखा में बतौर क्लर्क स्थान पाया लेकिन यह भी उनकी मंजिल नहीं थी इसके बाद वो दिल्ली पुलिस में बतौर उपनिरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) भर्ती हो गए । पुलिस की नौकरी के बाद कस्टम विभाग में बतौर अधीक्षक आजकल अंतर्राष्ट्रीय दिल्ली हवाई अड्डे पर सेवारत हैं ।
नौकरी के साथ साथ नाहर सिंह ने हमेशा समाज सेवा को अपना परम धर्म माना । जाटों को इस समय आरक्षण की बेहद जरुरत हैं और इसी लिए वे जाटों को आरक्षण दिलवाने के लिए जोर शोर से जुटे हैं । गतवर्ष दिल्ली के जंतर मन्तर पर धरना के दौरान इन्हें पता चला की जाट भाई दो दिन से भूखे प्यासे बैठे हैं । बिना किसी के कहे इन्होने एक ट्रक केलों एवं चाय नाश्ते का प्रबंध अपनी और से किया । ऐसा ही एक दूसरा किस्सा बाबा रामदेव के दिल्ली के राम लीला मैदान में प्रदर्शन को लेकर के हैं । जब दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर हमला बोला तो बाबा रामदेव मंच से नीचे कूदे तो नाहर सिंह ने उन्हें अपने हाथों में लेकर सुरक्षित जगह पहुचाया था । तत्पश्चात पतानाजली योगपीठ के 28 अप्रैल 2012 को गुडगाँव में बाबा रामदेव ने अपनी गद्दी पर बैठा कर सम्मानित किया । उसी समय नाहर सिंह ने स्वाभिमान ट्रस्ट को एक लाख ग्यारह हजार का दान दिया ।
नाहर सिंह से गुरु कुल झज्जर में काफी पैसे देकर कमरों का निर्माण करवाया हैं । पिछले दिनों महरौली जिले में स्वयं सेवक संघ के शस्त्र पूजा में नाहर सिंह को स्वयं सेवक संघ का अध्यक्ष बनाया । इसके एलवा बहादुरगढ़ के आत्म्शुधि आश्रम के वे आजीवन सदस्य हैं ।
नाहर सिंह ने जो सबसे बड़ा कार्य किया हैं वो हैं 145 पाकिस्तानी हिन्दुओ को शरण देना । नाहर सिंह ने न सिर्फ 145 हिन्दू परिवारों को अपने परिसर में रहने स्थान मुहैया करा रखा हैं बल्कि उनके सारे इंतजाम भी अपने हाथों में ले रखे हैं । बिना किसी लालच के ऐसा करने का साहस विरले लोग ही कर पाते हैं । उन्हें आज का आधुनिक कर्ण कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं हैं ।
दिल्ली में मजनू के टिले पर रहने वाले 145 हिन्दुओ के साथ दिसम्बर 2011 में कुछ प्रशासनिक समस्याए आ खड़ी हुई । नाहर सिंह को इसकी सुचना एक समाचार पत्र से प्राप्त हुई और वहा जाकर इन्होने उनके हालत को समझा तथा वे कई दिनों तक सोच में पड़े रहे की इनको मदद कैसे की जाये । तभी किसी ने बताया यदि कोई इन बेचारे हिन्दुओ को गोद ले ले तो प्रशासन इन्हें परेशान नहीं करेगा । धर्म भावना से ओत-प्रोत नाहर सिंह ने एक सप्ताह के अंदर अपना 30 कमरों का मकान जिससे करीब 60 हजार मासिक किराया आता था, को खाली करवा कर 18 दिसम्बर 2011 को मजनू का टिले से सभी 145 हिन्दुओ को अपने घर की छत दे कर गोद ले लिया । न तो उनसे कोई किराया लिया जाता हैं वरण उनके खान-पान इलाज व इनके बच्चो की पढ़ाई का भार पिता समान नाहर सिंह ही वहन करते हैं । परुषों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अनेक सब्जी की रहड़ियाँ खरीद कर उन्हें स्वावलंभी बनाया है ।
बुजुर्ग बख्तावरी , मोहन दास , अर्जुन , गंगाराम नम आँखों से बताते हैं की भले यह भारत का 66वा सवतंत्रता दिवस हो लेकिन यहाँ रहा रहे सभी शरणार्थी परिवारों के जीवन में यह आज़ादी का पहला जश्न हैं । भारतवर्ष जिसको हिन्दुस्तान के नाम से भी जाता हैं , विडम्बना देखिये की हिन्दुओ की आवाज़ व हितों की रक्षा के लिए विश्व हिन्दू परिषद् , राष्ट्रीय सेवक संघ , राम सेना , बजरंग दल , शिव सेना व ना जाने कितने धार्मिक सामाजिक एवं कितने राजनैतिक मंच हैं जो हिन्दुओ का लिए हुए हैं , उन तक इन पाकिस्तानी हिन्दू भाइयों की आवाज़ शायद ही पहुची हो या सुनकर अनसुना किया जा रहा हो । ऐसे में इस महान हिन्दू प्रेमी जाट नाहर सिंह ने बिना किसी राजनितिक लोभ लालच के अपना हिन्दू धर्म निस्वार्थ निभाया । अब हिन्दुस्तान के हिन्दू ही तय करेंगे की वास्तविक हिन्दू हृदय सम्राट क्या वो हैं जो पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को हिन्दुस्तान में खेलने से मना करता हैं < ----- 'या' -------> फिर वो जो पकिस्तान के मुसलमानों के अत्याचारों से तंग आकर हिन्दुस्तान में गत वर्षों से शरण लिए पाकिस्तानी हिन्दुओ को पिता समान गोद लेता हैं ???????????????
हिन्दुओ के रखवाले जाट नाहर सिंह कादियान का सम्पर्क 9968288057
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